दलबदल की राजनीति का बढ़ता क्रेज

सिर्फ सत्ता या फिर... के लिए
दलबदल की राजनीति का बढ़ता क्रेज

वर्तमान समय में राजनीति के अंदर एक नया ही क्रेज देखने को मिल रहा है। जबसे हमने होश संभाला तब से ही देखते आ रहे हैं कि जब कोई पार्टी चुनाव जीतती है तो सरकार उसी की बनती है। और वही पार्टी देश प्रदेश पर शासन करती है।  हां कभी - कभार कुछ थोड़ी बहुत उथल-पुथल होती थी।  वह भी चुनाव संपन्न होने के बाद सरकार गठन से पहले। लेकिन अब तो एक दौर ही चल निकला है। चुनाव जीतकर चाहे कोई भी दल बहुमत लेकर आया हो, लेकिन सत्ता में वही दल सरकार बनाने व चलाने में कामयाब हो पाता है जो जोड़-तोड़ की राजनीति में निपुण होता है। और यही ट्रेंड इन दिनों देखने को भी मिल रहा है। 

जनता अपना बहुमूल्य कीमती वोट देकर अपनी पसंद के दल के व्यक्ति को चुनकर लोकसभा या विधानसभा में पहुंचाती है। लेकिन फिर भी जनता को इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उसके द्वारा चुना गया प्रतिनिधि उसके दिए गए वोट के प्रति वफादार रहेगा। क्योंकि जो प्रतिनिधि चुनकर जा रहा है वह कहीं ना कहीं राजनीतिक सत्ता का सुख भोगने और अपना स्वयं का हित साधने के लिए ज्यादा लालायित रहता है। लिए फिर चाहे उसे अपनी जनता के साथ विश्वासघात ही क्यों ना करना पड़े।  क्योंकि जनता की पसंद को नजर अंदाज करते हुए  स्वयं हित पूर्ति के लिए फैसला लेना जनता के साथ विश्वासघात घात ही कहलाता है । 

जिस जनप्रतिनिधि को जनता ने चुनकर भेजा उसके बारे में फैसला करने का अधिकार भी जनता कोई है ना कि स्वयं प्रतिनिधि को। यही व्यवस्था हमारी पुरातन पंचायती व्यवस्थाओं में भी देखने को मिलती है। इसलिए एक दल बदल कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और इलेक्शन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जो भी व्यक्ति पार्टी या दल बदलता है उस पर भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी जैसे सख्त कानून के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए उसे आगे चुनाव लड़ने से अयोग्य करार देकर प्रतिबंधित करने की कार्रवाई की जाना चाहिए। क्योंकि जनप्रतिनिधियों का इस प्रकार का कृत्य  जनता के विश्वास को कमजोर बनाता है और उसके अंदर एक अविश्वास की भावना पैदा करता है। 

यह मेरे स्वयं के विचार हैं और नीति निर्माताओं के लिए एक सलाह, इसे कोई भी दल व्यक्ति अन्यथा ना लें ना ही मेरी उन्हें किसी भी प्रकार की कोई ठेस पहुंचाने का इरादा है। धन्यवाद।

                                                                                                                 स्वीटी सिंह

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