12 साल में बलिदान हुए 73 वनकर्मी, पर बंदूक चलाने के भी नहीं दिए अधिकार

सरकार को प्रस्ताव भेजकर कई बार मांगे पुलिस के समान अधिकार…

12 साल में बलिदान हुए 73 वनकर्मी, पर बंदूक चलाने के भी नहीं दिए अधिकार

भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले 12 साल में 73 वनकर्मी वनमाफिया से मुकाबला करते हुए बलिदान हुए हैं। सरकार उन्हें अभी तक बंदूक चलाने के अधिकार तक नहीं दे पाई है। इन सालों में सात बार वन मुख्यालय ने सरकार को प्रस्ताव भेजकर वनकर्मियों के लिए पुलिस के समान अधिकार मांगे हैं, पर हर बार प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। तर्क एक ही रहा कि हथियार चलाने के अधिकार पाकर वनकर्मी निरंकुश हो जाएंगे व इससे घटनाएं बढ़ेंगी। वर्ष 2021 में भी वनकर्मियों पर हमले की 27 घटनाएं हुई हैं। वन विभाग में वायरलेस व्यवस्था ठप है और 10 साल पहले ली गईं तीन हजार बंदूकें भी कभी नहीं गरजीं। 

वन्यप्राणियों का शिकार, वन क्षेत्र से रेत-मुरम का उत्खनन, लकड़ी चोरी जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं और वनकर्मी निहत्थे हैं। उन्हें डंडा लेकर जंगलों की निगरानी करनी पड़ रही है। 19 हजार 476 वनकर्मियों को 3157 बंदूक एवं 286 रिवाल्वर दी गई हैं, पर उन्हें चला नहीं सकते हैं। ऐसा करते हैं तो मजिस्ट्रियल जांच से गुजरना पड़ेगा और यदि साक्ष्य नहीं दे पाए, तो सजा भी हो सकती है। इस कारण हमला होने पर भी वनकर्मी बंदूक नहीं चलाते हैं और शिकारी या लकड़ी माफिया मारपीट कर चले जाते हैं। वनकर्मी और वन विभाग करीब 20 साल से पुलिस के समान बंदूक चलाने के अधिकार मांग रहे हैं, पर गृह विभाग में पहुंचकर यह प्रस्ताव खारिज हो जाता है। 

सरकार में बैठे अधिकारियों का मानना है कि बंदूक चलाने के अधिकार मिलने के बाद वनकर्मी निरंकुश हो जाएंगे और घटनाएं बढ़ेंगी। इस तर्क से निर्णय करता भी सहमत हैं। वनरक्षक 12 से 15 वर्ग किमी जंगल की गश्त करता है। उसे कोई लकड़ी चोर या शिकारी मिलता है, तो भी वह कुछ नहीं कर सकता है। क्योंकि घने जंगल से फोन नहीं लगता और वायरलेस सिस्टम ठप है। पहले केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय को फ्रिक्वेंसी शुल्क न देने के कारण वायरलेस बंद हुए और अब लाइसेंस ही नहीं है। इतना ही नहीं, एक सौ से भी कम वायरलेस सेट बचे हैं, जिनका उपयोग संरक्षित क्षेत्रों में किया जा रहा है। पिछले चार साल से डेढ़ हजार वायरलेस खरीदने की प्रक्रिया ही चल रही है।

डेढ़ साल में हुई प्रमुख घटनाएं -

  • मार्च 2022 में सिलवानी (रायसेन) में लकड़ी चोरों को पकड़ने गए रेंजर को लोगों ने डंडों-पत्थर से पीटकर मार डाला।
  • फरवरी 2021 में लकड़ी चोरों ने देवास के पुंजापुरा में वनरक्षक मदनलाल वर्मा को गोली मार दी।
  • जून 2021 में भोपाल के बैरसिया क्षेत्र में वनभूमि से कब्जा हटाने पहुंचे वनकमियों पर हमला हुआ।

मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पाण्डेय कहते हैं कि सरकार ने वनकर्मियों की बंदूक चलाने के अधिकार दिए होते, तो न हर साल वनकर्मियों की हत्या होती और न ही किसी शिकारी की पुलिस पर गोली चलाने की हिम्मत पड़ती। शायद वनकर्मी के धोखे में वे पुलिसकर्मियों पर गोली चला बैठे। 12 साल में 73 वनकर्मी बलिदान हुए हैं। जिन्हें बलिदानी का दर्जा तक नहीं दिया है। उन्हें सम्मान और परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिली। उधर, वनकर्मियों को जो बंदूकें दी गई हैं, उन्हें रखने की भी जगह नहीं है। इसलिए उन्हें नजदीकी थाने में रखनी पड़ती हैं।

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