दिव्यांगता का प्रमाण लेने गयी किरण को डॉक्टर ने लौटा दी आंखों की रोशनी

जन्म से दिव्यांग लड़की का ऑपरेशन कर…

दिव्यांगता का प्रमाण लेने गयी किरण को डॉक्टर ने लौटा दी आंखों की रोशनी 

शिवपुरी। लोग डॉक्टर को भगवान का यूं ही नहीं देते हैं। बल्कि कुछ डॉक्टरों के द्वारा किए गए कार्य उन्हें इस श्रेणी में शामिल करने के लिए लोगों को बाध्य कर देते हैं। कहते हैं कलयुग में डॉक्टर भगवान होता है। यह बात शिवपुरी के डॉक्टरों ने वह समय सिद्ध करके दिखा दी जब 10 वर्षीय छात्रा दिव्यांग परिक्षण शिविर में दिव्यांग का प्रमाण पत्र लेने के लिए पहुंची तो डॉक्टरो ने चैकअप के बाद छात्रा की आंखो का आपरेशन कर उसकी आंखों की रोशनी लौटा दी। अब छात्रा किरण के जीवन में जीने की आशा और आगे पढने की उम्मीद जागी है। जानकारी के अनुसार ग्राम बरोली, करारखेड़ा पिछोर में रहने वाली 10 साल की किरन को जन्म से ही डायबिटीज है। इस कारण उसे मोतियाबिंद की शिकायत हुई और धीरे-धीरे आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गई। 

15 दिन पहले स्कूल में लगे दिव्यांग परीक्षण शिविर में पिता मन्नू परिहार इस उम्मीद में किरण को लेकर पहुंचे कि उसका दिव्यांग प्रमाण पत्र बन जाएगा जिससे उसे जरूरी सहायता मिल सके। यहां नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दिनेश अग्रवाल ने चेकअप किया तो परिजन से कहा कि इसका प्रमाणपत्र तो बन ही जाएगा। पहले आप इसका ऑपरेशन कराएं। इस पर परिजन ने कहा कि इसे बिल्कुल नहीं दिखता। कई जगह दिखा चुके हैं लेकिन सभी ने मना कर दिया। अब हम उम्मीद ही छोड़ चुके हैं। इस पर डॉ. अग्रवाल ने कहा कि एक बार आप मेरे पास लेकर आइए। डॉक्टर्स के समझाने पर उसके परिजन ऑपरेशन करवाने के लिए तैयार हुए और बेटी को अस्पताल में भर्ती करा दिया। डॉ. चंद्रशेखर गुप्ता ने दो दिन में डायबिटीज कंट्रोल कर दी। 

इसके बाद डॉ. दिनेश अग्रवाल गुरुवार को मासूम किरण से बातें करते हुए ऑपरेशन के लिए आंख के हिस्से को सुन्न कर सर्जरी शुरू कर दी और महज 20 मिनट में सफल ऑपरेशन कर किरण की अंधेरी जिंदगी जिंदगी में उजाला कर जीवन की सबसे बड़ी खुशी दे दी। डॉक्टर दिनेश अग्रवाल के अनुसार वैसे इतनी उम्र में मोतियाबिंद होता नहीं है। साथ ही मोतियाबिंद के बाद गुम हुई रोशनी भी लौटना संभव कम रहती है लेकिन इस मामले में रोशनी लौटना एक चमत्कार की तरह हुआ है। खास बात यह है कि परिजन सिर्फ दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाना चाहते थे ताकि किरण को स्कूल से साइकिल व किताब मिल सके। डॉक्टर के प्रयास से अब किरन दिव्यांग नहीं है। अब आंखों की रोशनी लौटने के बाद किरण का कहना है कि वह आगे पढ़ाई करेगी।

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