यूक्रेन-रूसः संतुलन की जरूरत

भारत पर रूस के प्रति कड़ा रुख अपनाने का दबाव...

यूक्रेन-रूसः संतुलन की जरूरत

 

यूक्रेन और रूस की सेनाओं के बीच जंग शुरू होने के बाद इसके लंबा खिंचने का डर जताया जा रहा है। इस बीच खासतौर पर यूरोप की ओर से भारत पर रूस के प्रति कड़ा रुख अपनाने का दबाव पड़ रहा है। यूरोप में फ्रांस भारत का करीबी सहयोगी है। वह चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत रूस के प्रति कड़ा रुख अपनाए क्योंकि रूस ने कथित तौर पर संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन किया है। उसने एक संप्रभु देश पर हमला बोला है। फ्रांस ने कहा है कि यूक्रेन पर रूस के हमले से यूरोप में जो अस्थिरता की स्थिति बनी है, वह भारत के लिए ठीक नहीं होगी। इसी मामले में ईयू के विदेश मामलों के प्रतिनिधि जोसेफ बोरेल ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी फोन किया और दोनों के बीच यूक्रेन में गंभीर स्थिति को लेकर चर्चा हुई।

उनके बीच यह भी बातचीत हुई कि भारत किस तरह से इस टकराव को खत्म करने में भूमिका निभा सकता है। हाल ही में जयशंकर फ्रांस की यात्रा पर गए थे। वहां भी उन्होंने एक तरह से रूस का ही पक्ष लिया था। जयशंकर ने कहा था कि रूस के आसपास के देशों में नाटो के विस्तार की चिंता जायज है। उसके बाद भी भारत ने रूस के कदमों की आलोचना नहीं की है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन के बीच गुरुवार को हुई बातचीत भी मायने रखती है। इसमें पूतिन ने प्रधानमंत्री को ताजा स्थिति के बारे में जानकारी दी।

इसमें भी प्रधानमंत्री ने पूतिन से तत्काल युद्धविराम करने और बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की अपील की। असल में इस पूरे मामले में भारत बेहद मुश्किल स्थिति में है। एक तरफ वह अमेरिका के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए बने क्वाड जैसे संगठन का अहम मेंबर है। यह संगठन चीन की विस्तारवादी नीतियों को रोकने के मकसद से बनाया गया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर चीन ने भारत के खिलाफ इधर आक्रामकता अख्तियार की है। भारत को लगता है कि चीन को रोकने में क्वाड से मदद मिलेगी। दूसरी तरफ रूस उसकी सामरिक तैयारियों के लिहाज से महत्वपूर्ण सहयोगी है।

भारत को 60 फीसदी हथियारों की आपूर्ति रूस से ही होती है। इसलिए वह रूस को भी नाराज नहीं करना चाहता क्योंकि इससे भारत की रक्षा तैयारियों पर बुरा असर पड़ेगा। इसलिए यूक्रेन मामले में भारत के लिए संतुलन बनाए रखना जरूरी है। उसे अमेरिका, फ्रांस और दूसरे यूरोपीय सहयोगियों के साथ रूस की भी जरूरत है। यही भारत के लिए सबसे बड़ा इम्तहान भी है और एक अवसर भी। अगर वह यूक्रेन में युद्ध रोकने के लिए कूटनीतिक पहल में मदद कर पाता है और वह पहल कामयाब होती है तो इससे वैश्विक समुदाय के बीच उसका कद बढ़ेगा और भारत के हित भी सुरक्षित रहेंगे।

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