इंजीनियर्स एसोसिएशन ने 15 जुलाई से आंदोलन करने की चेतावनी दी...
जल जीवन मिशन में कमीशनखोरी, 200 से अधिक इंजीनियरों को नोटिस की तैयारी !
मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत परियोजनाओं की लागत में भारी वृद्धि और कथित अनियमितताओं का मामला गहराता जा रहा है। पीएचई मंत्री संपतिया उइके पर एक हजार करोड़ रुपये के कमीशन घोटाले के आरोप के बाद अब विभागीय अधिकारियों ने 200 से अधिक उपयंत्री और सहायक यंत्रियों को नोटिस देने की तैयारी शुरू कर दी है। कुछ को नोटिस दिए भी जा चुके हैं। इस कार्रवाई के विरोध में मध्यप्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है।
एसोसिएशन के संरक्षक इंजीनियर राजेंद्र सिंह भदौरिया ने कहा है कि अगर सरकार जूनियर इंजीनियरों को ही दोषी ठहराकर कार्रवाई करती है तो 15 जुलाई को बैठक कर आंदोलन शुरू किया जाएगा। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री, पीएचई मंत्री, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर विरोध दर्ज कराया है। पत्र में कहा गया है कि डीपीआर, तकनीकी स्वीकृति और भुगतान जैसी जिम्मेदारियां कार्यपालन यंत्री, अधीक्षण यंत्री और मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारियों की होती हैं, फिर भी केवल निचले स्तर के कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है, जो सरासर गलत है।
भोपाल परिक्षेत्र में 4890 योजनाओं में से 1290 को दोबारा संशोधित किया गया। लागत 776.59 करोड़ से बढ़कर 1042.34 करोड़ हुई। इंदौर क्षेत्र में 6568 योजनाओं में से 1775 की लागत 1897.08 करोड़ से बढ़कर 2361.31 करोड़ हुई। ग्वालियर में 5447 में से 1284 योजनाओं की लागत 1117.94 करोड़ से बढ़कर 1598.10 करोड़ हो गई। जबलपुर क्षेत्र में 9789 योजनाओं में से 4076 की लागत 2548.32 करोड़ से बढ़कर 4163.98 करोड़ पहुंच गई। कुल मिलाकर इन संशोधनों से सरकार पर 2825.81 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा।
इंजीनियर्स एसोसिएशन ने मप्र निर्माण विभाग मैनुअल का हवाला देते हुए कहा है कि तकनीकी स्वीकृति देने वाले अधिकारी को परियोजना के अनुमोदन से पूर्व यह सुनिश्चित करना होता है कि लागत अनुमोदित बजट से अधिक न हो। इसके बावजूद केवल उपयंत्रियों को दोषी ठहराना न्यायसंगत नहीं है। एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि यदि तकनीकी स्वीकृति देने वाले वरिष्ठ अधिकारियों पर भी समान रूप से कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत जल जीवन मिशन से जुड़े सभी कार्यों का बहिष्कार किया जाएगा।
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