अब बिजली के बिल में आ सकती है गिरावट !

वर्किंग कॉस्ट काम होने से हो रहा मुनाफा... 

अब बिजली के बिल में आ सकती है गिरावट !


नई दिल्‍ली: आपका बिजली का बिल कम हो सकता है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को बिजली का यूनिट रेट कम करने के लिए चिट्ठी लिखी है. कैसे हो सकता है बिजली का बिल कम? दरअसल आपका बिजली का बिल जितना भी आ रहा है वो बिल कम होना चाहिए.

ऐसा इसलिए कि स्मार्ट प्री-पेमेंट वाले मीटर लगने से बिजली कंपनियों का घाटा कम हो रहा है. बिजली के पैसे पहले ही मिल जा रहे हैं. उनकी वर्किंग कॉस्ट कम हो रही है. देश में बिजली के मीटर वाले 25 करोड़ उपभोक्ता हैं, जिनमें 10 लाख लोगों तक स्मार्ट मीटर पहुंच गया है.

इन दस लाख लोगों के अध्ययन से पता लगा है कि इन कंपनियों को फायदा हो रहा है. इसे देखते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सभी राज्यों को बिजली के रेट कम करने के लिए चिट्ठी भेजी है. EESL के मैनेजिंग डायरेक्टर सौरभ कुमार के मुताबिक, "स्मार्ट मीटर की वजह से ₹200 हर मीटर से हर महीने फायदा कंपनियों को हो रहा है, कंपनियों के पास अब गुंजाइश बनी है, कंपनियों को इसका फायदा उपभोक्ताओं को देना भी चाहिए.

एक स्टडी के मुताबिक देश में 17% लोग बिल नहीं दे रहे या संबंधित सरकार को इनसे बिल का पैसा नहीं मिल रहा. अगर एक यूनिट 5 रुपये की भी मान लें तो करीब 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. अगर 25 करोड़ उपभोक्ता तक स्मार्ट मीटर पहुंच जाएगा तो ये नुकसान बंद हो जाएगा."


वही बिजली वितरण कंपनियों की तरफ से बिजली उत्पादन कंपनियों को पैसे की गारंटी मिलने से उत्पादन कंपनियों को भी फायदा हो रहा है, इससे वो भी आगे कम रेट देने की गुंजाइश रख रही हैं. व्यवस्था के सही पालन होने से आसानी हो रही है. इसके अलावा स्टडी बताती है कि स्मार्ट मीटर की वजह से कंपनियों के बिल संबंधित विवाद भी कम हुए हैं, जिससे असर पड़ रहा है.

एनर्जी ग्रिड एक्सपर्ट विनोद फोतेदार कहते हैं, "कंपनियों को मीटर रीडिंग के लिए बंदे भेजने की जरूरत नहीं, बार-बार वसूली के लिए भी नहीं भेजना है, बस बिल देना है. इसके अलावा उनका पैसा भी नहीं अटक रहा, अटकने के बाद ब्याज लगता था वो भी नहीं देना है, ये सारे फायदे स्मार्ट प्री-पेमेंट मीटर से हो रहे हैं. तो जब लागत घट रही है तो फायदा तो हो ही रहा है, अब ये कंपनियों पर है कि वो कितना फायदा देती हैं.''

यानी बिजली के मामले में यह वक्त ऐसा है जब उपभोक्ता के लिए एक उम्मीद है- बिजली के बिल घटने की. केंद्र सरकार की चिट्ठी लिखने के बाद गेंद अब राज्यों के पाले में है कि वो दरों में कितनी कटौती करती हैं या फिर यूं ही बैठे रहती हैं.
Reactions

Post a Comment

0 Comments