राष्ट्र और समाज के निर्माण में कलाओं का महत्वपूर्ण योगदान : राज्यपाल

राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला वि.वि. का पंचम दीक्षांत समारोह आयोजित…

राष्ट्र और समाज के निर्माण में कलाओं का महत्वपूर्ण योगदान : राज्यपाल

ग्वालियर l राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि जीवन को लयबद्ध और सुसंस्कृत बनाने के लिये कलाएँ बहुत जरूरी हैं। राष्ट्र और समाज के निर्माण में कलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। खुशी की बात है राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय संगीत व कलाओं की जीवंत परंपराओं को बखूबी ढंग से आगे बढ़ा रहा है। राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला वि.वि. ग्वालियर के पंचम दीक्षांत समारोह में अपने अध्यक्षीय उदबोधन में राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि वि.वि. बाल्यकाल की शिक्षा दीक्षा में कलाओं को शामिल करने की पहल कर आंगनबाड़ी और प्राथमिक स्कूलों का मार्गदर्शन करे। 

दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि संगीत एवं कलाओं को बढ़ावा देने के लिये राजाश्रय जरूरी है। केन्द्र व राज्य सरकार यह काम पूरी शिद्दत के साथ कर रहीं हैं। दीक्षांत समारोह में वि.वि. के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर, कुलसचिव दिनेश पाठक एवं वि.वि. की साधारण परिषद, कार्य परिषद व विद्या परिषद के पदाधिकारी मंचासीन थे। दीक्षात समारोह में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला वि.वि. के शिक्षा सत्र 2018-19 एवं 2019-20 के 49 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 15 शोध छात्र-छात्राओं को शोध उपाधियाँ प्रदान की गईं। 

राज्यपाल एवं कुलाधिपति मंगुभाई पटेल ने स्वर्ण पदक और शोध उपाधियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनायें देते हुए कहा कि आप सबने आज जो वचन लिया है, उसे जीवन भर निभाएं। साथ ही भविष्य में प्राप्त होने वाली उपलब्धियों के लिये अपने पालकों और गुरूजनों के प्रति सदैव आभारी रहें। अध्यक्षीय उदबोधन में राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि संगीत सम्राट तानसेन, बैजू बाबरा जैसे महान संगीतज्ञों की साधना स्थली, राजा मानसिंह तोमर जैसे संगीत और कला के संरक्षक और ऋषि गालव की पवित्र भूमि ग्वालियर देश ही नहीं पूरी दुनिया में विशिष्ट स्थान रखती है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ग्वालियर को विश्व स्तर पर और ऊँचाईयां प्रदान करने में उनकी ओर से पूर्ण सहयोग मिलेगा। 

राज्यपाल ने यह भी कहा कि हमारा देश विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है। जिसकी हजारों वर्षों की सांस्कृतिक विरासत विश्व में एक अलग पहचान बनाती है। हमें गर्व है हमारा देश कलाओं की विविधता का एक अद्भुत स्वरूप प्रस्तुत करता है। भारतीय कला के विभिन्न रूप जीवन के सभी पक्षों अर्थात आध्यात्मिक और भौतिक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि खुशी की बात है कि संगीत की नगरी ग्वालियर को गत 19 अगस्त 2008 को एक साथ राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला वि.वि. और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि वि.वि. की सौगात मिली थी। संगीत एवं कला वि.वि. ग्वालियर की समृद्धशाली संगीत परंपरा को बखूबी ढ़ंग से आगे बढ़ाने में योगदान दे रहा है। 

केन्द्रीय मंत्री ने स्वर्ण पदक एवं उपाधियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनायें देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। देश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने स्वर्ण पदक व उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि आप सब भारतीय संस्कृति के उत्तराधिकारी हैं। साथ ही अतुल्स संस्कृति के संवाहक भी हैं। इसलिए भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को अपने जीवन में उतारकर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को और ऊँचाईयां प्रदान करें। उन्होंने इस अवसर पर आह्वान किया कि आजादी के अमृत महोत्सव की बेला में आप सब अपने घर में बलिदानियों के चित्र अवश्य लगाएँ, जिससे सभी को राष्ट्र भक्ति की प्रेरणा मिले। 

राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला वि.वि. के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर ने स्वागत उदबोधन एवं वि.वि. का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। साथ ही उनके द्वारा दीक्षोपदेश भी दिया गया। श्री नाहर ने बताया कि वि.वि. से वर्तमान में कला, संगीत व नृत्य इत्यादि कलाओं के 123 महाविद्यालय संबद्ध हैं, जिनमें 22 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला वि.वि. के पंचम दीक्षांत समारोह के आरंभ में भव्य शोभा यात्रा निकली, जिसमें राज्यपाल एवं कुलाधिपति, केन्द्रीय मंत्री एवं प्रदेश की पर्यटन व संस्कृति मंत्री, वि.वि. के प्राध्यापक व आचार्य, विद्यार्थीगण शामिल हुए। आरंभ में अतिथियों ने माँ सरस्वती एवं राजा मानसिंह तोमर की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया। समारोह का शुभारंभ एवं समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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