G News 24 : आए तो थे शव को दफनाने लेकिन खुद ही मिट्टी में दफन हो गए लोग

 हादसे में मिट्टी धंसकने से शव को दफना रहे लोग अंदर ही दफन हो गए ... 

आए तो थे  शव को दफनाने लेकिन खुद ही मिट्टी में दफन हो गए लोग 

हिंदू धर्म में शवों को जलाकर उन्हें अपनी दाह संस्कार की परंपरा निभाते हैं तो मुस्लिमों में शव को दफनाकर ये परंपरा निभाई जाती है। ईसाइयों में भी शव को दफनाने का रिवाज है। मौत के बाद भी लोगों को उनके संस्कारों के अनुसार विदा किया जाता है। चीन में भी कुछ ऐसे ही दाह संस्कार किया जाता है। उनके इस परंपरा से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जो वाकई में लोगों का दिल दहला रहा है। 

वायरल हो रहे इस वीडियो में एक शव के अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है। शव को दफनाने के लिए JCB से मिट्टी खोदी जा चुकी है। शव को एक बड़े से ताबूत के अंदर रखकर उसे कब्र खोदकर उसमें बनी दीवार में दफन किया जा रहा है। ताबूत को दफनाने के लिए 4-5 लोग काम भी कर रहे हैं। दो लोग ऊपर से उस दीवार को प्लास्टिक से ढंकने की कोशिश कर रहे हैं। तभी अचानक से कब्र की ऊपरी हिस्से की मिट्टी धंस जाती है। जो दीवार बनाई गई थी वह भी मिट्टी के अंदर दफन हो जाती है। इस दर्दनाक हादसे में कुछ लोग मिट्टी के अंदर ही दब जाते हैं। घटना चीन की बताई जा रही है, जो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है।

G.NEWS 24 : जर्मनी ने दे डाली रूस को साइबर हमले के नतीजे भुगतने की धमकी !

यूक्रेन से युद्ध के बीच...

जर्मनी ने दे डाली रूस को साइबर हमले के नतीजे भुगतने की धमकी !

ब्रसेल्स। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जर्मनी ने मॉस्को को बड़ी चेताननी दे डाली है। जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने रूस पर उनके देश को निशाना बनाकर साइबर हमले करने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को चेतावनी दी कि उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। जर्मनी ने कहा कि वह रूस को छोड़ेगा नहीं। इस मुद्दे पर उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) और यूरोपीय संघ ने भी जर्मनी का समर्थन किया और कहा कि वे साइबर जगत में रूस की ‘दुर्भावनापूर्ण’ गतिविधि को ऐसे ही नहीं जाने देंगे। 

बता दें कि यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान जर्मनी द्वारा यूक्रेन को दी जा रही सैन्य मदद को लेकर पहले ही दोनों देशों के बीच तनाव है। इस बीच जर्मनी को रूस की ओर से साइबर हमले किए जाने की आशंका है। जर्मनी की विदेश मंत्री ने आरोप लगाया कि पिछले साल देश की गठबंधन सरकार में प्रमुख पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स पर निशाना साधकर हुए साइबर हमले में रूस के सरकारी हैकर संलिप्त थे। जर्मनी इसका कड़ा जवाब देने की तैयारी कर रहा है। 

ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड शहर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘रूस के सरकारी हैकर जर्मनी के साइबर जगत में हमले के लिए जिम्मेदार हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम कह सकते हैं कि एपीटी28 समूह ने इस हमले को अंजाम दिया जिसे रूस की सैन्य खुफिया सेवा संचालित करती है।’’ बेयरबॉक ने कहा, ‘‘यह निश्चित तौर पर बर्दाश्त करने योग्य नहीं है और अस्वीकार्य है और इसके परिणाम भुगतने होंगे। जर्मनी का कहना है कि साइबर हमले में रूस के सरकारी कर्मचारी शामिल थे।

G News 24 : 2024 में 'नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए पाकिस्तानी नेता ने जमकर की राहुल गांधी की तारीफ !

 राहुल गांधी आग (बढ़िया भाषण देने के संदर्भ में) लगा रहे हैं :फवाद चौधरी

2024 में  'नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए पाकिस्तानी नेता ने जमकर की राहुल गांधी की तारीफ !

हिंदुस्तान में कुछ बड़ा होने जा रहा हो और पाकिस्तान चुप बैठा रहे भला ये तो संभव ही नहीं है। भारत में चल रहे  लोकसभा चुनाव 2024 के बीच पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की तारीफ की है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की जोरदार स्पीच से जुड़े वीडियो पर कमेंट करते हुए दावा किया कि राहुल गांधी को आग (बढ़िया भाषण देने के संदर्भ में) लगा रहे हैं. फवाद चौधरी ने जिस वीडियो पर प्रतिक्रिया दी थी, उसे एक्स पर @newt0nlaws नाम के हैंडल से शेयर किया गया था और उस एडिटेड क्लिप में वह बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी पर हमलावर नजर आए. 

इस बीच, भारतीय हिंदी न्यूज चैनल से हुई बातचीत में पाकिस्तान के पूर्व मंत्री ने कहा, "नरेंद्र मोदी को रोकना जरूरी है."  कांग्रेस सांसद की तारीफ को लेकर हुए सवाल पर उन्होंने बताया- अतिवादियों के खिलाफ जो भी बात करेगा, उसे मैं सपोर्ट करूंगा. मैं मानता हूं कि राहुल गांधी ने हिंदुस्तान की मौजूदा तस्वीर को सही से सबके सामने रखा है. 

कांग्रेस MP को लेकर यह बात भी बोले PAK नेता

राहुल गांधी की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी के कारोबारियों को सपोर्ट करने करने के आरोप पर पाकिस्तान के लीडर ने बताया, राहुल गांधी ने भारत में लोगों को यह समझाया कि वहां अमीरों और गरीबों की खाईं किस तरह बढ़ रही है. कैसे मौजूदा भारत से गरीब आदमी पूरी तरह बाहर हो गया है और सिर्फ तीन अरबपति ही अतिवाद बेच रहे हैं.

राहुल गांधी को सपोर्ट करेंगे फवाद चौधरी !

यह पूछे जाने पर कि क्या आप राहुल गांधी को प्रमोट करेंगे? फवाद चौधरी दो टूक बोले, "मैं हर उस व्यक्ति को समर्थन दूंगा, जो सही बात कहता है...फिर चाहे वह राहुल गांधी हों या कोई और हो. भारत के ढेरों पत्रकार सही बात कहते हैं और इसलिए मैं उन्हें भी सपोर्ट करता हूं." फवाद चौधरी के मुताबिक, अधिकारों की बात सार्वभौमिक है. चाहें इंडिया में कोई करे या कहीं और उसे सही कहा जाना चाहिए. 

PM नरेंद्र मोदी ने मुद्दा बना कांग्रेस को घेरा  !

राहुल गांधी पर फवाद चौधरी के बयान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को घेरा. उन्होंने कहा, "कांग्रेस इस देश में कमजोर हो गई है...माइक्रोस्कोप से देखने के बाद भी हमें उसका नामो-निशान नहीं मिलता है. आप देखिए, कांग्रेस खत्म होती जा रही है...दूसरी तरफ पाकिस्तान बिलख रहा है. पाकिस्तानी नेता भी शहजादा (राहुल गांधी के संदर्भ में) को हिंदुस्तान का पीएम बनाने के लिए दुआएं मांग रहे हैं. हो सकता है कि आपने यह कल भी देखा हो...हम सबको पता कि कांग्रेस पाकिस्तान की पार्टनर (साझेदार) है और उनकी साझेदारी बेनकाब हो गई है.

G News 24 : सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस के मास्टरमाइंड,गोल्डी बराड़ की हुई अमरीका मेंहत्या !

 गोल्डी बराड़ की हत्या की जिम्मेदारी गैंगस्टर अर्श डल्ला और लखबीर ने ली ...

सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस के मास्टरमाइंड,गोल्डी बराड़ की हुई अमरीका में हत्या ! 

चंडीगढ़। पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मास्टरमाइंड गोल्डी बराड़ की अमेरिका में हत्या की चर्चा है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इसको लेकर चर्चा बनी हुई है। हालांकि, अभी तक किसी जांच एजेंसी या अंबेसी ने इसकी पुष्टि नहीं की है। गैंगस्टर गोल्डी बराड़ की हत्या की जिम्मेदारी गैंगस्टर अर्श डल्ला और लखबीर ने ली है। एक अमेरिकी न्यूज चैनल ने दावा किया कि अमेरिका के फेयरमोंट और होल्ट एवेन्यू में बीते मंगलवार को शाम 5:25 बजे गोलियां मारकर गोल्डी बराड़ की हत्या कर दी गई। गोल्डी बराड़ अपने एक साथी के साथ घर के बाहर गली में खड़ा था। इसी दौरान कुछ बदमाश आए और गोलियां मारकर भाग गए। लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, इस वजह से माना जा रहा है कि गोल्डी बराड़ की हत्या पर संशय है।

गोल्डी बराड़ पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब का रहने वाला था। गोल्डी बराड़ के चचेरे भाई गुरलाल बराड़ की चंडीगढ़ में हत्या की गई थी। गुरलाल को इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 स्थित एक क्लब के बाहर 11 अक्टूबर, 2020 की रात गोली मारी गई थी। वह पंजाब यूनिवर्सिटी का छात्र नेता था। लॉरेंस बिश्नोई भी पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संघ सोपू से जुड़ा हुआ था। गुरलाल बराड़ लॉरेंस बिश्नोई का सबसे करीबी बताया जाता था। गुरलाल बराड़ और लॉरेंस स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी-सोपू से जुड़े रहे। गुरलाल बराड़ की हत्या के बाद से लॉरेंस गैंग ने अपने विरोधी गैंग से बदला लेना शुरू किया, जिसके बाद चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा में कई गैंगवॉर हुईं। इनमें 12 से अधिक नामी गैंगस्टर मारे जा चुके हैं। गुरलाल बराड़ की हत्या के बाद उसका भाई गोल्डी बराड़ लॉरेंस और जग्गू भगवानपुरिया के संपर्क में आया। गैंग को जिंदा रखने और विरोधी गैंग से बदला लेने के लिए गोल्डी कनाडा भाग गया। यहां से ही गोल्डी बराड़ और लॉरेंस ने सिद्धू मूसेवाला हत्या की साजिश रची। गोल्डी ने अपने भाई के कत्ल के आरोपी जिला यूथ कांग्रेस अध्यक्ष गुरलाल सिंह पहलवान की फरीदकोट में 8 फरवरी, 2021 को गोली मारकर हत्या कर दी। इस हत्या के बाद गोल्डी कनाडा भाग गया था।

केंद्र ने घोषित किया था आतंकी

गैंगस्टर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी हुआ था। गैंगस्टर गोल्डी बराड़ को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकी घोषित किया है। उसके खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) से कनेक्शन सामने आए थे। गोल्डी बराड़ को कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का राइट हैंड बताया जाता रहा है। वह पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के कत्ल के बाद सुर्खियों में आया था। गोल्डी बराड़ पंजाब पुलिस के रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर का बेटा है।

पंजाब पुलिस में थे बराड़ के पिता

गोल्डी बराड़ का असली नाम सतिंदरजीत सिंह है। जन्म 1994 में पंजाब के मुक्तसर साहिब जिले में हुआ। बता दें कि गोल्डी बराड़ के पिता पंजाब पुलिस से रिटायर्ड उप निरीक्षक हैं। 

मई 2022 में हुई थी मूसेवाला की हत्या

29 मई 2022 को पंजाब के मानसा जिले के जवाहरके गांव के पास पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या की जिम्मेदारी गोल्डी बराड़ ने ली थी। गोल्डी ने हत्या की वजह भी बताई थी। गोल्डी के मुताबिक मोहाली में मिड्डूखेड़ा की हत्या में शामिल लोगों को मूसेवाला के मैनेजर ने आश्रय दिया था। बाद में मूसेवाला ने अपने मैनेजर की मदद की। इसी रंजिश में लॉरेंस गैंग ने मूसेवाला की हत्या की। पंजाब के मुक्तसर जिले के मलौट में रणजीत सिंह उर्फ राणा सिद्धू की हत्या में भी गोल्डी बराड़ शामिल था। हत्याओं से शुरु हुआ अपराध का यह सिलसिला अभी तक जारी है। 

G News 24 : डॉक्टरों ने महिला को सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट कर बचाई जान !

 मौत की दहलीज पर खड़ी थी महिला...

डॉक्टरों ने महिला को सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट कर बचाई जान !

                                                                            सांकेतिक तस्वीर 

न्यूयॉर्क। मौत की दहलीज पर खड़ी एक महिला के लिए डॉक्टर उस वक्त भगवान बन गए, जब उन्होंने सारी उम्मीदें तोड़ चुकी और अपनी आखिरी सांसें गिन रही महिला को फिर से जीवनदान दे दिया। बता दें कि यह महिला किडनी रोग से ग्रस्त थी। महिला की दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया था। कोई दूसरी किडनी उसके लिए उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में महिला मरीज की सांसें उखड़ने ही वाली थीं, मगर अमेरिकी डॉक्टरों ने उसमें सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट कर कमाल कर दिया। 

अमेरिका में डॉक्टरों ने न्यूजर्सी की एक मरणासन्न महिला के शरीर में सुअर की किडनी प्रतिरोपित कर और यांत्रिक तरीके से उसकी धड़कनें चलाकर उसकी जान बचाई है। यह चिकित्सा जगत में किसी बड़े चमत्कार से कम नहीं है। लिसा पिसानो नामक महिला के हृदय और गुर्दे ने काम करना बंद कर दिया था और वह इतनी अस्वस्थ हो गई थी कि परंपरागत अंग प्रतिरोपण संभव नहीं था। ‘एनवाईयू लैंगोन हेल्थ’ चिकित्सा संस्थान के डॉक्टरों ने एक अनोखा तरीका निकाला जिसमें महिला के दिल की धड़कन बनाए रखने के लिए एक यांत्रिक पंप लगाया और कुछ दिन बाद आनुवंशिक रूप से संवर्धित सुअर की एक किडनी प्रतिरोपित की गई।

मैसाचूसेट्स के जनरल अस्पताल में हुआ प्रत्यारोपण

महिला में किडनी का यह प्रत्यारोपण आसान नहीं था। मगर पिछले महीने मैसाचूसेट्स जनरल अस्पताल में उनकी प्रतिरोपण सर्जरी की गई। एनवाईयू की टीम ने बुधवार को घोषणा की कि पिसानो की सेहत में सुधार हो रहा है। वह दूसरी महिला हैं जिनके शरीर में सुअर की किडनी लगाई गई है। पिसानो ने कहा, ‘‘मेरी सारी उम्मीदें खत्म हो गई थीं। मैंने एक कोशिश करके देखी थी।

G News 24 : पाकिस्तान के कानून मंत्री ने संसद में बोला सच,रावी नदी पर भारत का अधिकार !

हम उसके खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट नहीं जा सकते...

पाकिस्तान के कानून मंत्री ने संसद में बोला सच,रावी नदी पर भारत का अधिकार !

सिंधु जल संधि को पहली बार पाकिस्तान के कानून मंत्री को देश की  पाकिस्तान संसद में सच बताना पड़ा. पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने कहा है कि रावी नदी पर भारत का अधिकार है और हम उसके खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट नहीं जा सकते. यह संधि पाकिस्तान को कानूनी रूप से बाध्य करती है कि वह पड़ोसी देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में न जाए. तरार ने पाकिस्तानी संसद में एक चर्चा के दौरान कहा, पाकिस्तान और भारत के बीच एक जल संधि है. रावी नदी के पानी का अधिकार भारत का है और हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते. दरअसल, मंगलवार को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सिंधु जल संधि को लेकर सवाल पूछा गया था. इसमें पूछा गया कि  रावी नदी पर भारत की आक्रामकता को लेकर पाकिस्तान सरकार क्या कर रही है? इसपर पाकिस्तान के कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने कहा कि पाकिस्तान और भारत के बीच एक जल संधि है, हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते. इस मुद्दे पर भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत का सहारा भी नहीं लिया जा सकता

कानूनी मुद्दों का न हो राजनीतिकरण

उन्होंने कहा, दोनों देशों के बीच 1960 में सिंधु जल संधि हुई थी. इसके तहत भारत रावी, सतलज और ब्यास नदियों के पानी पर दावा करता है. संसद के निचले सदन में नोटिस पेश करने वाले जरताज गुल ने तरार पर प्रहार करते हुए कहा कि आज कानून मंत्री ने रावी नदी पर भारत का अधिकार स्वीकार कर लिया है, जो खेदजनक है. इस पर कानून मंत्री ने कहा कि कानूनी मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. जो सच है, वह बताया जा रहा है.

दोनों देशों ने किए थे जल संधि पर हस्ताक्षर

कानून मंत्री ने कहा, सिंधु जल संधि पर दोनों देशों ने 1960 में हस्ताक्षर किए थे. वहीं, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने शाहपुर कंडी बैराज के पूरा होने के साथ रावी नदी से पाकिस्तान की ओर पानी रोक दिया है. शाहपुर कंडी बैराज पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर है. रावी से जम्मू और कश्मीर को अब 1,150 क्यूसेक पानी मिलेगा, जो पहले पाकिस्तान को दिया गया था. इसलिए पाकिस्तान की संसद में यह मुद्दा चर्चा का विषय बना रहा.

G News 24 : पाकिस्तानी लड़की के सीने में धड़केगा 'भारत का दिल'

 19 साल की आयशा रशन को बॉर्डर पार भारत में मिली नई जिंदगी...

पाकिस्तानी लड़की के सीने में धड़केगा 'भारत का दिल'

                                                                           सांकेतिक तस्वीर 

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर दोनों देशों के बीच समय-समय पर टेंशन बढ़ती रहती है जो अभी कायम है  लेकिन इन सबके बीच एक और तस्वीर है जो मानवता को दिखाती है. पाकिस्तान की आयशा रशन (19) पिछले 10 साल से हार्ट की बीमारी से पीड़ित थीं. जो कि साल 2014 में इलाज के लिए भारत आई थीं. डॉक्टरों ने पेस मेकर लगाकर उन्हें कुछ समय के लिए राहत दी, लेकिन उन्हें फिर परेशानियों का सामना करना पड़ा. इसके बाद डॉक्टरों ने उसके परिवार को हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी. पाकिस्तानी लड़की आयशा रशन की किस्मत पलटी और भारतीय डॉक्टरों ने उसकी जिंदगी बदल दी. चेन्नई स्थित एमजीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल में तैनात इंस्टीट्यूट ऑफ हार्टएंड लंग ट्रां सप्लांट के डायरेक्टर डॉ. केआर बालाकृष्णन और को-डायरेक्टर डॉ. सुरेश राव ने फ्री में सर्जरी करने की पेशकश की. 

भारत से इस तरह जगी उम्मीद

चेन्नई स्थित एमजीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है, क्योंकि आयशा के हार्ट पंप में लीकेज हो गया था, जिसके चलते उसे एक्स्ट्रा कार्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन सिस्टम पर रखा गया था. परिवार के लोगों का कहना था कि आयशा के हार्ट प्लांट को बदलने के लिए करीब 35 लाख रुपए की जरूरत थी. मगर, उनके पास पैसों की आर्थिक तंगी थी. जिसको लेकर अस्पताल के डॉक्टरों ने परिजनों की ऐश्वर्यम ट्रस्ट से मुलाकात करवाई, जिन्होंने आयशा की आर्थिक मदद का भरोसा दिया.

हालांकि, आयशा को पिछले 6 महीने पहले हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए एक डोनर मिला. जिसके बाद परिवार के लोगों की उम्मीद जगी. इसके बाद डोनर के हार्ट को दिल्ली से लाया गया. इसके बाद चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर ने आयशा की हार्ट ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन मुफ्त में किया था.

पाकिस्तान से बेहतर इलाज की सुविधाएं हैं भारत में

इस दौरान आय़शा के परिवार वालों का कहना है कि वो फैशन डिजायनर बनना चाहती है. उधर, आय़शा ने अपने हार्ट के ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन होने पर कहा, "मैं दिल पाकर बहुत खुश हूं. मैं इसके लिए भारत सरकार को यहां के डॉक्टरों को शुक्रिया कहती हूं." जबकि, आयशा की मां ने बताया कि जब आयशा को भारत लाया गया तो उसके जिंदा बचने के चांस महज 10% थे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से बेहतर इलाज की सुविधाएं भारत में हैं.  

भारत में ऑपरेशन और सहायता के लिए के लिए मां ने दिया धन्यवाद

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में डॉक्टरों ने कहा कि वहां ट्रांसप्लांट की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है तो हमने डॉ. केआर बालाकृष्णन से संपर्क किया. जिसके चलते मैं इलाज के लिए भारत सरकार और डॉक्टरों को धन्यवाद देती हूं. भारत और यहां के डॉक्टर बहुत शानदार हैं. वहीं, डॉ. केआर बालाकृष्णन ने कहा कि आयशा मेरी बेटी की तरह है. वैसे भी हमारे लिए हर जिंदगी मायने रखती है.

G News 24 : आज नजर आएगा Pink Moon गुलाबी चाँद

 पिंक मून को फसह का चांद भी कहा जाता है...

आज नजर आएगा Pink Moon गुलाबी चाँद 

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल का पहला महीना चैत्र महीना होता है. चैत्र के महीने में पूर्णिमा के दिन ही पिंक मून नजर आने वाला है. इस साल चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima) 23 अप्रैल, मंगलवार के दिन पड़ रही है और इसी दिन शाम को आकाश में पिंक मून का नजारा देखने को मिलेगा. पिंक मून असल में पूरी तरह गुलाबी दिखाई नहीं देता है बल्कि यह आम चांद की तरह ही सिल्वर और गोल्डन रंग का नजर आता है. इस पिंक मून को इसका नाम पूर्व अमेरिका में पाए जाने वाले एक हर्ब मॉस पिंक के नाम पर रखा गया है.

चैत्र पूर्णिमा पर पिंक मून 

इस साल चैत्र पूर्णिमा की शुरूआत 23 अप्रैल, मंगलवार की सुबह 3 बजकर 25 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 24 अप्रैल, बुधवार को 5 बजकर 18 मिनट पर होगा. 23 अप्रैल के दिन ही पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. 

पिंक मून के और नाम 

पिंक मून को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इसे स्प्राउटिंग ग्रास मून, एग मून, फिश मून, फसह मून, पक पोया और फेस्टिवल मून के नाम से भी जाना जाता है. वहीं, चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम (Chaiti Punam) भी कहते हैं. इसी दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है. 

कब दिखता है पिंक फुल मून 

पिंक फुल मून तब दिखता है जब 2 घटनाएं एकसाथ होती हैं. जब चांद धरती के करीब हो और उसी समय पूर्णिमा हो तो पिंक फुल मून (Pink Full Moon) होता है. इस पूर्णिमा के दिन आकाश में यही नजारा दिखने वाला है. 

चांद के अलग-अलग रंग 

पिंक मून के अलावा भी चांद पूर्णिमा के दिन अलग-अलग रंगों का नजर आ सकता है. कई बार प्रदूषण के कारण चांद का रंग नारंगी या फिर पीला दिख सकता है. इसके अलावा हवा में मौजूद कण चांद का रंग बदला हुआ दिखाते हैं और चांद भूरे रंग का दिख सकता है. चांद का सबसे साफ रंग चमकीला होता है जो साफ आकाश में दिखता है.

G News 24 : संसद की सुरक्षा की खुल गई पोल,सांसदों के जूते हो गए चोरी !

 पाकिस्तान में अनोखा खौफ ! संसद में घुसे जूता चोर !

संसद की सुरक्षा की  खुल गई पोल,सांसदों के जूते हो गए चोरी ! 

पाकिस्तान की एक बार फिर बेइज्जती हो गई है.संसद से सांसदों के जूते चोरी हो गए .पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान एक अनोखे खौफ से परेशान है. दरअसल, पाकिस्तान की संसद में जूता चोर घुस गए और एक दर्जन से ज्यादा जूते चोरी हो गए. जिस संसद को पूरे पाकिस्तान में सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है, जहां बाहरी आदमी घुस भी नहीं सकता आखिर उस पाकिस्तानी संसद में जूते कैसे चोरी हो गए. और सबसे बड़ी बात है कि जूते चोरी किसने किए. क्या है संसद में जूता चोरों के खौफ का पूरा मामला, आइए इसके बारे में जानते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में पार्लियामेंट हाउस की मस्जिद से नमाजियों के जूते चोरी हुए हैं. संसद के स्पीकर ने जूते चोरी होने पर नोटिस दिया है. संसद के सुरक्षा अधिकारियों को जूते चोरी की जांच का आदेश दिया है. स्पीकर ने हिदायत दी है कि CCTV में देखकर चोरों का पता लगाया जाए.

पाकिस्तान की संसद में जूता चोर कहां से आ गए !

इस्लामाबाद से खबर है कि जूते चोर पार्लियामेंट हाउस में भी पहुंच गए. पार्लियामेंट हाउस की मस्जिद भी जूता चोरों से महफूज नहीं है. चोर असेंबली के डायरेक्टर जनरल मीडिया और एक सहाफी के भी जूते ले उड़े. पाकिस्तानी एक्सपर्ट साजिद तारड़ ने कहा कि सांसद और लॉ मेकर्स के मस्जिद में जूते चोरी हुए हैं. उनमें कुछ जर्नलिस्ट भी हैं. कुछ मेंबर ऑफ पार्लियामेंट हैं, जिनके जूते चोरी हुए हैं. मैं तो पहले भी कहता आया हूं कि आप खुदा के घर को नहीं बख्शते, जूते तो एक चीज है. वहां एक गिलास महफूज नहीं हैं, पंखे चोरी होते हैं.

जामिया मस्जिद के बाहर से कैसे हुई चोरी !

जान लें कि पाकिस्तान की संसद के अंदर जामिया मस्जिद है, जिसमें पाकिस्तान के सांसद, सुरक्षाकर्मी और पत्रकार नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं. शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ने के दौरान सैकड़ों लोग मस्जिद के बाहर अपने कीमती जूते उतारकर नमाज अदा करने गए थे. जब वो वापस लौटे तो एक दर्जन से ज्यादा लोगों के जूते-चप्पल गायब थे. इनमें पत्रकार, संसद के बड़े अफसर और कुछ सांसदों के जूते थे.

मजाक बनी पाकिस्तान की सिक्योरिटी

पाकिस्तान के लोग अब मजाक-मजाक में जूता चोरी होने से बचाने की तरकीब भी बता रहे हैं. पाकिस्तानी एक्सपर्ट साजिद तारड़ ने कहा कि अगर आपके पास कीमती जूता है तो एक जूता बाहर छोड़ दें, एक जगह एक जूता छोड़ दें और दूसरा कहीं छिपा दें. चोर भाईजान एक जूता चोरी नहीं करता दोनों जूता चोरी करता है. या एक जूता रखकर दूसरा जूता साथ ले जाएं आप जहां जा रहे हैं.

पाकिस्तानी संसद की सुरक्षा की पोल खुली

जूता चोरी से पार्लियामेंट हाउस की सिक्योरिटी की पोल खुल गई है. नमाज-ए-जुमा के बाद मस्जिद के बाहर से नमाजियों की जूतियां चोरी हो गई. पत्रकार और सांसदों समेत 12 लोगों के जूतियां चोरी हो गईं. इससे पार्लियामेंट हाउस की सिक्योरिटी की पोल खुल गई है.

जूता चोर से परेशान पाकिस्तान

वैसे अभी तक पाकिस्तान भिखारियों से परेशान था. अब पाकिस्तान जूता चोरों से परेशान हैं. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने संसद में जूता चोरी के पीछे भिखारी माफियाओं का हाथ होने की आशंका जताई है. ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि पाकिस्तान में भिखारियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है.

पाकिस्तान को लगी शहबाज की 'आदत' !

दिन-ब-दिन पाकिस्तान में भिखारियों की तादाद बढ़ती जा रही है. हमें हर चौक पर, चौराहे पर भीख मांगने वाले दिखाई देते हैं. एक नहीं, दो नहीं, 20-25 लोग खड़े होते हैं. अगर देखा जाए तो भिखारियों की तादाद पाकिस्तान के अंदर काफी हो चुकी है, उसकी वजह ये है कि यहां पर बेरोजगारी बहुत ज्यादा है. अच्छे-भले बिल्कुल कमाने लायक लोग भी मांगना शुरू हो गए हैं. पाकिस्तान की बीते कुछ सालों में अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है. जिसकी वजह से वहां की जनता महंगाई और बेरोजगारी की मार झेल रही है. इन वजहों से पाकिस्तान की जनता ने दो चीजों पर फोकस किया है. पहला भिखारी बनना और दूसरा जूता चोरी करना. पाकिस्तान में तो भीख मांगना एक बड़ा बिजनेस बन चुका है.

जान लें कि पाकिस्तान में ढाई करोड़ से भी ज्यादा भिखारी हैं. जो वहां की आबादी का 11 फीसदी हैं. मतलब 100 में से 11 लोग भीख मांगकर अपना गुजर-बसर करते हैं. पाकिस्तान बड़ी संख्या में भिखारियों को एक्सपोर्टर भी है. सऊदी अरब, UAE और इराक में पाकिस्तानी भिखारी पकड़े जा चुके हैं. दुनियाभर में गिरफ्तार होने वाले भिखारियों में से 90% लोग पाकिस्तानी होते है .

G News 24 : "चिंता मत करिए. पीओके हमारा था, है और हमेशा रहेगा : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

 PoK पर राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश...

 "चिंता मत करिए. पीओके हमारा था, है और हमेशा रहेगा : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत की ताकत बढ़ रही है और जल्द ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर POK के लोग खुद ही भारत में आने की मांग करने वाले हैं. रक्षा मंत्री ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए साफ कर दिया कि पीओके भारत का हिस्सा है, था और हमेशा रहेगा. लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की तरफ से लगातार रैलियां हो रही हैं. इसी कड़ी में बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ यहां पहुंचे थे. 

राजनाथ सिंह ने रविवार (21 अप्रैल) को कहा, "चिंता मत करिए. पीओके हमारा था, है और हमेशा रहेगा. भारत की ताकत बढ़ रही है. दुनियाभर में भारत की प्रतिष्ठा भी बढ़ रही है. हमारी अर्थव्यवस्था भी तेजी के साथ बढ़ रही है." उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए आगे कहा, "अब पीओके में हमारे भाई-बहन खुद भारत के साथ आने की मांग करेंगे. बता दें कि दार्जिलिंग से पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की हवाई दूरी 1642 किमी है. वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ से पहले केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह भी पीओके को लेकर ऐसी बातें कह चुके हैं. 

पीओके भारत का अभिन्न अंग: अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले महीने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है और वहां रहने वाले हिंदू-मुस्लिम दोनों ही भारतीय हैं. उन्होंने इंटरव्यू में कहा था, "बीजेपी और पूरी संसद का मानना ​​है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है. पीओके में रहने वाले मुस्लिम और हिंदू भी भारतीय हैं और वह जमीन भी भारत की है, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है. इसे वापस पाना हर भारतीय, हर कश्मीरी का लक्ष्य है.

दार्जिलिंग में 26 अप्रैल को चुनाव के दूसरे चरण के तहत वोटिंग होने वाली है

पश्चिम बंगाल की तीन लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल को चुनाव के दूसरे चरण के तहत वोटिंग होने वाली है. इसमें दार्जिलिंग, रायगंज और बलूरघाट शामिल हैं. उत्तर बंगाल की इन तीन सीटों पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. दार्जिलिंग से बीजेपी के राजू बिस्ता सांसद हैं. बीजेपी ने एक बार फिर से उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें दोबारा दार्जिलिंग से मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला यहां तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के गोपाल लामा से है. 

G.NEWS 24 : भारत में Tesla की फैक्ट्री लगाएंगे एलन मस्क

शोरूम के लिए लोकेशन की तलाश शुरू...

भारत में Tesla की फैक्ट्री लगाएंगे एलन मस्क

नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला के मालिक एलन मस्क अगले हफ्ते अपने पहले भारत दौरे पर आ रहे हैं. मस्क प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. इस दौरान वह भारत में टेस्ला की फैक्ट्री लगाने के लिए 2 से 3 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान भी करने वाले हैं. न्यूज एजेंसी 'रॉयटर्स' ने मामले से जुड़े दो सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, एलन मस्क सोमवार (22 अप्रैल ) को पीएम मोदी से मिलेंगे. उम्मीद है कि इसी दौरान वे दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऑटो मार्केट में टेस्ला की एंट्री की घोषणा करेंगे. न्यूज एजेंसी 'रॉयटर्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, टेस्ला ने पहले ही नई दिल्ली और मुंबई में शोरूम के लिए लोकेशन की तलाश शुरू कर दी है. उसकी बर्लिन फैक्ट्री राइट-हैंड ड्राइव कारों का प्रोडक्शन कर रही है. 

कंपनी ने इन्हें इस साल के आखिर में भारत में निर्यात करने का टारगेट रखा है. सूत्रों ने बताया कि एलन मस्क स्पेस स्टार्टअप के साथ नई दिल्ली में भारत सरकार द्वारा आयोजित एक प्रोग्राम में भी शामिल हो सकते हैं. बता दें कि मस्क अमेरिकी स्पेस कंपनी SpaceX और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) के भी मालिक हैं. कई सालों से मस्क इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर भारत के हाई इंपोर्ट टैक्स का विरोध करते रहे हैं. वो इसे बदलने की पैरवी कर रहे थे. एक महीने पहले भारत सरकार ने EV पॉलिसी में बदलाव किया था. नई पॉलिसी के अनुसार, कुछ मॉडल्स के इंपोर्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी 100% से घटाकर 15% कर दिया गया था. इसके लिए निवेशकों को कम से कम 50 मिलियन डॉलर (करीब 4,172 करोड़ रुपये) निवेश करना होगा. सरकार के इस नई पॉलिसी से लंबे समय से भारत में आने का रास्ता तलाश रही अमेरिकी बिजनेसमैन एलन मस्क की EV कंपनी टेस्ला के लिए भारत में एंट्री आसान हो गई. 

मस्क ने इस हफ्ते X पर कहा था कि भारत में इलेक्ट्रिक कारें होनी चाहिए जैसे कि हर दूसरे देश में हैं. भारत में टेस्ला इलेक्ट्रिक व्हीकल उपलब्ध कराना जरूरी हो गया है. मस्क ऐसे समय भारत आ रहे हैं, जब यहां चुनाव होने हैं. वहीं, इस समय अमेरिकी और चीनी बाजारों में EV की मांग धीमी हुई है. चीनी व्हीकल्स से भी टेस्ला को कॉम्पिटिशन मिल रहा है. भारत का  EV मार्केट अभी छोटा है, लेकिन ये तेजी से बढ़ रहा है. यहां अभी स्थानीय कार निर्माता टाटा मोटर्स का दबदबा है. 2023 में कुल कार बिक्री में EV की हिस्सेदारी सिर्फ 2% थी. सरकार का इसे 2030 तक 30% तक पहुंचाने का लक्ष्य है. पीएम मोदी और एलन मस्क अब तक 2 बार मिल चुके हैं. दोनों कि 2015 में कैलिफोर्निया में टेस्ला फैक्ट्री में मुलाकात हुई थी. इसके बाद जून 2023 में दोनों न्यूयॉर्क में मिले थे.

G.NEWS 24 : वैज्ञानिकों ने खोजा अब तक का सबसे बड़ा ब्लैक होल

जिसका द्रव्यमान सूर्य से 33 गुना अधिक है...

वैज्ञानिकों ने खोजा अब तक का सबसे बड़ा ब्लैक होल

मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, खगोलविदों ने आकाशगंगा में अब तक खोजे गए सबसे बड़े तारकीय ब्लैक होल की पहचान कर ली है, जिसका द्रव्यमान सूर्य से 33 गुना अधिक है। इसका नाम Gaia BH3 रखा गया है। इस नाम के ब्लैक होल की खोज यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के Gaia मिशन द्वारा एकत्र किए गए डेटा से अचानक "संयोग से" की गई थी, ऑब्जर्वेटोएरे डी पेरिस में नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च (सीएनआरएस) के एक खगोलशास्त्री पास्क्वेले पैनुज़ो ने एएफपी न्यूज एजेंसी को बताया। Gaia, जो मिल्की वे आकाशगंगा का सबसे बड़ा ब्लैक होल है, वह एक्विला तारामंडल में पृथ्वी से BH3 2,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।

चूंकि Gaia की दूरबीन आकाश में तारों की सटीक स्थिति दे सकती है, खगोलविद उनकी कक्षाओं को चिह्नित करने और तारों के अदृश्य द्रव्यमान को मापने में सक्षम थे, उन्होंने पता लगाया कि ऐसा बड़ा ब्लैकहोल है जो सूर्य के द्रव्यमान का 33 गुना ज्यादा बड़ा है। उन्होंने बताया कि ज़मीन पर मौजूद दूरबीनों से देखे जाने के बाद यह पुष्टि हुई कि यह एक ब्लैक होल था जिसका द्रव्यमान आकाशगंगा में पहले से मौजूद तारकीय ब्लैक होल से कहीं अधिक था। पनुज़ो ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "किसी को भी आस-पास छुपे हुए उच्च द्रव्यमान वाले ब्लैक होल को खोजने की उम्मीद नहीं थी, जिसका अब तक पता नहीं चला है। 

इस तरह की खोज आप अपने शोध जीवन में एक ही बार करते हैं।" तारकीय ब्लैक होल की खोज तब हुई जब वैज्ञानिकों ने इसकी परिक्रमा कर रहे एक साथी तारे पर एक "डगमगाती" गति देखी।  पनुज़ो ने कहा, "हम सूर्य से थोड़ा छोटा (अपने द्रव्यमान का लगभग 75 प्रतिशत) और अधिक चमकीला तारा देख रहे थे, जो एक अदृश्य तारे के चारों ओर घूम रहा था।" पानुज़ो ने कहा, तारकीय ब्लैक होल अपने जीवन के अंत में विशाल तारों के ढहने से बनते हैं और सुपरमैसिव ब्लैक होल से छोटे होते हैं जिनकी रचना अभी भी अज्ञात है। 

गुरुत्वाकर्षण तरंगों के माध्यम से दूर की आकाशगंगाओं में ऐसे दिग्गजों का पहले ही पता लगाया जा चुका है लेकिन यह अब भी कम ही है। उन्होंने बताया कि दरअसल, BH3 एक "निष्क्रिय" ब्लैक होल है और यह अपने साथी तारे से इतना दूर है कि इसका पदार्थ उससे अलग नहीं हो पाता है और इसलिए कोई एक्स-रे उत्सर्जित नहीं करता है - जिससे इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। Gaia की दूरबीन ने आकाशगंगा में पहले दो निष्क्रिय ब्लैक होल (गैया BH1 और गैया BH2) की पहचान की है। Gaia पिछले 10 वर्षों से पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर संचालित हो रहा है और 2022 में 1.8 बिलियन से अधिक सितारों की स्थिति और गति का 3डी मानचित्र भेज चुका है।

G.NEWS 24 : इजरायल पर ईरान के हमले से बदला मिडिल ईस्ट का गणित !

नई मुसीबत नहीं चाहते मुस्लिम देश...

इजरायल पर ईरान के हमले से बदला मिडिल ईस्ट का गणित !

इजरायल पर शनिवार रात के अंधेरे में हुए हमले को अब कई घंटे से भी ज्यादा का वक्त बीत गया है. पूरी दुनिया में अब इसकी खुल कर चर्चा हो रही है. इजरायल के पीएम गुस्से की आग में जल रहे हैं तो ईरान अपनी इस हरकत पर जश्न मना रहा है. इजरायल की सेना करीब 7 महीने से गाजा के मैदान में भी युद्ध लड़ रही है. मुस्लिम देशों की आंख की किरकिरी बन चुके इजरायल को शायद ही कोई मुस्लिम देश साथ देने की सोचता हो. लेकिन जिस तरह का हमला ईरान ने इजरायल पर बोला है, उसके बाद अब मुस्लिम देश दो फाड़ दिखाई दे रहे हैं. ईरान के हमले का मुस्लिम देश समर्थन कर रहे हैं तो कुछ मुस्लिम देश ऐसे भी हैं जिन्होंने ईरान के हमले की निंदा भी की. इनमें सबसे बड़ा और पहला नाम जॉर्डन है और दूसरा सऊदी अरब. 

खबरों के मुताबिक, जॉर्डन ने तो इजरायल के हमले के वक्त मिसाइलें ना केवल तैनात की, बल्कि ईरान के हमले को नाकाम करने के लिए अपनी अहम भूमिका निभाई. आसमान में उड़ती हुई मिसाइलें दिख रही हैं. लोग घबराये हुए हैं. जॉर्डन ने कबूल किया है कि उसने ईरान के कई ड्रोन हमलों को नाकाम किया है. जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान अल-सफ़ादी ने कहा, हम जॉर्डन के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वाले हर ड्रोन या मिसाइल का मुकाबला करते हैं ताकि जॉर्डन को कोई नुकसान न पहुंचे या जॉर्डनवासियों को खतरा न हो. ऐसा पहले भी हुआ था और जॉर्डन पर मिसाइलें गिरी थीं और जॉर्डन पर ड्रोन गिरे थे, यह एक निश्चित नीति है, वह सब कुछ जो जॉर्डन के लिए खतरा पैदा करता है. हम इसका मुकाबला कर रहे हैं. 

माना जा रहा है कि ईरान के हमलों की जहां सऊदी अरब ने निंदा की, वहीं अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इजरायल की मदद भी की है. यही वजह है कि इजरायली दावों के मुताबिक, 300 हवाई हमलों में से ज्यादातर को आसमान में ही तबाह कर दिया था. करीब 99 % हमले नाकाम किये गए. 170 ड्रोन को घुसने से पहले ही मार गिराया गया. 120 बैलिस्टिक मिसाइलें में से ज्यादातर को आसमान में ही तबाह कर दी गईं. 30 क्रूज मिसाइलों में से कोई भी इजरायल की जमीन को भेद नहीं पाया. इजरायल की मीडिया के मुताबिक, जॉर्डन के जेट विमानों ने उत्तरी और मध्य जॉर्डन से होकर इजरायल की ओर आने वाले दर्जनों ड्रोन को मार गिराया. 

जबकि इससे पहले गाजा युद्ध के दौरान जॉर्डन इजरायल के खिलाफ खड़ा रहा. जानकार मानते हैं कि अब स्थिति बदली हुई है.  सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने क्षेत्र में 'युद्ध के खतरों' को रोकने के लिए सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. वैसे साल 2023 में सऊदी अरब और ईरान के बीच संबंध सुधरने की खबर आई थी पर हकीकत में दोनों देश एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं. गाजा युद्ध के बाद भी कुछ इसी तरह की स्थिति बनी जब मुस्लिम देशों की दुनिया में दूरी बढ़ रही थी. अरब देश जहां पहले इजरायल के सख्त खिलाफ होकर फिलिस्तीन का समर्थन करते थे, अब उनके रुख में बदलाव आया है. हालत ये है कि हाल ही में इस्लामिक-अरब शिखर सम्मेलन में पेश किए गए एक प्रस्ताव को पास होने से रोक देने की खबर थी.  

सऊदी अरब के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात समेत 7 मुस्लिम देश इस प्रस्ताव के विरोध में खड़े हो गए. इनमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), जॉर्डन, मिस्र, बहरीन, सूडान, मोरक्को, मॉरिटानिया और जिबूती ने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था. साफ है मुस्लिम देश भी कोई नई मुसीबत मोल नहीं लेना चाहते. दूसरी ओर कई ऐसी वजह हैं जो ईरान हमले पर मुस्लिम देशों को बांट रही है. इनमें तीसरे विश्व युद्ध का खतरा, दुनिया में एक दूसरे पर बढ़ती निर्भरता, इजरायल की सैन्य क्षमता और आधुनिक हथियार और अमेरिका का दबाव शामिल है. खास बात ये भी है कि मुस्लिम देशों से घिरा इजरायल अकेला नहीं है. उसके पक्ष में अमेरिका समेत कई यूरोपिय देश भी हैं जो समय-समय पर उस पर मंडराते संकट से निपटने के लिए तैयार रहते हैं.

G News 24 : अचानक आई तबाही से 33 की मौत 27 लोग हुए घायल !

 अफगानिस्तान में अचानक आई बाढ़ ने मचाई तबाही...

अचानक आई तबाही से 33 की मौत 27 लोग हुए घायल !

अफगानिस्तान में भारी बारिश ने रौद्र रूप दिखाया है। भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई है। बारिश के बाद आई बाढ़ में कम से कम 33 लोगों की मौत हो गई है साथ ही 27 अन्य घायल हो गए हैं। तालिबान के प्रवक्ता अब्दुल्ला जनान सैक ने बताया कि राजधानी काबुल और कई प्रांतों में अचानक बाढ़ आ गई जिससे भारी नुकसान हुआ है। 

बारिश ने मचाई तबाही 

अब्दुल्ला जनान ने बताया कि बाढ़ की चपेट में आने से 600 से अधिक मकान या तो नष्ट हो गए हैं या फिर उन्हें नुकसान पहुंचा है। बारिश की वजह से करीब 200 मवेशियों की मौत हो गई है। सैक ने बताया कि बाढ़ से 800 हेक्टेयर कृषि भूमि भी नष्ट हो गई है और 85 किलोमीटर से अधिक की सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ के कारण पश्चिमी फराह, हेरात, दक्षिणी जाबुल और कंधार प्रांतों में सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है। अफगानिस्तान में फिलहाल बारिश से राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। मौसम विभाग ने अफगानिस्तान के 34 में से अधिकांश प्रांतों में आने वाले दिनों में और बारिश का अनुमान जताया है। 

बिगड़ रहा है मौसम का मिजाज 

अफगानिस्तान में इससे पहले भी प्राकृतिक आपदा में कई लोगों की जान जा चुकी है। इससे पहले फरवरी में पूर्वी अफगानिस्तान में भारी बर्फबारी के बाद हुए भूस्खलन में 25 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि मार्च में हुई तीन हफ्ते की बारिश में लगभग 60 लोग मारे गए थे। संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान चरम मौसम की स्थिति में बड़े बदलावों का अनुभव कर रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम का मिजाज बिगड़ रहा है।

G News 24 : सरबजीत के हत्यारे को अज्ञात बाइक सवार शूटरों ने पहुंचाया 72 हूरों के पास !

 34 साल पहले गलती से बॉर्डर पार कर गए थे ...

सरबजीत के हत्यारे को अज्ञात बाइक सवार शूटरों ने पहुंचाया 72 हूरों के पास !

पाकिस्तान पड़ोसी मुल्क होते हुए भी यह भारत के साथ हमेशा छल ही करता रहा है. आज जब सरबजीत का हत्यारा मारा गया तो पाकिस्तान के पापों की फाइल फिर खुल गई. सरबजीत के हत्यारे को उसके कर्मों की सजा मिली है! जिस हत्यारे को पाकिस्तान ने निर्दोष साबित कर दिया था उसे अज्ञात हमलावरों ने मार गिराया. इस वाकये ने सरबजीत के साथ पाकिस्तान में हुई बर्बरता के जख्म को एक बार फिर ताजा कर दिया है.  

सरबजीत की उम्र महज 26 साल थी..

निर्दोष सरबजीत का नाम जुबां पर आते ही पाकिस्तान पर गुस्सा आता है. क्योंकि सरबजीत सिर्फ एक किसान था और पाकिस्तान ने उसे आतंकवादी घोषित कर दिया... तब सरबजीत की उम्र महज 26 साल थी और वे गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे. इसके बाद उनकी जिंदगी जहन्नुम से भी बदतर हो गई.

सरबजीत ने एक चिट्ठी लिखी थी..

1990 में पाकिस्तान में गिरफ्तारी के बाद सरबजीत ने एक चिट्ठी लिखी थी और अपनी बेगुनाही के सबूत दिए थे. उन्होंने लिखा था कि उस रात में शराब के नशे में था. इतना नशे में था कि कब बॉर्डर पार कर गया.. बिल्कुल पता नहीं चला. वहां मुझे चेन से बांधकर पीटा गया. तब भी मुझे इतनी सुध नहीं थी कि मैं मुझे मारने वालों को पहचान पाऊं.

23 साल जेल में बिता दिए..

पाकिस्तान की अदालत ने सरबजीत को आतंकवादी घोषित कर दिया. उन्हें पाकिस्तान में हुए बम ब्लास्ट का हत्यारा करार देते हुए फांसी की सजा सुना दी. मामले पर विवाद इतना गहराया कि पाकिस्तान को सरबजीत की फांसी टालते रहना पड़ा. सरबजीत ने 23 साल जेल में बिता दिए. फिर पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में उनकी हत्या की साजिश रची गई.  

सरबजीत के हत्या की साजिश

मई 2013 में जेल में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के करीबी सहयोगी आमिर सरफराज ताम्बा ने अपने साथियों के साथ मिलकर सरबजीत पर जानलेवा हमला किया. उनके सिर पर लोहे की रॉड से वार किया गया. 6 दिन अचेत रहने के बाद सरबजीत सिंह ने लाहौर के जिन्ना अस्पताल में दम तोड़ दिया.

पाकिस्तान की झूठी कहानी

पाकिस्तान का दिल यहां भी नहीं पसीजा. पाकिस्तान ने बयान जारी कर कहा कि सरबजीत सिंह की दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई. आमिर पर सरबजीत सिंह की हत्या के आरोप तो लगे लेकिन कोर्ट ने उसे बरी कर दिया. सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने पाकिस्तान से उनकी रिहाई के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी लेकिन असफल रहीं.

 कर्मों का फल यहीं पर मिल जाता है : सरबजीत की बेटी स्वपनदीप कौर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरबजीत के हत्यारे अमीर सरफराज की हत्या पर सरबजीत की बड़ी बेटी स्वपनदीप कौर ने कहा कि कर्मों का फल यहीं पर मिल जाता है. उसे (अमीर सरफराज) उसके कर्मों की सजा मिली है. पाकिस्तान ने साजिश रचकर मेरे पापा (सरबजीत सिंह) की हत्या करवाई थी.. हो सकता है अब उसी साजिश के तहत अमीर सरफराज की भी हत्या करवाई हो.

G.NEWS 24 : ईरान ने इजरायल के जहाज के साथ 17 भारतीयों को भी बनाया बंधक !

ईरान द्वारा इजराइल पर हमले की आशंका...

ईरान ने इजरायल के जहाज के साथ 17 भारतीयों को भी बनाया बंधक !

शनिवार को यूएई तट पर ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने इजरायल का एक कंटेनर जहाज जब्त कर लिया. इस जहाज पर सवार 25 चालक दल के सदस्यों में से 17 भारतीय हैं. सूत्रों ने यह जानकारी दी. देश की सरकारी स्वामित्व वाली IRNA समाचार एजेंसी ने बताया कि कंटेनर जहाज MSC Aries को होर्मुज जलडमरूमध्य के पास एक "हेलिबॉर्न ऑपरेशन" चलाकर जब्त कर लिया गया था. अब यह जहाज ईरान के क्षेत्रीय जल की ओर बढ़ रहा है. एक सूत्र ने कहा, "हमें पता है कि ईरान ने मालवाहक जहाज 'MSC Aries' को अपने नियंत्रण में ले लिया है. जहाज पर 17 भारतीय नागरिक हैं. हम ईरान से राजनयिक चैनलों के माध्यम से भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, कल्याण और शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने के लिए संपर्क में हैं." 

जहाज के ऑपरेटर इतालवी-स्विस समूह एमएससी ने पुष्टि की कि इस जहाज पर ईरानी अधिकारी सवार थे. कंपनी ने एक बयान में कहा, "हमें यह पुष्टि करते हुए खेद है कि गोर्टल शिपिंग इंक के स्वामित्व वाली एमएससी एरीज (जो कि जोडिएक मैरीटाइम से संबद्ध है और एमएससी के लिए चार्टर्ड है) को ईरानी अधिकारियों ने हेलीकॉप्टर के माध्यम से जहाज पर चढ़ाया है. जहाज पर 25 चालक दल हैं और हम उनकी सुरक्षा और जहाज की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. ” मध्य पूर्व में बढ़े तनाव के बीच इस जहाज को जब्त किया गया है. 

ईरान द्वारा इजराइल पर हमले की आशंका है. ईरान ने लगभग दो सप्ताह पहले सीरिया के दमिश्क में अपने दूतावास के कांसुलर अनुभाग पर हवाई हमले के लिए जवाबी कार्रवाई की कसम खाई है. हवाई हमले में उसकी सेना के दो जनरलों समेत सात लोग मारे गये थे. ईरान ने कहा है कि यह जहाज इजरायल से संबंधित है. जहाज को जब्त करने के बाद इजरायली सेना ने क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने की चेतावनी दी. सैन्य प्रवक्ता डैनियल हगारी ने एक बयान में कहा, "ईरान को स्थिति को और अधिक बढ़ाने का परिणाम भुगतना होगा. ईरान दुनिया में आतंक को प्रायोजित करने वाला सबसे बड़ा राज्य है. 

इसके आतंक के नेटवर्क से सिर्फ इजरायल, गाजा, लेबनान और सीरिया के लोगों को ही खतरा नहीं है; ईरान का शासन यूक्रेन और उसके बाहर भी युद्ध को बढ़ावा देता है... इजरायल हाई अलर्ट पर है. बयान में कहा गया, ''हमने ईरानी आक्रमण से इजरायल को बचाने के लिए अपनी तैयारी बढ़ा दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा था कि उन्हें लगता है कि ईरान एक दिन इजरायल पर हमला करेगा. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, जब बाइडेन से शुक्रवार को पत्रकारों ने पूछा कि इजरायल पर ईरान कब हमला कर सकता है, तो उन्होंने कहा, "कोई पक्की जानकारी नहीं है, लेकिन जल्द होने की संभावना है."

G News 24 : 30 साल पहले हुआ था एक ऐसा नरसंहार जिसमें मार दिए गए थे 8 लाख लोग

 1994 में रवांडा में घटी थी ये भयानक घटना ...

30 साल पहले हुआ था एक ऐसा नरसंहार जिसमें मार दिए गए थे 8 लाख लोग

मध्य अफ्रीका का रवांडा एक छोटा देश है. 30 साल पहले 1994 में यहां भयंकर नरसंहार हुआ था जिसमें 8 लाख लोगों की जान चली गई थी. वहां के लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए और 1994 के उस भयानक हत्याकांड की याद में नई दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार को रवांडा के नेशनल फ्लैग के रंगों से जगमगाया गया. जुलाई 1994 में रवांडा में 100 दिनों तक चले खूनी नरसंहार के बाद विद्रोही गुट रवांडा पैट्रियोटिक फ्रंट (RPF) ने राजधानी किगाली पर कब्जा कर लिया था. अल जजीरा के मुताबिक, इस हिंसा में लगभग 8 लाख लोग मारे गए थे जिनमें ज्यादातर तुत्सी समुदाय के थे.

रवांडा में पहले सबसे ज्यादा 85 फीसदी आबादी हुतु समुदाय की थी. दूसरे नंबर पर आते थे तुत्सी जिनकी संख्या कुल आबादी का लगभग 15 फीसदी थी. सबसे कम आबादी वाले टवा समुदाय के लोगों की आबादी 1% से भी कम थी. इतिहासकारों का मानना है कि सबसे पहले रवांडा में टवा समुदाय के लोग आए थे. उनके कुछ ही समय बाद शायद 5वीं से 11वीं सदी के बीच हुतु समुदाय के लोग वहां आकर बस गए. फिर 14वीं सदी से शुरू होकर तुत्सी समुदाय के लोग वहां आने लगे.

हालांकि रवांडा में तीनों समुदाय रहते थे, लेकिन 16वीं सदी तक वहां हुतु बहुमत में थे. 16वीं सदी में ही तुत्सी समुदाय के लोगों ने मिलकर एक छोटा राजशाही राज्य बना लिया, जो 19वीं सदी में यूरोपियों के आने तक चला. रवांडा में रहने वाले हुतु और तुत्सी समुदाय के लोगों के बीच पहले बहुत बड़ा फर्क हुआ करता था. तुत्सी लोग ज्यादातर पशु पालते थे, उनके पास ढेर सारी गायें हुआ करती थीं. इस वजह से उनके पास दूध, घी जैसी चीजें ज्यादा होती थीं. वहीं हुतु लोग ज्यादातर खेती करते थे. इस फर्क की वजह से तुत्सी समाज हुतु समाज से ज्यादा अमीर और ताकतवर बन गया था. 

जब जर्मनी और बाद में बेल्जियम ने रवांडा पर कब्जा किया तो उन्होंने लोगों को एक नजर में देखकर ही ये तय करना शुरू कर दिया कि वो कौन से समुदाय से हैं. इस तरह जर्मनी (1898-1916) और फिर बेल्जियम (1919 के बाद) के राज में हुतु और तुत्सी के बीच का फर्क और ज्यादा बढ़ गया. उन्होंने पहले से ही ताकतवर तुत्सी राजा को और ताकत दे दी. देश पर तुत्सी समुदाय का राज चलने लगा.

जब रवांडा में दोनों समुदाय के बीच शुरू हुआ विद्रोह 

तभी कुछ हुतु लोगों को लगने लगा कि उन्हें भी तुत्सी के बराबर हक मिलना चाहिए. उनकी इस मांग को रोमन कैथोलिक धर्मगुरुओं और कुछ बेल्जियम के सरकारी लोगों ने भी जायज माना. इसी वजह से 1959 में हुटुओं ने विद्रोह कर दिया. ये विद्रोह एक अफवाह से शुरू हुआ था. 1 नवंबर 1959 को ये खबर फैली कि एक हुतु नेता को तुत्सी लोगों ने मार डाला है. इस खबर से गुस्साए हुतु लोगों ने तुत्सी समुदाय पर हमले कर दिए. कई महीनों तक हिंसा चलती रही, कई तुत्सी मारे गए या देश छोड़कर भाग गए. आखिरकार में 28 जनवरी 1961 को हुतु लोगों ने राजा का तख्ता पलट दिया. इस तख्तापलट के बाद रवांडा में तुत्सी राजशाही खत्म हो गई और रवांडा एक रिपब्लिक देश बन गया. नई सरकार में सिर्फ हुतु लोग थे और अगले ही साल रवांडा को आजादी मिल गई.

हुतुओं के राजा का तख्ता पलट करने के बाद भी शांति नहीं आई. 1959 से 1961 के बीच करीब 20,000 तुत्सी मारे गए और कई और देश छोड़कर भाग गए. साल 1964 की शुरुआत तक पड़ोसी देशों में कम से कम 1 लाख 50 हजार तुत्सी शरणार्थी बन चुके थे. इसके बाद भी कई बार हुतु और तुत्सी के बीच हिंसा होती रही. 1963, 1967 और 1973 में भी रवांडा में तुत्सी समुदाय के लोगों का कत्लेआम हुआ.

आखिर रवांडा में ये नरसंहार शुरू होने का कारण  !

1990 में फिर से हुतु और तुत्सी के बीच तनाव बढ़ गया. इस बार युगांडा से तुत्सी समुदाय के विद्रोही गुट रवांडा पैट्रियोटिक फ्रंट (RPF) ने रवांडा पर हमला कर दिया. 1991 की शुरुआत में युद्धविराम हुआ और बातचीत शुरू हुई. RPF और उस वक्त के हुतु राष्ट्रपति जुवेनल हब्यारिमाना के बीच 1992 में बातचीत शुरू हुई. ये लड़ाई 1993 में एक शांति समझौते तक चलती रही.

30 साल पहले ऐसा नरसंहार जिसमें मार दिए गए थे 8 लाख लोग

इस समझौते के तहत RPF को भी सरकार में शामिल किया जाना था, लेकिन कट्टरपंथी हुतु इस समझौते के बिल्कुल खिलाफ थे. उन्होंने न्यूज पेपर और रेडियो के जरिए पहले से ही तुत्सी समुदाय के खिलाफ नफरत फैला रखी थी. अब ये नफरत और बढ़ गई, जिसने बाद में भयानक नरसंहार का रूप ले लिया. 6 अप्रैल 1994 की शाम को रवांडा के राष्ट्रपति जुवेनल हब्यारिमाना और उनके पड़ोसी देश बुरुंडी के राष्ट्रपति सिप्रियन नटार्यामिरा का विमान हवा में मार गिरा दिया गया. विमान में सवार सभी लोग मारे गए. हालांकि ये कभी साफ नहीं हो पाया कि विमान पर हमला किसने किया, लेकिन हुतुओं के कुछ उग्रपंथियों ने इस हादसे का ठीकरा RPF पर फोड़ दिया.

उसी रात से हुतु राष्ट्रपति के उग्र समर्थकों ने तुत्सी और उदार हुतु समुदाय के लोगों को जान से मारना शुरू कर दिया. अगले दिन उदार हुतु समुदाय से आने वालीं रवांडा की प्रधानमंत्री अगते उविलिंगइयिमाना को भी मार दिया गया. साथ ही बेल्जियम के सैनिकों को भी मार दिया गया जो पहले से ही रवांडा में शांति बनाए रखने के लिए तैनात थे. इन हत्याओं का मकसद रास्ते में आने वाले सभी उदार हुतु और तुत्सी नेताओं को खत्म करना था. ताकि सरकार में कोई न रह जाए और हुतु गुटों का नेता कर्नल थियोनेस्टे बागोसोरा एक नई सरकार बना सके. थियोनेस्टे बागोसोरा को बाद में नरसंहार का मुख्य साजिशकर्ता माना गया.

ढूंढ ढूंढकर बेरहमी से लोगों को मार दिया गया

रवांडा में करीब 100 दिनों तक भयंकर नरसंहार चलता रहा. चारों तरफ खून-खराब, बेबसी और अराजकता का माहौल था. हर तरफ कत्लेआम हो रहा था. इस नरसंहार में रवांडा की सेना और हुतु गुटों के लड़ाके सबसे आगे थे. रेडियो पर भी लगातार ऐसी बातें फैलाई जा रहीं थीं, जिनसे हुतु लोगों को गुस्सा आता था. हालांकि कुछ हुतु ऐसे भी थे, जो नहीं चाहते थे कि ये सब हो, लेकिन सेना और हुतु गुटों के डर से उन्हें भी लोगों की जान लेनी पड़ी. उन्हें आमतौर पर कुल्हाड़ी या लाठी से बहुत ही बेरहमी से मारा जाता था. इस दौरान कई तुत्सी महिलाओं के साथ रेप भी किया गया. यहां तक कि उनमें से कुछ को जानबूझकर एचआईवी से संक्रमित भी किया गया.

30 साल पहले ऐसा नरसंहार जिसमें मार दिए गए थे 8 लाख लोग

सरकार के खिलाफ बोलने वालों की पहले से ही लिस्ट तैयार कर ली गई थी. ये लिस्ट हुतु गुटों के लड़ाकों को दे दी गई थीं. लड़ाके इन लिस्टों के आधार पर उन लोगों और उनके पूरे परिवारों को मार देते थे. यकीन करना मुश्किल है लेकिन कई लोगों ने अपने पड़ोसियों को ही मार डाला. कुछ शौहरों ने तो अपनी तुत्सी बीवियों को भी मार डाला. उनका कहना था कि अगर वो ऐसा नहीं करते तो उन्हें खुद को मार दिया जाता. उस वक्त रवांडा में पहचान पत्रों पर लोगों की जाति भी लिखी होती थी. हुतु गुटों के लड़ाकों ने सड़कों पर नाके लगाए और वहां से गुजरने वाले तुत्सी लोगों को पहचान पत्र दिखाने के लिए रोका. अगर वो तुत्सी होते थे तो उन्हें लाठी या कुल्हाड़ी से मार दिया जाता था. हजारों तुत्सी महिलाओं को अगवा कर लिया गया और उन्हें गुलाम बनाकर रखा गया.

हालात बिगड़ने पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने नरसंहार रोकने की कोशिश की !

हालात बिगड़ने पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने दोनों रवांडा में पक्षों में समझौता कराने की कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहा. इसके बाद यूएन ने एक अजीब फैसला लिया. उसने रवांडा में तैनात अपने सैनिकों की संख्या घटा दी. पहले वहां 2500 सैनिक थे, जिन्हें घटाकर सिर्फ 270 कर दिया गया. हालांकि 17 मई को संयुक्त राष्ट्र ने अपना फैसला बदल दिया. उसने अफ्रीकी देशों के करीब 5500 सैनिकों को लेकर एक नई फौज बनाने का फैसला किया.

30 साल पहले ऐसा नरसंहार जिसमें मार दिए गए थे 8 लाख लोग

22 जून को यूएन ने फ्रांस की अगुवाई वाले सैनिकों को रवांडा भेजने की इजाजत दे दी. इनका मकसद रवांडा में रहने वाले लोगों को सुरक्षा देना था. लेकिन रवांडा पैट्रियोटिक फ्रंट (RPF) इस ऑपरेशन के खिलाफ था. उसका कहना था कि फ्रांस हमेशा से रवांडा की सरकार और राष्ट्रपति हब्यारिमाना की नीतियों का समर्थन करता रहा है.इस कारण हुतु समुदाय की कट्टरपंथी सरकार आरपीएफ ने फ्रांस के सैनिकों को देश में आने की अनुमति नहीं दी. तब तक RPF ने पूरे देश के ज्यादातर हिस्सों पर अपना कब्जा कर लिया था. 4 जुलाई को राजधानी किगाली भी उनके कब्जे में आ गया था. 19 जुलाई को एक अस्थाई सरकार बनाई गई. इस सरकार में आरपीएफ नेता पाश्चर बिज़िमुंगु को राष्ट्रपति और पॉल कागमे को उप-राष्ट्रपति बनाया गया. इसके साथ ही ये भयानक नरसंहार खत्म हो गया.

G News 24 : आज लग रहा है साल का पहला सूर्यग्रहण,कई देशों में 4 मिनट के लिए छा जाएगा अंधेरा !

 इसरो का आदित्य एल1सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य के व्यवहार और किरणों पर रखेगा नजर ...

आज लग रहा है साल का पहला सूर्यग्रहण,कई  देशों में 4 मिनट के लिए छा जाएगा अंधेरा ! 

सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी 8 अप्रैल को एक ही रेखा में होंगे. इस दौरान सूर्य पर ग्रहण की वजह से दुनियाभर के कई देशों में अंधेरा छा जाएगा. इस दौरान इसरो का आदित्य एल1सूर्य के व्यवहार और किरणों पर नजर रखेगा. सूर्य ग्रहण पर नजर रखने के लिए नासा (NASA) ने भी खास तैयारी की है. नासा इस दौरान पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल पर सूर्य के प्रकाश में कमी के प्रभावों की जांच करने के लिए तीन साउंडिंग रॉकेट लॉन्च करेगा.

4 मिनट के लिए छा जाएगा अंधेरा

8 अप्रैल को पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाएंगे. दिन के समय में दुनियाभर के कई देशों में अंधेरा हो जाएगा, क्योंकि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक देगा. सूर्य कुल चार मिनट तक ढका रहेगा. हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा.

आदित्य एल1 दिखाएगा कमाल

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का पहला सौर मिशन आदित्य एल1 पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को ट्रैक करने की स्थिति में है. इससे इसरो को तारे के क्रोमोस्फीयर और कोरोना यानी किसी तारे के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत की अध्ययन करने में मदद मिलेगी.

ग्रहण के दौरान क्या करेगा आदित्य एल1

सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को ट्रैक करने के लिए आदित्य एल1 अपने छह उपकरणों में से दो का उपयोग करेगा. ये दो उपकरण हैं विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) और सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) हैं. इस दौरान, सूर्य का कोरोना (बाहरी परत) पृथ्वी से कुछ देर के लिए दिखाई देगा, क्योंकि चंद्रमा तारे को अवरुद्ध कर देगा. आम मौकों पर सूर्य का कोरोना (बाहरी परत) पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है.

इसरो का सूर्य मिशन आदित्य एल1

लॉन्च होने के चार महीने बाद आदित्य-एल1 इस साल की शुरुआत में 6 जनवरी को लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1 प्वाइंट) पर पहुंच गया. आदित्य एल1 मिशन छह उपकरणों से भरा हुआ है, क्योंकि यह लैग्रेंज प्वाइंट से सूर्य को ट्रैक और निरीक्षण करता है, जो पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है.

ग्रहण नहीं देख पाएगा आदित्य एल1

इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि आदित्य एल1 सैटेलाइट इस घटना का गवाह नहीं बन पाएगा, क्योंकि चंद्रमा अंतरिक्ष यान के पीछे लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1 बिंदु) पर है. इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा है कि आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान सूर्य ग्रहण नहीं देख पाएगा, क्योंकि चंद्रमा अंतरिक्ष यान के पीछे लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1 बिंदु) पर है. पृथ्वी पर दिखाई देने वाले ग्रहण का उस स्थान पर ज्यादा महत्व नहीं है.

G News 24 : भारत के 20 बड़े दुश्मनों का खत्मा, कनाडा से पाकिस्तान तक टेंशन !

 विदेशी धरती पर आतंकवादियों को खत्म करने का 3 देश,पैटर्न एक...

भारत के 20 बड़े दुश्मनों का खत्मा, कनाडा से पाकिस्तान तक टेंशन !

भारत की मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट में शामिल 20 से ज्यादा खूंखार आतंकवादी पिछले दो वर्षों में पाकिस्तान और कनाडा में  रहस्यमय तरीके से मारे जा चुके हैं. मारे गए सभी आतंकी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिजबुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े थे. हालांकि पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवादियों को पनाह देने की बात से इनकार करता रहा है, लेकिन इन आतंकियों की हत्या ने इस्लामाबाद के झूठ को उजागर किया है. इनमें से कई भारत में आतंकवादी हमलों में भी शामिल थे.  जैसे-जैसे ये आतंकवादी हत्यारों की गोलियों का शिकार होते गए, विभिन्न हलकों में सवाल उठने लगे कि पाकिस्तानी और कनाडाई धरती पर भारत के दुश्मनों को किसने मारा. हाल ही में ब्रिटेन के प्रमुख अखबार द गार्जियन ने अज्ञात भारतीय और पाकिस्तानी खुफिया संचालकों के हवाले से एक रिपोर्ट में इसे लेकर दावा किया है.

द गार्जियन ने भारत को लेकर किया था खुलासा !

द गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत सरकार ने विदेशी धरती पर आतंकवादियों को खत्म करने की एक व्यापक रणनीति के हिस्से के रूप में पाकिस्तान में हत्याओं का आदेश दिया. हालांकि विदेश मंत्रालय (एमईए) ने अखबार की इस रिपोर्ट का खंडन किया है और इसे झूठा और दुर्भावनापूर्ण भारत विरोधी प्रचार बताया था. पर रिपोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की इस छवि को पुख्ता किया है कि भारत की मौजूदा सरकार का पाकिस्तान या विदेश में किसी अन्य सुरक्षित पनाहगाह से पनपे आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस का दृष्टिकोण है. यह रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पीएम मोदी के उस बयान के करीब है, जिसमें उन्होंने बिहार में एक रैली में कहा था, "आज का भारत घर में घुस के मरता है." जैसा कि द गार्जियन की रिपोर्ट में आतंकवाद के प्रति भारत के निडर दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला गया है, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा विशेषज्ञ बता रहे हैं कि पिछले दो वर्षों में भारत की सर्वाधिक वांछित सूची में शामिल आतंकवादियों को पाकिस्तान और कनाडा में एक-एक करके कैसे मार दिया गया.

हर हत्या में एक ही पैटर्न !

पिछले साल नवंबर के पहले पखवाड़े के अंदर पाकिस्तान में लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादी मारे गए थे. सुरक्षा अधिकारी हत्या के सभी मामलों में एक ही पैटर्न देखते हैं और वो पैटर्न है बाइक पर सवार अज्ञात हथियारबंद बदमाशों का आना और हत्या करके फरार होना. ख्वाजा शाहिद उर्फ मियां मुजाहिद का पहले बाइक सवार लोगों अपहरण किया था और बाद में 5 नवंबर, 2023 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास उसका सिर कलम कर दिया गया था. वह लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी था और सुंजुवान में भारतीय सेना शिविर पर 2018 के आतंकी हमले के मास्टरमाइंड में से एक था. उसने सात लोगों की जान ली थी.

9 नवंबर, 2023 को खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर जिले में लश्कर आतंकवादी अकरम खान उर्फ ​​अकरम गाजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसी तरह मौलाना मसूद अजहर के करीबी सहयोगी जेईएम आतंकवादी रहीम उल्लाह तारिक की 13 नवंबर, 2023 को अज्ञात लोगों ने कराची में गोली मारकर हत्या कर दी थी. 1999 में अफगानिस्तान के कंधार में भारतीय विमान आईसी-814 के अपहरण में शामिल आतंकवादी जहूर मिस्त्री को 1 मार्च, 2022 को कराची की अख्तर कॉलोनी में दो बाइक सवार हमलावरों ने मार दिया था.

पठानकोट हमले के साजिशकर्ता की भी ऐसे ही की हत्या !

इसी तरह भारत के एक अन्य मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी शाहिद लतीफ की अक्टूबर 2023 में पाकिस्तान के सियालकोट में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. लतीफ 2016 के पठानकोट आतंकी हमले में एक प्रमुख साजिशकर्ता था. इस हमले में सात सुरक्षाकर्मी मारे गए थे. लतीफ की हत्या एक मस्जिद के अंदर की गई थी. उसकी हत्या करने के बाद बंदूकधारी बाइक पर सवार होकर मौके से भाग गए थे.

सितंबर 2023 में जियाउर रहमान, जो लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य था, कराची में मारा गया. इसकी हत्या भी बाइक सवार अज्ञात बंदूकधारियों ने की थी. इस लश्कर ऑपरेटिव की हत्या बिल्कुल खालिस्तान कमांडो फोर्स के चीफ परमजीत सिंह पंजवार की हत्या की तरह थी. भारत को आतंकवाद के मामले में पंजवार की भी तलाश थी. पंजवार की मई 2023 में उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वह लाहौर में अपने आवास के पास सुबह की सैर के लिए निकला था. भारत के मोस्‍ट वांटेड आतंकवादियों में से एक हिजबुल कमांडर बशीर अहमद पीर उर्फ इम्तियाज आलम को 20 फरवरी, 2023 को रावलपिंडी में एक दुकान के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने मार डाला था. सलीम रहमानी एक अन्य आतंकवादी था, जिसे जनवरी 2022 में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी थी.

पीओके में भी मारा गया था एक आतंकवादी

एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में अज्ञात बंदूकधारियों ने सितंबर 2023 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रावलकोट में अल-कुदुस मस्जिद के अंदर लश्कर-ए-तैयबा के एक शीर्ष आतंकवादी कमांडर रियाज अहमद उर्फ अबू कासिम की गोली मारकर हत्या कर दी थी. जमात-उद-दावा के मुल्ला सरदार हुसैन अरैन की अगस्त 2023 में सिंध के नवाब शाह जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद बढ़ा था विवाद !

पाकिस्तान में इन हत्याओं के बीच विश्व का ध्यान ओटावा पर भी केंद्रित हो गया, क्योंकि कनाडा की धरती पर खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई थी. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने उसकी हत्या में भारत की भूमिका होने का संदेह जताया था, जिस कारण भारत और कनाडा के बीच बड़े पैमाने पर राजनयिक टकराव शुरू हो गया था.

G.NEWS 24 : दूसरे देशों की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करना भारत की नीति नहीं है : विदेश मंत्रालय

कनाडा है जो हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है...

दूसरे देशों की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करना भारत की नीति नहीं है : विदेश मंत्रालय

भारत ने कनाडाई जासूसी एजेंसी सीएसआईएस की ओर से लगाए गए आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कनाडा ने आरोप लगाया था कि भारत ने देश के चुनावों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की. भारत ने इन आरोपों को निराधार बताया. विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कनाडा के लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए ओटावा पर पाखंड का आरोप लगाया. 

कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (सीएसआईएस) की रिपोर्ट प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि इन आरोपों का कोई आधार नहीं है और मुख्य मुद्दा अतीत में नई दिल्ली के मामलों में ओटावा का हस्तक्षेप है. उन्होंने कहा, “हमने कनाडाई आयोग की जांच के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स देखी हैं. हम कनाडाई चुनावों में भारतीय हस्तक्षेप के ऐसे सभी आधारहीन आरोपों को दृढ़ता से खारिज करते हैं.” उन्होंने आगे कहा, “दूसरे देशों की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करना भारत सरकार की नीति नहीं है. 

सच्चाई तो ये है कि इसके विपरीत यह कनाडा है जो हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है.” कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा के एक दस्तावेज में कहा गया है कि संघीय जांच आयोग 2019 और 2021 में देश के चुनावों में भारत, पाकिस्तान, चीन और रूस जैसे विदेशी देशों के संभावित हस्तक्षेप की जांच कर रहा है. सीएसआईएस ने दस्तावेजों में आरोप लगाया है कि 2021 में भारत सरकार का "हस्तक्षेप करने का इरादा था और संभवतः गुप्त गतिविधियां संचालित की गईं. 

इसमें कनाडा में भारत सरकार के प्रॉक्सी एजेंट का उपयोग करना भी शामिल है." कनाडाई जासूसी एजेंसी ने आगे आरोप लगाया कि भारत सरकार ने 2021 में विदेशी हस्तक्षेप गतिविधियां चलाईं जो छोटी संख्या में चुनावी जिलों पर केंद्रित थीं. सीएसआईएस दस्तावेज में कहा गया है कि भारत सरकार ने उन लोगों को निशाना बनाया क्योंकि भारत की धारणा थी कि भारत-कनाडाई मतदाताओं का एक हिस्सा खालिस्तानी आंदोलन या पाकिस्तान समर्थक राजनीतिक रुख के प्रति सहानुभूति रखता था.