बाढ़ प्रभावित परिवारों को साफ-सुथरे और नए कपड़े ही वितरित करें : श्री सिंह

कलेक्टर ने की दानदाताओं से अपील…

बाढ़ प्रभावित परिवारों को साफ-सुथरे और नए कपड़े ही वितरित करें : श्री सिंह

ग्वालियर। जिले में पिछले दिनों हुई अतिवृष्टि एवं बाढ़ से प्रभावित परिवारों को जिला प्रशासन द्वारा राज्य शासन के दिशा-निर्देशों के तहत राहत मुहैया कराई गई है। बाढ़ प्रभावित परिवारों को तत्कालिक रूप से जिला प्रशासन द्वारा 50 – 50 किलो नि:शुल्क खाद्यान्न, केरोसिन, मसाले, नए कपड़े, बांस-बल्ली व तिरपाल इत्यादि सामग्री उपलब्ध कराई गई है। साथ ही जिन लोगों के सामान का नुकसान हुआ है, उन्हें तात्कालिक रूप से 5 हजार और जिनके मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं उन्हें तात्कालिक रूप से 6 हजार रूपए की आर्थिक राहत भी दी गई है। बाढ़ प्रभावित परिवारों की मदद के लिये जिले के समाजसेवी एवं स्वयंसेवी संगठन भी आगे आए हैं। इनके द्वारा भी अपने स्तर पर बाढ़ प्रभावित परिवारों को विभिन्न प्रकार की सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। समाजसेवी एवं स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा दी जा रही सहायता में जिला प्रशासन का कोई दखल नहीं है। 

यह दान लेने वाले और दान देने वाले की सहमति के आधार पर हो रहा है। फिर भी कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने बाढ़ प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए आगे आईं निजी संस्थाओं से अपील की है कि वे बाढ़ प्रभावित परिवारों को अच्छी गुणवत्ता की सामग्री और साफ-सुथरे व यथासंभव नए कपड़े ही प्रदान करें। कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने बताया कि राज्य शासन के दिशा-निर्देशों के तहत जिले में बाढ़ से हुए नुकसान का सर्वे का काम भी अंतिम चरण में है। जिन लोगों के मकान बाढ़ से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं उन्हें आरबीसी के प्रावधानों और मनरेगा के तहत एक लाख 20 हजार रूपए की कुल आर्थिक सहायता नए मकान बनाने के लिए मुहैया कराई जायेगी। इसी प्रकार फसल नुकसान का भी सर्वेक्षण कराया गया है। आरबीसी के प्रावधानों के अनुसार फसल नुकसान के लिये भी आर्थिक राहत जल्द ही वितरित की जायेगी।

अंचल में 1 व 2 अगस्त को भीषण बाढ़ आई थी। इसमें ग्वालियर जिले के डबरा-भितरवार के इलाकों के करीब 46 गांव के हजारों लोग बेघर हो गए थे। 2500 से ज्यादा मकान टूट गए या बह गए थे। यह मकान अब किसी लायक नहीं बचे हैं। लोगों का पैसा, गहने, गृहस्थी का सामान व मवेशी तक बह गए थे। हालत यह है कि कई गांव में लोगों के पास पहनने के लिए दूसरी जोड़ी कपड़े तक नहीं हैं। 24 अगस्त को ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर भितरवार के बाढ़ प्रभावित गांव नजरपुर में पहुंचे थे। यहां उन्होंने गांव की महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को कपड़े और जूते चप्पल भेंट किए थे। जो सामान उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से दिए और फोटो खिंचवाए, वह तो अच्छे थे, लेकिन गांव के लोगों ने जब उनके जाने के बाद गठरी खोली तो वह फटे-पुराने कपड़े, जूते, चप्पल देखकर हैरान रह गए। नजरपुर गांव के लोगों ने शुक्रवार दोपहर 12 बजे इस मामले में हंगामा शुरू कर दिया है। 

पीड़ितों ने भितरवार SDM अश्वनी कुमार के दफ्तर पहुंचकर कपड़े और जूते फेंक दिए हैं। प्रशासन का कहना है कि यह NGO के द्वारा भेजे गए कपड़े और जूते हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि आपको तो देखकर वितरित करना चाहिए। दोपहर 3 बजे तक हंगामा जारी था। नजरपुर गांव की ममता देवी ने कहा कि बाढ़ में सब कुछ बह गया। अब कुछ नहीं बचा है। तीन दिन पहले यह राहत सामग्री बांटी गई थी, जिसमें फटे कपड़े व जूते हैं। सामान भले ही मत बांटो, लेकिन गरीब को झूठी उम्मीद तो मत बंधाओ। हमारा मजाक मत उड़ाओ। मुन्नीबाई ने कहा कि फटे, कपड़ा, जूता बांट गए हैं। प्रशासन और सरकार हमसे ऐसा व्यवहार करेगा पता नहीं था। प्रकृति ने हमे सताया है और नेता और अफसर मजाक उड़ा रहे हैं। ऐसा न करो गरीब का मजाब मत बनाओ।

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