सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रिकाल करने दायर की गई याचिकाएं

 एमपी पंचायत चुनाव…

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रिकाल करने दायर की गई याचिकाएं


जबलपुर। मध्य प्रदेश में पंचायतों के त्रिस्तरीय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी की सीटों को सामान्य में परिवर्तित के फैसले को रिकाल व मोडीफाइड करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी के संगठनों की ओर से आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। मध्य प्रदेश शासन की ओर से भी रिकाल आफ आर्डर की याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से भी मोडिफिकेशन आफ आर्डर की याचिकाएं दायर की गई हैं। जो संगठन मूल याचिका में पक्षकार नही थे, उन्होंने मूल प्रकरण में पक्षकार बनाए जाने के लिए अतिरिक्त आवेदन दायर किया है। 

सर्वप्रथम पक्षकार बनाए जाने के आवेदनों पर चेम्बर जज के समक्ष सुनवाई होगी। इसके बाद दायर की गई समस्तस रिकाल व रिव्यु आफ आर्डर 17, दिसम्बर 2021 की सुनवाई के लिए तीन जनवरी, 2022 को सुप्रीम कोर्ट का शीतकालीन अवकाश समाप्त होने पर मेंशन करने के बाद तारीख निर्धारित की जाएगी। रिव्यु व रिकाल आफ आर्डर 17 दिसम्बर, 2021 का प्रमुख आधार यह है कि संविधान के अनुच्छेद 243 (D) (6) में ओबीसी को अमूचित प्रतिनिधित्व के लिए राज्य सीटों को आरक्षित कर सकेगा। 

तदनुसार पंचायत अधिनियम में ओबीसी वर्ग को आरक्षण के प्रविधान विधायिका द्वारा किए गए है। 1994 से त्रिस्तरीय निर्वाचनों में 1994-95 से आरक्षण लागू है। देश के अन्य कई राज्यो में भी ओबीसी को पंचायतों के त्रिस्तरीय आरक्षण प्रवर्तन में है। केवल मध्य प्रदेश राज्य के त्रिस्तरीय पंचायतों में सुप्रीम कोर्ट का 17 दिसम्बर, 2021 का आदेश रिकाल करने योग्य है। 2011 के आकड़ो के अनुसार मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 51 फीसद है, जिसे समुचित प्रतिनिधित्व देने का प्रविधान पंचायत अधिनियम में मौजूद है। 

याचिकाकर्ताओं द्वारा चाही गई राहत से परे सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश संविधानिक प्रविधानों से असंगत है, जिसे न्यायहित में रिकाल किये जाने का निवेदन किया गया है। साथ ही बल दिया गया है कि मौजूदा निर्वाचन पूर्व प्रतिस्थापित प्रविधानों के तहत ही राज्य निर्वाचन आयोग को निर्दिष्ट किया जाए। आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट उक्त रिव्यु याचिकाओं में अपना आदेश परिवर्तित नही करता है तो फिर क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करेंगे, जिसकी सुनवाई संविधान पीठ द्वारा की जाएगी।

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