आपकी आवाज़
आपकी आवाज़
तुमको हर अधिकार मुबारक,
और हम घर में दंडित है ।
एसी लाचारी हिंदू की,
एक नहीं हम खंडित है ।
छुड़ा दिया मंदिर भी जाना,
पर तुम मसजिद जाते थे ।
बीमारी की बांह पकड़ कर,
घर में उन्हे छुपाते थे ।
तेरे पत्थर फूल समझकर,
सरकारें भी सहती है ।
वोट बैंक न रूठे तुमसे,
ऐसी चाहत रखतीं है ।
मध्यम तो माध्यम सत्ता का,
पास गरीबी रोती है ।
बागडोर है शीश महल में,
जहाँ अमीरी सोती है ।
जाति - पांति की पाॅलिस होती,
राजनीति चमकाने में ।
और धर्म की कीलें लगती,
कुर्सी तुझे बनाने में ।
ना मुस्लिम को छोड़ा जाए,
ना हिन्दू को माफ़ करो ।
जो तोड़े क़ानून हिंद का,
गद्दारों को साफ़ करो ।
चलो तुम्हे रमजान मुबारक,
बाजारे भी खुलवा दी ।
बाँटो घर घर मीट सिवइयाॅ,
लाकडाउन भी तुड़वा दी ।
राम जन्म को हमने भूला,
माँ पूजन चुपचाप किया ।
आज हिंद में हिन्दू होना,
मिलकर पश्चाताप किया ।
राजनीति का जो भंडारा,
भेदभाव पे चलता है ।
आती जाती हैं सरकारें,
हिन्दू मुस्लिम मरता है ।
बहुत हो चुका हिंदू-मुस्लिम,
सब मिलकर इन्सान बनों ।
लहराए हर ओर तिरंगा,
एसा हिन्दुस्तान बनों ।
( जय हिंद जय भारत )
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