व्यापारिक हितों के लिए कैट का कार्य प्रशंसनीय : मनोज तोमर

 

व्यापारिक गतिविधियों में सक्रियता से निभा रही अपना दायित्व…

व्यापारिक हितों के लिए कैट का कार्य प्रशंसनीय : मनोज तोमर


ग्वालियर। नगर निगम ग्वालियर के नवनिर्वाचित सभापति मनोज तोमर ने कहा कि कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा व्यापारिक हितों के लिए किये जा रहे कार्य सराहनीय हैं। लंबे समय से कैट ग्वालियर की व्यापारिक गतिविधियों में सक्रियता से अपना दायित्व निभा रही है। उन्होंने कहा कि जब भी परिषद में ग्वालियर के विकास पर एवं व्यापारिक हितों पर चर्चा होगी वे सदैव सभी से सलाह-मशविरा करके प्रस्तावों पर निर्णय करायेंगे। श्री तोमर आज कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा आयोजित नवीन सदस्यों के प्रमाण पत्र समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष हरि पाल ने कहा कि मैं जनता के साथ रहता हूं और व्यापारियों की समस्याओं का निराकरण करूंगा। 

वार्ड क्रमांक 10 के पार्षद शकील खान ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में कैट मध्यप्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र जैन ने कहा कि कैट एक राष्ट्रीय व्यापारिक संगठन है। भारत के 8 करोड़ व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था लंबे समय से व्यापारिक हितों के लिए कार्य कर रही है। इस अवसर पर कैट के पदाधिकारियों ने मनोज तोमर एवं हरि पाल का पुष्पहार से स्वागत किया। उन्होंने नवीन सदस्यों को एवं कोर ग्रुप में सम्मिलित हुए सदस्यों को प्रमाण पत्र वितरित किये। कार्यक्रम के अंत में ‘‘घर-घर तिरंगा, दुकान-दुकान तिरंगा अभियान‘‘ को लांच किया गया और व्यापारियों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर अपनी दुकानों पर तिरंगा लगाने का संकल्प लिया। 

कैट के जिलाध्यक्ष रवि गुप्ता ने बताया कि 7 हजार तिरंगे विभिन्न बाजारों की एसोसिएशनों को प्रदान किये गये हैं एवं कैट द्वारा अपने दाल बाजार कार्यालय पर कैट सदस्य को 2 तिरंगे एक घर पर एवं एक दुकान पर लगाने के लिए निःशुल्क वितरित किये जा रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री मुकेश जैन ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन सहसचिव मयूर गर्ग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कैट के जिला कोषाध्यक्ष जे.सी. गोयल, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कविता जैन, दिनेश बंसल, प्रिया दास, सुनील जैन, कमल अग्रवाल सहित अनेकों पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे। इस अवसर पर कैट के अमित अरोरा, अंशुल गुप्ता एवं नीरज चौरसिया को व्यापार प्रकोष्ठ में कार्यकारिणी सदस्य बनाये जाने पर माल्यार्पण द्वारा स्वागत किया गया।

'सायबर काईम अवेयरनेस' विषय पर किया सेमीनार का आयोजन

 

सेमीनार में लगभग 300 छात्र-छात्राओं ने लिया हिस्सा….

'सायबर काईम अवेयरनेस' विषय पर किया सेमीनार का आयोजन


ग्वालियर। पुलिस अधीक्षक ग्वालियर अमित सांघी के निर्देश पर ग्वालियर जिले में चलाये जा रहे "सायबर काईम अवेयरनेस” प्रोग्राम के तहत आज दिनांक को "माधव इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (MITS) इंजीनियरिंग कॉलेज, ग्वालियर” में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को सायबर क्राईम एवं उसकी रोकथाम के संबंध में जानकारी दी गई। सेमीनार में कॉलेज के स्टॉफ सहित लगभग 300 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान अति. पुलिस अधीक्षक शहर (पूर्व / अपराध) राजेश डण्डोतिया द्वारा आजादी 75 वर्ष पूर्ण होने पर मनाये जा रहे ‘‘अमृत महोत्सतव’’ के तहत चलाये जा रहे ‘‘हर घर तिरंगा अभियान’’ के तहत छात्र-छात्राओं को जानकारी दी गई। तद्उपरांत कॉलेज के स्टॉफ सहित छात्र-छात्राओं को तिरंगा झंडा प्रदाय कर पैदल रैली भी निकाली गई। 

इस अभियान में कॉलेज के स्टॉफ सहित छात्र-छात्राओं ने उत्साडहपूर्वक भाग लिया। इस सेमीनार का प्रारंभ अति पुलिस अधीक्षक शहर (पूर्व / अपराध) राजेश डण्डोतिया द्वारा अपने उद्बोधन से किया गया। एएसपी क्राईम द्वारा सेमीनार में उपस्थित  सभी को सायबर अपराधों से जुड़ी विभिन्न केस स्टडीज़ से अवगत कराया। उन्होंने वर्तमान में पुलिस के पास आने वाली सायबर अपराध संबंधी शिकायतों को साझा किया। जिनमें उनके द्वारा मुख्यतः सेक्सट्रार्सन, सोशल मीडिया फ्रॉड, कॉल सेंटर के माध्यम से फ्रॉड लॉटरी फ्रॉड आदि के संबंध मे व्याख्यान दिया गया। सेमीनार में उपस्थित सभी को एएसपी क्राईम द्वारा स्मार्ट फोन का उपयोग करते समय कौन-कौन सी सावधानियां बरतें इस विषय पर भी प्रकाश डाला गया, साथ ही उनको सायबर अपराधों से बचने के उपायो से भी अवगत कराया। सायबर काईम अवेयनेस की ओर ग्वालियर पुलिस द्वारा किये गये प्रोग्रामों का मुख्य उद्देश्य आने वाली नवीन पीढ़ी को सायबर अपराधों के प्रति जागरूक करना है। 

जिससे भविष्य में सायबर संबंधी अपराधों पर पूर्णत रोक लगाई जा सके। सेमीनार के उपरांत एएसपी क्राइम राजेश दण्डौतिया द्वारा हर घर तिरंगा मिशन के तहत कॉलेज के सभी छात्र व स्टॉफ आदि को राष्ट्रीय ध्वज वितरित कर कॉलेज में तिरंगा रैली निकाली गई एवं स्टॉफ सहित छात्र-छात्राओं को घर एवं व्यािपारिक संस्था नों पर तिरंगा झंडा लगाने के लिये जागरूक किया गया। इस सेमीनार में अति. पुलिस अधीक्षक शहर (पूर्व/अपराध) के साथ MITS कॉलेज के रजिस्ट्राडर डॉ. प्रत्ये श जायसवाल, डॉ. राजीव कंसाल, डीन स्टूरडेंट वेलफेयर डॉ. पी.के. सिंघल, डॉ. मनीष दीक्षित, प्रोफेसर प्रभाकर शर्मा सहित क्राइम ब्रांच के सायबर क्राइम टीम के उनि. धर्मेंद्र शर्मा व आर सुमित भदौरिया तथा MITS कॉलेज का स्टॉफ उपस्थित रहे।

BSF अकादमी टेकनपुर में भव्य दीक्षांत परेड आयोजित

तकनीकी अधिकारी बेसिक कोर्स क्रमांक 43 की...

सीमा सुरक्षा बल अकादमी टेकनपुर में भव्य दीक्षांत परेड आयोजित

ग्वालियर। सीमा सुरक्षा बल अकादमी में तकनीकी अधिकारी बेसिक कोर्स क्रमांक 43 का भव्य शपथ परेड का आज आयोजन किया गया। इस परेड में 42 मेडिकल ऑफिसर तथा 01 इंजीनियर ऑफिसर ने प्रशिक्षण लिया। इस परेड में 16 महिला प्रशिक्षु अधिकारियों सहित कुल 43 तकनीकी प्रशिक्षु अधिकारियों ने जेएस ऑबराय, वी०एस०एम०, महानिरीक्षक / संयुक्त निदेशक, सीमा सुरक्षा बल, अकादमी टेकनपुर को सलामी देते हुये एक शानदार परेड का प्रदर्शन किया। इस परेड की कमाण्डर प्रशिक्षु अधिकारी डाक्टर शौरवी सक्सेना रही तथा सभी प्रशिक्षु अधिकारियों ने मुख्य अतिथि जे एस ऑबराय, वी०एस०एम० के समक्ष देश के संविधान के प्रति एकता, अखण्डता व सम्प्रभुता को बनाये रखने के लिये अपने आपको समर्पित करने की शपथ ली। कार्यक्रम की शुरूआत परेड के ग्राउण्ड पर आने से हुई। परेड ने पहले कैलाश लाल साह, उप महानिरीक्षक / वरिष्ठ अनुदेशक, सीमा सुरक्षा बल, अकादमी टेकनपुर को सलामी दी।  इन युवा अधिकारियों में 36 एमबीबीएस, 3 एमबीबीएस / एमडी, 01 एमबीबीएस / डीए, 01 एमएमबीएस / डीपीएम / डीएनएस, 01 एमबीबीएस / एमएचए तथा 01 बीटेक की शैक्षणिक योग्यता रखते हैं। पास आऊट होने वाले अधिकारी देश के अलग-अलग राज्यों से संबंध रखते हैं। 

अकादमी के निदेशक / अपर महानिदेशक पंकज गूमर, संयुक्त निदेशक / मुख्य अनुदेशक जे एस ऑबराय, उप महानिरीक्षक / वरिष्ठ अनुदेशक कैलाश लाल साह, द्वितीय कमान अधिकारी ऊधम सिंह कुहाड एवं सी ओ टी की प्रशिक्षण टीम के कुशल मार्गदर्शन में इन अधिकारियों ने कठिन प्रशिक्षण प्राप्त करके अपने आपको देश की सीमाओं की देखभाल के लिये सक्षम बनाया है। तकनीकी अधिकारियों को 19 सप्ताह के कठिन प्रशिक्षण की भट्टी में फौलाद की तरह तपाकर सीमा सुरक्षा बल की कुशल प्रशिक्षण टीम ने इन्हें शारीरिक प्रशिक्षण, ड्रिल, युद्ध कौशल, निशानेबाजी, विधि व कानून, मानवाधिकार अधिनियम, पुलिस की रोजमर्रा की कार्यवाही. आपदा प्रबंधन, मैप रीडिंग, सीमा की निगरानी, आतंकवाद व उग्रवादियों से लड़ने जैसे विषयों के साथ तैराकी, और विशेष विषयों (चिकित्सा व अभियांत्रिकी) का भी गहन प्रशिक्षण दिया गया है। ट्रेनिंग के दौरान इनके व्यक्तित्व को संवारने, चरित्र निर्माण तथा नेतृत्व क्षमता को विकसित करने पर विशेष कार्यक्रम चलाये गये हैं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि जेएस ऑबराय ने सबसे पहले अजेय प्रहरी / शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धाजलि दी। उसके उपरान्त मुख्य अतिथि परेड ग्राउंड पहुंचें, वहां परेड का निरीक्षण किया और फिर अव्वल आये निम्न प्रशिक्षु अधिकारियों को ट्रॉफियाँ वितरित की। 

क्र. ट्रॉफी का नाम                         प्राप्त कर्ता अधिकारी

1 ऑल राउण्ड बेस्ट                 डॉ. संतोष बाबू चव्हाण

2 बैस्ट इन आउटडोर सब्जेक्ट्स डॉ. थंगालक्ष्मी टी

3 बैस्ट इन इनडोर सब्जेक्ट्स         डॉ. संतोष बाबू चव्हाण

मुख्य अतिथि ने अपने सम्बोधन भाषण में युवा अधिकारियों की इस परेड की भूरि-भूरि प्रशंसा की एवं शानदार टर्नआउट, जोश व प्रदर्शन को भी सराहा। मुख्यतिथि ने यह भी विचार व्यक्त किये कि परेड के स्तर से स्वतः आभास होता है कि प्रशिक्षकों ने प्रशिक्षुओं को उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्रदान कर एक सामान्य नागरिक से एक दृढ एवं योग्य बल के अधिकारी के रूप में परिवर्तित किया है। साथ ही प्रशिक्षु अधिकारियों के माता-पिता को अपने सुपुत्र एवं सुपुत्रियों को देश सेवा में भेजने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद किया। प्रशिक्षुओं के अभिभावकों के लिए श्वान शो और "चेतक" (वाहन का खोलना और जोड़ना) के प्रदर्शन का आयोजन किया गया। परेड के उपरान्त मुख्य अतिथि जेएस ऑबराय पिपिंग सेरेमनी में सम्मिलित हुए एवं प्रशिक्षु अधिकारियों और उनके अभिभावकों से मिले। इस दीक्षांत परेड के अवसर पर सीमा सुरक्षा बल अकादमी के अन्य अधिकारी और कार्मिकों के अतिरिक्त प्रशिक्षु अधिकारियों के परिवारजन भी उपस्थित रहे।

आज नीतीश की शपथ, फ्री हैंड नहीं मिलने से थे नाराज

 रुख नहीं भांप पाई भाजपा...

आज नीतीश की शपथ, फ्री हैंड नहीं मिलने से थे नाराज    


भाजपा को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी का अंदाजा था, मगर पाला बदलने की भनक तक उसे नहीं लग पाई। वह जदयू से लगातार मिल रहे संकेतों को भांपने में बुरी तरह चूक गई। खासतौर से आरसीपी सिंह मामले में पैदा हुए विश्वास के संकट ने दोनों दलों के बीच खाई और चौड़ी कर दी। नीतीश की भाजपा से नाराजगी नई नहीं थी। इसका सिलसिला विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के भाजपा के पक्ष और जदयू के विरोध में ताल ठोकने से शुरू हो गया था। भाजपा के मुकाबले जदयू के आधी सीटों पर सिमटने, सरकार चलाने में फ्री हैंड नहीं मिलने, विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लगातार सरकार पर हमला करने से नीतीश की नाराजगी बढ़ गई।

बीते चार महीनों में नीतीश ने कई बार अपनी नाराजगी का संदेश दिया... विधानसभा सत्र के दौरान उनकी स्पीकर से कहासुनी हुई। वे केंद्र सरकार के आयोजनों से दूरी बनाए हुए थे। दो दिन पूर्व नीति आयोग की बैठक में नहीं आए। राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण और निवर्तमान राष्ट्रपति के विदाई समारोह से भी दूर रहे। गृह मंत्री अमित शाह की बैठक में भी शामिल नहीं हुए। नाराजगी इतनी बढ़ेगी कि गठबंधन टूट जाएगा, ऐसा भाजपा ने सोचा भी नहीं होगा। बहरहाल, आज यानी बुधवार दोपहर दो बजे आयोजित सीएम और डिप्टी सीएम के शपथग्रहण समारोह के साथ ही बिहार में नई सरकार की कवायद शुरू हो जाएगी।

नाराजगी के बीच जब आरसीपी केंद्र में मंत्री बने तो नीतीश का सब्र टूट गया। जदयू नेताओं का कहना है, नीतीश की सहमति के बिना आरसीपी मंत्री बने। बाद में नीतीश ने उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं दिया तो उन्होंने जदयू विधायकों से संपर्क साधना शुरू किया। नीतीश को लगा कि इसके पीछे भाजपा है। जदयू ने कई बार भाजपा पर जदयू में मतभेद पैदा करने का आरोप लगाया।बिहार में अरसे से जारी टकराव के बीच भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उदासीन रहा। सरकार में रहते भाजपा के नेता लगातार नीतीश पर निशाना साध रहे थे, मगर पार्टी नेतृत्व इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रहा था। पिछले महीने पटना में आयोजित भाजपा के राष्ट्रीय मोर्चाओं की बैठक के बाद जरूर केंद्रीय नेतृत्व ने हालात संभालने की कोशिश की। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

नीतीश कुमार और जदयू बीते डेढ़ दशक से राज्य की राजनीति का संतुलन और सत्ता की चाबी हैं। 2005 से अब तक जदयू जिसके साथ रहा है, राज्य की सत्ता भी उसे ही मिली। वहीं, राजद का अपना एक मजबूत वोट बैंक है। दोनों दलों के साथ आने से भाजपा का गैर यादव पिछड़ा कार्ड मजबूती से जमीन पर नहीं उतर सकता। 2005 के बाद से राज्य में भाजपा का आधार अगड़ों के साथ अति पिछड़ों और दलितों में भी बढ़ा है। मगर तब उसे जदयू सहित अन्य छोटे दलों का साथ मिला। जदयू के राजग से जाने के बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा बुरी तरह से हारी। पार्टी के पास ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है, जो नीतीश या तेजस्वी को टक्कर दे सके। भाजपा को उम्मीद है कि नई सरकार में जल्द ही अंतर्विरोध के स्वर उपजेंगे। खासतौर पर कानून व्यवस्था बिगड़ेगी। इससे भाजपा को लाभ होगा। नीतीश 2015 से 2017 तक राजद, कांग्रेस के सहयोग से सरकार चला चुके हैं, मगर कलह के चलते उन्होंने फिर भाजपा का दामन थामा था।

लोकसभा चुनाव होगा टर्निंग प्वाइंट

आगामी लोकसभा चुनाव राज्य की सियासत के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है। साल 2014 में भी जदयू के अलग होने के बाद भी भाजपा-लोजपा गठबंधन को राज्य में जबर्दस्त जीत हासिल हुई थी। भाजपा को लगता है कि ऐसा ही साल 2024 में होगा।

8वीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे नीतीश

मार्च 2000

नवंबर 2005

नवंबर 2010

फरवरी 2015

नवंबर 2015

जुलाई 2017

नवंबर 2020

अगस्त 2022

आप जानते हैं स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने मेंअंतर !

15 अगस्त और 26 जनवरी के झण्डा बंधन में  तीन अन्तर…

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने मेंअंतर !

पहला अंतर -

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे "ध्वजारोहण" कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था। संविधान में इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting (ध्वजारोहण) कहा जाता है।

जबकि, 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहा जाता है।

दूसरा अंतर -

15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं वो ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते है, उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था। इस दिन शाम को राष्ट्रपति अपना सन्देश राष्ट्र के नाम देते हैं।

जबकि, 26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं

तीसरा अंतर -

स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से ध्वजारोहण किया जाता है।

जबकि, गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर झंडा फहराया जाता है।


पारदर्शिता से सरकारी खरीद का यह सफल मॉडल पूरी दुनिया देखेगी : अमित शाह

 

केंद्रीय गृहमंत्री ने GeM पोर्टल पर सहकारिताओं की ऑनबोर्डिंग को किया ई-लॉन्च…

पारदर्शिता से सरकारी खरीद का यह सफल मॉडल पूरी दुनिया देखेगी : अमित शाह


9 अगस्त मंगलवार को  सहकारिता के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। आज देशभर की सभी सहकारी समितियों के लिए GeM के दरवाजे खुल गए हैं। सहकारिता क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और इस क्षेत्र के विस्तार के लिए GeM पोर्टल एक बहुत उपयोगी प्लेटफार्म सिद्ध होगा। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी समितियों के लिए ढेर सारे उपाय किए हैं और पिछले एक साल में मंत्रालय ने 25 से 30 इनिशिएटिव पर लगातार समांतर रूप से काम कर रहा है। पैक्स से लेकर अपैक्स तक एक हॉलिस्टिक अप्रोच के साथ सहकारिता नीति भी बनाई जा रही है। सरकार को सहकारिता का विस्तार करना है लेकिन इसका कोई डेटाबेस ही नहीं है इसलिए मंत्रालय सभी प्रकार की सहकारी समितियों का एक राष्ट्रस्तर का डेटाबेस भी बना रहा है। 

देश के 60 करोड लोग ऐसे थे जिनका पूरा दिन दो वक्त के खाने और अन्य रोज़मर्रा की चीजों का इंतजाम करने की चिंता में ही बीत जाता था।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों के बैंक अकाउंट, गैस सिलेंडर, शौचालय, बिजली, शुद्ध पीने का पानी और मुफ्त अनाज देकर उनकी प्राथमिक जरूरतों को पूरा कर इन 60 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को जीवित किया है, और सहकारिता में ही इन सभी आकांक्षाओं को पूरा करने की संभावनाएं है। सहकारिता का मॉडल ही एक ऐसा मॉडल है जिसमें कम पूंजी के साथ भी लोग एक साथ आकर बड़े से बड़े काम को सरलता से कर सकते हैं। कोई भी व्यवस्था समय के साथ खुद को नहीं बदलती तो वह कालबाह्य हो जाती है। सहकारिता क्षेत्र के विस्तार के लिए इसमें सुधार करना आवश्यक है। 

आजादी के बाद से इस क्षेत्र को नजरंदाज किया गया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ऐतिहासिक सुधारों व आधुनिकीकरण के साथ इसके विस्तार को गति दे रहे हैं। सहकारिता यूनिवर्सिटी की स्थापना का काम भी आगे बढ़ा है।  इससे नए प्रोफेशनल तैयार होंगे और सहकारिता क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और नए कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था भी उपलब्ध होगी। एक एक्सपोर्ट हाउस भी रजिस्टर किया जा रहा है जो दिसंबर तक हो पूरा जाएगा। यह देश भर के कोऑपरेटिव को एक्सपोर्ट करने के लिए  प्लेटफार्म प्रदान करेगा। अब सहकारिता क्षेत्र के साथ कोई दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं कर सकता परंतु हमें भी बदलाव की शुरुआत करनी पड़ेगी। पारदर्शिता की दिशा में आगे जाना होगा और अपने आप को तैयार करना पड़ेगा सहकारिता के क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए GeM पोर्टल बहुत उपयोगी साबित होगा है।

और पारदर्शिता होगी तभी किसानों व दुग्ध उत्पादकों का भरोसा भी समितियों और उनके सदस्यों पर बढेगा है। GeM पोर्टल लाकर पीएम मोदी ने सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाने का काम किया है। एक नई व्यवस्था है। शुरुआत में कुछ प्रशासकीय समस्याएं आ सकती है लेकिन इसके इरादे पर किसी को शंका नहीं होनी चाहिए। अमित शाह ने कहा कि मुझे विश्वास है कि 5 वर्षों में पारदर्शिता से सरकारी खरीद का यह सफल मॉडल पूरी दुनिया देखेगी। आज GeM का जो विस्तार हुआ है वह अकल्पनीय है। GeM पर करीब 62000 सरकारी खरीदार उपलब्ध हैं और लगभग 49 लाख विक्रेता पंजीकृत हैं। साथ ही लगभग 10,000 से ज्यादा उत्पाद और 288 से ज्यादा सर्विसेज सूचीबद्ध हो चुकी हैं। अब तक 2 लाख 78 हजार करोड़ रुपये का व्यापार भी पूरा हो चुका है जोकि GeM की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

15 से हो सकती लागू एक दवा-एक दाम नीति


एक दवा, एक दाम थीम से जुड़े योजना का खाका तैयार…

15 से हो सकती लागू एक दवा-एक दाम नीति


आम लोगों को बीपी, शुगर, कैंसर और दिल की बीमारी सहित अन्य दवाओं की कीमतें कम करने के लिए केंद्र सरकार 15 अगस्त से टीएमआर (ट्रेड मार्जिन रेशनालाइजेशन) स्कीम लाने जा रही है। एक दवा, एक दाम थीम से जुड़े योजना का खाका तैयार कर लिया गया है और 15 से इसे लागू करने की तैयारी है। इस संबंध में पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने देश के विभिन्न औद्योगिक संगठनों से चर्चा भी की थी।

इंदौर लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधियों ने भी इसमें हिस्सा लिया था। औद्योगिक संगठन सस्ती दवाएं देने के तो पक्ष में हैं। उनका कहना है इस स्कीम से देश में बड़ी फार्मा कंपनियों को तो फायदा मिलेगा, लेकिन प्रतिस्पर्धा में छोटी और मध्यम उद्योगों (MSME) को बड़ा नुकसान होगा। ट्राइबल, रूरल सहित पहाड़ी इलाकों में दवाओं का वितरण और उपलब्धता प्रभावित होगी। बिना वितरण व्यवस्था जाने इसे लागू करने से एमएसएमई को बड़ा नुकसान होगा।

केंद्रीय मंत्री की बैठक का हिस्सा रहे इंदौर के लघु उद्योग भारती के नेशनल फार्मा विंग के सदस्य अमित चावला का कहना है, जनता को सस्ती दवाएं मिले, इस फैसले के हम साथ हैं, लेकिन वितरण व्यवस्था का व्यवस्थित अध्ययन किए बिना टीएमआर स्कीम लाना एमएसएमई के लिए घातक साबित होगा। मप्र की 200 सहित इंदौर की करीब 100 छोटी और मध्यम इंडस्ट्री को नुकसान होगा।

ऑल इंडिया ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन के महासचिव राजीव सिंघल का कहना है दवाओं के दाम कम होना ही चाहिए, आम जनता को राहत मिलेगी, लेकिन दवा के एक कॉम्बिनेशन की दरें एक करने से बड़ी कंपनियां तो सर्वाइवर कर जाएंगी, लेकिन छोटे उद्योगों को मुशिक्ल होगी। दरों के बजाए दवाओं के मार्जिन तय करना चाहिए।