चीन ने मांगा भारत का साथ...
अब भारत और चीन प्रतिद्वंदी नहीं बल्कि पार्टनर !
अमेरिका की दादागिरी के खिलाफ अब दुनिया में नया शक्ति केंद्र बनता जा रहा है. ट्रंप के टैरिफ वार से निपटने के लिए भारत, चीन और रूस तेजी से नजदीक आ आ रहे हैं. चीन के विदेश मंत्री वांग यी बुधवार को अपना भारत दौरा खत्म करके गए हैं. वहीं अगले महीने पीएम मोदी एससीओ समिट में भाग लेने के लिए चीन जाने वाले हैं. इसी बीच चीन ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि भारत और चीन प्रतिद्वंदी नहीं बल्कि पार्टनर हैं. चीन का यह बयान सीधे तौर पर यूएस को संदेश माना जा रहा है कि अब उसके एकाधिकार के दिन लद चुके हैं. भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने गुरुवार को भारत पर लगाए गए भारी व्यापार शुल्कों का विरोध किया. राजदूत ने कहा कि चीन इसका कड़ा विरोध करता है और वह इस मुद्दे पर भारत के साथ मजबूती से खड़े रहेगा.
ट्रंप टैरिफ के मुद्दे पर भारत का समर्थन करते हुए चीनी राजदूत ने कहा, 'अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत तक शुल्क लगाया है और उसे और बढ़ाने की धमकी भी दी है. चीन इसका कड़ा विरोध करता है. चुप्पी से धौंस जमाने वालों का हौसला बढ़ता है. चीन भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा.' शू फेइहोंग ने भारत-चीन संबंधों पर ज़ोर देते हुए दोनों देश पार्टनर हैं, प्रतिद्वंदी नहीं. उन्होंने कहा कि एकता और सहयोग की नीति दोनों पड़ोसी देशों के साझा विकास में मदद कर सकती है. दोनों देशों के संबंधों की सराहना करते हुए चीनी राजदूत ने कहा, 'चीन और भारत की मित्रता एशिया के लिए लाभदायक है. हम एशिया में आर्थिक विकास के दोहरे इंजन हैं. भारत और चीन की एकता से समग्र विश्व को लाभ होता है.
भारत और चीन की ज़िम्मेदारी है कि वे एक समान और व्यवस्थित बहुध्रुवीय विश्व को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाएं.' भारत को सलाह देते हुए शू फेइहोंग ने आगे कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में आपसी विश्वास का होना बहुत जरूरी होता है. दोनों देशों को आपसी संबंध मजबूत करने के लिए रणनीतिक विश्वास बढ़ाना चाहिए. साथ ही किसी भी तरह के आपसी संदेह से बचना चाहिए. चीनी राजदूत ने अपने देश के लिए भारत को प्रतिद्वंद्वी के बजाय साझेदार बताया और कहा कि भारत-चीन को बातचीत के ज़रिए मतभेदों को सुलझाना चाहिए. बढ़े भारतीय आयात का स्वागत करते हुए चीनी राजदूत ने कहा, हम अपनी रणनीतियों के विकास और सहयोग के दायरे को बढ़ाने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार हैं. हम सभी भारतीय वस्तुओं के चीनी बाज़ार में प्रवेश का स्वागत करते हैं.
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