G News 24 : 26 पर्यटकों को नाम धर्म पूछकर मार डालने की घटना इस्लामी आतंकवाद ही कहलायेगा !

आयतें नहीं बोल पाने पर हत्या,इसलिए ये कहा जाये की आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है ...

26 पर्यटकों को नाम धर्म पूछकर मार डालने की घटना इस्लामी आतंकवाद ही कहलायेगा !

पहलगांव में मंगलवार की दोपहर हुई 26 पर्यटकों को नाम धर्म पूछकर मार डालने की घटना शुरूआती जानकारी  में इस्लामी आतंकवाद ही दिखाई देती हैे। नाम पूछा, कुरान की आयतें नहीं बोल पाने पर हत्या करने वालों का धर्म सभी जानते है कि ये किस धर्म के थे ,इसलिए ये कहा जाये की आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है।  इस्लामिक देश पाकिस्तान ने शुरू से ही जम्मू-कश्मीर में आतंक-हिंसा को प्रायोजित किया है।

आजादी के बहुत बाद तक जहां बड़ी संख्या हिन्दू आबादी थी, अब सिर्फ मुस्लिम ही मुस्लिम हैं। पहले कभी तलवार की दम पर इस्लाम धर्म अफ्रीका और एशिया के अधिकतर भाग में फैला, वही अराजकता, बबर्रता,असहिष्णुता कश्मीर में इस्लामी आतंकियों ने फैलाई हेै। हिन्दू मारे गए या हमेशा के लिए घाटी छोड़ने पर मजबूर हुए। जो हिन्दू  वहां मजदूरी के लिए ,नौकरी के लिए , पर्यटन के लिए जाते रहे हैं, उन्हें भी मुस्लिम आतंकी अपना निशाना  बनाते रहे हैं। 

कश्मीर में 22 अप्रैल की घटना इस्लाम धर्म को कलंकित कर देने वाली कही जाएगी। आतंकियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछा , नाम पूछा , कुरान की आयतें बोलने के लिए कहा। आतंकियों को लगा कि ये मुस्लिम नहीं हैं, तो उन्हें गोली मार दी गई। ईसाई धर्म भी विश्व भर में फैला  हुआ है, पर वहां हिंसा को जगह नहीं है। उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के हजारों-लाखों आदिवासियों ने दशकोंंं पूर्व इसलिए क्रिश्चियन धर्म अपनाया , क्योंकि ईसाई धर्मगुरुओं ने उन्हें अपने जन सेवा के कार्यों से प्रभावित किया था । इसके उलट हिन्दू धर्म-सनातन धर्म ने कभी भी अपने फैलाव पर जोर नहीं दिया । इसके प्रर्वतकों ने अपने धर्म के प्रचार में कभी भी जबरन तरीके नहीं अपनाए। 

भारत मेें हाल के वर्षों में हिन्दू कट्टरवाद बढ़ा है, यह सही है। इसे क्रिया की प्रतिक्रिया भी कहा जा सकता है और इसे वोटबैंक के रूप मेें भी देखा जाना चाहिए।  पर , ऐसा जघन्य उदाहरण अतीत में देखने को नहीं मिला कि सनातन धर्म के मानने वालों ने इसलिए किसी की हत्या कर दी क्योंकि वह मुस्लिम था या ईसाई था। हालांकि भारत में कुछ एक घटनाएं हुई हेंै , जब  कट्टर हिन्दूओं की भीड़ ने अल्पसंख्यक व्यक्ति(मुस्लिम) को  जयश्रीराम बोलने के लिए बाध्य  किया था। ऐसे तत्व साम्प्रदायिकता फैलाते हैं। 

डेढ़-दो दशक पहले जब इस्लामीआतंकी संगठन आईएसआईएस चरम पर था, इस्लामिक आतंकवाद खूब फला-फूला, लेकिन हर बुरी चीज का अंत होता है, इसका भी खात्मा हुआ । भारत में लोकतांत्रिक शक्तियों की मजबूती से ही इस्लामिक आतंकवाद पर जड़ से काबू पाया जा सकता हेै। हिन्दू-मुस्लिम एकता भी किसी भी जबरिया धर्म फैलाव को कमजोर कर सकती है। यह कहना कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता,सही नहीं है। इस्लाम को आतंक से बाहर निकालना विश्व शांति के लिए जरूरी हेै। 

Reactions

Post a Comment

0 Comments