सत्ता की भूख और देश के सम्मान पर हमला ...
"सत्ता की भूख में खोई मर्यादा,140 करोड़ जनता का अपमान!"
राहुल गांधी के मंच से देश के जनता द्वारा चुने गए प्रधानमंत्री मोदी को मां की गाली देना मतलब 140 करोड लोगों को मां की गाली दी गई, यह राहुल गांधी को सत्ता न मिलने की खीझ ही है, जो इस प्रकार की अभद्र भाषा सर्व जनिक मंच से राहुल गांधी के साथ-साथ कांग्रेसियों एवं उनके सहयोगियों द्वारा बोली जा रही है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस से एवं उसके सहयोगी विदेशी ताकतों के हाथों में खेल रहे हैं और यह सब हो रहा है मोदी को सत्ता से हटाने के लिए ! क्या राहुल गांधी सत्ता पाने के लिए कुछ भी कर गुजरेंगे, देश के साथ गद्दारी भी ???
राहुल गांधी ने हाल ही में एक सार्वजनिक मंच से जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपमानजनक भाषा में मां की गाली दी, वह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं था। यह देश के 140 करोड़ नागरिकों के आत्मसम्मान पर चोट है, जिन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत मोदी को अपना प्रधानमंत्री चुना है। किसी भी लोकतंत्र में विपक्ष को असहमति जताने, आलोचना करने और सवाल उठाने का पूरा अधिकार है—परंतु अभद्र भाषा और गाली-गलौज किसी भी सभ्य राजनीति का हिस्सा नहीं हो सकते।
आज यह साफ दिखाई दे रहा है कि सत्ता की लालसा ने कांग्रेस और उसके सहयोगियों की सोच को इस कदर विषाक्त कर दिया है कि वे देश के प्रधानमंत्री का सम्मान करना तो दूर, भारत की जनता की भी परवाह नहीं कर रहे। सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी सत्ता पाने के लिए मर्यादाओं को ताक पर रखकर, विदेशी ताकतों की भाषा बोलने तक को तैयार हो गए हैं? क्या यह देशहित है या महज सत्ता की प्यास का नंगा प्रदर्शन?
इतिहास गवाह है कि जिसने भी जनता के सम्मान को ठेस पहुंचाई है, जनता ने उसे करारा जवाब दिया है। राहुल गांधी और उनकी पार्टी को यह समझ लेना चाहिए कि भारतीय राजनीति का भविष्य गाली और अपमान से नहीं, सेवा और समर्पण से तय होगा।
आज हर देशवासी को सतर्क होने की जरूरत है—क्योंकि यह केवल मोदी का अपमान नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक चेतना और जनमत का अपमान है। जो दल सत्ता पाने के लिए अपने ही प्रधानमंत्री को गाली दे सकता है, वह देश के लिए किस हद तक गिर सकता है, यह सोचने वाली बात है।
राहुल गांधी ने जिस प्रकार सार्वजनिक मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपमानजनक भाषा में मां की गाली दी, वह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि देश की 140 करोड़ जनता के जनमत और सम्मान का अपमान है।
सत्ता की छटपटाहट इतनी गहरी हो चुकी है कि कांग्रेस और उसके साथी विदेशी ताकतों के हाथों की कठपुतली बनते दिख रहे हैं। लोकतंत्र में असहमति और आलोचना का अधिकार है, परंतु गाली-गलौज और अभद्रता राजनीति का हिस्सा नहीं हो सकते।
इतिहास गवाह है- जनता मर्यादा भंग करने वालों को कभी माफ नहीं करती। राहुल गांधी को यह समझना होगा कि राजनीति सेवा और समर्पण से आगे बढ़ती है, न कि अपशब्दों और अपमान से।
लगातार हारने और सत्ता नहीं मिलने की बौखलाहट !
- प्रधानमंत्री को गाली = जनता को गाली
- कांग्रेस की राजनीति अब पूरी तरह नकारात्मक
- सत्ता की भूख ने छीनी भाषा की गरिमा
विदेशी ताकतों का खेल?
थर्ड डिवीजन पास हुआ पप्पू,इस बार तो पूरी तरह से फेल होगा ...
- 🖋️ "जो प्रधानमंत्री का सम्मान न कर सका, वह जनता का क्या करेगा?"
- 🖋️ "गाली से नहीं, काम से मिलती है सत्ता"
- 🖋️ "देशभक्ति का मुखौटा, असल में सत्ता की भूख का खेल"
👉 देश जनता को अब यह तय करे कि उसे गाली की राजनीति करने वालों को घर बैठाये और अपने आत्म सम्मान को बचाए। ऐसे लोगों को सबक सिखाना जरूरी है जो अपने स्वार्थ के लिए जनता को गाली देते हैं, भ्रमित करते हैं और झूठ फैलाते हैं, इसलिए देश की जनता को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विकास और सेवा की भाव रखने वाले लोगों का समर्थन करना चाहिए। अब नहीं कुछ किया तो पछताने के अलावा कुछ भी नहीं मिलने वाला है देश सीधा गर्त में जाएगा ! इसलिए ऐसे लोगों से सावधान हो जाएं,सतर्क रहें... जय भारत
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