पुलिस की एक गलती के चलते उनकी पूरी जिंदगी में जेल में कट गई...
बिना जुर्म के एक भारतीय को अमेरिका में 43 साल जेल में कटनी पड़ी !
सुब्रमण्यम वेदम...ये वो शख्स है, जिसे बिना जुर्म के जेल में डाल दिया गया. जब वो जेल गया तो 20 साल का था और बाहर आया तो उसकी उम्र 60 साल प्लस हो गई. पूरे 43 साल उसने बिना जुर्म के सजा काटी. जेल से रिहाई हुई तो उसे फिर से हिरासत में ले लिया गया. अब उसे ऐसी जगह भेजा जा रहा है, जहां उसका कोई नहीं है. ना परिवार ना रिश्तेदार. जब वो जेल से आया तो अपनी बहन से बात तक नहीं कर सका. ये दर्दनाक कहानी है सुब्रमण्यम वेदम की, जिनका निकनेम सुबु है. वो भारत में जन्मे लेकिन उनकी परवरिश अमेरिका में हुई और वहीं उनके साथ कुछ ऐसा हो गया, जिसके बारे में किसी को भी अंदाजा नहीं था.
जरा सोचिए किसी शख्स को बिना जुर्म के 43 साल जेल में रखा गया. जब वो निर्दोष साबित होकर बाहर आया तो उसे फिर हिरात में ले लिया गया. अब उसे अपनों से दूर एक ऐसी जगह भेजा जा रहा है, जहां उसका कोई नहीं. ना जान ना पहचान. ये कहानी दर्दनाक है. आइए आखिर किसके साथ ऐसा हुआ और क्यों?
पुलिस की एक गलती के चलते उनकी पूरी जिंदगी में जेल में कट गई. जब बुढ़ापे में निर्दोष साबित हुए तो अब उन्हें और बड़ा दर्द मिलने जा रहा है. आइए जानते हैं आखिर क्या है सुबु की कहानी, जिसे जानकर हर कोई इमोशनल हो जाएगा.
सुब्रमण्यम वेदमएक भारतीय मूल के शख्स हैं, जिन्होंने उस गलती के लिए 43 साल जेल में बिताए जो उन्होंने की ही नहीं थी. एक मर्डर केस में उन्हें इसी महीने उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया और कहा कि वे निर्दोष हैं. परिवार खुश था सालों बाद सुबु बाहर आने वाले हैं, लेकिन जैसे ही जेल का गेट खुलने वाला था, उन्हें अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग (ICE) ने हिरासत में ले लिया. अब उन्हें भारत वापस भेजने की बात हो रही है, भारत में उनका कोई नहीं है, ना उन्हें हिंदी बोलते आती है.
सुबु का जन्म भारत में तब हुआ था जब उनके माता-पिता एक पारिवारिक कार्यक्रम से शामिल होने भारत आए थे. फिर जन्म के 9 महीने बाद ही वे अपने माता-पिता के साथ वापस अमेरिका चले गए. उनका पूरा बचपन, स्कूलिंग, कॉलेज सब कुछ पेंसिलवेनिया (अमेरिका) में हुआ.
सुबु की भांजी ने बताया वह हिंदी बोलना भी नहीं जानते. उनका तो अमेरिकी लहजा है. वह भारत आए थे, जब वह सिर्फ बच्चा थे. आज उनकी उम्र 64 साल है. उनके माता-पिता और दादा-दादी सब गुजर चुके हैं, भारत में उनका कोई करीबी रिश्तेदार नहीं बचा है. उनके परिवार का कहना है कि अगर वे भारत भेजे गए, तो वह पूरी तरह अकेले रह जाएंगे. यहां अमेरिका में हमारा परिवार है, हम उन्हें संभाल सकते हैं.'
आखिर जेल क्यों गए थे सुबु...?
ये बात 1980 की है. जब सुबु के कॉलेज के दोस्त टॉम किंसर की हत्या हुई. पुलिस को पता चला कि आखिरी बार वो सुभू के साथ दिखाई दिए थे. कुछ महीने बाद टॉम की लाश जंगल में मिली थी. उस केस में पुलिस ने सुबु को दोषी मान लिया. कोई गवाह नहीं था, कोई सबूत नहीं था, दोनों में दुश्मनी का भी कोई इतिहास नहीं था, फिर भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें 'विदेशी' कहकर जमानत भी नहीं दी गई और उनका पासपोर्ट व ग्रीन कार्ड भी जब्त कर लिया गया. इसी केस में उन्हें साल 1983 में आजीवन कारावास की सजा मिली.
सुभू को पहले ड्रग मामले में रोका गया, बाद में हत्या का इल्ज़ाम लगा दिया गया. जिस वक्त सुबु को गिरफ्तार किया गया उस वक्त उनके माता-पिता जर्मनी में थे. जब वो वापस लौटे तो पिता ने बेटे को जमानत पर छुड़ाने के लिए घर तक की गिरवी रखने की कोशिश की, लेकिन तभी हत्या का केस जोड़ दिया गया और जमानत रद्द कर दी गई.
सच्चाई 40 साल बाद सामने आई
इस केस में सुबु की तरफ से कई सालों तक अपीलें चलती रहीं. अंत में 2021 में नए सबूत मिले और केस फिर से खुला. इसे पूरे मामले में साल 2022 में जाकर नए फॉरेंसिक सबूत सामने आए थे, जिनसे पता चला था कि गोली का घाव उस हथियार से मेल नहीं खाता था जो अदालत में सबूत के रूप में पेश किया गया था. फिर 2 अक्टूबर 2025 को कोर्ट ने उन्हें निर्दोष करार दिया. इस तरह बिना गलती के 43 साल उनके जेल में कटे. जज ने फैसला सुनाया कि वह दोषी नहीं हैं. कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष (प्रॉसिक्यूशन) ने हजारों पेज सबूत छिपाए थे, जो उनकी बेगुनाही साबित कर सकते थे. कोर्ट के फैसले के बाद सुबु के वकील ने बताया कि यह पेंसिलवेनिया का सबसे लंबा गलत-सजा का केस है. उन्होंने जेल में रहते हुए पढ़ाई की, दूसरों को पढ़ाया, और खुद को बदलने की कोशिश की.
फिलहाल कहां हैं सुबु...?
जेल से रिहाने के बाद आज सुभू एक इमिग्रेशन डिटेंशन सेंटर में बैठे हैं. अदालत तय करेगी कि उन्हें अमेरिका में रहने दिया जाएगा, या भारत भेज दिया जाएगा. 1988 में, पुराने केस के आधार पर अमेरिका ने उन्हें “देश से निकालने” का आदेश दिया था. यही वजह है कि अब, भले ही वे निर्दोष साबित हो गए हों, लेकिन इमिग्रेशन विभाग कह रहा है कि वही पुराना आदेश लागू होगा और उन्हें भारत भेज दिया जाएगा.
बहन बोलीं- वो नेक इंसान, उसे हमारे पास रहने दिया जाए...
सुबु के पिता के. वेदम, स्टेट कॉलेज, पेंसिलवेनिया में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर थे. उनकी मां स्थानीय पुस्तकालय चलाती थीं. सुभू की बड़ी बहन सरस्वती वेदम, मैसाच्युसेट्स में रहने वाली एक यूनिवर्सिटी स्टूडेंट थीं. वे कम्युनिटी हेल्थ में मास्टर्स कर रही थीं. जब पुलिस ने सुबु को पहली दफा गिरफ्तार किया था तो पहला फोन उनके पास ही गया था. छोटे भाई सुबु को भारत भेजे जाने को लेकर उनकी बड़ी बहन सरस्वती कहती हैं कि 'ये कैसी न्याय व्यवस्था है? जिसने 43 साल खो दिए, जिसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, जो सबकी मदद करता रहा, उसे फिर सजा? सरस्वती कहती हैं 'उसने अपना बचपन, जवानी, मां-बाप-सब खो दिया, पर उसने कभी अपनी इज्जत नहीं खोई, वह आज भी वही शांत, नेक इंसान है. अब अगर उसे भारत भेज दिया गया, तो वह फिर अकेला पड़ जाएगा, उसका घर यहीं है, उसके लोग यहीं हैं.
 










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