G News 24 : विपक्ष केवल शब्दों में सरकार के साथ है, व्यवहार में नहीं !!!

विपक्ष सरकार के साथ नहीं किसी और के साथ है, ये इनके प्रवक्ताओं की दलीलों से जाहिर हो रहा है ...

विपक्ष केवल शब्दों में सरकार के साथ है, व्यवहार में नहीं !!!

भारत जब भी आतंकी हमलों से जूझता है, तब राष्ट्रीय एकजुटता की आवश्यकता सबसे अधिक होती है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले ने देश को एक बार फिर झकझोर दिया है। इस संवेदनशील समय में विपक्षी दलों ने सार्वजनिक रूप से सरकार के साथ खड़े होने का दावा किया है, लेकिन यदि हम उनके व्यवहार और बयानों की गहराई से जांच करें, तो तस्वीर कुछ और ही दिखती है।

सरकार के साथ खड़े होने का दावा

घटनास्थल से जुड़ी पहली खबरों के बाद, लगभग सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने हमले की निंदा की और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। कई नेताओं ने कहा कि इस कठिन समय में वे राजनीति नहीं करेंगे और सरकार के कदमों का समर्थन करेंगे। यह भारतीय लोकतंत्र के परिपक्वता का एक आवश्यक पहलू है कि आंतरिक सुरक्षा के मामलों में मतभेद भुलाकर एकजुटता प्रदर्शित की जाती है।

व्यवहार में विरोधाभास

हालांकि, विपक्ष के बयानों में जल्द ही दरारें दिखने लगीं। कुछ नेताओं ने हमले के लिए खुफिया एजेंसियों की विफलता का आरोप लगाया, तो कुछ ने केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल खड़े किए। कहीं न कहीं यह आलोचना इस संवेदनशील समय में सरकार की रणनीति को कमजोर करने का प्रयास प्रतीत होती है। यह सही है कि लोकतंत्र में सवाल पूछना आवश्यक है, लेकिन समय और तरीका बहुत मायने रखता है। जब देश शोक में डूबा हो और सुरक्षा बल मोर्चे पर डटे हों, तब आलोचना की बजाय सहयोग और धैर्य अपेक्षित होता है।

विपक्ष की दोहरी रणनीति

विपक्ष एक ओर सरकार के साथ खड़े होने की बात करता है, वहीं दूसरी ओर हमले के बाद उठी असंतोष की लहर को भुनाने का प्रयास भी करता दिखाई देता है। कुछ बयानों में यह संकेत मिला कि विपक्ष आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए सरकार की छवि को प्रभावित करने का अवसर तलाश रहा है। इसके पीछे एक राजनीतिक गणना है: जनता की असुरक्षा की भावना को भड़काकर सत्ता पक्ष को कठघरे में खड़ा करना।

सरकार की अपेक्षा

इस संकट के समय सरकार को चाहिए कि वह विपक्ष को विश्वास में लेकर पारदर्शिता बनाए रखे, लेकिन साथ ही विपक्ष से भी अपेक्षा है कि वह राष्ट्रहित को प्राथमिकता दे। हमलों पर तात्कालिक सस्ती राजनीति से बचते हुए दीर्घकालिक समाधान के लिए सभी दलों को एकसाथ काम करना चाहिए।

बातों में विपक्ष सरकार के साथ खड़ा दिखता है, लेकिन बयानों और व्यवहार में वह पूरी तरह से सरकार का समर्थन नहीं कर रहा। वास्तव में, विपक्ष का रुख मिलाजुला है — आंशिक समर्थन और आंशिक राजनीतिक अवसरवादिता का मिश्रण। ऐसे में यह कहना अधिक उचित होगा कि विपक्ष ‘शब्दों में’ सरकार के साथ है, लेकिन ‘व्यवहार में’ पूरी तरह से नहीं। देशहित सर्वोपरि है, और यह तभी संभव है जब दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एकजुटता दिखाई जाए।

पहलगाम हमले के बाद विपक्ष ने सरकार के साथ खड़े होने का दावा तो किया, लेकिन व्यवहार में विरोधाभासी संकेत दिए। शुरू में हमले की निंदा और एकजुटता के संदेश आए, पर जल्द ही कुछ नेताओं ने खुफिया एजेंसियों की विफलता और सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल उठाए। इससे यह साफ हुआ कि विपक्ष आंशिक समर्थन के साथ-साथ राजनीतिक अवसर भी तलाश रहा है। संकट की घड़ी में विपक्ष से राष्ट्रहित को प्राथमिकता देने और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सरकार का संपूर्ण समर्थन करने की अपेक्षा थी। निष्कर्षत

विपक्ष केवल शब्दों में सरकार के साथ है, व्यवहार में नहीं !

विपक्ष ने पहलगाम हमले पर सरकार के साथ खड़े होने का दावा तो किया, लेकिन व्यवहार में नहीं दिख रही है पूरी एकजुटता !!!

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