व्यापारियों ने तुर्की से आयातित सेबों का बहिष्कार करने की घोषणा की...
तुर्की द्वारा पाकिस्तान के खुले समर्थन के चलते देशभर में ज़ोर पकड़ रहा #BoycottTurkey
भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच तुर्की द्वारा पाकिस्तान के खुले समर्थन के चलते देशभर में बॉयकॉट तुर्की मुहिम जोर पकड़ रहा है। पुणे में इस मुहिम के समर्थन में सेब व्यापारियों ने तुर्की से आयातित सेबों का बहिष्कार करने की घोषणा की है, जिसके चलते बाजार से तुर्की के सेब पूरी तरह से गायब हो गए हैं। पुणे के एपीएमसी (कृषि उत्पन्न बाजार समिति) के सेब व्यापारी सुयोग झेंडे ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में तुर्की के सेबों की मांग में भारी गिरावट आई है। आम नागरिक भी बॉयकॉट तुर्की अभियान में शामिल हो गए हैं और तुर्की के सेबों के बजाय अन्य जगहों से आने वाले सेब खरीद रहे हैं।
सेब व्यापारी झेंडे ने कहा, “हमने तुर्की से सेब खरीदना बंद करने का फैसला किया है, क्योंकि तुर्की पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। अब हम हिमाचल और अन्य क्षेत्रों से सेब खरीद रहे हैं। भारत आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रहा था, लेकिन तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन की आपूर्ति की। खुदरा ग्राहक भी कह रहे हैं कि वे तुर्की के सेब नहीं खरीदना चाहते। उन्हें देखकर हमने भी तुर्की के सेबों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया। तुर्की के सेब यहां लगभग तीन महीने तक बिकते हैं और यह कारोबार लगभग 1200 करोड़ रुपये से अधिक का होता है।
जब तुर्की में भूकंप आया था, तब भारत सबसे पहले मदद करने वाला देश था, लेकिन आज वे पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे गद्दार लोगों का सेब हम भारतीय क्यों खाए, इसलिए बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया है।” इस बहिष्कार का शहर के फल बाजार पर बड़ा असर पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि तुर्की से आयातित सेब आमतौर पर हर सीजन में 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये तक का कारोबार करते हैं। व्यापारियों का कहना है कि यह कदम न केवल आर्थिक है, बल्कि देश की सेना और सरकार के साथ एकजुटता दिखाने के लिए भी है।
स्थानीय नागरिक भी इस मुहिम में खुलकर हिस्सा ले रहे हैं। एक निवासी ने कहा, हमारे पास सेब की कई किस्में हैं। ऐसे में उस देश से फल क्यों खरीदें, जो हमारे खिलाफ खड़ा हो? ऐसे में इस बहिष्कार से न सिर्फ तुर्की को आर्थिक झटका लगेगा, बल्कि स्थानीय और घरेलू उत्पादकों को भी नया बाजार मिलेगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी बॉयकॉट तुर्की हैशटैग चल रहा है. इसमें लोग खुलकर अपनी बात कह रहे हैं. एक यूजर ने लिखा कि भारत ने तुर्की के मुश्किल वक्त में उसका साथ दिया था, लेकिन जब भारत के साथ खड़ा होने की जरूरत थी, तब तुर्की वहां नहीं था.
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