किसान दिवस पर अन्न दाताओं का हुआ सम्मान

जिले के आसपास के गाँव के किसान भाई हुए शामिल...

किसान दिवस पर अन्न दाताओं का हुआ सम्मान 

ग्वालियर : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सहयोगी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा आज  राष्ट्रीय किसान दिवस संस्था द्वारा किसान सम्मान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है इस अवसर पर संस्था द्वारा पूरे देश मे 1000 से भी अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उसीके अंतर्गत ग्वालियर माधौगंज शाखा द्वारा भी आज एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें ग्वालियर जिले के आसपास के गाँव के किसान भाई शामिल हुए |

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ.जी. एस. रावत (पूर्व विभागाध्यक्ष, सस्य विज्ञान राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर), श्री लक्ष्मण सिंह पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष ग्वालियर ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर की मुख्य संचालिका बी.के.आदर्श दीदीजी, बी.के.प्रहलाद भाई और बी.के.जीतू  उपस्थित रहे |

कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया तत्पश्चात बी.के.प्रहलाद भाई ने सभी को संबोधित किया और बताया कि  ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा आज राष्ट्रीय किसान दिवस को किसान सम्मान दिवस के रूप में देशभर में मनाया जा रहा है | इसी कड़ी में माधौगंज ग्वालियर के स्थानीय सेवाकेंद्र पर कार्यक्रम आयोजित किया गया | इसके साथ ही कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए बताया कि ब्रह्माकुमारीज के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा एक आध्यात्मिक खेती पद्धति को विकसित किया गया है  | जिसे शाश्वत यौगिक खेती परियोजना का रूप दिया गया है | जिसमें किसानों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए भारत की ऋषि – कृषि परंपरा को पुनः स्थापित करने का क्रांतकारी कदम है | इसमें परम्परागत जैविक खेती के साथ राजयोग का समावेश किया गया है | 

यह एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें मन को परमात्मा से जोड़कर राजयोग की शक्ति का प्रयोग न केवल मनुष्यात्माओं पर बल्कि जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों  पर करते हुए सम्पूर्ण प्रकृति को चैतन्य ऊर्जा  के प्रकम्पनों से चार्ज किया जाता है | इससे धरती की उर्वराशक्ति पुनः स्थापित कर शुद्ध सात्विक पौष्टिक अनाज, फल तथा सब्जिओं का उत्पादन होता है यौगिक खेती पद्धति जीवन जीने की कला सिखाती है | जिसमें अनेको किसानों  ने अपना जीवन परिवर्तन किया है इससे उन्होंने व्यसनों, बुरे-संस्कारों,सामाजिक कुरीतिओं तथा कर्ज मुक्त होकर फिर से अपना खोया हुआ आत्मसम्मान प्राप्त किया है इस योजना के माध्यम से अन्न व मन की शुद्धता श्रेष्ठ सुखमय समाज का निर्माण संभव है  इससे हमारा भारत फिर स्वर्णिम बनेगा |

किसान देश की शान है, वह त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है वह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है| तपती धूप, कड़ाके  की ठण्ड तथा मूसलाधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं सकती| भारत मुख्य रूप से गाँव का देश है और गांवों में रहने वाली अधिकांश आबादी किसानों की है और कृषि उनकी  आय का प्रमुख स्त्रोत है | वर्तमान समय में भारत की आबादी का 70 % खेती के ज़रिये उत्पन्न आय पर निर्भर करता है |

किसान दिवस एक राष्ट्रीय अवसर है जो हर साल इसी दिन मनाया जाता है | भारतीय अर्थ व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले किसानो को यह दिन समर्पित है | समृद्ध किसान और समृद्ध भारत बनाने के लिए राष्ट्रीय किसान दिवस पूरे राष्ट्र में बड़े उमंग उत्साह और रूचि के साथ मनाया जाता है |

कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में पधारे  डॉ.जी. एस. रावत जी ने बताया कि किसान भाइयों द्वारा उत्पादित एक किलोग्राम गेंहूँ 700 लीटर पानी से पैदा होता है तो अन्न का एक-एक दाना जो कि इतनी कड़ी मेहनत और कठोर परिश्रम से उत्पादित होता है तो हम सभी को अन्न के एक-एक दाने को खाने की थाली में व्यर्थ होने से बचाना चाहिए| साथ ही उन्होंने बताया कि किस प्रकार हमारे किसान भाई बहुआयामी खेती के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति को सुद्रढ़ बनाकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं|

ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी जी ने अपने आशीर्वचन देते हुए सभी किसान भाइयों को किसान दिवस की शुभकामनाएँ दीं और बताया कि किसान को भारत की आत्मा कहा जाता है जिसे अन्नदाता की उपाधि प्राप्त है कृषि ही किसान का जीवन है यही उसकी आराधना है और यही उसकी शक्ति है| भारतीय किसान को धरती माता का सच्चा सपूत कहा जाता है  जिसका जीवन माँ धरती की तरह करुणा का महासागर है | हमारे दिवंगत राष्ट्रपति श्री लाल बहादुर शास्त्री ने नारा दिया था “जय किसान जय जवान” | ब्रह्माकुमारीज का यह नारा है  जय किसान, जय जवान और जय ईमान |

किसान जब खेत में मेहनत करके अनाज पैदा करता है तभी वह हमारी थालिओं तक पहुँच पाता है ऐसे में किसानों का सम्मान करना बेहद जरुरी है |  किसानो में आत्म सम्मान जगाना इस कार्यक्रम का मकसद है| और आत्म सम्मान एक ऐसा उपहार है जिसे प्राप्त करने से  व्यक्ति और अच्छी तरह से मेहनत करके इस क्षेत्र में ख़ुशी से तेजी से सफलता के शिखर को प्राप्त करता है|साथ ही उन्हें वर्तमान के अनेकों मुश्किलों के दौर से भरे अतीत को भुलाकर आत्म विश्वास से साथ नयी शुरुवात करने के लिए प्रेरित करता है|       

यह समय है किसानो के खोये हुए सम्मान को पुनः लौटाने का तथा यह सम्मान किसानो को समाज में एक श्रेष्ठ व्यक्तित्व का एहसास करता है | इस दिवस पर उन्होंने सभी से अनाज का एक दाना भी व्यर्थ न करने के लिए भी आग्रह किया |

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि श्री लक्ष्मण सिंह सोलंकी ने भी अपनी शुभकामनाएँ व्यक्त की |

इसके साथ ही सभी किसान भाईओं को शाल ओढाकर, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सभी को सम्मानित किया गया |

कार्यक्रम में ग्वालियर जिले के आसपास के गाँव - गिरवाई, गोकुलपुर, बरई, पनिहार नागौर, सिंहपुरा, हारकोटा सीर, वीरपुर आदि गाँव से दिनेश त्रिपाठी, मुकेश भदौरिया, वीरेंद्र त्रिपाठी, अनिल तिवारी , लक्ष्मण सिंह, सिकंदर लोधी, छोटू कुशवाह, सोवरन सिंह, मोहन सिंह यादव, सुरेन्द्र सिंह, चेतराम , कल्याण सिंह, जवर सिंह लोधी आदि उपस्थित थे |  कार्यक्रम के अंत में  सभी से कुछ प्रतिज्ञाएँ भी करवाईं एवं सभी को मैडिटेशन की अनुभूति करवाई गयी |

प्रतिज्ञाएँ –

  • 1. मैं अपने को धरती पुत्र के नाते अपने आप में आत्म गौरव महसूस करता हूँ |
  • 2. अपने खेती के कुछ हिस्से में शाश्वत यौगिक खेती प्रारंभ करूंगा |
  • 3. आध्यात्मिकता के आधार पर जीवन का मकसद तय करूंगा |
  • 4. उन्नत लक्ष्य की ओर आगे कदम बढ़ाऊंगा, देश की प्रगति एवं विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका                  निभाऊंगा |
  • 5. अपनी समझ, क्षमता और आत्म विश्वास के साथ मैं हर कार्य को पूरा करूंगा | 
  • 6. समस्यायों में उलझने की वजह उसको सुलझाने की कोशिश करूंगा  |
  • 7. कृषि से सम्बंधित नई तकनीकी विकास आदि के बारे में जानकारी जरुर प्राप्त करूंगा |
  • 8. जीवन में सच्ची सुख, शांति, प्रेम व आनंद को प्राप्त करने के लिए योगी जीवन को अपनाऊंगा |
  •        और इस कार्यक्रम का कुशल संचालन बी.के.जीतू  के द्वारा किया गया।

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