EWS आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर

मप्र की कांग्रेस नेता ने लगाई पिटीशन...

EWS आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मिलने वाले EWS कोटे पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया था। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम की वैधता को बरकरार रखा है, जो शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रदान करता है। लेकिन इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश कांग्रेस की एक नेता ने ईडब्ल्यूएस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने ईडब्ल्यूएस मुद्दों पर केंद्र के फैसले को बरकरार रखने के फैसले की खिलाफत की है।

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस जेबी पारदीवाला ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सहमति जताई है। तीनों जजों का मानना है कि यह आरक्षण संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। तीनों जजों ने यह भी माना कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन नहीं करता है। वहीं सीजेआई जस्टिस यूयू ललित व जस्टिस रवींद्र भट ने इस पर असहमति जाहिर की थी। अब इस निर्णय पर समीक्षा याचिका लगाई गई है। मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की, जिसमें 103वें संशोधन ईडब्ल्यूएस आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया था। 

कांग्रेस नेता उदित राज ने भी किया था विरोध

फैसला आने के बाद कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा था कि वे ईडब्ल्यूएस आरक्षण का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की उच्च जाति समर्थक मानसिकता का विरोध कर रहे हैं। जब अजा-जजा को आरक्षण की बात आती है तो वह इंदिरा साहनी मामले की दुहाई देकर अजा-जजा-ओबीसी को 50 फीसदी आरक्षण की सीमा का हवाला दिया जाता है। आज संविधान का हवाला देकर कहा जा रहा है कि नहीं, आरक्षण की कोई सीमा नहीं है।

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