विभाग यदि कोई कार्यवाही करना चाहे, तो ट्रेड स्वागत करता है परंतु वह वैधानिक होना चाहिए : श्री जैन

जीएसटी पर कार्यशाला में मुख्य वक्ता सीए विमल जैन ने कहा कि… 

विभाग यदि कोई कार्यवाही करना चाहे, तो ट्रेड स्वागत करता है परंतु वह वैधानिक होना चाहिए : श्री जैन

ग्वालियर। मध्यप्रदेश चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री में आज प्रात: 11.30 बजे से जीएसटी पर कार्यशाला में मुख्य वक्ता-सीए विमल जैन, नई दिल्ली के मुख्यातिथ्य में आयोजित की गई। सीए विमल जैन ने कहा कि व्यापारियों को विभाग द्बारा की जाने वाली कार्यवाही पर यह कहना चाहिए कि आपकी कार्यवाही का स्वागत है, परंतु वह कार्यवाही वैधानिक होना चाहिए। कोल्ड स्टोरेज पर जीएसटी विभाग द्बारा की गई कार्यवाही के संबंध में आपने कहा कि जब व्यापारी सभी डॉक्यूमेंट दे रहा है और टैक्स इनवॉइज की कॉपी भी दी जा रही है, तब माल को विभाग द्बारा अनुचित तरीके से सीज करके नहीं रखा जा सकता है क्योंकि यदि माल खराब हो गया तो उस माल के नुकसान की भरपाई कौन करेगा और यदि व्यापारी के पास इनवॉइस नहीं है, वह माल पर कर देना चाहता है तब भी विभाग को प्रोविजनली माल को रिलीज करना चाहिए। यदि विभाग डिस्क्लेमर व्यापारी/कोल्ड स्टोरेज से चाहता है तो वह आपके दायरे में नहीं आता है। 

विभाग के पास सभी की जानकारी उपलब्ध है तो उन्हें खुद ही यह सर्च करना चाहिए। यदि व्यापारी यह जानकारी देगा, तो वह स्वयं टैक्स ऑफिसर नहीं बन जायेगा। यह बातें ईज ऑफ डूइंग बिजनिस नहीं है। यदि प्राथमिक अधिकारी आपकी नहीं सुनता है, तो आपको उच्च स्तर पर अपनी बात रखना चाहिए।  यदि अनरजिस्टर्ड डीलर है, तो उससे टैक्स नहीं लिया जा सकता है परंतु वह आपका माल प्रोविजनली उन्हें रिलीज करना ही पड़ेगा। अनरजिस्डर्ट डीलर अंडर प्रोटेस्ट जो टैक्स जमा करायेगा वह बाद में उस पर क्लेम कर सकता है। आपने कहा कि सरकार की मंशा है कि आप सभी अनऑर्गेनाइज्ड से ऑर्गेनाइज्ड की ओर बढें। सरकार यह परिवर्तन चाहती है और हमें भी इस परिवर्तन की ओर बढना चाहिए क्योंकि जीएसटी को लागू हुए 4 साल का समय हो गया है, जीएसटी मेरे हिसाब से गुड सिम्पल टैक्स होना चाहिए था जो कि नहीं हो पाया गया है, सरकार नये-नये संशोधन करके इसमें सुधार कर रही है। 

हमें भी इन सुधारों को अपनाना है। आपने कहा कि कई बार सप्लायर जीएसटी जमा नहीं करता है, जिसके कारण आपको क्रेडिट मिलने में परेशानी होती है और कानून के अनुसार विभाग आपको क्रेडिट नहीं देता है क्योंकि उसे टैक्स प्राप्त ही नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में आपको लिटिगेशन फाइल करना चाहिए क्येोंकि क्रेडिट लेना आपका अधिकार है। सरकार के पास सप्लायर की जानकारी होती है, माननीय न्यायालयों ने भी यह माना है कि सप्लायर की जानकारी होने पर पहले उसके खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए और बायर जिसने टैक्स चुका दिया है, उसे क्रेडिट मिलना चाहिए। आपने बड़े ही हल्के-फल्के अंदाज में कार्यशाला में जीएसटी से संबंधित परेशानियों को का हल कार्यशाला में बताया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि का बुके देकर स्वागत किया गया। 

इस अवसर पर संयुक्त अध्यक्ष-प्रशांत गंगवाल द्बारा स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि निश्चित रूप से सरकार का जीएसटी कलेक्शन बढा है, फिर भी कुछ आयटम में नुकसान हो रहा है और जीएसटी में विसंगतियां भी हैं। इन्हीं सब बातों को समझने के लिए आज यह कार्यशाला आयोजित की गई है, आशा है कि हम सभी इससे लाभांवित होंगे। बैठक का संचालन कर रहे मानसेवी सचिव-डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि आज की कार्यशाला को हम समझकर सरकार से जीएसटी में आवश्यक संशोधन करने की मांग करेंगे। अंत में आभार-कोषाध्यक्ष-वसंत अग्रवाल द्बारा व्यक्त किया गया। इस अवसर पर उपाध्यक्ष-पारस जैन, पूर्व संयुक्त अध्यक्ष-हेमंत गुप्ता, पूर्व मानसेवी संयुक्त सचिव-जगदीश मित्तल, सीए अजय सिंघल, सीए दीपक वाजपेयी, सीए अमित अग्रवाल, सीए आदित्य गंगवाल कार्यकारिणी सदस्य-आशीष जैन, खालिद कुरैशी सहित काफी संख्या में सदस्यगण उपस्थित रहे।

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