G News 24 : सिख धर्म की नींव रखने वाले गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है

 गुरु नानक जयंती आज...

सिख धर्म की नींव रखने वाले गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है

नई दिल्ली l देशभर में आज प्रकाश पर्व की धूम है। आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जा रही है। गुरु नानक साहब की जयंती के दिन को ही प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इस बार आज यानी 27 नवंबर को प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन सिख समुदाय के लोग भजन-कीर्तन करते हैं, प्रभात फेरियां भी निकाली जाती हैं। गुरु नानक जयंती के पावन अवसर पर देशभर के सभी गुरुद्वारों में खास रौनक देखने को मिलती है। लोग गुरुद्वारे जाकर पाठ करते हैं ।इस दिन गुरुद्वारे को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाया जाता है। गुरु नानक जयंती को गुरु पूरब और प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

सिखों के पहले गुरु के अवतरण दिवस को माना जाता है  प्रकाश पर्व

प्रकाश पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है। बताया जाता है कि सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक साहब का आज ही के दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। गुरु नानक देव के पिता का नाम कल्याण चंद और माता का नाम तृप्ता था। उनका जन्म तलवंडी में हुआ जो इस समय पाकिस्तान में है। 15 अप्रैल 1469 को उनका जन्म हुआ। उनके जन्मस्थान को ननकाना साहिब के नाम से भी जाना जाता है। सिख समुदाय के लोगों के लिए यह स्थान काफी पवित्र माना जाता है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। आज ही के दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है। देव दीपावली को लेकर वाराणसी पूरी तरह से सज चुकी है। 

गुरु नानक जी ने ही सिख धर्म की नींव रखी थी

मान्यताओं के अनुसार गुरु नानक जी ने ही सिख धर्म की नींव रखी थी, इसलिए वे सिखों के पहले गुरु माने जाते हैं। नानक जी ने ही पवित्र शब्द  'इक ओंकार' को लिखा था। सिखों के लिए इस गुरुवाणी का काफी अधिक महत्व है। बता दें कि इस साल गुरु नानक जयंती 27 नवंबर को मनाई जा रही है। गुरु नानक जी एक संत, गुरु और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया था। बचपन से ही वह अपना ज्यादातर समय चिंतन में बिताते थे। उन्हें सांसारिक मोह नहीं था। इसके साथ ही उन्होंने जात-पात मिटाने के लिए और लोगों को एकता के सूत्र में बांधने के लिए उपदेश दिए थे। नानक जी ने समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाने का कार्य किया था, इसी वजह से गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।

G News 24 : धन-धान्य से घर भर देंगे कार्तिक पूर्णिमा पूजन के ये उपाय !

 27 नवंबर 2023, सोमवार को...

धन-धान्य से घर भर देंगे कार्तिक पूर्णिमा पूजन के ये उपाय !

कार्तिक पूर्णिमा का दिन देवी-देवताओं को प्रसन्‍न करने का दिन होता है. पंचांग के अनुसार इस साल आज 27 नवंबर 2023, सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा है. इस दिन पवित्र नदियों में स्‍नान करने, रात में दीपक जलाने की परंपरा है. साथ ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए उपाय मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं और आपको मालामाल कर सकते हैं. 

पीपल की पूजा 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ होता है. ऐसा करने से त्रिदेव और मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती रहती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ में कच्‍चा दूध मिश्रित जल अर्पित करें. फिर आटे के घी के दीपक जलाएं. इसके बाद पेड़ की 7 परिक्रमा करें. 

मां लक्ष्‍मी की पूजा 

कार्तिक पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना करें. पूजा में लक्ष्‍मी जी को चावल की खीर या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं. ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर खूब धन-दौलत, बरकत देती हैं. 

तुलसी पूजा 

कार्तिक महीने में लक्ष्‍मी के स्‍वरूप तुलसी पूजन का विशेष महत्‍व है. उस पर कार्तिक पूर्णिमा का दिन तो तुलसी पूजा करने और मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने के लिए विशेष है. आज तुलसी जी की पूजा करें और उनके सामने घी का दीया प्रज्ज्वलित करें. 

चंद्रमा को अर्घ्‍य 

कार्तिक पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपने 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. रात में चंद्रमा को दूध, जल से अर्घ्‍य दें. इसमें शक्कर और सफेद फूल भी मिला लें. ऐसा करने से चंद्र दोष दूर होता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है.

शिव पूजा 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था. इसलिए इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करना चंद्र दोष से मुक्ति दिलाता है. जीवन के कष्‍ट दूर होते हैं.       

G.NEWS 24 : भाई दूज आज, जानिए तिलक का शुभ मुहूर्त, महत्व और विधि

इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है...

भाई दूज आज, जानिए तिलक का शुभ मुहूर्त, महत्व और विधि

भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक भाई दूज का पर्व इस साल 15 नवंबर 2023 को है। पांच दिवसीय दीपोत्सव के अंतिम दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा होती है। कहा जाता है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को घर पर आमंत्रित किया था और स्वागत सत्कार के साथ टीका लगाया था, तभी से यह त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भाई को टीका लगाने का सबसे अधिक महत्व होता है। पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए भाई दूज का पर्व 15 नवंबर को मनाया जा रहा है, लेकिन कई जगहों पर यह पर्व 14 नवंबर को भी मनाया गया था। 15 नवंबर को भाई को तिलक करने का मुहूर्त 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजे तक है। 

तिलक करने की विधि -

  • कहा जाता है कि भाई दूज के दिन यम अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे। ऐसे में भाईयों को अपनी बहन के ससुराल जाना चाहिए। 
  • वहीं कुंवारी लड़कियां घर पर ही भाई का तिलक करें। 
  • भाई दूज के दिन सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करते हुए पूजा करें। 
  • वहीं भाई का तिलक करने के लिए पहले थाली तैयार करें उसमें रोली, अक्षत और गोला रखें। 
  • तत्पश्चात भाई का तिलक करें और नारियल का गोला भाई को दें। 
  • फिर प्रेमपूर्वक भाई को मनपसंद का भोजन करवाएं। 
  • उसके बाद भाई अपनी बहन से आशीर्वाद लें और उन्हें भेंट स्वरूप कुछ उपहार जरूर दें।

भाई दूज का महत्व

भाई दूज के पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि यह पर्व भाइयों और बहनों के बीच के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। भाई दूज पर बहनें अपने भाई के माथे पर हल्दी और रोली का तिलक लगाती हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि भाई बहन यमुना नदी के किनारे बैठकर भोजन करते हैं तो जीवन में समृद्धि आती है। इस दिन भाई को तिलक करने से उंहें अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता है। भाई दूज के दिन बहनें तिलक करते समय भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में से किसी एक दिशा में होना चाहिए और बहन का मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व में होना चाहिए।

भाई दूज के दिन भूलकर भी भाई-बहन न करें ये काम -

  • भाई दूज के दिन किसी भी समय तिलक न करें। इस दिन शुभ मुहूर्त का ध्यान अवश्य रखें। 
  • इस दिन भाई और बहन दोनों ही काले रंग के वस्त्र न पहनें। 
  • भाई को तिलक करने तक बहनों को कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए।
  • भाई दूज के दिन भाई-बहन को एक-दूसरे से झूठ नहीं बोलना चाहिए।
  • इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से यम के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है।

भाई दूर है तो बहनें ऐसे करें पूजा -

  • अगर भाई दूज के दिन भाई-बहन दूर हैं तो बहनें सूर्योदय से पहले स्नान कर लें। 
  • आपके जितने भी भाई आपसे दूर हैं उतनी संख्या में नारियल के गोले लेकर आएं। 
  • फिर चौकी पर पीले रंग के वस्त्र को चढ़ाकर वहां पर उन गोलों को स्थापित कर दें।
  • फूल के ऊपर चावल रखकर उस पर गोले को रख दें। 
  • बाद में गोले को गंगाजल से स्नान कराकर रोली व चावल से तिलक करें। 
  • पूजा के बाद मिठाई का भोग लगाएं। बाद में उन नारियल के गोलों की आरती उतारें।
  • आरती के बाद उन्हें पीले रंग के कपड़े से ढक कर शाम तक छोड़ दें। 
  • पूजा के बाद अपने भाई की लंबी आयु और कष्टों से मुक्ति के लिए यमराज से प्रार्थना करें। 
  • अगले दिन नारियल के उन गोलों को पूजा स्थल से उठाकर अपने पास सुरक्षित रख लें। 
  • अगर संभव हो तो गोलों को भाई के पास भेज दें। 

G.NEWS 24 : छोटी दिवाली आज, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

बड़ी दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी के दिन...

छोटी दिवाली आज, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इसी दिन छोटी दिवाली भी मनाते हैं. इस साल छोटी दिवाली 11 नवंबर 2023, शनिवार को मनाई जाएगी. छोटी दिवाली के दिन मृत्यु के देवता यमराज के नाम से दीपदान भी किया जाता है. ऐसा करने से व्‍यक्ति को अकाल मृत्‍यु का भय नहीं रहता है. साथ ही इस दिन हनुमान जी की पूजा करने का भी विधान है. कार्तिक मास में पड़ने वाली हनुमान जयंती छोटी दिवाली के दिन ही मनाई जाती है. इसे काली चौदस भी कहते हैं. 

पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर 2023 की दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर प्रारंभ होगी और 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. लिहाजा छोटी दिवाली 11 नवंबर की रात को मानी जाएगी. इसी रात काली चौदस की पूजा की जाएगी. इसके लिए पूजा का मुहूर्त 11 नवंबर की रात 11 बजकर 38 मिनट से 12 नवंबर को सुबह 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.

माना जाता है कि छोटी दिवाली या काली चौदस की रात को भूत-प्रेम आत्‍माएं बेहद शक्तिशाली रहती हैं. इस कारण इनसे बचाव के लिए और शक्ति पाने के लिए रात के समय हनुमान जी की पूजा की जाती है. हनुमान जी को सिंदूर, चोला, मोतीचूर के लड्डू अर्पित किया जाता है. चमेली के तेल का दीपक जलाया जाता है. साथ ही इस दिन अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है. छोटी दिवाली पर हनुमान पूजा का शुभ मुहूर्त भी मुहूर्त रात 11 बजकर 38 मिनट से 12 नवंबर को देर सुबह 12 बजकर 31 मिनट तक कुल 53 मिनट का रहेगा. 

यम के लिए ऐसे करें दीपदान -

  • नरक चतुर्दशी के दिन घर के सबसे बड़े सदस्‍य को यम के नाम का एक बड़ा दीया जलाना चाहिए. इस दीपक को घर से बाहर जाकर दक्षिण दिशा में रखना चाहिए. 
  • दीपक रखने के बाद पलटकर ना देखें. यह काम रात में घर के सभी सदस्‍यों के घर आने के बाद करें. 

G.NEWS 24 : अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला का 'अक्षत पूजन' आज

इस प्रसाद को लेकर वीएचपी कार्यकर्ता देश के कोने-कोने में जाएंगे...

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला का 'अक्षत पूजन' आज

अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले आज अक्षत पूजन का कार्यक्रम रखा गया है। इसमें 100 क्विंटल अक्षत पूजे जाएंगे और फिर भगवान राम के इस प्रसाद को लेकर वीएचपी कार्यकर्ता देश के कोने-कोने में जाएंगे। बता दें कि 22 जनवरी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख तय की गई है। उससे पहले देशभर में 62 करोड़ भक्तों तक भगवान राम का प्रसाद अक्षत के रुप में पहुंचाया जाना है। आज अयोध्या से विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता राम मंदिर में पूजे गए अक्षत लेकर रवाना होंगे। बता दें कि अक्षत के साथ ही एक क्विंटल पिसी हुई हल्दी और देसी घी भी मंगवाया गया है। 

इसे विधि-विधान से चावल में मिलाया जाएगा। चावल को रंगने के बाद इसे पीतल के कलश में रखा जाएगा। फिर पूजा के दौरान भगवान राम के दरबार के सामने रखा जाएगा। तो वहीं आज से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक भी शुरू हो रही हैं। इस बैठक की अध्यक्षता नृपेंद्र मिश्रा करेंगे, जिसमें मंदिर निर्माण कार्य में लगे संगठन और राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिकारी मौजूद रहेगें। जानकारी है कि राम मंदिर में आज 100 क्विंटल अक्षत पूजे जाएंगे। इसके बाद 62 करोड़ भक्तों तक भगवान राम का प्रसाद पहुंचेगा। इसके लिए सभी राज्यों से VHP प्रतिनिधियों को अयोध्या बुलाया गया है। 

पूजन के बाद अक्षत को VHP कार्यकर्ताओं के जरिए ही वितरित किया जाएगा। इसके लिए राज्यों की क्षेत्रीय भाषाओं में 2 करोड़ से अधिक पर्चे भी छपवाए गए हैं। VHP कार्यकर्ता राम लला के अक्षत (चावल) के साथ देश के हर घर में ये पर्चा भेजेंगे। आज अक्षत पूजन के बाद प्रसाद को लेकर VHP कार्यकर्ता पूरे देश में रवाना होंगे। बताया जा रहा है कि अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला संगमरमर के स्वर्ण जड़ित आठ फीट ऊंचे 'सिंहासन' पर विराजमान होंगे। राजस्थान के कारीगरों द्वारा तैयार किया जा रहा यह सिंहासन आगामी 15 दिसंबर तक अयोध्या पहुंच जाएगा। 

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने बताया कि आठ फीट ऊंचे, तीन फीट लंबे और चार फीट चौड़े सिंहासन को राम मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा। इस पर पांच साल पुरानी रामलला की मूर्ति रखी जाएगी। मिश्रा ने बताया कि भगवान राम के भक्तों ने भी बड़ी मात्रा में सोने और चांदी की वस्तुएं दान की हैं। उनका कहना था कि चूंकि ट्रस्ट के गठन से पहले और बाद में दान की गई ये सोने-चांदी की वस्तुएं, सिक्के और ईंटें पिघल जाएंगी, ऐसे में उन्हें सुरक्षित रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए उन्हें पिघलाकर सुरक्षित रखा जाएगा तथा यह कार्य एक प्रतिष्ठित संस्था के मार्गदर्शन में किया जायेगा। 

G News 24 : शिव-पार्वती संवाद,नारद मोह की लीला का किया गया मनमोहक मंचन

 सुन्दरकाण्ड पाठ के साथ रामलीला का शुभारंभ...

 शिव-पार्वती संवाद,नारद मोह की लीला का किया गया मनमोहक मंचन 

ग्वालियर। श्री रामलीला समारोह समिति (रजि.) लश्कर ग्वालियर द्वारा आयोजित श्री रामलीला समारोह 2023 का भव्य शुभारंभ संत कृपाल सिंह महाराज के मुख्य आतिथ्य में गणेश पूजन विधिविधान आचार्य मोहन मुरारी शास्त्री द्वारा करने के साथ रामलीला का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर शांति के प्रतीक रंग-बिरंगे गुब्बारें छोडे गये व आतिशवाजी की गई तथा भगवान की आरती उतारी गई। शुभारंभ से पहले पंडित अंकित शर्मा व उनके साथियों द्वारा संगीतमय सुन्दरकाण्ड पाठ के बाद रामलीला समारोह  का शुभारंभ हुआ। 

शनिवार के मंचन में शिव-पार्वती संवाद,नारद मोह की लीला का मनमोहक मंचन किया गया। जिसमें नारद जी भ्रमण करते हुए एक स्थान पर पहुचते है और ध्यान लगाकर तपस्या में लीन हो जाते है। उनकी तपस्या से इन्द्र का सिंहासन हिल उठता है। जिससे वह भयभीत होकर कामदेव तथा अप्सराओं को लेकर नारद मुनि की तपस्या भंग करने पहुचते हैं। लेकिन कामदेव तथा अन्य अप्सराए उनकी तपस्या को भंग नहीं कर पाते और कामदेव त्राहीमाम-त्राहीमाम करते हुआ नादर मुनि के चरणो में गिर पड़ते है। नारद मुनि को लगता है कि उन्होने बड़ा काम किया है परिणामस्वरूप उन्हें अभिमान आ जाता है। सभी लोग भगवान विष्णु से सहायता मांगते है तथा श्री विष्णु, मुनि के अभिमान को तोडऩे के लिए लीला रचते है। 

नारद मुनि को विवाह करने की इच्छा होती है और वे विष्णु से हरि रूप मांगते है। वे कहते है कि मै वहीं काम करूंगा जो तुम्हारे हित में होगा और वे उन्हें वानर का रूप प्रदान करते है जिससे वे स्वयंवर में हॅंसी का पात्र बन जाते है और भगवान विष्णु राजकुमारी से विवाह कर ले जाते है जिससे नारद जी क्रोधित होते है और वे विष्णु को शाप देते है कि तुम भी एक दिन नारी के लिए तड़पोंगे और तब ये वानर रूप जो आपने मुझे दिया है वे ही तुम्हारे काम आयेगा।  

15 अक्टूबर की लीला में मनु सतरूपा तपस्या, रावण तपस्या, मेघनाथ विजय एवं श्रीराम जन्म की लीला का मंचन किया जायेगा। श्री रामलीला का मंचन स्वामी चंद बिहारी वशिष्ठ एवं देवेन्द्र वशिष्ठ के निर्देशन में श्रीहित राधा कृष्ण कला मण्डल की मंडली वृंदावन द्वारा लीला मंचन किया जा रहा है।


G News 24 : 52 हिन्दू राजाओं को कैद से मुक्त कराने से पड़ा है गुरुद्वारे का नाम दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा

 ग्वालियर के किले में दो वर्ष से अधिक समय तक नज़रबंद रहे थे छटवें गुरु श्री हरिगोबिन्द साहिब ...

52 हिन्दू राजाओं को कैद से मुक्त कराने से पड़ा है गुरुद्वारे का नाम दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा 

ग्वालियर। ग्वालियर के किले में दो वर्ष से अधिक समय तक सिख धर्म के छटवें गुरूसाहिब श्री हरिगोबिन्द नजरबन्द रहे थे l  तथा 52 हिन्दू राजाओं को जो मुगल बादशाह जहागीर व्दारा ग्वालियर में आजीवन कैद थे, उनको कैदसे छुडवाया था । जिस स्थान पर श्री गुरुहरिगोबिन्द साहिब जी बंदी के रूप में रहे थे उसी स्थान पर गुरु साहिब की याद में अत्यन्त मव्य गुरुद्वारा परिसर का निर्माण किया गया है।  जो आम जनता में गुरुद्वारा दाताबन्दी छोड़ के नाम से जाना जाता है । गुरूद्वारा दाता बन्दी छोड़ के व्यपरिसर का निर्माण स्व. रात बाबा उत्तम सिंह जी व्दारा कराया गया है । यह पवित्र स्थान देश प्रदेश से आने वाले दर्शणार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान व तीर्थ का महत्व रखता है ।

बाबा सेवा सिंह जी खंडूर साहिब में गुतपियाणा साहिब के सरोवर, परिक्रमा और बरामदे की कार सेवा भी जारी है । कार सेवा द्वारा समूह संगत के भले के लिए निशान-ए-सिक्खी चैरीटेबल ट्रस्ट के अधीन धार्मिक, मेडीकल, नान मेडीकल और खेल अकॅडमियों, पुलिस और डिफेंस में भर्ती के लिए ट्रेनिंग और वातावरण समाल आदि परियोजनायें देश विदेश की गुरु नानक नाम लेवा संगतों के सहयोग से चढदी कला के साथ चल रही है वातावरण को सुन्दर और साफ सुथरा बनाने के लिए 1999 से शुरू किए पेड पौधे लगाने का कार्य अभी भी निरन्तर जारी है इस परियोजना के अधीन पंजाब और दूसरे राज्यों में लगभग 400 किलोमीटर सड़कों के दोनों किनारो, जनतक स्थानों और गांवों में लगभग 7,00,000 (सात लाख) पेड पौधे धरती पर हरियाली के साथ साथ, फूल, फल और सुन्दरता प्रदान कर रहे हैं । न्यू ग्वालियर साडा में दस गुरु साहिबान के नाम पर दस पार्क तैयार किए गए हैं ।

अतः गुरूव्दारा दाता बन्दीछोड किला ग्वालियर को भव्य आकर्शिक लाइटों से एवं डेकोरेशन कर सजाया गया है उक्त समागम दिनांक 12 अम्टूबर से आरम्भ होकर दिनांक 14 अक्टूबर तक रहेगा । उक्त समागम में देश प्रदेश व विदेश से संगत समागम में सामिल होने आती है । दिनांक 13 अक्टूबर साम से गुरूद्वारा परिसर मे सबद गुरुवाणी कथा कीर्तन के कार्यक्रम की आरम्भता की जावेगी एवं दिनांक 14 को सुबह 8.00 बजे श्रीअखण्ड पाठ साहब का भोग एवं उसके उपरान्त हरमन्दर साहब अमृतसर से हजूरी रागी, ढाढी जत्थे और कवीश्वरी जत्थों एवं बच्चों के कॉम्पीटीशन एवं अन्य गुरुबाणी कार्यक्रम जारी रहेंगे तथा दोपहर 2.00 बजे कार्यक्रम की समाप्ति अरदास उपरान्त होगी साथ की गुरूद्वारा दाता बन्दी छोड परिसर ग्वालियर जिले कीसिक्ख संगत व्दारा संगतों केलिए अलग अलग तरीके के लंगर लगाए जा रहे हैं जिसमे चाय / पकोडे, मीठे और ठण्डे पानी की छबील के काउण्टर एवं लगर प्रसादी के अलग अलग पण्डाल लगाए जाऐंगे जिसमें डबरा, भितरवार, चीनोर, गोहद, भिण्ड से संगत तन / मन / धन से सेवा करेंगी । उक्त समस्त जानकारी बाबा सेवा सिंह जी, बाबा लक्खा सिंह, बाबा गुरप्रीत सिंह एवं बाबा देविन्दर सिंह व्दारा दी गई ।

G News 24 : आदि कैलाश पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी और कैलाश व्यू प्वॉइंट से किए दर्शन

 पीएम मोदी ने की पार्वती कुंड में पूजा-अर्चना ...

आदि कैलाश पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी और  कैलाश व्यू प्वॉइंट से किए दर्शन

उत्तराखंड। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पिथौरागढ़ के पार्वती कुंड में पूजा-अर्चना की। पीएम पिथौरागढ़ में लगभग 4,200 करोड़ रुपए की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी करेंगे। पीएम मोदी के दौरे से जुड़ा हर अपडेट यहां पढ़ें।

पीएम मोदी ने डमरू बजाकर की भगवान शिव की आराधना

 पुजारी ने प्रधानमंत्री को टीका लगाया। इसके बाद उन्होंने मंदिर में शंख ध्वनि कर पूजा अर्चना की। डमरू बजाकर भगवान शिव की आराधना की। इसके बाद व्यू प्वाइंट से आदि कैलाश की भव्यता के दर्शन किए। उन्होंने यहां पर बनाए गए ध्यान स्थल से ध्यान भी लगाया। इसके बाद गुंजी के लिए रवाना हुए। पीएम गुंजी में रं समाज के लोगों से बातचीत करेंगे और स्टाल का निरीक्षण करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत की तैयारी

प्रधानमंत्री मोदी का पिथौरागढ़ में नैनी सैनी एयरपोर्ट से लेकर सभा स्थल स्पोर्ट्स स्टेडियम तक भव्य स्वागत किया जाएगा। इसके लिए जगह-जगह छलिया, कलाकारों के दल मौजूद हैं। नैनी सैनी से सभा स्थल तक दीवारों में कुमाऊनी संस्कृति से संबंधित आकृतियां उकेरी गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कला और संस्कृति को भी देखेंगे।

आदि कैलाश पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बृहस्पतिवार की सुबह हेलीकॉप्टर से आदि कैलाश पहुंचे। प्रधानमंत्री का बेस कैंप में सेना के अधिकारियों ने स्वागत किया। बेस कैंप से प्रधानमंत्री मोदी सड़क मार्ग से पार्वती सरोवर स्थित शिव मंदिर पहुंचे। यहां पर रंगा समाज के लोगाें ने पीएम को पारंपरिक परिधान रंगा व्यंथला पहनाया।

पीएम ने की पार्वती कुंड में पूजा-अर्चना की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिथौरागढ़ के पार्वती कुंड में पूजा-अर्चना की। पीएम मोदी सेना, आईटीबीपी और बीआरओ के साथ स्थानीय लोगों से बातचीत करने के लिए गुंजी गांव भी जाएंगे।

G News 24 : तीन दिवसीय दाता बंदी छोड़ दिवस पर्व की आरंभ हो चुकी है तैयारियां

 12 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक... 

तीन दिवसीय दाता बंदी छोड़ दिवस पर्व की आरंभ हो चुकी है तैयारियां 

 

ग्वालियर। अमृतसर से पैदल चलकर आई कीर्तन यात्रा ग्वालियर पहुंच चुकी है। यात्रा में लगभग 250 धर्मावलंबी अमृतसर से चलकर ग्वालियर पहुंचे है। कीर्तन यात्रा का जलालपुर चौराहे पर पुरानी छावनी, खेरिया, जलालपुर से एकत्रित संगत ने स्वागत कर यात्रा में शामिल हुए इसके बाद यात्रा हजीरा गुरुद्वारा पहुंची जहाँ दीनदयाल नगर, गोला का मंदिर, बिरला नगर, तानसेन नगर, गांधी नगर सेवानगर नूरगंज की संगत ने स्वागत किया और यात्रा में शामिल हो गई ततपश्चात यात्रा फूलबाग चौराहा पहुंची जहाँ मुरार, ठाठीपुर, सिटी सेंटर की संगत ने स्वागत किया और वह भी इस यात्रा में शामिल हो गई इसके बाद यह यात्रा फूलबाग गुरुद्वारा पहुंची जहाँ लश्कर क्षेत्र की संगत ने खुला स्वागत किया व गुरुद्वारा प्रबंधन ने लंगर तथा बाहर से आई संगत के आराम करने का प्रबंध कर रखा था। जहां संगत ने दोपहर 3 बजे तक थकान दूर की इसके बाद यात्रा पुनः आरंभ हुई और शिंदे की छावनी होते हुए गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ पहुँची। 

यात्रा में समाज की महिलाएँ जहां झाड़ू से आगे आगे सफाई करती चल रही थी वहीं युवा पानी का छिड़काव करते हुए और व्यवस्था संभालते हुए साथ चल रहे थे। वही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एस एस अहलूवालिया ने गुरुद्वारे पर जाकर मत्था टेका स्थानीय पुलिस प्रशासन ने भी कीर्तन यात्रा के नगर प्रवेश करते ही व्यवस्था सुलभ बनाकर धार्मिक यात्रा में अपना सहयोग दिया जिसके लिए बाबा लक्खा सिंह जी ने पुलिस प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापित किया।

अमृतसर से पैदल चलकर यात्रा (सबद चौकी)जब किला स्थित गुरुद्वारा दाता बंदीछोड पहुंची तो सिख संगत ने  उनका पुष्प वर्षा  कर स्वागत किया उसके बाद गुरुद्वारा पहुंचकर गुरु ग्रंथ साहिब को माथा टेका।  बाबा लक्खा सिंह ने पैदल चलकर आई संगत को सरोपा भेंट कर उनको सम्मानित किया। यह शबद चौकी रोजाना किले के ऊपर गुरुद्वारा की परिक्रमा करेगी, उसके बाद 14 अक्टूबर को पूरे किले की परिक्रमा करने के बाद पैदल यात्रा वापिस अमृतसर जायेगी।  इस अवसर पर मुख्य सेवादार सेवा सिंह खंडूर साहब, ग्वालियर के बाबा लक्खा सिंह,बाबा बलवंत सिंह, बाबा गुरसेवक सिंह, बाबा प्रदीप सिंह,बाबा गुरप्रीत सिंह और सेवादार बाबा सुखविंदर सिंह  सहित अनेक सेवा धारी उपस्थित थे। 

G News 24 : सुख-संतोष की वृद्धि हेतु एवं स्वर्गस्थ आत्माओं की तृप्ति के लिए किया जाता है तर्पण

 श्री गणेश ज्योतिष केन्द्र के अनुसार... 

सुख-संतोष की वृद्धि हेतु एवं स्वर्गस्थ आत्माओं की तृप्ति के लिए किया जाता है तर्पण 

हिन्दुओं में तर्पण को पितृ-यज्ञ के सामान माना जाता है और सुख-संतोष की वृद्धि हेतु तथा स्वर्गस्थ आत्माओं की तृप्ति के लिए तर्पण किया जाता है। तर्पण का अर्थ पितरों का आवाहन, सम्मान और क्षुधा मिटाने से ही है। इसे ग्रहण करने के लिए पितर अपनी संतानों के द्वार पर पितृपक्ष में आस लगाए खड़े रहते हैं। तर्पण में पूर्वजों को अर्पण किए जाने वाले जल में दूध, जौ, चावल, तिल, चंदन, फूल मिलाए जाते हैं, कुशाओं के सहारे जल की छोटी-सी अंजलि मंत्रोच्चार पूर्वक डालने मात्र से वे तृप्त हो जाते हैं। 

जब जलांजलि श्रद्धा, कृतज्ञता, सद्भावना, प्रेम, शुभकामनाओं की भावना के साथ दी जाती है, तो तर्पण का उद्देश्य पूरा होकर पितरों को तृप्ति मिलती है। उल्लेखनीय है कि पितृ तर्पण उसी तिथि को किया जाता है, जिस तिथि को पूर्वजों का परलोक गमन हुआ हो। जिन्हें पूर्वजों की मृत्यु तिथि याद न रही हो, वे आश्विन कृष्ण अमावस्या यानी सर्वपितृमोक्ष अमावस्या को यह कार्य करते हैं, ताकि पितरों को मोक्ष मार्ग दिखाया जा सके। लोगों में यह मान्यता प्रचलित है कि जब तक मृत आत्माओं के नाम पर वंशजों द्वारा तर्पण नहीं किया जाता, तब तक आत्माओं को शांति नहीं मिलती। वह इधर-उधर भटकती रहती है।

हमारी श्राद्ध प्रक्रिया में जो 6 तर्पण कृत्य (देवतर्पण, ऋषितर्पण, दिव्यमानवतर्पण, दिव्यपितृतर्पण, यमतर्पण और मनुष्यपितृतर्पण के नाम से किए जाते हैं), इनके पीछे भिन्न-भिन्न दार्शनिक पक्ष बताए गए हैं। देवतर्पण के अंतर्गत जल, वायु, सूर्य, अग्नि, चंद्र, विद्युत एवं अवतारी ईश्वर अंशों की मुक्त आत्माएं आती हैं, जो मानवकल्याण हेतु निःस्वार्थ भाव से प्रयत्नरत हैं।

  • ऋषितर्पण के अंतर्गत नारद, चरक, व्यास दधीचि, सुश्रुत, वसिष्ठ, याज्ञवल्क्य, विश्वामित्र, अत्रि, कात्यायन, पाणिनि आदि ऋषियों के प्रति श्रद्धा आती है।
  • दिव्यमानवतर्पण के अंतर्गत जिन्होंने लोक मंगल के लिए त्याग-बलिदान किया है, जैसे-पांडव, महाराणा प्रताप, राजा हरिश्चंद्र, जनक, शिवि, शिवाजी, भामाशाह, गोखले, तिलक आदि महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता की अभिव्यक्ति की जाती है। दिव्यपितृतर्पण के अंतर्गत जो अनुकरणीय परंपरा एवं पवित्र प्रतिष्ठा की संपत्ति छोड़ गए हैं, उनके प्रति कृतज्ञता हेतु तर्पण किया जाता है।
  • यमतर्पण जन्म-मरण की व्यवस्था करने वाली शक्ति के प्रति और मृत्यु का बोध बना रहे, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए करते हैं ।
  • मनुष्यपितृतर्पण के अंतर्गत परिवार से संबंधित सभी परिजन, निकट संबंधी, गुरु, गुरु-पत्नी, शिष्य, मित्र आते हैं, यह उनके प्रति श्रद्धा भाव है।
  • इस प्रकार तर्पण रूपी कर्मकांड के माध्यम से हम अपनी सद्भावनाओं को जाग्रत करते हैं, ताकि वे सत्प्रवृत्तियों में परिणत होकर हमारे जीवन लक्ष्य में सहायक हो सकें।

G News 24 :1 फूल के बिना अधूरा माना जाता है पितरों का तर्पण इसके बिना संतुष्ट नहीं हो पाते पूर्वज

पिंडदान के लिए होता है कांश  के फूलों का इस्तेंमाल...

1 फूल के बिना अधूरा माना जाता है पितरों का तर्पण इसके बिना संतुष्ट नहीं हो पाते पूर्वज

सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया जाता है. भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू करके अश्विन माह की अमावस्या तक पितृ पक्ष रहता है. ये 16 दिन पितरों के निमित्त पूजा-पाठ, श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है. कहते हैं कि ये 16 दिन पितर वंशजों के बीच होते हैं. उनके द्वारा किए गए श्राद्ध कर्म से प्रसन्न होकर वे उन्हें वंश वृद्धि, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.  इस साल 29 सितंबर से पितृ पक्ष का आरंभ हो रहा है. वहीं इसका समापन 14 अक्टूबर के दिन होगा.  

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने के लिए एक विशेष फूल का इस्तेमाल किया जाता है. इसे काश के फूल के नाम से जानते हैं. कहते हैं कि अगर पूजा में काश के फूलों का इस्तेमाल न किया जाए, तो व्यक्ति का श्राद्ध कर्म पूरा नहीं माना जाता. आइए जानते हैं पितरों के श्राद्ध में काश के फूल का क्या महत्व है और इस दौरान किन फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. 

पितृ पक्ष में करें इस फूल का प्रयोग 

शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध की पूजा अन्य पूजा से काफी अलग होती है. इतना ही नहीं, श्राद्ध कर्म के दौरान कुछ चीजों का खास ख्याल रखा जाता है. पितृ पक्ष में हर फूल को श्राद्ध और तर्पण में शामिल नहीं किया जा सकता. इसके लिए सिर्फ काश के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है.  बता दें कि पितृ पक्ष में श्राद्ध-पूजन में मालती, जूही, चम्पा सहित सफेद फूलों का इस्तेमाल किया जाता है.  इसके साथ ही इस बात का भी खास ख्याल रखें कि इस दौरान तुलसी और भृंगराज का भी इस्तेमाल भूलकर न करें. 

बता दें कि पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण के दौरान बेलपत्र, कदम्ब, करवीर, केवड़ा, मौलसिरी और लाल -काले रंग के फूलों का प्रयोग वर्जित माना गया है. ऐसा माना जाता है कि पितर इन्हें देखकर निराश होकर लौट जाते हैं. ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान इस तरह के फूलों के इस्तेमाल से बचें. पितरों के नाराज होने से व्यक्ति के पारिवारिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.   

पितृ तर्पण में क्यों महत्वपूर्ण हैं काश का फूल 

बता दें कि कई पुराणों में इस बात का जिक्र मिलता है कि पितृ तर्पण के दौरान काश के फूल का ही इस्तेमाल शुभ माना गया है. जिस तरह तर्पण के दौरान कुश और तिल का खास प्रयोग किया जाता है, उसी प्रकार पितृ तर्पण में काश के फूल का होना आवश्य है. कहते हैं कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए काश के फूलों का प्रयोग शुभ माना गया है.

G.NEWS 24 : आज घर-घर पधारेंगे गजानन महाराज...

जानिए पूजा विधि, मंत्र और महत्व

आज घर-घर पधारेंगे गजानन महाराज...

गणेश उत्सव का यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तिथि तक चलता है। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। भादो मास की गणेश चतुर्थी का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस अवसर पर लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और दस दिनों तक बड़े धूमधाम से उनकी पूजा करते हैं। गणपति की इन मूर्तियों को दसवें दिन अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जित किया जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी आज यानी 19 सितंबर 2023 से शुरू हो रहा है और इसका समापन 28 सितंबर को होगा।

गणेश चतुर्थी के दिन घरों और बड़े-बड़े पूजा पंडालों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है। इस दिन लोग शुभ मुहूर्त में ही अपने घरों में गणपति की स्थापना करते हैं। चतुर्थी तिथि 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12:39 बजे शुरू होगी और 19 सितंबर 2023 को दोपहर 1:43 बजे समाप्त होगी। गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को उदया तिथि के आधार पर मनाई जाएगी। गणेश प्रतिमा स्थापना का शुभ समय 19 सितंबर को सुबह 11:07 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक है। गणेश चतुर्थी तिथि के शुभ समय को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति को अपने घर के उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व भाग में रखें। पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठ जाएं। 

भगवान गणेश की मूर्ति के पूर्व दिशा में कलश रखें और आग्नेय कोण में दीपक जलाएं। अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुण्डरीकाक्षय नमः मंत्र का जाप करें। भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें और माथे पर तिलक लगाएं। आसन के बाद भगवान गणेश को पंचामृत से स्नान कराएं। उन्हें वस्त्र, पवित्र धागा, चंदन, अक्षत, धूप, दीया, नैवेद्य और फल चढ़ाएं। भगवान गणेश की आरती करें और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मांगें। गणपति बाप्पा को मोदक और लड्डू बहुत प्रिय हैं इसलिए उनकी पूजा में ये दोनों चीजें जरूर चढ़ानी चाहिए। 

मान्यता है कि भगवान गणेश को लड्डू या मोदक का भोग लगाने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। हिंदू धर्म में सुपारी को भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है, इसलिए गणेश चतुर्थी की पूजन सामग्री में सुपारी शामिल करना न भूलें। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय देवता माना जाता है। किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य में सबसे पहले गणेश जी की पूजा और आराधना की जाती है। भगवान गणेश को बुद्धि, सुख, समृद्धि और बुद्धि का दाता माना जाता है। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दोपहर के समय स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था। ऐसे में अगर आप गणेश चतुर्थी के दिन घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने जा रहे हैं तो इसे दोपहर के शुभ मुहूर्त में ही स्थापित करना होगा। गणेश चतुर्थी की तिथि से लेकर अनंत चतुर्दशी तक यानी लगातार 10 दिनों तक भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

गणेश जी के इन मंत्रों का करें जाप -

1.  वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

     निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

2.  एकदंताय विद्‍महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।

3.  ॐ गं गणपतये नमः 

4.  गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:। 

     नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।। 

     धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:। 

     गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।' 

5.  एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।

     विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥

G.NEWS 24 : हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को

हिन्दू पंचाग के अनुसार इस बार बन रहा ख़ास योग...

हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को

हरतालिका तीज व्रत इस बार सोमवार 18 सितंबर को रखा जाएगा। ये उपवास महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। वहीं अविवाहित युवतियों अच्छे वर की कामना से ये उपवास रखती हैं। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज मनाया जाता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार इस बार हरितालिका तीज पर एक खास योग बन रहा है। इसमें भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होगीं। इस बार हरतालिका तीज के दिन रवि योग के साथ एन्द्र नामक योग का निर्माण हो रहा है। 

एन्द्र योग से व्रती महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वर मिलेगा। इसके अलावा घर में सुख समृद्धि और वैभव बना रहेगा। साथ ही साथ रवि योग पति की प्रगति ज्ञान वृद्धि और नई ऊर्जा प्रदान करेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति स्वरूप में पाने के लिए इस दिन से ही तप की शुरुआत की थीं। 

उनके कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें आशीर्वाद दिया था जिसके फलस्वरूप माता पार्वती ने उन्हें पति स्वरूप में प्राप्त किया। यही वजह है कि लड़कियां भी मनचाहे वर के लिए ये व्रत कप रखती हैं।इस व्रत पर बालू और मिट्टी से बने शिव पार्वती की पूजा की जाती है। सुबह से व्रत के संकल्प के बाद शाम के समय शिव पार्वती की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। इस दौरान माता पार्वती को सोलह श्रृंगार चढ़ाकर उन्हें पुष्प और फल अर्पित करना चाहिए। 

G.NEWS 24 : अयोध्या बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक हब !

खुद पीएम नरेंद्र मोदी इस पूरे प्रोजेक्ट पर नजर रखे हुए हैं...

अयोध्या बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक हब !

अयोध्या। राम नगरी अयोध्या सज रही है संवर रही है। 5-10 हजार करोड़ नहीं, बल्कि 32 हजार करोड़ से। इसमें राम लला के मंदिर की लागत अलग है। सरकार का टारगेट अयोध्या को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन हब बनाने का है। यह इसी से समझा जा सकता है कि खुद पीएम नरेंद्र मोदी इस पूरे प्रोजेक्ट पर नजर रखे हुए हैं। पीएम ने अयोध्या के डेवलपमेंट को लेकर दिल्ली में मीटिंग की। इसमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, अयोध्या कमिश्नर और डीएम भी पहुंचे। मंथन हुआ कि आखिर कैसे अयोध्या को और सुंदर और बेहतर बनाया जाए। सियासी लोग इस पूरी कसरत को 2024 के आम चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। अयोध्या में सरकार 320 करोड़ की लागत से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बना रही है। 

दो फेज में इसे बनाया जा रहा। रनवे का काम लगभग पूरा हो चुका है। बिल्डिंग भी 80% तक तैयार है। पर्यटन विभाग के मुताबिक, रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले एयरपोर्ट स्टार्ट हो जाएगा। यानी जनवरी से पहले। एयरपोर्ट के सेकेंड फेज का निर्माण पूरा होने के बाद 700 से ज्यादा यात्रियों को हैंडल किया जा सकता है। एयरपोर्ट से 15 मिनट में राम मंदिर पहुंचा जा सकता है। अयोध्या धाम बस स्टेशन को भव्य तरीके से तैयार किया जा रहा है। इसे 9 एकड़ में 219 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है। जो लोग अपने निजी वाहन से अयोध्या आएंगे, वो जन्मभूमि से एक से डेढ़ किमी पहले पार्किंग में अपना वाहन खड़ा करेंगे। 

इसके बाद ई-रिक्शा से मंदिर तक जा सकते हैं। अयोध्या जंक्शन के लिए 150 करोड़ का बजट दिया था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 230 करोड़ कर दिया गया है। नए स्टेशन को भव्य तरीके से बनाया जा रहा है। करीब 10 हजार वर्ग मीटर में नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। इसमें सवा दो सौ कमरे, डॉरमेट्री, एस्केलेटर, फूड प्लाजा और 24 कोच के 3 प्लेटफॉर्म शामिल हैं। सरकार की योजना रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही इस नई स्टेशन बिल्डिंग को शुरू करने की है। पुरानी बिल्डिंग को पूरी तरह से तोड़ दिया जाएगा। ट्रेन से राम मंदिर जाने के 3 रास्ते हैं। 

काशी से आए, तो अयोध्या जंक्शन उतरेंगे। लखनऊ से आए तो अयोध्या कैंट और गोरखपुर से आ रहे हैं, तो रामघाट स्टेशन पर उतरेंगे। अयोध्या जंक्शन से राम मंदिर मात्र 800 मीटर की दूरी पर है। अयोध्या कैंट से इसकी दूरी 9 किमी और रामघाट से 3 किमी है। योगी सरकार ने 20 से ज्यादा हॉस्पिटैलिटी कंपनियों लाइसेंस दिया है। अयोध्या में 20 फाइव स्टार होटल बनाए जाएंगे। इसमें ताज होटल समेत कई बड़े ग्रुप शामिल हैं। ताज ग्रुप ने तो जमीन भी तलाश ली है। ताज ग्रुप अयोध्या में जल्द 5-स्टार होटल बनाएगा। इसके अलावा विवांता 100 कमरे वाले और जिंजर 120 कमरों वाले होटल खोलेगी। यही नहीं, रेडिसन और ओयो ग्रुप भी लग्जरी होटल बनाने की तैयारी में हैं। इसके अलावा पर्यटकों के रोमांच के लिए क्रूज भी चलाए जाएंगे।

G.NEWS 24 : देशभर में आज धूमधाम से मनेगी जन्माष्टमी, जानें विधि और शुभ मुहूर्त

मंदिर से लेकर घरों तक में खास तैयारी की जा रही है...

देशभर में आज धूमधाम से मनेगी जन्माष्टमी, जानें विधि और शुभ मुहूर्त

आज यानी 7 सितंबर को मथुरा समेत पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी की पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इस पावन मौके पर मंदिर से लेकर घरों तक में खास तैयारी की जा रही है। गुरुवार रात 12 बजे बाल गोपाल का जन्म कराया जाएगा, उसके बाद विधि विधान के साथ कान्हा का श्रृंगार और पूजन किया जाएगा। विधिवत श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी मनोकामना की पूरी होती है। जन्माष्टमी की असल रौनक बृज की धरती पर देखने को मिलती है खासतौर से मथुरा में दूर-दूर से लोग कृष्ण जन्मोत्सव देखने के लिए यहां जुटते हैं। जन्माष्टमी की मौके पर मथुरा के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। बता दें कि भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। 

जन्माष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त -

  • भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ- 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 27 मिनट से 
  • कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त- 7 सितंबर 2023 को दोपहर 04 बजकर 14 मिनट पर 
  • रोहिणी नक्षत्र-  6 सितंबर को सुबह 09 बजकर 20 मिनट से 7 सितंबर सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक
  • भगवान कृष्ण पूजा का समय - 7 सितंबर 2023 को  11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि -

  • जन्माष्टमी के दिन प्रात:काल स्नान कर साफ कपड़े पहन लें।
  • कान्हा जी की पूजा करने के बाद जन्माष्टमी व्रत का संकल्प लें।
  • जन्माष्टमी का व्रत निर्जला रखा जाता है तो संभव हो तो पानी भी न पिएं।
  • इसके बाद रात 12 बजे लड्डू गोपाल का जन्म करवाएं।
  • फिर नन्हें कान्हा का दही, तुलसी, शहद, घी, गंगाजल से अभिषेक करें।
  • अब बाल गोपाल को साफ कपड़े से पोंछकर नए वस्त्र और गहने पहनाएं। 
  • श्रृंगार करने के बाद कान्हा जी को झूले में या चौकी पर विराजमान करें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा जरूर बिछाएं।
  • फिर धूप, दीप, फल, फूल, अक्षत, सिंदूर, चंदन और तुलसी की माला अर्पित करें
  • अब घी का दीपक जलाकर कृष्ण जी की आरती करें। 
  • आरती के बाद यशोदा के लाल को पंजीरी, माखन-मिश्री, खीर, मखाना, खीरा, मिठाई आदि चीजों का भोग लगाएं।
  • कृष्ण जी के मंत्रों के जाप के साथ जन्माष्टमी की पूजा संपन्न करें। 
  • भगवान कृष्ण के सामने हाथ जोड़ गलती की माफी मांग अपनी मनोकामना की पूर्ति की कामना करें। 
  • जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जी के राधा रानी, यशोदा, देवकी, नंद, वासुदेव जी और गाय माता की भी पूजा की जाती है।

श्री कृष्ण मंत्र -

  • ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
  • ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे।  सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।
  • हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे

G.NEWS 24 : एक मंदिर ऐसा भी जहाँ श्रीकृष्ण के साथ होती मीराबाई की पूजा

ऐसा अनूठा मंदिर जिसमें राधारानी नहीं बल्कि...

एक मंदिर ऐसा भी जहाँ श्रीकृष्ण के साथ होती मीराबाई की पूजा

मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर मे एक ऐसा अनूठा मंदिर है, जो भक्त मीराबाई और श्रीकृष्ण के प्रेम को दर्शाता है। इस मंदिर में मीराबाई के साथ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान हैं। प्रतिदिन इनकी मूरत की पूजा-अर्चना होती है। हर साल जन्माष्टमी का पर्व मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर की बढ़ती प्रसिद्धि के कारण प्रतिदिन नगर और प्रदेश के साथ ही राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। 

इस अनूठे मंदिर को देखने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और मीरा की प्रतिमा के साथ ही शिव मंदिर और अत्यंत आकर्षित एक बगीचा भी है। जहां चंदन, कदंब, रुद्राक्ष और स्वर्ण चंपा के साथ ही विभिन्न प्रकार के वृक्ष मंदिर परिसर के पूरे वातावरण को आनंदित करने के साथ ही श्रद्धालुओं को लुभाते हैं।

मंदिर के पुजारी पं. सुनील बटवाल एवं अनिल बटवाल ने मीरा माधव मंदिर पर आज  श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाएगा। वहीं 8 सितंबर 2023 को सुबह  8 बजे नंद महोत्सव का आयोजन होगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर में आकर्षक विद्युत सज्जा के साथ प्रातः मंगलादर्शन होगी। वहीं सुबह 7.30 बजे पंचामृत दर्शन के पश्चात सुबह 11 बजे तिलक दर्शन, 12 बजे राजभोग दर्शन तथा सायं 6 बजे पुष्प श्रृंगार दर्शन होंगे। रात्रि 8 बजे जागरण दर्शन एवं भजन संध्या के साथ रात्रि 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

G News 24 : 11 अक्टूबर को दोपहर एक बजे पवित्र तीर्थ स्थल के कपाट बंद होने की तारीख का हुआ ऐलान !

 हेमकुंड साहिब यात्रा को लेकर बड़ी खबर अब तक  2.27 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन...

11 अक्टूबर को दोपहर एक बजे पवित्र तीर्थ स्थल के कपाट बंद होने की तारीख का हुआ  ऐलान ! 

देहरादून।  हेमकुंड साहिब के कपाट बंद करने की तारीख का ऐलान कर दिया गया है। यह सिखों का विश्व प्रसिद्ध प्रमुख तीर्थ स्थल है। जानकारी के मुताबिक इस साल 11 अक्टूबर को दोपहर एक बजे हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। रोकी गई हेमकुंड साहिब यात्रा, सुबह से ही हो रही बारिश और बर्फवारी

20 मई को खुले थे कपाट

गुरुद्वारा हेमकुंड ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेन्द्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि हेमकुंड साहिब के कपाट इस वर्ष 20 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले गए थे। अभी तक 2 लाख 27 हजार 500 श्रद्धालुओं ने हेमकुंड गुरुद्वारे में मत्था टेका है।

बारिश का दौर जारी 

इस वर्ष कपाट खुलने के समय से ही हेमकुंड में भारी बर्फबारी थी। वहीं, सेना के जवानों ने बर्फ के बीच से श्रद्धालुओं के लिए रास्ता बनाया था। अभी तक यहां मौसम खराब ही चल रहा है। हालांकि, अब यहां बर्फ जमा नहीं है, लेकिन बारिश का दौर जारी है।

फिर शुरू हुई हेलीकॉप्टर सेवा

नरेन्द्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि बारिश कम होने के बाद अब गोविंदघाट से घांघरिया तक एक बार फिर से हेलीकॉप्टर सेवा भी शुरू हो गई है। तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए रुद्रप्रयाग में एक गुरुद्वारा और धर्मशाला का निमार्ण किया जा रहा है। 

आकर्षण का केंद्र बने ब्रह्मकमल के फूल

हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर इन दिनों ब्रह्मकमल खिले हुए हैं। हेमकुंड जाने वाले यात्रियों के लिए यह फूल आकर्षण का केंद्र बने हैं। राज्य पुष्प ब्रह्मकमल 13 हजार फीट की ऊंचाई पर खिलता है। ब्रह्मकमल हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर अटलाकोटी से हेमकुंड साहिब तक जगह-जगह पर खिला हुआ है। 

जुलाई से सितंबर के बीच खिलने वाला ब्रह्मकमल धार्मिक महत्व का पुष्प है। नंदा अष्टमी मेले के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्र से ब्रह्मकमल को लाकर नंदा को अर्पित किया जाता है। हेमकुंड यात्रा मार्ग पर ब्रह्मकमल के साथ अन्य प्रजाति के फूल भी खिले हुए हैं, जिससे पूरे क्षेत्र की खूबसूरती और भी निखर रही है।

G News 24 :मंदिरों में शिव और नागदेवता के पूजन के लिए रही भक्तों की भीड़

सावन के सोमवार को नाग पंचमी होने से अद्भुद संयोग बना... 

मंदिरों में शिव और नागदेवता के पूजन के लिए रही भक्तों की भीड़ 

ग्वालियर। सावन मास में सोमवार के व्रत और इस दिन शिव के पूजन का अलग ही महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा अर्चना व उपासना से भक्त को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ती होती है। इस बार तो सोमवार को नाग पंचमी होने से अद्भुद संयोग बन रहा है।

यही कारण है कि सोमवार सुबह से शिव मंदिरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जमा थी। श्रद्धालु शिव की आराधना के साथ ही नागदेवता को भी पूज रहे थे। ऐसा माना जाता है कि सावन के सोमवार का नाग पंचमी होने पर शिव और नागदेवता के अभिषेक करने से मन को सुख मिलता है और वैभव बढ़ता है। इस अद्भुत संयोग को ध्यान में रखते हुए मंदिरों में आसपास पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन के सातवें सोमवार के दिन श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पड़ रही है। सनातन धर्म में भगवान शिव की उपासना के लिए श्रावण मास में सोमवार दिन को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। 

शिवालयों पर सुबह से उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

श्रावण मास का सोमवार होने के कारण शहर के शिव मंदिरों पर भी पूजा अर्चना का दौर दिनभर चलता रहा। भक्तगण शिव मंदिरों पर बेल पत्र, मिष्ठान, दूध और दही से भगवान का शिव का अभिषेक करते दिखाई दिए।

शहर के कोटेश्वर महादेव मंदिर, अचलेश्वर महादेव मंदिर, गुप्तेश्वर महादेव मंदिर, भूतेश्वर महादेव मंदिर सहित शहर के सभी शिवमंदिरों पर भक्तों की कतारें देखी गई।

सावन के सोमवार पर मंदिरों पर सुबह से भीड़ लगी थी। दुर्लभ संयोग पर शिवालय और नागदेवता के मंदिरों पर पूजा अर्चना के लिए सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंची। मंदिरों के प्रबंधन ने श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए व्यवस्थाएं कर रखी हैं।

G News 24 :नाग पंचमी पर वर्ष में सिर्फ एक बार खुलता है नागचन्द्रेश्वर मंदिर

 यहां है नाग देवता की दुर्लभ प्रतिमा...

नाग पंचमी पर वर्ष में सिर्फ एक बार खुलता है नागचन्द्रेश्वर मंदिर

ग्वालियर। 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा, जानते हैं नाग देवता के उस मंदिर के बारे में जो बर्ष में सिर्फ एक बार खुलता है श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा, सनातन धर्म में इस दिन भगवान शिव जी के साथ सर्पों की पूजा का विधान है, हिंदू धर्म में नाग पूजनीय माने गए हैं, जहां भगवान शिव के गले में विराजते हैं तो शेषनाग पर भगवान विष्णु शयन करते हैं, आइए जानते हैं नाग देवता के उस मंदिर के बारे में जो वर्ष में सिर्फ एक बार खुलता है। 

नागचंद्रेश्वर मंदिर की रोचक जानकारी

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग में से एक है महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर में की तीसरी मंजिल पर मौजूद है नागचंद्रेश्वर मंदिर ये मंदिर भक्तों के लिए बर्ष में सिर्फ नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए ही खुलता है। नागचंद्रेश्वर मंदिर 11वीं शताब्दी में बनाया गया था, यहां फन फैलाए नाग की एक अद्भुत प्रतिमा है जिस पर शिवजी और मां पार्वती विराजमान है। 

ग्वालियर न्यूज़ 24 परिवार की ओर से आप सभी को नाग पंचमी  की बहुत बहुत शुभकानाएं ....

G News 24 :श्रद्धाभाव से मनाया गया पुष्टिमार्गीय परम्परानुरूप हरियाली अमावस्या उत्सव

 श्री सनातन धर्म मन्दिर में हरियाली अमावस्या उत्सव...

श्रद्धाभाव से मनाया गया पुष्टिमार्गीय परम्परानुरूप हरियाली अमावस्या उत्सव 

ग्वालियर। श्री सनातन धर्म मन्दिर में आज 16 अगस्त बुधवार को हरियाली अमावस्या उत्सव श्रद्धाभाव से उत्साह पूर्वक मनाया गया। प्रधानमंत्री महेश नीखरा एवं धर्ममंत्री ओमप्रकाश गोयल ने जानकारी देते हुए बताया  पुष्टिमार्गीय परम्परानुरूप आज हरियाली अमावस्या उत्सव श्रद्धाभाव से मनाया गया।आज श्रावण अधिकमास पूर्णता उत्सव भी होने से मन्दिर के पट खुलने के साथ ही भक्त-श्रद्धालुओं का दर्शन एवं दान-पुण्य लाभ हेतु आना प्रारंभ हो गया। 

अधिक मास व्रत एवं स्नान करने वाले भक्त-श्रद्धालुओं ने अनुष्ठान पूर्वक अपने  व्रत का उद्यापन वैदिक विधि विधान से सम्पन्न किया। इस अवसर पर मुख्य भगवान चक्रधर एवं श्री गिरिराजधरण का विशेष मनमोहक श्रृंगार हरियाली अमावस्या के अनुरूप हुआ,भगवान चक्रधर को हरी पगड़ी, हरी पोशाक धारण कराई गई, हरी पिछवाई लगाई गई। भगवान को ठाकुर जी की रसोई में निर्मित विशेष व्यंजनों का भोग  अर्पित किया गया।सन्ध्या आरती उपरांत भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।भक्तों द्वारा भजन कीर्तन भी हुए। मुख्य पुजारी पण्डित रमाकांत  शास्त्री ने बताया 19 अगस्त शनिवार से ठाकुरजी का भव्य हिन्डोला उत्सव प्रारंभ होगा जो श्रावण पूर्णिमा तक चलेगा।