G News 24:बुधादित्य योग में शुक्रवार को मनेगा गणगौर

 पति की लंबी आयु एवं मनपसंद वर पाने महिलाएं-युवतियां करेंगी व्रत...

बुधादित्य योग में शुक्रवार को मनेगा गणगौर

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर उत्सव मनाया जाता है। इसे ईसर-गौर भी कहते हैं। ईसर यानी भगवान शिव और गौर यानी देवी पार्वती। इस पर्व में शिव-पार्वती की पूजा ही विशेष रूप से की जाती है। आज 24 मार्च 2023, शुक्रवार की दोपहर को यह पर्व मनाया जाएगा। वैसे तो ये राजस्थान का लोक उत्सव है, लेकिन मध्यप्रदेश और गुजरात में भी अब ये पर्व मनाया जाने लगा है। गणगौर व्रत कुंवारी लड़कियां मनचाहे पति के लिए और विवाहित महिलाएं पति की सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार  चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 24 मार्च, शुक्रवार की शाम 5:00 बजे तक रहेगी। इस दिन सूर्य और बुध के एक राशि में होने से बुधादित्य नाम का शुभ योग बन रहा है। इस शुभ योग में की गई पूजा शुभ फल देने वाली मानी गई है।

गणगौर तीज का महत्व 

गणगौर तीज कुंवारी और विवाहित महिलाएं अपने सौभाग्य और अच्छे वर की कामना करने के लिए करती हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की आराधना की जाती है। 17 दिन चलने वाले इस पर्व का समापन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर होता है। कुंवारी, विवाहित और नवविवाहित महिलाएं इस दिन नदी, तालाब या शुद्ध स्वच्छ शीतल सरोवर पर जाकर गीत गाती हैं और गणगौर को विसर्जित करती हैं। यह व्रत विवाहित महिलाएं पति से सात जन्मों का साथ, स्नेह, सम्मान और सौभाग्य पाने के लिए करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता गवरजा यानि मां पार्वती होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं और आठ दिनों के बाद इसर जी यानि भगवान शिव उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं। इसलिए यह त्योहार होली की प्रतिपदा से आरंभ होता है। इस दिन से सुहागिन स्त्रियां और कुंवारी कन्याएं मिट्टी के शिव जी यानि गण एवं माता पार्वती यानि गौर बनाकर उनका प्रतिदिन पूजन करती हैं। इसके बाद चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर यानि शिव पार्वती की विदाई की जाती है। जिसे गणगौर तीज कहा जाता है।

गणगौर व्रत की कहानी

प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार शिव-पार्वती पृथ्वी पर आए। यहां देवी पार्वती को प्यास लगी तो वे दोनों एक नदी पर पहुंचे। देवी पार्वती ने जैसे ही पानी पीने हाथ नदी में डाला, उनकी हथेली में दूर्वा, टेसू के फूल और एक फल आ गया। ये देख शिवजी ने कहा कि “आज गणगौर तीज है। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग की सुख-समृद्धि के लिए गौरी उत्सव मनाती हैं और नदी में ये सभी चीजें प्रवाहित करती हैं। ये सब वही चीजें हैं। देवी पार्वती ने कहा कि “ आप मेरे लिए यहां एक नगर बनवा दें, जिससे सभी महिलाएं यहां आकर व्रत करें तो मैं स्वयं उन्हें सुहाग की रक्षा का आशीर्वाद दूंगी।”शिवजी ने ऐसा ही किया। जब महिलाओं को ये पता चला तो वे सभी देवी पार्वती के नगर में आकर ये व्रत करने लगी। ये देख देवी पार्वती बहुत प्रसन्न हुई और व्रत पूर्ण होने पर उन्होंने सभी महिलाओं को सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया।

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