आसान हैं बचाव केउपाय ...
हेल्थदेश में हर 10 में से 1 शख्स को थायराइड की बीमारी
बहुत से लोग ऐसे हैं जो थायराइड जैसी खतरनाक बीमारी को ठीक करना तो दूर उसके लक्षण तक समझ नहीं पाते। उन्हें तो ये तक पता नहीं होता कि थायराइड ग्लैंड दिल, दिमाग और शरीर के दूसरे ऑर्गन्स को सही तरीके से चलाने वाले हॉर्मोन पैदा करता है। मेटाबॉलिज़्म बेहतर बनाता है और शरीर के लिए खाने से एनर्जी जनरेट में मदद करता है। असल में ये ग्लैंड हमारी बॉडी में बैटरी की तरह काम करता है। जिससे कम या ज़्यादा हार्मोन्स रिलीज़ होने पर परेशानियां बढ़ने लगती हैं। इसको ऐसे समझिए, जब तितली के आकार की ग्रंथि शरीर के लिए ज़रूरी हार्मोन नहीं बना पाती तो इसे 'हाइपो-थायरॉइड' कहते है। ये उस खिलौने जैसा मामला है, जिसकी बैटरी ख़त्म हो गई हो। ऐसे में बॉडी पहले जैसी एक्टिव नहीं रहती और वज़न बढने लगता है। जबकि हाइपरथायराइड में बहुत ज्यादा हार्मोन्स बनने लगे तो दिल की धड़कने तेज़ हो जाती हैं। वज़न तेज़ी से घटता है क्योंकि शरीर ज़्यादा एनर्जी का इस्तेमाल करने लगता है। हमारे देश में करीब साढ़े 4 करोड़ थायराइड के मरीज़ हैं। हर 10 में से 1 शख्स इस परेशानी से जूझ रहा है उसमें भी महिलाओं की गिनती पुरुषों से ज़्यादा है।
वजह चाहे जो भी हो, लेकिन अगर प्रतिभा की तरह जज़्बा और जुनून होगा तो थायराइड क्या कोई बीमारी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी और अगर योग की शरण में आ गए तो समझिए निरोगी जीवन का वरदान मिलना तय है क्योंकि स्वामी जी सही कहा ना हमने। भारत में हर 10 में से एक शख़्स थायरॉइड की समस्या से जूझ रहा है। 2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में क़रीब 4.2 करोड़ थायरॉइड के मरीज़ हैं। थायरॉइड के साथ सबसे बड़ी दिक़्क़त ये है कि क़रीब एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं होता कि वे इससे पीड़ित हैं। वैसे यह बीमारी महिलाओं में ज़्यादा पाई जाती है। गर्भावस्था और डिलिवरी के पहले तीन महीनों के दौरान, क़रीब 44 फ़ीसदी महिलाओं में थायरॉइड की समस्या पनप जाती है। यह ग्रंथि दिल, दिमाग़ और शरीर के दूसरे अंगों को सही तरीक़े से चलाने वाले हॉर्मोन पैदा करता है। यह शरीर को ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम बनाता है और उसे गर्म रखता है। 'एक तरह से यह ग्रंथि शरीर की बैटरी की तरह काम करती है. यदि यह ग्रंथि कम या ज़्यादा हार्मोन छोड़ती है, तो थायरॉइड के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।'
थायरॉइड ग्रंथि जब शरीर के लिए पर्याप्त हार्मोन पैदा नहीं कर पाती, तो इसे 'हाइपो-थायरॉइडिज़्म' कहा जाता है। यह उस खिलौने जैसा मामला है, जिसकी बैटरी ख़त्म हो गई हो। और तब शरीर पहले जैसा सक्रिय नहीं रहता और इसके रोगी जल्दी थक जाते हैं। वहीं यदि थायरॉइड ग्रंथि ज़्यादा हार्मोन पैदा करने लगे, तो इस समस्या को 'हाइपर-थायरॉइडिज़्म' कहते हैं. ऐसे में मरीज़ों की दश उस इंसान जैसी होती है, जिसने बहुत ज़्यादा कैफ़ीन ले लिया हो। तीसरी स्थिति थायरॉइड ग्रंथि की सूजन है, जिसे गॉयटर (गलगंड या घेघा) कहते हैं। दवाओं से ठीक न होने पर इसे सर्जरी करके ठीक करने की ज़रूरत पड़ सकती है। मेटाबॉलिज़्म कमज़ोर,हार्ट रेट पर असर,मेंटल डिस्ऑर्डर,हेयरफॉल,स्किन प्रॉब्लम, हार्मोनल इम्बैलेंस,दिल और दिमाग को रेगुलेट करता है,शरीर के हर पार्ट पर असर डालता है l
क्यों होता है थायराइड ?
तनाव,बिगड़ा लाइफस्टाइल,गलत खानपान,आयोडिन की कमी,जेनेटिकडिप्रेशन की दवा से,डायबिटीज़ की बीमारी,वर्कआउट की कमी l
थायराइड के लक्षण
थकान,घबराहट,चिड़चिड़ापन,हाथों में कंपन,नींद की कमी,बालों का झड़ना मसल्स पेन l
थायराइड से बीमारियां
प्रेगनेंसी में दिक्कत ,हार्ट की बीमारी,आर्थराइटिस,डायबिटीज,कैंसर,ओबेसिटी,अस्थमा l
थायराइड में क्या खाएं
अलसी,नारियल,मुलेठी,मशरूम,हल्दी दूध,दालचीनी,मुलेठी फायदेमंद,तुलसी-एलोवेरा जूस,रोजाना त्रिफला 1 चम्मच,रात में अश्वगंधा और गर्म दूध,धनिया के बीज पीसकर पानी में पीएं
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