अभी मामले पर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई जारी रहेगी...
SC ने वक्फ कानून पर अपने अंतरिम आदेश में वक्फ कानून पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है !
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतरिम आदेश सुना दिया है। कोर्ट ने कानून पर बैन लगाने से मना कर दिया है। हालांकि, कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई गई है और कुछ प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं। सरकार को इस कानून में बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी, नए कानून के किन प्रावधानों का विरोध हो रहा था। कोर्ट ने किन प्रावधानों पर बदलाव किया और इस मामले में आगे क्या होगा? आइए जानते हैं....
वक्फ कानून में बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी...
वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन का उद्देश्य केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है। नए कानून के अनुसार किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस के साथ राजस्व कानूनों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। इसका मकसद वक्फ बोर्डों के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के साथ इन निकायों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित करना है।
वक्फ कानून के किन प्रावधानों का हो रहा विरोध...
- नए वक्फ कानून में गैर मुस्लिमों को भी केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में शामिल करने का प्रावधान है। विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि वक्फ एक इस्लामिक संस्था है। इसमें गैर मुस्लिमों को शामिल करना धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 26) का उल्लंघन है।
- नए कानून में जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण और विवादित संपत्तियों की स्थिति तय करने का अधिकार दिया गया है। मुस्लिम समुदाय का मानना है कि यह वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता पर सरकारी हस्तक्षेप है। वे आशंका जताते हैं कि कलेक्टर की शक्तियां संपत्तियों को गलत तरीके से गैर-वक्फ घोषित करने के लिए इस्तेमाल हो सकती हैं।
- नए कानून में सभी वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण और डिजिटल रिकॉर्ड बनाना जरूरी है। विरोध करने वाले समूहों का कहना है कि यह प्रक्रिया छोटे या अनौपचारिक वक्फों (जैसे मस्जिदों, कब्रिस्तानों) के लिए बोझिल है और इससे संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने का खतरा है।
- नए कानून में मुसलमान वक्फ अधिनियम को रद्द कर दिया गया है। वक्फ कानून का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इससे ऐतिहासिक वक्फ संपत्तियों की मान्यता खत्म हो सकती है, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को नुकसान हो सकता है।
- वक्फ ट्रिब्यूनल के अधिकारों को कम कर कलेक्टर और अन्य सरकारी अधिकारियों को अधिक शक्ति देने का भी विरोध हो रहा है। विरोधी मानते हैं कि यह वक्फ विवादों को निपटाने की स्वतंत्र प्रक्रिया को कमजोर करता है, जिससे सरकारी हस्तक्षेप बढ़ेगा।
- कुछ नेताओं और संगठनों का दावा है कि संशोधन से वक्फ संपत्तियों को गैर-वक्फ घोषित कर निजी या सरकारी उपयोग में लाने का रास्ता खुल सकता है।
कोर्ट ने इन प्रावधानों पर बदलाव किया...
- धारा 3(R): पांच साल का इस्लाम की प्रैक्टिस वाला नियम फिलहाल लागू नहीं होगा। सेक्शन बनने के बाद इसे लागू करने पर फैसला होगा।
- धारा 2(C) प्रोविजो: वक्फ संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा।
- धारा 3 (C): कलेक्टर के संपत्ति तय करने के अधिकार पर रोक लगा दी गई है।
- बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या सीमित कर दी गई है। केंद्रीय वक्फ परिषद में अधिकतम 4 गैर मुस्लिम हो सकते हैं। वहीं, राज्य वक्फ बोर्ड में अधिकतम 3 सदस्य होंगे।
- धारा 23: एक्स-ऑफिसियो अधिकारी मुस्लिम समुदाय से ही होगा।
- वक्फ बनाने वाले व्यक्ति के लिए पांच साल तक इस्लाम का पालन करना जरूरी था। इस प्रावधान पर भी रोक लगा दी गई है।
आगे क्या होगा ...
नया वक्फ कानून लागू रहेगा और प्रशासन इसके अनुसार कार्रवाई जारी रखेगा। जिन प्रावधानों पर कोर्ट ने रोक लगाई है, उनसे जुड़े मामलों पर कार्रवाई नहीं होगी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई और बहस जारी रहेगी। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट अंतिम फैसला सुनाएगा। सुनवाई के बीच नए आदेश या निर्देश भी जारी किए जा सकते हैं। जब राज्य यह तय कर लेंगे कि इस्लाम का अनुयायी कौन है, तब अन्य प्रावधानों पर दोबारा चर्चा हो सकती है।
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