G.NEWS 24 : दूध में होता है इतना नशा की पीने वाला हो जाये टुन्न !

दूध पीने से भी शख्स नशे में झूम सकता है…

दूध में होता है इतना नशा की पीने वाला हो जाये टुन्न !

सैन फ्रांसिस्को। एक जानवर ऐसा है, जिसके दूध में बहुत ज्यारदा मात्रा में अल्कोिहल पाया जाता है।जंगलों में और कभी-कभी किसी के पालतू के तौर पर पाए जाने वाले इस जानवर का दूध पीने वाला शख्स नशे में झूम सकता है। हम बात कर रहे हैं मादा हाथी की। मादा हाथी के दूध में 60 फीसदी तक अल्कोहल पाया जाता है। दरअसल, हाथी को गन्नार खाना बहुत ज्यामदा पसंद होता है। वहीं, गन्नेम में अल्कोहल बनाने वाले तत्व बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इसीलिए हथिनी के दूध में अल्कोहल भरपूर मात्रा में पाया जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, हथिनी का दूध इंसानों के पीने लायक नहीं होता है। 

कुछ अध्यायनों के मुताबिक, हथिनी के दूध में पाए जाने वाले केमिकल इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। शोधकर्ताओं के मतुताबिक, हथिनी के दूध को 62 फीसदी अल्कोहल से डिस्टैबिलाइज्ड किया जा सकता है। अनुमान के मुताबिक, हथिनी के दूध की बीटा-कैसीन खूबी कैसीन मिशेल को मेनटेन कर सकती है। हालांकि, पहले यह भूमिका केवल के-कैसीन से जुड़ी हुई थी। डेयरी पशुओं में दूध का ओलिगोसैकराइड कंटेंट कम होता है। वहीं, इंसान और हाथी के दूध में इसकी मात्रा ज्यादा होती है।शोध के मुताबिक, अफ्रीकी हाथिनी के दूध में लैक्टोस और ओलिगोसैकेराइड्स का स्तर बहुत ज्यादा पाया जाता है। ये हथिनी की स्तन ग्रंथि में अल्फा-एलए कंटेंट से जुड़ा हुआ है। काफी हद तक इसका संबंध स्पेशलाइज्ड कार्बोहाइड्रेट सिंथेसिस से जुड़ा है जहां व्हे प्रोटीन अल्फा-एलए की भूमिका में होते हैं। 

बता दें कि हाथी को धरती का सबसे संवेदनशील प्राणी माना जाता है। यह मनुष्य से ज्यादा समझदार और बुद्धिमान भी माना जाता है। हालांकि, इससे ज्यादा संवेदनशील और बुद्धिमान प्राणी डॉल्फिन को माना जाता है।दुनियाभर में हाथी की तीन अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें अफ्रीकी सवाना हाथी, औरअफ्रीकी वन हाथी के अलावा एशियाई हाथी शामिल हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, करीब पांच करोड़ साल पहले धरती पर हाथियों की 170 प्रजातियां पाई जाती थीं। अब हाथी की महज दो प्रजातियां ही धरती पर बची हैं। इनमें एलिफ्स और लॉक्सोडॉन्टाध शामिल हैं। एक सामान्य  हाथी को हर दिन करीब 150 किलोग्राम भोजन की जरूरत पड़ती है।

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