नूतन वर्ष
देसी कैलेंडर…
प्रथम महीना चैत से गिन
राम जनम का जिसमें दिन।।
द्वितीय माह आया वैशाख। तेरी
वैसाखी पंचनद की साख।।
ज्येष्ठ मास को जान तीसरा।
अब तो जाड़ा सबको बिसरा।।
चौथा मास आया आषाढ़।
नदियों में आती है बाढ़।।
पांचवें सावन घेरे बदरी।
झूला झूलो गाओ कजरी।।
भादौ मास को जानो छठा।
कृष्ण जन्म की सुन्दर छटा।।
मास सातवां लगा कुंआर।
दुर्गा पूजा की आई बहार।।
कार्तिक मास आठवां आए।
दीवाली के दीप जलाए।।
नवां महीना आया अगहन।
सीता बनीं राम की दुल्हन।।
पूस मास है क्रम में दस।
पीओ सब गन्ने का रस।।
ग्यारहवां मास माघ को गाओ।
समरसता का भाव जगाओ।।
मास बारहवां फाल्गुन आया।
साथ में होली के रंग लाया।।
बारह मास हुए अब पूरे।
छोड़ो न कोई काम अधूरे।।
प्रस्तुत है हिंदू देशी पंचाग!
काम आवेगा सदैव श्रीमान!!
नूतन वर्ष
नूतन वर्ष की पहली नई अभा नव श्रंगार लिए , नवरंग पताका,नवदेवी मिलकर अनुराग शांति का संसार को जागृति भाईचारे का , प्रेम प्यार से करती नव माताएं स्वागत-सत्कार अभिनन्दन मानवता का, इंसानियत का, नवचेतना का देती संदेश इस जगत को जागरूक रहें , स्वस्थ रहे व खुश हाल रहे सदा मानवता मुस्कुराती रहे इस जहां में।
न कोई दीन दुखी हो न कोई पीड़ा से कराह ईश्वर में आस्था रखें सदा याद करें नूतन वर्ष की इस बेला में। सभी जनमानस खुश हाल रहे अपनापन हो अतुल्य अनुराग गगन संदभावना लिए शांति का इस लॉकडाउन में। इस कलयुगी महामारी से मुक्ति पाये व सदैव फले-फूले मुस्कुराता रहे मानव इस जहां में।
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