इसी का नतीजा है भाजपा के मंत्री नागर सिंह चौहान के इस्तीफे की पेशकश !
पार्टियां अपने नैसर्गिक नेतृत्व को दरकिनार कर दलबदलुओं को दे रही है तबज्जो !
देश क्या प्रदेश में भी सत्ता में रहने या सत्ता पाने के लिए देश की राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टिया किसी भी स्तर पर जाने के लिए तैयार हैं।जैसा कि माना जाता है कि पार्टियां लोगों की विचारधारा को लेकर काम करतीं हैं और लोग इसी से प्रभावित होकर इन पार्टियों के कैंडिडेट को चुनते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद ये कैंडिडेट जब उसी पार्टी की गोदी में जाकर बैठ जाता है .जिसे उस क्षेत्र के वोटर ने रिजेक्ट किया था. तब वह वोटर अपने आपको ठगा हुआ महसूस करता है यही कारण है कि दिनोदिन लोगों का चुनावों के प्रति उत्साह और नजरिया बदल रहा है। इतना ही नहीं जब नेताजी दल और पार्टी बदल लेते हैं तो उसके बाद वोटर को भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस सब की न तो नेताओं को और ना ही पार्टियों को चिंता है। वे तो इस बात को पुख्ता करते नजर आते हैं कि अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता !
ऐसी ही एक खबर है ने इस ओर मेरा ध्यान खींचा इसलिए ये लेख लिखा। खबर है कि भाजपा मंत्रीमंडल में तीन महीने पहले की वन एवं पर्यावरण विभाग के मंत्री पद से नवाजे गये नागर सिंह चौहान द्वारा मंत्री पद से की गई इस्तीफे की पेशकश भाजपा के नैसर्गिक नेतृत्व को दरकिनार कर दलबदलुओं को तवज्जों देने का जीवंत उदाहरण हैं। दलबदलुओं को स्थान देने से भाजपा में कई वर्षों से जमें नेताओं, कार्यकर्ताओं में घुटन और बैचेनी स्पष्ट दिखाई दे रही है और इसको लेकर भाजपा के कई विधायक, वरिष्ठ नेतागण पार्टी नेतृत्व के समाने अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके है।
श्री नायक ने कहा कि भाजपा में मची अंर्तकलह से सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। सरकार की छवि धूमिल हो रही है और इससे जनहित में किये जाने वाले कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। भाजपा सरकार के मुखिया डॉ. मोहन यादव और भाजपा नेतृत्व द्वारा नागर सिंह चौहान का वन एवं पर्यावरण मंत्री का पद छीनकर कांग्रेस से भाजपा में गये रामनिवास रावत को दे दिया गया। भाजपा में मची उथलपुथल, भाजपा की कथनी-करनी और चाल-चरित्र से व्यथित होकर मंत्री चौहान ने इस्तीफे की पेशकश की है।
श्री नायक के कहा कि भाजपा अपने सत्ता स्वार्थ के लिए जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। नागर सिंह चौहान को मंत्री बने हुये अभी मात्र तीन महीने ही हुये थे। भाजपा नेतृत्व ने बिना कार्य मूल्यांकन किस आधार पर उनका पद छीनकर किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया गया?










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