अन्न उत्सव गरीबी का सार्वजनिक मज़ाक : के.के.मिश्रा

ब्रांडिंग के लिए लाखों की बर्बादी !

अन्न उत्सव गरीबी का सार्वजनिक मज़ाक : के.के.मिश्रा

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस महामंत्री व मीडिया प्रभारी के.के.मिश्रा ने राज्य सरकार द्वारा आगामी 7 अगस्त को मनाए जा रहे "अन्न उत्सव" को गरीबी-गरीबों का सरकार द्वारा किये जाने वाला सार्वजनिक मज़ाक बताया है। उन्होंने इस दिन 5 करोड़ लोगों को राशन पहुंचाने हेतु तैयार किये गए थैले में श्री नरेन्द्र मोदी व श्री शिवराज सिंह चौहान के फोटो भी लगाए जाने पर आपत्ति लेते हुए कहा कि अन्नोपज किसानों की मेहनत का परिणाम है, आयोजन पर होने वाला खर्च भी जनता की ही गाढ़ी कमाई है। 

लिहाजा, इन दोनों फोटो का इसमें क्या योगदान है? सिर्फ अपनी ब्रांडिंग के लिए यह आयोजन व इस पर होने वाला खर्च औचित्य से परे है? भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा इस बाबत घर-घर पीले चावल बांटना, कुमकुम रोली का तिलक लगाना, राशन के थैले देते वक्त ढोल-धमाकों का इस्तेमाल करना  गरीबी व गरीबों को लेकर उसकी ओछी मानसिकता का प्रमाण है ! 

मिश्रा ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि गरीबी के इस मजाकोत्सव में दूसरे राज्यों उत्तराखंड,हिमाचल,असम, त्रिपुरा व गोवा के मंत्रियों व प्रमुख सचिवों  को आमंत्रित कर प्रदेश की गरीबी से उन्हें रूबरू करवाना, उनके हाथों से गरीबों को सार्वजनिक रूप से अन्न दिलवाना,उनकी तस्वीरें छपवाना उनका कौन सा सम्मान है, अन्य राज्यों से आमंत्रितों का खर्च भी कौन वहन करेगा? उन्होंने यह भी कहा कि 2 लाख करोड़ के कर्ज में डूबी सरकार यदि मालामाल है तो वह वर्षो पूर्व चयनित सहायक शिक्षकों व अतिथि विद्वानों को नियुक्ति दिए जाने हेतु भी ऐसे ही उत्सवों का आयोजन करे और उसे शासकीय कर्मचारियों को भी तत्काल एरियर देना चाहिए।

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