मलिक भाजपा के खूंटे से बंधी वो गाय है जो हर समय काम आती है

सच और झूठ के पाल ,सत्यपाल मलिक

मलिक भाजपा के खूंटे से बंधी वो गाय है जो हर समय काम आती है 

 


मेघालय के 19  वे राज्यपाल सत्यपाल मालिक आजकल अपनी लंतरानियों की वजह से सुर्ख़ियों में हैं.वे पहले और अकेले भाजपाई हैं जो प्रधानमंत्री को 'घमंडी ' कहने का दुस्साहस दिखा पाए हैं. सत्यपाल मिल्क के बयानों को ' बोल्ड ' कहा और माना जा रहा है ,लेकिन वे क्या सचमुच ' बोल्ड ' हैं ? हकीकत जानने के लिए जिज्ञासु जनता को तनिक मेहनत करना पड़ेगी .सबसे पहले तो आप ये जान लीजिये कि मलिक साहब भाजपाई हैं किन्तु वे संघ दीक्षित नहीं हैं,यानि उन्होंने संघ की कक्षाओं में [ जिन्हें लोग शाखा कहते हैं ] जाकर अनुशासन और हिंदुदतव का प्रशिक्षण नहीं लिया है .मिल्क के गुणसूत्रों में समाजवादी   और जनता दलीय लक्षण भी हैं .वे धर्मांतरित भाजपाई हैं. वे संसद में जनतादल और समाजवादी दल का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और भाजपा ने भी उन्हें अपना उपाध्यक्ष बनाया था .उनकी नैसर्गिक प्रतिभा को देखते हए ही भाजपा ने उन्हें जम्म-कश्मीर,बिहार और अंत में मेघालय का राज्यपाल बनाया .

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को घमंडी कहने वाले और गृहमंत्री अमित शाह के बारे में कुछ भी कहने वाले सत्यपाल ' सत्य'  के ' रक्षक ' कभी नहीं रहे. उन्होंने घाट-घाट का पानी पिया है. वे लोकदल से राजनीति में आये और बहुत जल्द चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांतिदल के साथ हो गए. 75  साल के सत्यपाल मिल्क ने अपनी  राजनीतिक यात्रा 1974  में शुरू की थी. दस साल बाद ही उन्होंने पहला दल बदल किया और 1984  में कांग्रेस में शामिल हो गए. बोफोर्स घोटाले के बाद सत्यपाल को कांग्रेस से घिन आने लगी और वे वीपी सिंह के जनता दल में आ गए. सांसद बने और सत्रह साल बाद उनके ज्ञानचक्षु फिर खुले .उन्होंने 2004  में भाजपा की सदस्य्ता ले ली. यानि दल उन्होंने चड्डी-बनियान की तरह बदले. दल-बदल में मास्टर सत्यपाल को भाजपा 2017  से राज्यपाल बनाकर पाल रही है. वे बिहार,जम्मू-कश्मीर ,ओडिशा होते हुए आजकल मेघालय में राज्यपाल हैं और वहीं से भाजपा पर सांकेतिक वर्षा कर रहे हैं .देश में पहले ऐसे राज्यपाल   हैं जो अपने ही नियोक्ता के खिलाफ बोल रहे हैं 

वे सबसे पहले किसानों आंदोलन के समय बोले थे और हाल में फिर बोले हैं .उनके बोल-वचन वायरल होते हैं या उन्हें जान-बूझकर वायरल कराया जाता है ,ये खोज का विषय है .लेकिन हकीकत क्या है देश नहीं जानता .
आप गहराई में जाएँ तो आपको पता चलेगा कि मलिक   साहब भाजपा का अपना ' शाक ऑब्जर्वर'  हैं.' कूलएंड'  है .वे पार्टी नेतृत्व के खिलाफ तभी बोलते हैं जब पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बोलने वाले गैर भाजपाई नेताओं की बोलती बंद करना होती है या आलोचना के सुरों पर पानी फेरना होता है. वे मेघालय के बादलों की तरह हैं,जब कहो बरसो ! तो  वे बरस जाते हैं और जब कहो ' थम जाओ !' वे थम जाते हैं .सत्यपाल का बरसना और थमना या बाद में अपने ही बयानों पर सफाई देना भाजपा की आंतरिक राजनीति का हिस्सा है .सत्यपाल मलिक सेल्फमेड हैं ,इसलिए जानते हैं कि उन्हें कब ,कैसा बर्ताव करना चाहिए.आजकल वे भाजपा के लालो प्रसाद जैसे हैं .अक्सर मनोरंजन के लिए बेतुके बयान देते हैं. 

मुझे याद है कि सत्यपाल मालिक ने पहला असत्य बयान 2019  में दिया था.तब उन्होंने कहा था कि पटना में कश्मीर से ज्यादा हत्याएं होती हैं. पटना में एक दिन में जितनी हत्याएं हो जाती हैं, उतनी हत्याएं कश्मीर में एक सप्ताह में होती हैं. वर्ष 2018 में सत्यपाल मालिक पर बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को एससीएसटीके फर्जी  केस में फंसने का आरोप लगा था इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाँच के आदेश भी दिए थे. हाल ही में सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा था कि किसानो के लिए वह इस्तीफा देने के लिए भी तैयार है.लेकिन उन्होंने आजतक इस्तीफा दिया नहीं,क्योंकि उन्हें इस्तीफा देना ही नहीं था .यानि वे जो कहते हैं सो करते नहीं हैं और जो करते हैं सो कहते नहीं हैं .


स्वभाव से विनोदी सत्यपाल मालिक आपको बोर नहीं होने दे सकते .सत्यपाल मलिक ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि, ‘जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहने के दौरान अंबानी और आरएसएस से जुड़े एक शख्स की दो फाइलों को मंजूरी देने के बदले उन्हें 300 करोड़ की रिश्वत का ऑफर दिया गया था.’ हालांकि बाद में उन्होंने इस मामले में संघ का नाम लेने के लिए फौरन माफ़ी भी मांगी थी और कहा था कि मामले का आरएसएस से कोई मतलब नहीं. सनसनी मचाना मलिक  की फितरत है .अक्टूबर 2021 में सत्यपाल मलिक ने यह कहकर सनसनी मचा दी थी कि गोवा की बीजेपी सरकार में बहुत भ्रष्टाचार है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर ध्यान देना चाहिए.लेकिन मोदी जी कभी उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते .अगर देते तो वे भी प्रो कप्तान सिंह सोलंकी की तरह कब के राज्यपाल पद से मुक्त कर दिए जाते .सोलंकी तो संघदक्ष राज्यपाल थे लेकिन हटा दिए गए और आजकल एकांत में हैं ,लेकिन सत्यपाल को हर बार क्षमा किया जाता है इससे जाहिर है कि वे जो भी करते हैं पार्टी की मर्जी से पार्टी के हित में करते हैं .


भाजपा सत्यपाल मलिक को पाल रही है इसका मतलब है कि उसे मलिक की जरूरत है अन्यथा मलिक   को कभी का यशवंत सिन्हा की तरह पार्टी से बेदखल कर दिया गया होता .मलिक भाजपा के खूंटे से बंधी गाय हैं.जो हर समय काम आती है .मिल्क उम्र के उस दौर में हैं जब वे भाजपा को छोड़कर कहीं और जा भी नहीं सकते,अर्थात उनके लिए अब राजनीति में कोई ऐसा घाट नहीं बचा जहाँ वे आराम से बैठकर पानी पी सकें .यानि वे भाजपा की जरूरत हैं और बने रहेंगे .ताश के बावन पत्तों में एक ख़ास पत्ते की तरह हैं जो तुरुप का पत्ता तो नहीं होता ,लेकिन ताश की गड्डी में शामिल किया जाता है .ये पत्ता सदा मुस्कराता रहता है .इसलिए जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भाजपा मलिक  साहब को गंभीरता से नहीं ल

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