बंदियों को बंधी बिना मुहूर्त के राखी...
जेल में बंद भाइयों को तिलक करते ही बहनों के छलके पड़े आंसू !
रक्षाबंधन के मौके पर बुधवार को सुबह से सेन्ट्रल जेल के बाहर बहनों का जमाबड़ा है। दूर-दूर से बहनें अपने कैदी भाइयों को रक्षा सूत्र बांधने के लिए पहुंची है। मुहूर्त न होने पर भी बहनों ने भद्राकाल में ही कैदी भाइयों को राखी बांधी है। कई दिनों बाद जेल में बंद भाइयों से मिलकर और माथे पर तिलक करते ही बहन-भाई दोनों के आंसू छलक आए। जेल में बने लड्डू से बहन और भाइयों ने एक दूसरे का मुंह मीठा कराया है। जेल प्रशासन ने बाहर से कोई भी मिठाई अंदर नहीं लाने दी है। जेल प्रबंधन ने बंदी भाइयों को राखी बांधने आने वाली बहनों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो इसके लिए खुली जेल मैदान में टेंट लगाकर रक्षाबंधन की मुलाकात कराई है। दोपहर 3 बजे तक 20 हजार से ज्यादा बहने जेल पहुंच चुकी थीं।
खान-पान की सामग्री पर रोक
जेल अधीक्षक विनीत सरवईया ने बताया कि रक्षा बंधन पर इस बार बहनों को राखी के लिए जेल में आने की जेल मुख्यालय से अनुमति दी गई है। बहनें जेल आकर यहां पर सजा काट रहे अपने भाइयों को मंगल तिलक कर राखी बांध रही है। वहीं जेल में अपने भाइयों को राखी बांधने आने बाद महिलाओं को अपने साथ खान-पान का सामान लाने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। जेल में अब तक 20 हजार महिलाए राखी बांधने पहुंच चुकी है, इस दौरान जेल में पुरूषों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है।
जेल में बनेगा पक्का खाना
जेल में सजा काट रहे बंदियों के लिए जेल प्रबंधन ने पक्के खाने की व्यवस्था की है और बंदियों के लिए पूड़ी, सब्जी के साथ ही खीर बनाई गई है। यह खाना जेल में बंद अन्य कैदियों ने बनाया है। रक्षाबंधन पर जब बहन तिलक करेंगे तो उसके लिए लड्डू बनाए गए हैं। जो बहनों को जेल परिसर से ही खरीदने होंगे।
तीन पॉइंट पर हो रही है जांच
जेल में किसी प्रकार की सामग्री अंदर नहीं जा सके इसके लिए तीन स्थानों पर चेकिंग व्यवस्था लगाई गई है। जेल में सिर्फ महिलाओं को प्रवेश मिल रहा है वहीं पुरूषों का प्रवेश निषेध किया गया है। मिलाई के लिए जेल मैदान में टेंट लगाया गया है, जहां पर बैठकर बहन अपने भाइयों को राखी बांध रही हैं।
महिला बंदियों ने जेल में बंद पुरुष बंदियों को बांधी राखी
महिला बंदियों ने जेल में बंद पुरुष बंदियों को राखी बांधी है जिससे जेल में सजा काट रही महिला बंदियों का त्योहार फीका नहीं रहा है। इसके लिए जेल प्रबंधन ने एनजीओ और पुरूष बंदियों को राखी बंधवाने की व्यवस्था की गई थी है।
भाइयों को राखी बांध बहनें खुश
जेल में अपने भाई को राखी बांधने पहुंची कमला रावत का कहना है कि मैं अपने भाई नरेंद्र को राखी बांधने आई थी। बहुत ही अच्छी व्यवस्था रखी गई है लेकिन महिलाओं की काफी भीड़ थी। भीड़ के कारण महिलाओं में धक्का मुक्की हो रही थी। मैंने अपने भाई से खुली जेल में मुलाकात कर राखी बांधी है। वहीं जेल में भाई को राखी बांधने पहुंची महिला शीला का कहना है कि जेल मैं अपने भाई को राखी बांधने आई थी बहुत ही अच्छी तरह से जेल में व्यवस्था रखी गई है। मैंने 2 घंटे तक अपने भाई से राखी बांधने के बाद मिलकर बातचीत की है। जेल प्रबंधन ने पूरा समय दिया था।
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