चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ...
गुड़ी पड़वा आज
हिंदू धर्म में प्रमुख व्रत में से एक चैत्र नवरात्र माना जाता है। पूरे 9 दिन मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र महिने के पहले से ही नव वर्ष की शुरुआत होती है। इसके साथ ही चैत्र नवरात्र भी शुरू हो जाते है। इसके साथ ही इस दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
आपको बता दें कि साल में 2 नवरात्र खास होते है। एक शारदीय नवरात्र और दूसरा चैत्र नवरात्र। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्र हर चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं। इस साल चैत्र नवरात्र 25 मार्च 2020 से शुरू होकर 2 अप्रैल 2020 को खत्म हो रहे हैं।
प्रतिपदा तिथि आज शाम 5 बजकर 27 मिनट तक रहेगी । उसके बाद द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी । आज से चैत्र नवरात्र या वासन्तिक नवरात्र का आरम्भ हो रहे हैं और 2 अप्रैल तक चलेंगे । नवरात्रों का यह त्योहार हमारे भारतवर्ष में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसका जिक्र पुराणों में भी अच्छे से मिलता है । वैसे तो पुराणों में एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्रों का जिक्र किया गया है, लेकिन चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रों को ही प्रमुखता से मनाया जाता है । बाकी दो नवरात्रों को तंत्र-मंत्र की साधना हेतु करने का विधान है । इसलिए इनका आम लोगों के जीवन में कोई महत्व नहीं है ।
आज नवरात्र के पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री रूप की आराधना की जाती है। लिहाजा आज माता शैलपुत्री का पूजा करना चाहिए और पूजा के दौरान माता शैलपुत्रीके मंत्र का जप करना चाहिए । मंत्र है-‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:’ -आज के दिन ऐसा करने से उपासक को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, मोक्ष तथाहर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होती है।
जानें किस दिन पड़ कौन सी देवी का दिन
- २५ मार्च, प्रतिपदा - बैठकी या नवरात्रि का पहला दिन- घट/ कलश स्थापना - शैलपुत्री
- २६ मार्च, द्वितीया - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- २७ मार्च, तृतीया- मां चंद्रघंटा की पूजा
- २८ मार्च, चतुर्थी - नवरात्रि का चौथा दिन- कुष्मांडा पूजा
- २९ मार्च, पंचमी - नवरात्रि का पाचवां दिन- मां स्कंदमाता पूजा
- 30 मार्च, षष्ठी - नवरात्रि का छठा दिन- मां कात्यायनी की पूजा
- ३१ मार्च , सप्तमी - नवरात्रि का सातवां दिन- मां कालरात्रि की पूजा
- १ अप्रैल, अष्टमी - नवरात्रि का आठवां दिन- मां महागौरी की पूजा, दुर्गा अष्टमी ,नवमी पूजन
- २ अप्रैल, नवमी - नवरात्रि का नौवां दिन- मां सिद्धिदात्री की पूजा, नवमी हवन
- ३ अप्रैल, दशमी - पारण, दुर्गा विसर्जन
ऐसे करें कलश स्थापना
आचार्य इंदपु प्रकाश से जानें नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना कब की जाएगी। उसका सही मुहुर्त क्या है, साथ ही कलश स्थापना की सही विधि क्या है। कलश स्थापना के लिये सबसे पहले घर के उत्तर-पूर्वी हिस्से में निर्धारित स्थान की सफाई करके, वहां पर उत्तर-पूर्व कोने में जल छिड़क कर साफ मिट्टी या बालू रखनी चाहिए । उस साफ मिट्टी या बालू पर जौ की परत बिछानी चाहिए । उसके ऊपर पुनः साफ मिट्टी या बालू की साफ परत बिछानी चाहिए और उसका जलावशोषण करना चाहिए । जलावशोषण यानि उसके ऊपर जल छिड़कना चाहिए । फिर उसके ऊपर मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करनी चाहिए और अब कलश को गले तक साफ, शुद्ध जल से भरना चाहिए और उस कलश में एक सिक्का डालना चाहिए । अगर संभव हो तो कलश के जल में पवित्र नदियों का जल जरूर मिलाना चाहिए । इसके बाद कलश के मुख पर अपना दाहिना हाथ रखकर इस मंत्र का जप करना चाहिए ।
गुड़ी पाड़वा आज , जानें शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा का पर्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गोवा सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा का त्यौहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व के लेकर काफी मान्यताएं है। मान्यताएं के अनुसार इस दिन बह्मा जी ने सृष्टि का निर्णाण किया था। इस बार गुड़ी पड़वा का पर्व 25 मार्च को मनाया जा रहा है।
गुड़ी पड़वा मनाने को लेकर कथाएं
दक्षिण भारत में गुड़ी पड़वा की लोकप्रियता का कारण इस पर्व से जुड़ी कथाओं से समझा जा सकता है। दक्षिण भारत का क्षेत्र रामायण काल में बालि का शासन क्षेत्र हुआ करता था। जब भगवान श्री राम माता को पता चला की लंकापति रावण माता सीता का हरण करके ले गये हैं तो उन्हें वापस लाने के लिये उन्हें रावण की सेना से युद्ध करने के लिये एक सेना की आवश्यकता थी। दक्षिण भारत में आने के बाद उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने बालि के कुशासन से उन्हें अवगत करवाते हुए अपनी असमर्थता जाहिर की। तब भगवान श्री राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उनसे मुक्त करवाया। मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ही वो दिन था। इसी कारण इस दिन गुड़ी यानि विजय पताका फहराई जाती है।
एक और प्राचीन कथा शालिवाहन के साथ भी जुड़ी है कि उन्होंने मिट्टी की सेना बनाकर उनमें प्राण फूंक दिये और दुश्मनों को पराजित किया। इसी दिन शालिवाहन शक का आरंभ भी माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ...
गुड़ी पड़वा आज
हिंदू धर्म में प्रमुख व्रत में से एक चैत्र नवरात्र माना जाता है। पूरे 9 दिन मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र महिने के पहले से ही नव वर्ष की शुरुआत होती है। इसके साथ ही चैत्र नवरात्र भी शुरू हो जाते है। इसके साथ ही इस दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
आपको बता दें कि साल में 2 नवरात्र खास होते है। एक शारदीय नवरात्र और दूसरा चैत्र नवरात्र। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्र हर चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं। इस साल चैत्र नवरात्र 25 मार्च 2020 से शुरू होकर 2 अप्रैल 2020 को खत्म हो रहे हैं।
प्रतिपदा तिथि आज शाम 5 बजकर 27 मिनट तक रहेगी । उसके बाद द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी । आज से चैत्र नवरात्र या वासन्तिक नवरात्र का आरम्भ हो रहे हैं और 2 अप्रैल तक चलेंगे । नवरात्रों का यह त्योहार हमारे भारतवर्ष में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसका जिक्र पुराणों में भी अच्छे से मिलता है । वैसे तो पुराणों में एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्रों का जिक्र किया गया है, लेकिन चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रों को ही प्रमुखता से मनाया जाता है । बाकी दो नवरात्रों को तंत्र-मंत्र की साधना हेतु करने का विधान है । इसलिए इनका आम लोगों के जीवन में कोई महत्व नहीं है ।
आज नवरात्र के पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री रूप की आराधना की जाती है। लिहाजा आज माता शैलपुत्री का पूजा करना चाहिए और पूजा के दौरान माता शैलपुत्रीके मंत्र का जप करना चाहिए । मंत्र है-‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:’ -आज के दिन ऐसा करने से उपासक को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, मोक्ष तथाहर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होती है।
जानें किस दिन पड़ कौन सी देवी का दिन
- २५ मार्च, प्रतिपदा - बैठकी या नवरात्रि का पहला दिन- घट/ कलश स्थापना - शैलपुत्री
- २६ मार्च, द्वितीया - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- २७ मार्च, तृतीया- मां चंद्रघंटा की पूजा
- २८ मार्च, चतुर्थी - नवरात्रि का चौथा दिन- कुष्मांडा पूजा
- २९ मार्च, पंचमी - नवरात्रि का पाचवां दिन- मां स्कंदमाता पूजा
- 30 मार्च, षष्ठी - नवरात्रि का छठा दिन- मां कात्यायनी की पूजा
- ३१ मार्च , सप्तमी - नवरात्रि का सातवां दिन- मां कालरात्रि की पूजा
- १ अप्रैल, अष्टमी - नवरात्रि का आठवां दिन- मां महागौरी की पूजा, दुर्गा अष्टमी ,नवमी पूजन
- २ अप्रैल, नवमी - नवरात्रि का नौवां दिन- मां सिद्धिदात्री की पूजा, नवमी हवन
- ३ अप्रैल, दशमी - पारण, दुर्गा विसर्जन
ऐसे करें कलश स्थापना
आचार्य इंदपु प्रकाश से जानें नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना कब की जाएगी। उसका सही मुहुर्त क्या है, साथ ही कलश स्थापना की सही विधि क्या है। कलश स्थापना के लिये सबसे पहले घर के उत्तर-पूर्वी हिस्से में निर्धारित स्थान की सफाई करके, वहां पर उत्तर-पूर्व कोने में जल छिड़क कर साफ मिट्टी या बालू रखनी चाहिए । उस साफ मिट्टी या बालू पर जौ की परत बिछानी चाहिए । उसके ऊपर पुनः साफ मिट्टी या बालू की साफ परत बिछानी चाहिए और उसका जलावशोषण करना चाहिए । जलावशोषण यानि उसके ऊपर जल छिड़कना चाहिए । फिर उसके ऊपर मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करनी चाहिए और अब कलश को गले तक साफ, शुद्ध जल से भरना चाहिए और उस कलश में एक सिक्का डालना चाहिए । अगर संभव हो तो कलश के जल में पवित्र नदियों का जल जरूर मिलाना चाहिए । इसके बाद कलश के मुख पर अपना दाहिना हाथ रखकर इस मंत्र का जप करना चाहिए ।
गुड़ी पाड़वा आज , जानें शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा का पर्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गोवा सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा का त्यौहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व के लेकर काफी मान्यताएं है। मान्यताएं के अनुसार इस दिन बह्मा जी ने सृष्टि का निर्णाण किया था। इस बार गुड़ी पड़वा का पर्व 25 मार्च को मनाया जा रहा है।
गुड़ी पड़वा मनाने को लेकर कथाएं
दक्षिण भारत में गुड़ी पड़वा की लोकप्रियता का कारण इस पर्व से जुड़ी कथाओं से समझा जा सकता है। दक्षिण भारत का क्षेत्र रामायण काल में बालि का शासन क्षेत्र हुआ करता था। जब भगवान श्री राम माता को पता चला की लंकापति रावण माता सीता का हरण करके ले गये हैं तो उन्हें वापस लाने के लिये उन्हें रावण की सेना से युद्ध करने के लिये एक सेना की आवश्यकता थी। दक्षिण भारत में आने के बाद उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने बालि के कुशासन से उन्हें अवगत करवाते हुए अपनी असमर्थता जाहिर की। तब भगवान श्री राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उनसे मुक्त करवाया। मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ही वो दिन था। इसी कारण इस दिन गुड़ी यानि विजय पताका फहराई जाती है।
एक और प्राचीन कथा शालिवाहन के साथ भी जुड़ी है कि उन्होंने मिट्टी की सेना बनाकर उनमें प्राण फूंक दिये और दुश्मनों को पराजित किया। इसी दिन शालिवाहन शक का आरंभ भी माना जाता है।
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