कांग्रेस के इस कृत्य पर सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी,लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी !
प्रधानमंत्री के विरुद्ध कांग्रेस द्वारा जारी हिंसात्मक पोस्टर पर न्यायपालिका का मौन !!!
हाल ही में कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी एक प्रचार पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "सर कटा" हुआ चित्र सामने आया। यह न केवल अमर्यादित राजनीतिक विरोध का प्रतीक है, बल्कि संवैधानिक मर्यादा पर सीधा हमला भी है। भारतीय लोकतंत्र में यह दृश्य चिंता और क्षोभ का विषय बन गया है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय, जो अक्सर जनहित के मामलों पर स्वत: संज्ञान लेने के लिए जाना जाता है, इस मुद्दे पर अब तक चुप है। क्या यह चुप्पी न्यायपालिका की निष्पक्षता को ठेस नहीं पहुंचा रही?
क्या यह स्वत: संज्ञान योग्य नहीं...
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में कई सामाजिक और मानवीय विषयों पर स्वत: संज्ञान लिया—चाहे वह लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मज़दूरों की स्थिति हो या पर्यावरणीय संकट। तो क्या प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पद के विरुद्ध हिंसा के प्रतीक पर उसकी चुप्पी यह दर्शाती है कि न्याय अब चुनिंदा मामलों पर ही जागरूक रहेगा?
राजनीतिक असहमति बनाम हिंसा का प्रचार
लोकतंत्र में आलोचना और असहमति का अधिकार हर नागरिक और राजनीतिक दल को है, परंतु वह अधिकार हिंसा या प्रतीकात्मक हिंसा के रूप में व्यक्त हो, यह स्वीकार्य नहीं। "सर कटा" चित्र न सिर्फ एक अमर्यादित राजनीतिक आचरण है, बल्कि यह समाज में कट्टरता और नफरत को भी बढ़ावा देता है।
संविधान से ऊपर कौन...
यदि यह चित्र किसी विपक्षी नेता के संदर्भ में होता, तो शायद न्यायपालिका अधिक संवेदनशीलता दिखाती। यही दोहरा मापदंड लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह हर नागरिक और हर संवैधानिक पद की गरिमा की समान रूप से रक्षा करे।
संविधान से ऊपर कौन...
यदि यह चित्र किसी विपक्षी नेता के संदर्भ में होता, तो शायद न्यायपालिका अधिक संवेदनशीलता दिखाती। यही दोहरा मापदंड लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह हर नागरिक और हर संवैधानिक पद की गरिमा की समान रूप से रक्षा करे।
अब समय है हस्तक्षेप का
सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी केवल एक संवैधानिक संस्था का मौन नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मूल आत्मा पर लग रही खरोंच है। आज देश को यह स्पष्ट संदेश चाहिए कि संविधान के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसात्मक अभिव्यक्ति को न्यायपालिका समर्थन नहीं देती
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