जीवन की यथार्थ सच्चाई

जिस काया पर अहंकार है उसको एक दिन मिट जाना है…

जीवन की यथार्थ सच्चाई

 

दुनिया में निर्वस्त्र आए थे,

दुनिया  से निर्वस्त्र जाएंगे,

कमजोर आए थे,

कमजोर जाएंगे,

बिना धनसंपदा के आए थे,

बिना धन संपदा के जाएंगे,

आते समय वजन ढाई किलो का था,

जाते समय वजन भी ढाई किलो मटकी मैं होगा,

जब आए थे तब भी किसी और ने स्नान कराया था,

जब जाएंगे तब भी कोई और स्नान कर आएगा,

आया तो ना कोई दोस्त ना कोई रिश्ता हमारे साथ नही था,

जाएंगे तब भी ना कोई दोस्त ना कोई रिश्तासाथ नही जाएगा,

आए थे तब भी किसी और ने हमारी खुशी,

के लिए सैकडो लोगों को भोजन कराया था,

पर हमने उसका स्वाद नहीं चक पाया था,

जाएंगे तब भी कोई और हमारे शांति के,

लिए और खुशी के लिए सैकड़ों लोगो को,

भोजन कर कराएगा तब भी हम उसका,

स्वाद नहीं चक  पाएंगे।

जिस काया पर अहंकार है उसको एक दिन मिट जाना है कैसी नफरत कैसी ईष्षा कैसी दुश्मनी हमें निभाना है मिलजुल कर एक दूसरे के साथ प्रेम से समय बताएं प्रेम सफलता की कुंजी है उसे अपने साथ  एकत्रित करती जाएं मैं धर्मेंद्र शिंदे आप सभी भाइयों से अनुरोध करता हूं जीवन की कड़वी सच्चाई को पहचाने मित्रता आपकी प्रेम व्यवहार एकता के साथ धरम देश परिवार की रक्षा के लिए हिंदू सेना के सैनिक बने और काया और माया पर अहंकार ना करें साथ आपका व्यवहार आपका अच्छा आचरण और आपके किए पुण्य कार्य  ही जाएंगे बाकी सब यहीं रह जाएंगे।

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