पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर बेस्ड है एन 99 मास्कः डाॅ. दुबे

कोविद-19 पर शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के पहले दिन बोले एक्सपट्र्स...
पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर बेस्ड है एन 99 मास्कः डाॅ. दुबे

आजकल कोरोना का कहर हर जगह दिखाई दे रहा है। ऐसे में हमें सावधानी बरतने की जरूरत है। जहां तक मास्क की बात है तो कोविद- 19 से बचाव के लिए एन-99 मास्क का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे हाल ही में डीआरडीई ने विकसित किया है। एडवांस टेक्नोलाॅजी बेस्ड यह मास्क एयरोसोल के कणों को 99 प्रतिशत तक फिल्टर करने की क्षमता रखता है, जिससे शरीर की सुरक्षा होती है। यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित मास्क है। यह बात डीआरडीई के डायरेक्टर डाॅ.डीके दुबे ने कही। 

वह जीवाजी यूनिवर्सिटी की ओर से ‘कोविद- 19 आउटब्रेक’ विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के पहले दिन बतौर वक्ता बोल रहे थे। वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए हुए इस वेबिनार का शुभारंभ प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के संदेश से हुआ। इसके बाद यूजीसी चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह ने वीडयो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम संदेश दिया। इसी क्रम में कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तीन दिवस तक चलने वाले इस वेबिनार में देश के साथ अन्य देशों के एक्सपट्र्स भी मौजूद रहेंगे। इस अवसर पर जेयू की ओर से प्रो. जीबीकेएस प्रसाद, प्रो. डीसी गुप्ता, डाॅ. केशव सिंह गुर्जर, डाॅ. केके सिजोरिया, डाॅ. दीपमाला शर्मा और आईटी सैल की ओर से एचके द्विवेदी, संजय बरतरिया आदि लोग मौजूद रहे।

राज्यपाल लालजी टंडन का संदेश कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने पढ़कर सुनाया। उन्होंने अपने संदेश के माध्यम से जेयू द्वारा कोविद-19 पर किए जा रहे वेबिनार पर खुशी जाहिर की। उन्होंने संदेश दिया कि कोविद- 19 पेनडेमिक के संकट से सारा विश्व जूझ रहा है। मानवता के समक्ष मौजूद इस संकट का सामना करने में बुद्धिजीवी की भूमिका विशिष्ट है। उनके संदेश में नोवल कोरोना से संबंधित सभी प्रामाणिक जानकारी के शोध की आवश्यकता पर बल देने की बात कही गई। संदेश में कहा गया कि जेयू में हुए इस आॅनलाइन सम्मेलन के माध्यम से कोरोना को हराने में मील का पत्थर साबित होगा।

यूजीसी चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह ने काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कहा कि कोरोना काल चुनौती का समय है। इसके कारण देशभर में लाॅकडाउन की स्थिति बन गई है। ऐसे में हर किसी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए। ऐसे में छात्रों का कोर्स आॅनलाइन पूरा कराया जा रहा है। आॅनलाइन वेबिनार के माध्यम से देश- विदेश के विशेषज्ञों को एक साथ जोड़ा जा सकता है, जिसका फायदा छात्रों को भी मिलेगा। 

कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि कोविद- 19 ने काफी तेजी से विश्वभर को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। यह वायरस बाॅडी में एंट्री करके फंेफड़ों को प्रभावित करता है और श्वासनली को ब्लाॅक कर देता है। इससे बचाव के लिए दुनियाभर में काफी तेजी से काम चल रहा है। इससे बचाव के लिए लोपिनेविर, रिटोनाविर, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जैसी दवाओं पर काफी काम चल रहा है। इनसिल्को मेथड से पता चलता है कि सार्स कोव 2 एमफेज कोविद- 19 को रोकने में लोपिनेविर, रिटोनाविर संभावित दवाएं हैं।  

वर्तमान में कोविद- 19 वैश्विक महामारी बनकर उभरी है। इसके संक्रमण के कारण दुनियाभर में मृत्युदर तेेजी से बढ़ी है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि इस वायरस का पता शुरूआत के दौर में ही लगाया लिया जाए। इस वायरस का पता लगाने में रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन एंजाइमेटिक रिकाॅम्बिनेशन एंप्लीफिकेशन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए हमने जीन आधारित कोविद- 19 का पता लगाने के लिए एक सरल व तीव्र विधि विकसित की है। -डाॅ. जैक यू, चीन

कोविद- 19 के बारे में यह भी जानना जरूरी है कि इसे टेस्ट करने के तीन तरीके हैं। पहला आरटी पीसीआर, दूसरा एंटीबाॅडी बेस्ड और तीसरा क्रिस्पर टेक्निक। इसके अलावा हमें ऐलोविरा, गिलाॅय, नीम, हल्दी, अश्वगंधा जैसे प्लांट्स पर भी वर्क करना होगा, जिनमें एंटी वायरस गुण होते हैं। हमें नेचुरल प्रोडक्ट्स को दवा के रूप में विकसित करने पर भी ध्यान देना चाहिए। -डाॅ. मौसमी देबनाथ, मणिपाल यूनिवर्सिटी, जयपुर

कोरोना वायरस से बचने के लिए सरकार द्वारा बताई गई गाइडलाइन का पालन करें। पर्सनल हाइजीन जरूरी है। आप यदि मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसे बीच से न पकड़ते हुए साइड से पकड़कर इस्तेमाल करें। हेल्दी डाइट लें। इसके अलावा आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक दवाएं भी ले सकते हैं। -डाॅ. वीएम कटोच, पूर्व महानिदेशक आईसीएमआर 

16 मई-डाॅ. एडुआर्डो कार्डोना, यूएसए, डाॅ. वेंकट जोशी यूके, डाॅ. अपरूप दास, डायरेक्टर आईसीएमआर- एनआईआरटीएच जबलपुर, डाॅ. साधना संवत्सरकर इंदौर।

Comments