G NEWS 24 : सड़कों पर उतरे पाकिस्तानी, प्रदर्शन के दौरान हुआ भारी बवाल !

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सड़कों पर उतरे पाकिस्तानी, प्रदर्शन के दौरान हुआ भारी बवाल !

पाकिस्तान में खराब शासन व्यवस्था और ऊर्जा प्रबंधन की फिर से पोल खुल गई है. शनिवार को कराची की पंजाब कॉलोनी में लंबे वक्त बिजली कटौती के विरोध में शनिवार को बड़ा प्रदर्शन हुआ.  सरकार और प्रशासन के खिलाफ हुए इस विरोध प्रदर्शन के दौरान भारी बवाल हुआ, जिसकी वजह से पूरे शहर में ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई, जिससे आम शहरी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.  डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, 80 फ्लैटों वाली एक 10 मंज़िला इमारत के निवासियों ने 24 घंटे से ज़्यादा बिजली न मिलने के बाद पंजाब चौरंगी के पास एक सड़क जाम कर दी.

शुक्रवार सुबह 11 बजे से बिजली गुल थी, और बार-बार शिकायत करने के बावजूद कराची की एकमात्र बिजली आपूर्ति कंपनी के-इलेक्ट्रिक की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सोसाइटी के लोगों बिजली कंपनी और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए रोड को जाम कर दिया. इस विरोध प्रदर्शन के कारण कराची के कई इलाकों में भारी जाम लग गया. डिफेंस रोड और आसपास के इलाकों में यातायात ठप हो गया. कराची बंदरगाह के लिए महत्वपूर्ण ट्रकों और टैंकरों की लंबी कतारें कय्यूमाबाद से केपीटी फ्लाईओवर तक रुक गईं. 

डॉन के मुताबिक, बोट बेसिन, गिजरी और हीनो चौरंगी जैसे प्रमुख चौराहे ठप हो गए, जिससे हज़ारों यात्री फंस गए. रिपोर्ट के मुताबिक, यह बिजली कटौती बगल की पी एंड टी कॉलोनी में के-इलेक्ट्रिक के चोरी के खिलाफ मुहिम के बाद हुई. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि इस मुहिम में कानूनी कनेक्शन भी काट दिए गए, और कोई साफ प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. हालांकि,  के-इलेक्ट्रिक ने प्रदर्शनकारियों को अवैध कनेक्शन बहाल करने की कोशिश कर रहे 'उपद्रवी' बताया और कहा कि कथित तौर पर एक केबल टीवी नेटवर्क से जुड़े इस अभियान के दौरान उनकी टीमों पर हमला किया गया.

हालांकि, सोसाइटी के लोगों के चोरी में शामिल होने का कोई सबूत नहीं दिया गया. लेकिन बिजली कंपनी KE ने बाद में इलाके के कुछ हिस्सों में बिजली बहाल करने का दावा किया, लेकिन बड़ा मुद्दा अभी भी अनसुलझा है. यह घटना विश्वसनीय बिजली आपूर्ति के लिए पाकिस्तान के चल रहे संघर्ष को उजागर करती है, जो पुराने बुनियादी ढांचे और बिजली वितरण में जवाबदेही की कमी के कारण और भी बदतर हो गया है. जैसा कि डॉन ने उल्लेख किया है, यह संकट एक ब्लैकआउट से कम और Reflection of Systemic Dysfunction ज्यादा है, जहां नागरिकों को संस्थागत विफलता का खामियाजा भुगतना पड़ता है.

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