लक्ष्मी की मौत : पोषाहार व्यवस्था की पोल खोल

कौन खा गया मेरी रोटी..!

लक्ष्मी की मौत : पोषाहार व्यवस्था की पोल खोल

शिवपुरी जिले के कोलारस सबडिवीजन अंतर्गत ग्राम रिझारी में कुपोषण से हुई 1 साल की मासूम कन्या लक्ष्मी आदिवासी की मौत से हड़कंप मचा हुआ है। अधिकारियों द्वारा मामले में लीपापोती के प्रयास शुरू हो चुके हैं, वही प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर एमपी बीजेपी और शिवराज सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने लिखा है कि उपचुनाव क्षेत्रों में भाजपा का कन्या पूजन कार्यक्रम जारी और वही नवरात्रि जैसे पावन पर्व पर मध्य प्रदेश के शिवपुरी के कोलारस में कुपोषित आदिवासी परिवार की मासूम लक्ष्मी की दुखद मौत, परिवार भटकता रहा, इलाज नहीं मिला। 

यह है भाजपा का सेवा समर्पण जनकल्याण स्वराज व कन्या पूजन अभियान? इस ट्वीट के बाद शिवपुरी के अफसरों में हड़कम्प सा मचा है जहां महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी मैनेजमेंट में जुट गए हैं वहीं स्वास्थ्य विभाग में भी हलचल देखी जा रही है। मृतका के पिता चंद्रभान आदिवासी ने बताया कि बेटी की मौत पर स्थानीय प्रशासन ने उसे पांच हजार की सहायता राशि दी उन्हें समझाइश दी कि अब तुम किसी के बहकावे में मत आना यह पैसे आपके खर्च के लिए है। बच्ची की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने भी एक जांच टीम गठित कर दी है। 

  • फेल रहा महिला एवं बाल विकास विभाग - 

कहने को तो कुपोषण से लडऩे के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग अस्तित्व में है, लेकिन यहां कुपोषण जूझकर नवरात्रों में मासूम कन्या दम तोड़ रही है। इसी से पता लगता है कि शिवपुरी में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी कर्मचारी किस तरह से और किसका कुपोषण मिटा रहे हैं। ब'चों तक पोषण आहार न पहुंचकर यह दलालों और नौकरशाहों की जेब में जा रहा है और ब'चे यहां भुखमरी के शिकार हो रहे हैं, शासन की अनाप.शनाप फं डिंग के बावजूद यह स्थिति इस बात की परिचायक है कि शिवपुरी में  गरीब बस्तियों और आदिवासी बहुल इलाकों में हालात ठीक नहीं है। कल जिस 1 साल की ढाई किलो वजन की मासूम लक्ष्मी ने कुपोषण के चलते दम तोड़ा उसके पिता ने सीधे.सीधे स्वास्थ्य प्रशासन को भी घेरा है चंद्रभान आदिवासी का आरोप है कि उसे इलाज के लिए एक नहीं तीन तीन बार स्वास्थ्य केंद्र से लौटाया गया। 

  • यह है लक्ष्मी की मौत की दास्तां - 

शनिवार को कोलारस के चंद्रभान आदिवासी अपनी एक साल की ब'ची लक्ष्मी को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां से ब'ची को शिवपुरी रैफ र कर दिया गया और रविवार को उसे शिवपुरी से ग्वालियर रैफ र कर दिया गया। उपचार के दौरान ग्वालियर में लक्ष्मी ने दम तोड़ दिया। एक साल की लक्ष्मी का वजन महज ढ़ाई किलो था। उसके शरीर में इतनी ताकत नहीं थी कि वह ठीक से बैठ भी पाए। चंद्रभान ने रविवार को कोलारस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों पर ठीक से इलाज न करने के आरोप भी लगाए। उसका कहना है कि तीन दिन से चक्कर लगाने के बाद भी कोलारस स्वास्थ्य केंद्र में  इलाज नहीं मिल पाया। यदि चंद्रभान की कुपोषित ब'ची लक्ष्मी आदिवासी को समय पर इलाज मिल पाता तो शायद वह बच जाती। 

लक्ष्मी का भाई कान्हा भी कुपोषण का शिकार है और सोमवार को उसे भी एनआरसी में भर्ती कराया गया है। जिला महिला बाल विकास अधिकारी देवेंद्र सुंदरियाल का कहना है लक्ष्मी के माता.पिता कोलारस के वार्ड क्रमांक & में क'ची टपरिया बनाकर रहते हैं। वह महुरानीपुर में मजदूरी कार्य करने के लिए गए थे और 10.12 दिन पूर्व ही कोलारस वापस लौटे थे। पांच दिन पहले ही उनकी 1 साल की बालिका लक्ष्मी और  बालक कान्हा की तबियत खराब हुई जिन्हें लेकर वह तांत्रिक और ओझाओं के चक्कर में झाडफ़ूँक कराते रहे। लेकिन हालत में सुधार न हो पाने के बाद बालिका लक्ष्मी को कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया और फिर यहां से ब'ची को पहले शिवपुरी और फिर ग्वालियर  एक रैफर कर दिया। जहां उसकी मौत हो गई। 

  • नहीं है कोई प्रभावी ट्रेकिंग सिस्टम -

कुपोषण से बचाने के लिए कई योजनाएं हैं लेकिन इस तरह के मामले सामने आने पर सभी की पोल खुल जाता है। आदिवासी समुदाय में एक परिवार में ब'चों की संख्या 4 से 6 होती है। इसके कारण बाद में होने वाले ब'चों में कुपोषण होता है। इस समुदाय में कुपोषण का मुख्य कारण इनका माइग्रेशन भी है। जिले के अधिकांश आदिवासी मजदूरी के लिए मुरैना के साथ उत्तरप्रदेश के जिलों में जाते हैं। इसके बाद प्रशासन की पहुंच से दूर हो जाते हैं। इनकी कोई ट्रैकिंग नहीं होती है। जब यह लौटते हैं तो ब'चों में कुपोषण संबंधी परेशानी बढ़ जाती है। पिछले साल ही जिले में 2600 ब'चों में कुपोषण पाया गया था। इसनें से 2 हजार को सामान्य की श्रेणी में लाया जा सका था। अभी भी जिले में सैकड़ों ब'चे कुपोषण से लड़ाई लड़ रहे हैं।

  • परिवार को ज्ञान परोसते अफसर - 

लक्ष्मी की मौत के मामले में लीपापोती करने के लिए इस आदिवासी परिवार को 5000 रुपए थमा कर महिला बाल विकास के अधिकारियों ने पूरे मामले को मैनेज करने का प्रयास किया। पैसे के साथ उसके पिता चंदभान आदिवासी को हिदायत भी परोस दी गई।

  • लक्ष्मी के भाई की हालत भी खराब - 

शनिवार को कोलारस में सामने आए कुपोषण के मामले में एक साल की लक्ष्मी ने अपनी जान गंवा दी। इस बालिका के भाई कान्हा की हालत भी कुपोषण के चलते गंभीर बनी हुई है जिसे प्रशासन ने एनआरसी में भर्ती कराया है। पीडि़त परिवार को महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 5000 रुपए की आर्थिक मदद भी दी गई है।

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