पहचान कौन हूॅं मैं, मातृभाषा हिंदी हूॅं।"

 "तेरी-मेरी -उसकी ,हम सबकी पहचान हूॅं ....

पहचान कौन हूॅं मैं, मातृभाषा हिंदी हूॅं।"


ग्वालियर l केंद्रीय पुस्तकालय ग्वालियर में हिंदी दिवस पर हिंदी की वर्तमान दशा और दिशा पर एकदिवसीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस आयोजन की अध्यक्षता डॉक्टर एनालाह के द्वारा की गई एवं मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन ग्वालियर इकाई की अध्यक्ष माता प्रसाद शुक्ला उपस्थित रहे। आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में जीवाजी विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डॉ.मनीषा गिरी, सलमान फराज एवं श्री मित्तल जी ने अपने विचार व्यक्त किए इस अवसर पर पुस्तकालय के क्षेत्रीय ग्रंथपाल डॉ राकेश शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विवेक कुमार सोनी ने किया।आमंत्रित अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान पुस्तकालय के हिंदी सेवी कर्मचारियों ने किया।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ.मनीषा गिरी ने  वर्तमान समय हिंदी की दशा पर दिशा पर ध्यान केंद्रित कराते हुए कहा कि हमें वर्ष में एक ही दिन क्यों हिन्दी दिवस मनाएं हमें प्रत्येक दिन हिन्दी दिवस मनाना चाहिए। हिंदी के इतिहास की संक्षिप्त जानकारी दी साथ ये कहा तभी हम इसके विकास में अपना सहयोग कर सकेंगे। मुख्य अतिथि शुक्ल ने कहा की अंग्रेज यहां से चले गए ,लेकिन अंग्रेजी छोड़ गए ।इसकी गुलामी हमको करनी पड़ रही है ।

जब तक क्षेत्रीय भाषा को और हिंदी को रोजी रोटी से नहीं जोड़ा जाएगा। तब तक हिंदी भाषा को उपेक्षित ही रहना पड़ेगा। श्री सलमान जी ने छोटे- छोटे किस्सों के माध्यम से हिंदी के महत्व को बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर एनालाह जी ने कहा कि हिन्दी हमारी मौसी है इससे हमारी पहचान है उन्होंने अनेक बातों के माध्यम से हिंदी के महत्व पर प्रकाश डाला। आभार हमारे केन्द्रीय पुस्तकालय के संचालक के द्वारा किया गया।

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