लापरवाही या भ्रष्टाचार...
पहली ही बारिश में धंस गई नई बनी सड़क !
ग्वालियर। सड़कों के निर्माण के लिए लाखों करोड़ों रुपये सरकार की तरफ से मंजूर भी होते हैं और खर्च भी होते हैं लेकिन इनसे सड़कें बनती कैसी हैं इसका ताजा उदाहरण ग्वालियर में दिखाई दिया है, करीब एक सप्ताह पहले बनी एक सड़क ने न सिर्फ ग्वालियर नगर निगम के इंजीनियर्स की कार्य कुशलता दिखा दी बल्कि ये भी सामने आ गया कि नगर निगम के अफसर जन प्रतिनिधियों को कितनी तबज्जो देते हैं। यहाँ हम बात कर रहे हैं ग्वालियर में हाल ही बनी सिंधिया महल जयविलास पैलेस के नजदीक कुलदीप नर्सरी से चेतकपुरी चौराहे तक बनी सड़क की, वैसे तो ये प्रोजेक्ट फूलबाग चौपाटी से लेकर कुलदीप नर्सरी तक का है जिसकी लागत करीब 6 करोड़ के आसपास बताई जाती है यहाँ अमृत योजना के तहत बड़ी सीवर लाइन डाली गई है, इसके निर्माण में कई महीने लग गए, लोगों ने धूल, गड्डे और कई तरह की परेशानियाँ झेली और लगातार शिकायतें की तब ये सड़क बन पाई।
इस पूरी सड़क का निर्माण टुकड़ों टुकड़ों में किया गया, पहले चौपाटी से एजी ऑफिस पुल तक सड़क बनाई गई, फिर एजी ऑफिस पुल से माधव नगर गेट तक फिर उसके बाद और आगे तक फिर इसे ऐसे ही छोड़ दिया गया, लोग परेशान होते रहे, निगम अफसर और नेता, मंत्री भी इसी सड़क से निकलते रहे लेकिन कई महीने बाद निगम कमिश्नर और ठेकेदार की कृपा हुई और ये सड़क बनकर तैयार हुई। लोगों ने निकलना शुरू किया और धन्यवाद का भाव प्रकट किया, कमिश्नर संघ प्रिय ने भी प्रेसनोट जारी कर सड़क निर्माण पूरा होने की सूचना मीडिया को दी, लेकिन ये क्या कल मानसून की पहली ही बारिश में सड़क निर्माण की गुणवत्ता की पोल खुल गई, निगम इंजीनियर्स की कार्य कुशलता और ठेकेदार के काम का प्रमाण मिल गया, सड़क धंस गई, वहां एक बड़ा गड्ढा हो गया।
यहाँ खास बात ये है कि सड़क निर्माण के दौरान क्षेत्रीय भाजपा पार्षद अपर्णा पाटिल ने नगर निगम कमिश्नर को एक पत्र 15 जून को लिखा था जिसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा था कि सड़क निर्माण की गुणवत्ता सुनिचित की जाये, इसमें बेस का कांसेप्शन सही नहीं है इसलिए इसके पहली ही बारिश में धसकने की बहुत ज्यादा संभावना है, उन्होंने लिखा था सड़क के पास नाली होना आवश्यक है वर्ना नुकसान होगा लेकिन उनके पत्र को आयुक्त ने तबज्जो नहीं दी और वही हुआ जिसकी संभावना पार्षद ने जताई थी।
आपको बता दें इसी प्रोजेक्ट के तहत जो सड़क फूलबाग चौपाटी से एजी ऑफिस पुल तक कुछ महीने पहले बनाई गई है वो भी उसके निर्माण के कुछ समय बाद एक जगह से धंसक गई थी जिसे बाद में रिपेयर कर दिया है, इस सड़क को भी कर दिया जायेगा , लेकिन सवाल ये उठता है ये लापरवाही है या भ्रष्टाचार, किसकी जवाबदारी है, जब सड़क निर्माण होता है तो जिस इंजीनियर की देखरेख में ये काम होता है क्या वो क्वालिटी, टेक्नीकल पैरामीटर नहीं देखता ? बहरहाल अभी तो मानसून की पहली ही बारिश हुई है और नई बनी सड़क धसक गई अब देखना होगा कि जब मूसलाधार बारिश होगी, मानसून अपने चरम पर होगा तो इस पूरे प्रोजेक्ट के तहत बनी कई किलोमीटर की ये सड़क पानी को कितना झेल पाती है और शहर की पुरानी सड़कों का क्या हाल रहता है।
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