टैंक-मिसाइलों से घिरे है और बाहर नहीं निकल सकते:हरीश

जेलेंस्की के ऑफिस से 200 मीटर दूर बेसमेंट में छिपे

 टैंक-मिसाइलों से घिरे है और बाहर नहीं निकल सकते:हरीश


बीते चार दिन से भारतीय यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के ऑफिस से महज 200 मीटर दूर एक बेसमेंट में फंसे हुए हैं। इस एरिया में राष्ट्रपति का भवन होने के साथ ही तमाम मंत्रालय भी स्थित हैं, इसलिए यहां चप्पे-चप्पे पर यूक्रेन की फौज तैनात है। टैंक और मिसाइलें लेकर सैनिक मुस्तैद हैं। बाहर इमरजेंसी लगी है, इसलिए कोई भी निकल नहीं सकता। ऋषिकेश के रहने वाले हरीश पुंदीर ने कि हम लोग  जिस रेस्टोरेंट में काम करते  है  वो यहीं स्थित है। रेस्टोरेंट के नीचे ही बेसमेंट बना हुआ है, जहां हम छिपे हुए हैं।‘हरीश 2019 से यूक्रेन के एक रेस्टोरेंट में बतौर शेफ काम कर रहे हैं। उनके साथ के लोग भी रेस्टोरेंट में ही काम करते हैं। वे इसके पहले रूस में जॉब करते थे। हरीश ने बताया कि, हमें खाने-पीने की कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि रेस्टोरेंट का सामान भरा हुआ है, लेकिन टैंक और मिसाइलें चारों तरफ घूम रहे हैं, इसलिए जान सांसत में है।

रूस की सेना राष्ट्रपति भवन को ही अपने कब्जे में लेना चाहती है इसलिए यह एरिया हमारे लिए बहुत खतरनाक हो गया है। रूस की सेना राष्ट्रपति भवन से महज 8 से 10 किमी दूर है। हरीश कहते हैं, ‘जब रात में फायरिंग होती है तो उसकी आवाजें अंदर तक आती हैं। इसलिए हम दो-दो करके सो रहे हैं। जैसे ही मौका मिलेगा, यहां से निकलेंगे।‘

कीव में ही करीब 300 स्टूडेंट्स का एक ग्रुप एक स्कूल में फंसा हुआ है। ग्रुप में शामिल अमृतसर के मनिंदर ने बताया कि, 'इंडियन एम्बेसी से सटा हुआ एक स्कूल है, इसी के बेसमेंट में 300 से ज्यादा स्टूडेंट्स ठहरे हुए हैं। एम्बेसी ने हमे यहां से जाने का कह दिया है, लेकिन कोई इंतजाम नहीं किया। इसलिए हम ये स्कूल नहीं छोड़ रहे। हमे बॉर्डर एरिया पर जाना है, वहां से भारत के लिए फ्लाइट मिल सकती है लेकिन वहां तक कैसे जाएं, कुछ समझ नहीं आ रहा।'

शनिवार को एम्बेसी की तरफ से बताया गया कि, उन्होंने ट्रेन की 3 बोगी बुक कर दी हैं, जिससे हम लोग कीव से निकल सकते हैं, और ये भी कहा था कि स्टेशन पर आपको मदद के लिए एम्बेसी के अधिकारी मिलेंगे। उनकी बात सुनकर हमारा 80 स्टूडेंट्स का ग्रुप जैसे-तैसे स्टेशन पहुंचा लेकिन वहां न ट्रेन मिली और न ही एम्बेसी का कोई अधिकारी। हमने उनके फोन लगाए तो वो भी स्विच ऑफ आ रहे थे। इसके बाद हम वापिस स्कूल के बेसमेंट में आ गए।
रात में बत्ती गुल हो जाने पर भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

यहां हमे दो टाइम खाना दिया जा रहा है। एक प्लेट में पांच से छ लोग खाते हैं। रात में बत्ती भी गुल हो जाती है। घरवालों ने हमे कहा है कि, जब तक सिचुएशन नार्मल न हो जाए बेसमेंट से बाहर मत आना। हमारे साथ फंसे अधिकतर स्टूडेंट्स मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन में हैं।

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