यह कानून दंड देने नहीं पीडि़त को न्याय दिलाने वाला कानून है...
भारतीय न्याय व्यवस्था में नवीन कानून से ऐतिहासिक बदलाव आया है : IG श्री सक्सैना
ग्वालियर। भारतीय न्याय व्यवस्था में नवीन कानून से ऐतिहासिक बदलाव आया है और काफी समय से यह प्रचलन में है। इसे अब समझकर व्यावहारिक अमल में लाया है। यह कानून दंड देने के लिए नहीं बल्कि पीडि़त को न्याय दिलाने को है। यह बात सोमवार को बाल भवन ऑडिटोरियम में पुलिस अधिकारियों के तीन दिवसीय प्रशिक्षक कार्यक्रम में आईजी अरविन्द सक्सैना ने कही।
उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव लाने वाले इन अधिनियमों को लागू हुए लगभग 10 माह पूर्ण हो चुके हैं, इसलिए अनुसंधान एवं पर्यवेक्षण अधिकारियों को नवीन कानून को गहराई से समझकर व्यावहारिक अमल में लाने का दायित्व है। ये कानून केवल दंड देने के नहीं बल्कि पीड़ति को न्याय सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। इस प्रकार के प्रशिक्षण पुलिस के अनुसंधान एवं पर्यवेक्षण अधिकारियों के लिए काफी लाभप्रद होंगे।
कार्यक्रम में डीआईजी अमित सांधी ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 न केवल हमारी कार्यशैली में बदलाव लाएंगे, बल्कि नागरिकों में विश्वास भी सुदृढ़ करेंगे। इसके लिए आवश्यक है कि हर अनुसंधान अधिकारी एवं पर्यवेक्षणकर्ता इनकी व्याख्या, प्रक्रिया एवं भावना को भली-भांति आत्मसात करें। उन्होंने प्रशिक्षण को केवल एक प्रक्रिया न मानते हुए, उसे व्यावसायिक दक्षता और कानूनी सेवा की गुणवत्ता सुधारने का माध्यम बताया। इस अवसर पर डीआईजी अमित सांघी, एएसपी गजेन्द्र वर्धमान, निंरजन शर्मा सहित अन्य अफसर शामिल रहे।
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