बुद्ध पूर्णिमा पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा ...
भगवान बुद्ध के आदर्शों चलकर,समाज में समता और प्रेम की भावना पर फोकस रखें !
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध के जीवन और उनके अद्वितीय आदर्शों को याद करते हुए समाज में समता, प्रेम, करुणा और सत्य की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया। वे उज्जैन के अशोक बुद्ध विहार में आयोजित एक कार्यक्रम में भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों की महत्ता को साझा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संबोधन में कहा, “भारत, भगवान बुद्ध के जीवन के आदर्शों का पालन करने वाला एकमात्र देश है, जहां उनके द्वारा दिए गए संदेशों—समता, सत्य, प्रेम और करुणा—को समाज के मूल तत्व के रूप में स्वीकार किया गया है। भगवान बुद्ध का जीवन त्याग, तप और सत्य के प्रति समर्पण का उदाहरण है, जिसे हम सबको अपनाना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि समाज के सामूहिक उन्नति के लिए समता मूलक समाज का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। “भारत में बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए सांची का स्थल ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह जगह न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक भी है,” मुख्यमंत्री ने कहा।
डॉ. यादव ने यह भी बताया कि बुद्ध सर्किट में सांची का प्रमुख स्थान है, और यह स्थल पूरे विश्व में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। उन्होंने इस मौके पर भारतीय ज्ञान परंपरा की भी सराहना की, जो पांच हजार साल से अधिक समय से अक्षुण्ण और प्रासंगिक बनी हुई है। “भारत का ज्ञान कभी भी चुनौतीपूर्ण नहीं रहा, और हम गर्व से कह सकते हैं कि भारत हमेशा से और हमेशा रहेगा, एक विश्व गुरु,” मुख्यमंत्री ने कहा। इस अवसर पर सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालुहेड़ा, विधायक सतीश मालवीय, और अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव का यह बयान एक ऐसे समय में आया है, जब भारतीय समाज में विभाजन और असमानता की चुनौतियाँ बढ़ रही हैं। उनके शब्द न केवल समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि भारतीय समाज को अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आदर्शों से जुड़े रहकर ही भविष्य की ओर अग्रसर होना चाहिए।
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