G News24 : मोदी के राज में भाजपा में बड़े नेताओं का चुनावी एकाधिकार तो खत्म हुआ !

 कल तक भाजपा के अंदर और बाहर यह सोचना भी बेमानी ...

मोदी के राज में भाजपा में बड़े नेताओं का चुनावी एकाधिकार तो खत्म हुआ !

कल तक भाजपा के अंदर और बाहर यह सोचना भी बेमानी था कि शिवराज , सिंधिया , नरेन्द्र तोमर  , विजयवर्गीय जैसे बड़े नेताओं के पास यह अधिकार भी नहीं होगा कि वे  कहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं , कहां से नहीं ? आज विधानसभा चुनाव के मौके पर भाजपा  में नेताओं-कार्यकर्ताओं  के बीच असमानताएं मिट गईं हैं, वह इसलिए कि जो नेता पहले कभी अपने जेब में अपनी पसंद का टिकट रखा करते थे , आज  उनकी हालत किसी विधानसभा क्षेत्र के टिकट दावेदार से भी नीचे हो गई है। क्योंकि टिकट न मिलने पर  टिकट दावेदार गुस्सा होकर घर बैठ जाएगा, 

भाजपा  के बड़े नेताओं की तो पसंद ,नाराजगी  के भी अब कोई मायने  नहीं हैं ।  उदाहरण के लिए कैलाश विजयवर्गीय का वीडियो देख लीजिए , जिसमें वह कह रहे थे कि मेरी  तो विधानसभा टिकट की इच्छा ही नहीं थी।  और  - नरेन्द्र तोमर अपने बेटे रामू तोमर के लिए दिमनी में फिल्डिंग जमा रहे थे, टिकट दे दिया गया नरेन्द्र तोमर को।  सुना है रामू नाराज होकर घर बैठे हैं।  लेकिन,नरेन्द्र तोमर  के पास तो नाखुशी दिखाने का भी अधिकार नहीं है।  इधर, शिवराज सिंह चौहान , जो 18 साल से मुख्यमंत्री हैं, को इस बार टिकट मिलेगा भी या नहीं? स्वयं मोदी के अलावा कोई नहीं जानता । 

इसे कोई भाजपा  में नरेन्द्र मोदी का अधिनायकवाद कह सकता है, लेकिन इसे भाजपा में बड़े नेताओं के एकाधिकार का युग खत्म होने के रूप में भी देखा जाना चाहिए।  मोदी की भाजपा में महल का वजूद भी किनारे लग गया है। सिंधिया जी  अपने सभी समर्थकों को टिकट दिला नहीं पा रहे हैं, साथ ही  वह विधानसभा चुनाव में  अपनी पसंद की सीट से खड़े होना चाहें, तो वह भी आज  की स्थिति में संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है। 

राजस्थान भाजपा में भले ही वसुंधरा राजे सिंधिया  सर्वाधिक  लोकप्रिय  हों और मुख्यमंत्री पद की दावेदार  भी हों,पर मोदी  की भाजपा  उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ाएगी या नहीं ? इस पर अनिश्चितता बनी हुई है। यही हाल छत्तीसगढ़ में 15 साल मुख्यमंत्री  रहे रमन सिंह का है।  सच तो यह है कि भाजपा में परिवारवाद , भाई-भतीजावाद , वंशवाद और सबसे बड़ी बात - बड़े नेताओं के एकाधिकारवाद  पर अंकुश मोदी की सख्त कूटनीति से ही संभव हो पा रहा है।मोदी की भाजपा में नए चेहरों का भविष्य जरूर उज्जवल है - प्रदीप मांढरे

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