कोरोना की वजह से…

कोरोना की वजह से…

अब तो आंखें खोल लें सरकार !

सरकार को आइना दिखाना चाहता हूं कि भाजपा का कांग्रेसीकरण मत होने दीजिए अन्यथा जिन कारणों से कांग्रेसी खत्म हुई है उन्हीं कारणों से भाजपा भी दिक्कत में आ सकती है। लाकडाउन समस्या का समाधान नहीं है बल्कि ऐसा निर्णय इकोनॉमी उद्योग धंधे और गरीब लोगों को पूरी तरह बर्बाद कर देगा इसकी बजाय धारा 144 लगाइए और उसका कड़ाई से पालन कराइए। मार्केट जल्दी बंद करने की बजाय रविवार और रात में भी मार्केट खुले रखने की परमिशन दीजिए ताकि लोग शांति से बिना भीड़ के खरीदारी कर सके, सिर्फ वही व्यापार बंद कराइए जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा सकता जैसे कि मूवी थिएटर पब शराब चाट पानी पुरी  इत्यादि।

 नगर निगम के लोगों को चालान के अधिकार मत दीजिए क्योंकि उन्हें पुलिस की तरह अपने अधिकारों के सही उपयोग का अनुभव नहीं होता इस वजह से वह जनता के साथ बुरा बर्ताव कर रहे हैं और इसका ठिकरा सरकार पर फूट रहा है। जन प्रतिनिधियो को समझ कियो नही आ रहा है अंधे के हाथ रेवड़ी नगर निगम का काम जों हे वोही करने दो नहि तो जिस दिन जनता का आकोश फूट पड़ेगा राम देव बाबा जैसे ये कर्मचारी भागेगे। दुकानों पर चालान की कार्यवाही करने की बजाय शक्ति से धारा 144 का पालन करवाइए गरीबी में आटे में पानी मत डालो। नहि तो नगर निगम चुनाव में पार्टी की फजीहत देख लेना दिमाग से काम लो आप लोगो को विधायक जनता ने चुना है। 

विधायक सांसद पहल कर खाली पड़ी अपने अपने क्षे तरो की धर्मशालाओं में मरीज के लिऐ बेड और आक्सीजन की व्यवस्था कराये ओर जनता का दिल जीतने का काम करे। हॉस्पिटल और डॉक्टर ने जो लूट मचा रखी है उस को कंट्रोल करना सरकार का ही कर्तव्य है जल्दी से जल्दी इस लूट को बंद कर आइए और जरूरतमंदों को सही कीमत पर उपचार मिल सके इसकी व्यवस्था कीजिए। हॉस्पिटल और फार्मा लॉबी द्वारा बेवजह का हववा भी बनाया जा रहा है जबकि यह बीमारी 99 पर्सेंट केस में होम रिमेडी से ठीक की जा सकती है इसके लिए जनता को जागरूक कीजिए कि वह घर बैठे अपना इलाज कर सके। इन उपायों पर तुरंत से तुरंत निर्णय लीजिए वरना बहुत देर हो जाएगी। 

मेरे जन प्रतिनिधि जनता के बीच आ जावे। सिर्फ़ रेसीडेंसी में बैठकर बैठक करने से कुछ नही होगा। ओर अभी भी नही समझे तो फ़िर पार्टी के लिऐ की गई कैलाश जी लखन दादा की मेहनत पर पानी फिर सकता हैं। जागो विधायक सांसद विधायक सांसद। यदि बाजार बंद करना ही है तो सभी कार्यालय एवं बैंक भी बंद करें तथा उनके कर्मचारियों का वेतन भी बंद_ करें;तब मह्सूस होगा कि बंद में परिवार कैसे चलता है।अथवा बंद से प्रभावित दुकानदारों के परिवारों को भरण पोषण हेतु 20000 रुपये मासिक की आर्थिक मदद करें। जनप्रतिनिधिगण भी इसकी चिंता कर लें,नहीं तो आगामी होने वाले चुनावों में दुकानदार परिवार आपके खिलाफ भी हो सकते हैं।

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