386 पंचायतों में से 22 में दलित पंचायत अध्यक्षों के लिए कुर्सी तक नहीं !


चाहकर भी झंडा नहीं फहरा सके दलित पंचायत प्रमुख !

 पंचायतों में से 22 में दलित पंचायत अध्यक्षों के लिए कुर्सी तक नहीं !

चेन्नई: तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा (टीएनयूईएफ) के एक सर्वेक्षण में हैरान कर देने वाली रिपोर्ट सामने आई है। जहां अनुसूचित जाति समुदायों के पंचायत अध्यक्षों के खिलाफ कई तरह के भेदभाव पाए गए हैं। इसमें पाया गया है कि सर्वे में शामिल 386 पंचायतों में से 22 में दलित पंचायत अध्यक्षों के लिए कुर्सी तक नहीं है। कई दलित पंचायत नेताओं को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के अधिकार से वंचित किया जाता है और उन्हें जाति आधारित भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही भेदभाव के कुछ मामलों में स्थानीय निकाय कार्यालय तक पहुंच से इनकार करना और कुछ अन्य मामलों में दस्तावेजों तक पहुंच से इनकार करना शामिल है। कुछ पंचायतों में दलित अध्यक्षों को उनकी कुर्सी पर बैठने की अनुमति तक नहीं थी। प्रश्नावली पर आधारित 24 जिलों में किए गए इस सर्वे में सर्वेक्षण करने के लिए 400 से अधिक प्रशिक्षित स्वयंसेवक लगे हुए थे।

टीएनयूईएफ के के सैमुवेल राज ने गुरुवार को चेन्नई में सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करने के बाद कहा कि “सर्वेक्षण का परिणाम चौंकाने वाला है, क्योंकि पंचायत अध्यक्षों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं है। वह भी तब जब राष्ट्र अपनी 75 वीं स्वतंत्रता का जश्न मनाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि ऐसी समस्या 20 पंचायतों में व्याप्त है। रिपोर्ट दलित पंचायत अध्यक्षों के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर शर्मसार कर देने वाली है। सैमुवेल राज ने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि पेरियार विचारधारा से जुड़े तमिलनाडु में आज तक जातिगत भेदभाव पनप रहा है। हम सरकार से दलित पंचायत अध्यक्षों की शिकायतों के निवारण के लिए एक विशेष तंत्र बनाने की अपील करते हैं। दलित पंचायत प्रमुख को काम करने और अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में सहयोग की कमी का सामना करना पड़ रहा है। फोरम सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा और उनसे 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए पंचायत अध्यक्षों की सुविधा के लिए विशेष अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करने का आग्रह करेगा। अगर अधिकारी ऐसा करने में विफल रहे। हम आगे बढ़ेंगे और उन्हें 16 अगस्त को झंडा फहराने की सुविधा देंगे।


सरकारी अधिकारियों की चुप्पी चौंकाने वाली

32 वर्षीय दलित पंचायत नेता ने कहा कि उन्हें पिछले साल अधिकारों से वंचित कर दिया गया था। कुछ दिनों पहले, सुधा ने कल्लाकुरिची के एसपी से गुहार लगाई और स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की सुविधा के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की।टीएनयूईएफ के के सैमुवेल राज ने कहा कि इस तरह के भेदभाव पर सरकारी अधिकारियों की चुप्पी अधिक चौंकाने वाली है। इसके साथ ही उन्होंने इस मामले को लेकर तमिलनाडु आदि द्रविड़ और एसटी आयोग की ओर से निष्क्रियता पर निराशा भी व्यक्त की

मुख्य भेदभाव क्या-क्या हैं, जरा समझिये

गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं है

दलित पंचायत प्रमुख के नाम के बिना नाम बोर्ड

नामित पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने की अनुमति नहीं

पंचायत कार्यालय में बैठने में असमर्थ

पंचायत कार्यालय की चाबियों तक पहुंच नहीं

दलित पंचायत प्रमुख की अध्यक्षता में हुई ग्राम सभा की बैठकों में गैर-दलित शामिल नहीं

उप पंचायत अध्यक्ष ने अलग कार्यालय की मांग (दलित पंचायत प्रमुख के साथ बैठने को तैयार नहीं)

पंचायत के दस्तावेजों तक पहुंचने में असमर्थ

उपाध्यक्ष (गैर-दलित) सहयोग नहीं कर रहे हैं

भेदभाव दिखा रहे सरकारी अधिकारी

दलित पंचायत प्रमुखों के साथ मारपीट व धमकी

जातिगत भेदभाव के शिकार दलित पंचायत प्रमुख

महिला दलित पंचायत प्रमुखों के साथ भेदभाव

अनादर/दुर्व्यवहार किया गया

दस्तावेजों के आदान-प्रदान से इनकार

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