ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब उठा 'भोजशाला' विवाद

हिंदू मंगलवार को करते पूजा तो शुक्रवार को मुस्लमान पढ़ते नमाज…

ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब उठा 'भोजशाला' विवाद

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर दावा किया जा रहा है कि प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई थी जिसको लेकर मस्जिद परिसर में अब सर्वे का काम चल रहा है। सर्वे की रिपोर्ट 17 मई को अदालत के सामने पेश की जाएगी। वहीं इस मामले के साथ अब धार जिले की भोजशाला का मामला भी उठते दिख रहा है। भोपाल से ढाई सौ किलोमीटर दूर इंदौर के पास बसा धार ऐतिहासिक शहर है जिसे राजा भोज से जोड़कर देखा जाता है। शहर के एक किनारे में बनी है भोजशाला जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे दसवीं सदी में राजा भोज ने बनाया था। माना जाता है वो एक संस्कृत पाठशाला थी जिसमें देवी सरस्वती या वाग्देवी की प्रतिमा भी लगी थी जिसे अंग्रेज अपने साथ लंदन ले गए। खिलजी वंश की है। तेरहवीं सदी के बाद के दस्तावेजों में भोजशाला को कमाल मौला की मस्जिद बताया गया है तो यहां परिसर में नमाज पढ़ी जाती है। 

कई लंबे सालों तक चले विवादों के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई ने इस परिसर को अपने कब्जे में लिया है और मंगलवार को हिंदुओं को फूलों के साथ पूजा करने और शुक्रवार को मुसलमानों को दोपहर की नमाज पढ़ने की छूट दी है। बाकी दिन वो पुरातत्व विभाग की इमारत है टिकट लेकर कोई भी आ जा सकता है। धार में सक्रिय हिंदू संगठन भोजशाला को सौंपने के लिये लंबे समय से आंदोलन चलाते आ रहे हैं। 2003 के बाद से चल रहे बीजेपी शासन से उनको उम्मीदें थी कि उनकी सुनी जाएगी मगर 2013 से केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद भी उन नियमों में जरा भी तब्दीली नहीं हुई। भोजशाला में मंगलवार को नियम से हनुमान चालीसा पढ़ी जा रही है। 

इसे वो सत्याग्रह कहते हैं। मंगलवार की सुबह भी गोपाल शर्मा और उनके साथियों ने राष्ट आराधना के कुछ गीतों के बाद हनुमान चालीसा पढ़ा और उम्मीद जाहिर की कि ये परिसर हिंदुओं को आज नहीं तो कल मिलेगा। धार में जी न्यूज़ 24 की टीम ने कुछ मुस्लिम समाज के लोगों से भी बात की तो बिना कैमरे के सामने आये उनका दावा था कि कागजों पर उनका दावा मजबूत है चाहे धार स्टेट के कागज हों या फिर आजादी के बाद के ये कमाल मौला मस्जिद है इस पर उनका हक है। मगर जब हमने उनसे पूछा कि यदि कोर्ट आस्था के आधार पर फैसला देने लगा तो क्या करोगे तो वो चुप ही रहे। जी न्यूज़ 24 की टीम मंगलवार को भोपाल पहुंची और बुधवार की दोपहर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की ओर से याचिका लगा दी गई। भोजशाला परिसर हिंदुओं को देने और मुसलमानों को नमाज पढ़ने से रोकने के लिये याचिका दाखिल की गई। 

हिन्दू पक्ष की याचिका वकील हरिशंकर जैन ने लगायी है जिन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद और कुतुब मीनार का विवाद भी उठाया था। कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर संबंधित पक्षों को नोटिस देकर अपना पक्ष रखने को कहा है। अचानक आयी इस याचिका और कोर्ट के आदेश के बाद धार का मुस्लिम पक्ष हरकत में हैं और कह रहा है कि भोजशाला पर हक के लिये कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। मगर अब साफ है कि अयोध्या, काशी के बाद भोजशाला भी हिंदू संगठनों की उसी कड़ी का हिस्सा है जिसे वो इतिहास की भूल कहकर सुधारने निकले हैं। जानकार कहते हैं कि इतिहास की गलतियों से सबक लेना चाहिए मगर यहां तो इतिहास की गलतियों को सुधारने की धुन सवार है।

मस्जिद के सर्वे की कार्यवाही शुरू, सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम

अधिवक्ता कमिश्नर सहित वादी प्रतिवादी पक्ष के लोग और वकील ज्ञानवापी परिसर पहुंचे…

मस्जिद के सर्वे की कार्यवाही शुरू, सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम

वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की कार्यवाही शुरू हो गई है। अधिवक्ता कमिश्नर सहित वादी प्रतिवादी पक्ष के लोग और वकील ज्ञानवापी परिसर पहुंचे हैं। दूसरे दिन का सर्वे जारी करने के लिए टीम ज्ञानवापी परिसर में जाने के लिए विश्वनाथ धाम के अंदर पहुंच चुकी है। अधिवक्ता कमिश्नर विशाल सिंह ने बताया कि शांतिपूर्ण तरीके से सर्वे की कार्यवाही चल रही है। जहां वादी और प्रतिवादी सभी लोग इसमें सहयोग कर रहे है। किसी प्रकार की कोई भी रुकावट और कोई बाधा नहीं है। आज मस्जिद के ऊपरी कमरों का सर्वेक्षण होगा। इस दौरान मस्जिद में मौजूद एक कमरे को खोला जाएगा, जिसमें बताया जा रहा है कि मलबा भरा हुआ है। इसके अलावा मस्जिद के गुंबदों का सर्वे भी अहम है। न्यायालय के आदेश पर वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की कार्यवाही शनिवार को भी हुई। 

14 मई को मस्जिद के तहखाने के चार कमरों और पश्चिमी दीवार के सर्वे की कार्यवाही पूरी हुई। शनिवार की अपेक्षा आज पुलिस का पहरा और सख्त हुआ है। वहीं, मीडिया को भी शनिवार की अपेक्षा दूर रखा गया है। न्यायालय के आदेश पर शनिवार को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की कार्यवाही पूरी हुई। सर्वे के दौरान एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा, विशाल सिंह और असिस्टेंट कमिश्नर अजय प्रताप मौजूद रहे। वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने बताया कि सर्वे शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। ज्ञानवापी मस्जिद के ऊपर के कमरों का सर्वे रविवार को होगा। शनिवार को सर्वे के दौरान डीएम वाराणसी भी तहखाने में मौजूद थे। सर्वे के दौरान एक और तहखाना मिला। 

तहखाने के चारों कमरों का सर्वे शनिवार को पूरा कर लिया गया। टीम ने पश्चिमी दीवार और नंदी के पास के इलाके का भी सर्वे किया। तहखाने का एक कमरा हिंदू और तीन कमरे मुसलमानों के पास हैं। गौरतलब है कि ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में शनिवार को वकील कमिश्नर अजय मिश्रा के साथ वादी-प्रतिवादी पक्ष के लोग परिसर में पहुंचे थे। वाराणसी जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि शनिवार को 50 प्रतिशत सर्वे की कार्रवाई पूरी हो गई। सर्वे में क्या हुआ, किस जगह का सर्वे हुआ, यह कोर्ट के आदेश के कारण बताया नहीं जा सकता है। शेष सर्वे की कार्यवाही रविवार को पूरी होगी। 

शनिवार की कार्यवाही से सभी पक्ष पूरी तरह से संतुष्ट हैं वीडियोग्राफी करने वाले वीडियो ग्राफर ने बताया कि अंदर अंधेरा होने की वजह से कुछ दिक्कतें थीं, लेकिन वाराणसी प्रशासन की तरफ से इस दिशा में पहल करते हुए लाइट की व्यवस्था की गई और अंदर फोटोग्राफी पूरी हो सकी। इस मामले में हिंदू पक्ष के वकीलों का कहना है कि कार्यवाही के तहत अंदर बहुत सी ऐसी चीजें मिली हैं जिनको बताना उचित नहीं है। यह सारी चीजें न्यायालय के समक्ष सबूत के तौर पर रखी जाएंगी। शनिवार को लगभग 4 घंटे चले सर्वे में तहखाना समेत मस्जिद के बाहरी हिस्सों की वीडियोग्राफी की गई। रविवार सुबह 8:00 बजे से वीडियोग्राफी फिर से शुरू की जाएगी और 12:00 बजे तक जारी रहेगी। 

गौरतलब है कि अगर रविवार को काम पूरा नहीं होगा तो सोमवार को भी सर्वे की वीडियोग्राफी की जाएगी। इस प्रकरण में वादी सीता साहू का कहना है कि आज हमें काफी संतोष मिला है। प्रशासन ने पूरा सहयोग दिया, हम अंदर गए, तहखाने में भी दाखिल हुए और वीडियोग्राफी की कार्यवाही बिना किसी परेशानी के पूरी हुई। हिंदू पक्ष के वकीलों का कहना है कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से और प्रशासन की तरफ से पूरा सहयोग किया गया। किसी तरह का कोई विरोध नहीं हुआ और शांतिपूर्ण तरीके से 4 घंटे तक सर्वेक्षण का काम चलता रहा। अंदर क्या मिला क्या नहीं मिला इस बारे में सभी ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन कई सालों से बंद कमरे अंधेरे में डूबे हुए थे। प्रशासन ने बाद में रोशनी की व्यवस्था की जिसके बाद वीडियोग्राफर्स ने अपना काम पूरा किया।

वाराणसी के कमिश्नर ए सतीश गणेश ने बताया कि शनिवार की कार्यवाही पूरी हो गई और रविवार को सुबह 8 बजे फिर सर्वे होगा। मीडिया को ज्ञानवापी परिसर और मुख्य द्वार से लगभग 1 किलोमीटर दूर ही रोक दिया गया। ज्ञानवापी मस्जिद की वीडियोग्राफी सर्वे की कार्यवाही सुबह 8 बजे शुरू हुई और दोपहर 12 बजे तक चली। ज्ञानवापी मस्जिद के आसपास भारी पुलिस तैनात रहा। इससे पहले जिला प्रशासन के अल्टीमेटम के बावजूद इंतजामियां कमेटी ने तहखाने की चाबी नहीं सौंपी थी। सर्वे टीम ने चाबी मिलने के लिए इंतजार किया। कोर्ट के आदेश के मुताबिक जिलाधिकारी वाराणसी ने अंजुमन इंतजामियां मसाजिद से मस्जिद के अंदर बंद तालों की चाबी हैंड ओवर करने के लिए नोटिस जारी किया था।

जिलाधिकारी वाराणसी ने दोनों पक्षों को अमन-चैन बनाए रखने की हिदायत दी थी। प्रारंभिक सूचना के मुताबिक जिला प्रशासन की निगरानी में 16 मई तक लगातार वीडियोग्राफी सर्वे की कार्यवाही पूरी की जाएगी। यदि कार्रवाई पूरी नहीं होती है, तो 17 मई को कोर्ट से अनुमति लेने के बाद कार्यवाही पूरी करके रिपोर्ट फाइल की जाएगी। दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने 18 अगस्त 2021 को संयुक्त रूप से सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में याचिका दायर कर मांग की थी कि काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाए। 

आदि विश्वेश्वर परिवार के विग्रहों की यथास्थिति रखी जाए। सुनवाई के क्रम में 8 अप्रैल 2022 को अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मांग को 12 मई को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर के साथ दो नए वकील भी जोड़े थे। अदालत ने पूरे मस्जिद परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा था कि जब तक मस्जिद के मिशन की कार्यवाही पूरी नहीं होती है, तब तक सर्वे जारी रहेगा। 17 मई को सर्वे की रिपोर्ट को कोर्ट में सौंपा जाना है। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद के चप्पे-चप्पे का सर्वे होगा।

देश में गेहूं की कोई कमी नहीं : केंद्र सरकार

निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले पर सरकार ने किया साफ…

देश में गेहूं की कोई कमी नहीं : केंद्र सरकार

नई दिल्ली। गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद अचानक यह कयास लगाए जा रहे थे कि देश में गेहूं की किल्लत हो गई है। शनिवार को केंद्र सरकार के अधिकारियों ने साफ किया है कि देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है। यह आदेश सिर्फ गेहूं निर्यात करने वालों के लिए है। शनिवार को कृषि भवन में मीडिया से बातचीत में फूड सेक्रेटरी सुधांशु पांडे, कॉमर्स सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम और कृषि विभाग के सेक्रेटरी मनोज आहूजा ने कहा कि इस साल गेहूं के उत्पादन में भारी गिरावट और अनियंत्रित निर्यात के कारण गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है।

प्रतिबंध से पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि पिछले साल 2021-22 के मुकाबले निर्यात में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी। इस साल रिकॉर्ड 10 मिलियन टन गेहूं निर्यात करने का अनुमान लगाया जा रहा था जबकि भारत ने 2021-22 के दौरान 7 मिलियन टन गेहूं एक्सपोर्ट किया था। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा कि कई कारणों से गेहूं की वैश्विक कीमतों ( global prices) में अचानक बढ़ोतरी हुई। इसके कारण भारत के पड़ोसी देशों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ गई। गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के पीछे का कारण बताते हुए सुधांशु पांडे ने कहा कि पिछले एक महीने में देश में अनुमानित उत्पादन बदल गया और कई अन्य देशों में फसल की पैदावार काफी कम हुई है। 

देश के कुछ क्षेत्रों में गेहूं की कीमतों में लगभग 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भारत सरकार ने अचानक अपना रुख क्यों बदल दिया, इसके जवाब में कृषि सचिव मनोज आहूजा ने बताया कि हम उचित परामर्श के बिना निर्णय नहीं लेते हैं। देश में खाद्यान्न की ऐसी कोई कमी नहीं है और इस फैसले को केवल गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि हम अपने पड़ोसी और कमजोर देशों का समर्थन और सहायता करना जारी रखेंगे। हमारा प्राथमिक लक्ष्य महंगाई की जांच करना है। सरकार पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। 

विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के अनुसार, शिपमेंट के मामले में उनको निर्यात की अनुमति दी जाएगी, जिन्हें अधिसूचना की तारीख या उससे पहले एक अपरिवर्तनीय साख पत्र जारी किया जाता है। भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए दी गई अनुमति और सरकारों के अनुरोध के आधार पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी। सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष के लिए अनुमानित 111.32 मीट्रिक टन से अपने गेहूं के उत्पादन के अनुमान को 5.7% से घटाकर 105 मिलियन टन कर दिया है।

कहते हैं कि परिवार से बड़ा कोई धन नहीं होता…

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस आज !

कहते हैं कि परिवार से बड़ा कोई धन नहीं होता…

परिवार के महत्व और उसकी उपयोगिता को प्रकट करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 15 मई को संपूर्ण विश्व में 'अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस' मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतरराष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित कर की थी। तब से इस दिवस को मनाने का सिलसिला जारी है। इसलिए कहा भी जाता है ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ अर्थात पूरी पृथ्वी हमारा परिवार है। ऐसी भावना के पीछे परस्पर वैमनस्य, कटुता, शत्रुता व घृणा को कम करना है।

परिवार एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित होती है और जिसके समस्त सदस्य आपस में मिलकर अपना जीवन प्रेम, स्नेह एवं भाईचारापूर्वक निर्वाह करते हैं। संस्कार, मर्यादा, सम्मान, समर्पण, आदर, अनुशासन आदि किसी भी सुखी-संपन्न एवं खुशहाल परिवार के गुण होते हैं। कोई भी व्यक्ति परिवार में ही जन्म लेता है, उसी से उसकी पहचान होती है और परिवार से ही अच्छे-बुरे लक्षण सीखता है। परिवार सभी लोगों को जोड़े रखता है और दुःख-सुख में सभी एक-दूसरे का साथ देते हैं।

कहते हैं कि परिवार से बड़ा कोई धन नहीं होता हैं, पिता से बड़ा कोई सलाहकार नहीं होता हैं, मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया नहीं, भाई से अच्छा कोई भागीदार नहीं, बहन से बड़ा कोई शुभ चिंतक नहीं इसलिए परिवार के बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है। एक अच्छा परिवार बच्चे के चरित्र निर्माण से लेकर व्यक्ति की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

किसी भी सशक्त देश के निर्माण में परिवार एक आधारभूत संस्था की भांति होता है, जो अपने विकास कार्यक्रमों से दिनोंदिन प्रगति के नए सोपान तय करता है। कहने को तो प्राणी जगत में परिवार एक छोटी इकाई है लेकिन इसकी मजबूती हमें हर बड़ी से बड़ी मुसीबत से बचाने में कारगर है। परिवार से इतर व्यक्ति का अस्तित्व नहीं है इसलिए परिवार के बिना अस्तित्व के कभी सोचा नहीं जा सकता। लोगों से परिवार बनता हैं और परिवार से राष्ट्र और राष्ट्र से विश्व बनता हैं। 

परिवार दो प्रकार के होते हैं। एक एकाकी परिवार और दूसरा संयुक्त परिवार। भारत में प्राचीन काल से ही संयुक्त परिवार की धारणा रही है। संयुक्त परिवार में वृद्धों को संबल प्रदान होता रहा है और उनके अनुभव व ज्ञान से युवा व बाल पीढ़ी लाभान्वित होती रही है। संयुक्त पूंजी, संयुक्त निवास व संयुक्त उत्तरदायित्व के कारण वृद्धों का प्रभुत्व रहने के कारण परिवार में अनुशासन व आदर का माहौल हमेशा बना रहता है। लेकिन बदलते समय में तीव्र औद्योगीकरण, शहरीकरण, आधुनिकीकरण व उदारीकरण के कारण संयुक्त परिवार की परंपरा चरमराने लग गई है। वस्तुत: संयुक्त परिवारों का बिखराव होने लगा है।

एकाकी परिवारों की जीवनशैली ने दादा-दादी और नाना-नानी की गोद में खेलने व लोरी सुनने वाले बच्चों का बचपन छीनकर उन्हें मोबाइल का आदी बना दिया है। उपभोक्तावादी संस्कृति, अपरिपक्वता, व्यक्तिगत आकांक्षा, स्वकेंद्रित विचार, व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि, लोभी मानसिकता, आपसी मनमुटाव और सामंजस्य की कमी के कारण संयुक्त परिवार की संस्कृति छिन्न-भिन्न हुई है।

गांवों में रोजगार का अभाव होने के कारण अक्सर एक बड़ी आबादी का विस्थापन शहरों की ओर गमन करता है। शहरों में भीड़भाड़ रहने के कारण बच्चे अपने माता-पिता को चाहकर भी पास नहीं रख पाते हैं। यदि रख भी ले तो वे शहरी जीवन के अनुसार खुद को ढाल नहीं पाते हैं। गांवों की खुली हवा में सांस लेने वाले लोगों का शहरी की संकरी गलियों में दम घुटने लगता है। 

इसके अलावा पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव बढ़ने के कारण आधुनिक पीढ़ी का अपने बुजुर्गों व अभिभावकों के प्रति आदर कम होने लगा है। वृद्धावस्था में अधिकतर बीमार रहने वाले माता-पिता अब उन्हें बोझ लगने लगे हैं। वे अपने संस्कारों और मूल्यों से कटकर एकाकी जीवन को ही अपनी असली खुशी व आदर्श मान बैठे हैं।

देश में 'ओल्ड एज होम' की बढ़ती संख्या इशारा कर रही है कि भारत में संयुक्त परिवारों को बचाने के लिए एक स्वस्थ सामाजिक परिप्रेक्ष्य की नितांत आवश्यकता है। वहीं महंगाई बढ़ने के कारण परिवार के एक-दो सदस्यों पर पूरे घर को चलाने की जिम्मेदारी आने के कारण आपस में हीन भावना पनपने लगी है।

कमाने वाले सदस्य की पत्नी की व्यक्तिगत इच्छाएं व सपने पूरे नहीं होने के कारण वह अलग होना ही हितकर समझ बैठी है। इसके अलावा बुजुर्ग वर्ग और आधुनिक पीढ़ी के विचार मेल नहीं खा पाते हैं। बुजुर्ग पुराने जमाने के अनुसार जीना पसंद करते हैं तो युवा वर्ग आज की स्टाइलिश लाइफ जीना चाहते हैं। इसी वजह से दोनों के बीच संतुलन की कमी दिखती है, जो परिवार के टूटने का कारण बनती है। 

यदि संयुक्त परिवारों को समय रहते नहीं बचाया गया तो हमारी आने वाली पीढ़ी ज्ञान संपन्न होने के बाद भी दिशाहीन होकर विकृतियों में फंसकर अपना जीवन बर्बाद कर देगी। अनुभव का खजाना कहे जाने वाले बुजुर्गों की असली जगह वृद्धाश्राम नहीं बल्कि घर है। छत नहीं रहती, दहलीज नहीं रहती, दर-ओ-दीवार नहीं रहती, वो घर घर नहीं होता, जिसमें कोई बुजुर्ग नहीं होता।

बुजुर्ग वर्ग को भी चाहिए कि वह नए जमाने के साथ अपनी पुरानी धारणाओं को परिवर्तित कर आधुनिक परिवेश के मुताबिक जीने का प्रयास करें। ऐसा कौन-सा घर परिवार है जिसमें झगड़े नहीं होते? लेकिन यह मनमुटाव तक सीमित रहे तो बेहतर है। मनभेद कभी नहीं बनने दिया जाए।

“राजा और वज़ीर तमाशा करेंगे और प्यादे जान गँवाते रहेगें !

ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड…

“राजा और वज़ीर तमाशा करेंगे और प्यादे जान गँवाते रहेगें !

सिस्टम की दुर्गंध भरे खेल में अब चैक ऐंड मैट का मौक़ा आ गया है। समय रहते आवाज़ ना उठा तो भुगतना समाज के हर हिस्से को होगा । देखिये ना किस तरह से निचले कर्मचारी अंधे-बहरे सिस्टम का शिकार हो गये। दरअसल आज नींद खुली तो कॉल पर सोर्स ने बताया कि गुना के आरोन में काले हिरण के शिकारियों से पुलिस की मुठभेड़ें हो गई। सब इंस्पेक्टर समेत तीन पुलिस कर्मचारी मारे गये। दरअसल प्रदेश का राजनैतिक ध्रुव रहे ग्वालियर चंबल के भीतरखाने में माहौल ठीक नहीं है। कौन अफ़सर कब लाया जाये या हटा दिया जाये वो राजनैतिक चौसर पर वही तय करता है जिसका वजन ज़्यादा होता है। कल देर रात हुए हादसे में पुलिस महकमों तीन लोग की मौत के मामले की पड़ताल चौंका देने वाली है। पिन पॉइंट सूचना थी कि  काले हिरण के शिकारी इलाक़े में मौजूद है और काफ़ी शिकार कर रहे है। 

उनसे निपटने हाल ही में नौकरी आये सब इंस्पेक्टर राजकुमार , एक हवलदार नीरज भार्गव और सिपाही संतराम को प्राइवेट ड्राइवर के साथ बिना ठोस इंतज़ाम के भेज दिया जाता है। दुस्साहस से भरे शिकारियों से चार काले हिरण और मोर मरी हालत में पुलिस ने बरामद तो कर ली लेकिन उनकी गोली ने तीनों पुलिस कर्मचारियों को मौत की नींद सुला दिया। अब सोचिये ख़ूँख़ार शिकारियों से लोहा लेने तीन पुलिस के कर्मचारी पर्याप्त है ? क्यो अफ़सर इसने लापरवाह रहे कि राष्ट्रीय पक्षी मोर और शेड्यूल वन के प्राणी काले हिरण का शिकार करने वाले अपराधियों को दबोचने मुकम्मल फ़ोर्स और संसाधन नहीं दिये। वारदात के बाद ज़िम्मेदार आईजी देरी से पहुँचे उन्हें सीएम ने हटा दिया। 

ये भी तय है कि यदि शिकारी पकड़े जाते तो एसपी से लेकर अन्य अफ़सर अपने स्तुतिगान का लंबा चौड़ा प्रेसनोट जारी कर के अपनी उपलब्धि बताते। नेता भी अपनी सरकार का सख़्त रवैया बताकर अपनी ही  पीठ थपथपाते। अब जब ये दुखद घटना हुई है , तो एक दूसरे के सिर ठीकरा फोड़ने की नौटंकी जारी है। इसमें भी राजनैतिक खार साफ़ दिखती है। दरअसल पहले श्रीनिवास वर्मा को आईजी बनाकर ग्वालियर भेजा गया था। जबकि राजनैतिक उठापटक के बाद अनिल शर्मा आईजी बनाकर लाये गये। आने के बाद अपराध और ट्रैफ़िक को लेकर पहले दिन बड़े बड़े दावे किये लेकिन इसके बाद वे पूरा समय कही नहीं दिखे, उन्हें  आम जनता के बजाय परफ़ॉर्मेंस कहा देना था शायद उन्हें पता था। अब दोबारा श्री वर्मा को लाया गया है। पुलिस महकमे के बाद राजनैतिक गलियारे भी गरमाये हुए है। 

ख़ैर, अंचल में अफ़सरों की मौजूदगी दफ़्तरों के बाद कही दिखती है तो केवल बड़े नेताओं के क़ाफ़िले में गाड़ी में भागते हुए। पोस्टिंग कराई है तो जी हुज़ूरी में रहना मजबूरी भी है। अब ये ट्रेंड नया निकला कि मंत्रियों के क़ाफ़िले में आईजी स्तर के अफ़सर भी पूरा पूरा दिन घूमने लगे। जबकि निचला आज भी मई की गर्मी में चौराहे पर ड्यूटी करेगा और आम जनता के कोप का भाजन भी वही बनता रहेगा। सरकारें आती जाती रहेगी, लेकिन ये बादलों के ऊपर साँठगाँठ का ट्रेंड बंद होना चाहिये। इससे नुक़सान आम आदमी और निचले कर्मचारी का ही है। ज़िम्मेदार औपचारिक कार्रवाई के बाद हाथ पैर झाड़कर दोबारा कुर्सी पर क़ाबिज़ होगें और जान हर बार राजकुमार, नीरज और संतराम की जाती रहेगी। 

शहीद जवानों को सादर श्रध्दांजलि...

गुना पुलिसकर्मी हत्याकांड में शामिल चारों शिकारी ढेर

पुलिस ने मुख्य आरोपी को भी मार गिराया…

गुना पुलिसकर्मी हत्याकांड में शामिल चारों शिकारी ढेर

मध्य प्रदेश के गुना जिले के आरोन में तीन पुलिसकर्मियों के हत्याकांड में शामिल चारों शिकारियों को पुलिस ने मार गिराया है। शनिवार रात पुलिस टीम ने शिकारियों पर कार्रवाई करते हुए तीसरे और चौथे आरोपी को भी ढेर कर दिया। वहीं इससे पहले पुलिस ने मुठभेड़ के मुख्य आरोपी शहजाद को मार गिराया था, वहीं, शिकारी नौशाद शनिवार को ही मुठभेड़ में मारा गया था। शनिवार देर रात पुलिस मुठभेड़ में शामिल चारों आरोपियों को मारे जाने की खबर है, हालांकि फिलहाल इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। मध्य प्रदेश बीजेपी के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और भाजपा प्रवक्ता हितेश बाजपेयी ने ट्वीट कर चारों आरोपियों के मारे जाने की बात कही है। 

भाजपा महामंत्री हितानंद शर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा 'हिसाब बराबर' वहीं, इसके बाद भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने अपने ट्वीट में लिखा 'चौथा भी गया!'। पुलिस मुठभेड़ में मारे गए नौशाद और शहजाद के पिता ने अपने दोनों बेटों को काले हिरण का शिकार न करने के लिए समझाया था, लेकिन शादी में काले हिरण का गोश्त मेहमानों को परोसने की सनक के चलते दोनों बेटे नहीं माने और शिकार के लिए जंगल चले गए। शिकार की बात को लेकर शिकारी नौशाद और शहजाद की अपने पिता से बहस भी हुई थी, पिता ने बेटों को समझाते हुए कहा था कि शादी में मुर्गे की दावत दे देंगे शिकार मत करो। बताया जा रहा है कि नौशाद सनकी दिमाग का था। शनिवार को उसकी भतीजी की शादी थी, शादी में करीब 400 मेहमान आने वाले थे, वह बरातियों को दावत में काले हिरण का गोश्त खिलाना चाहता था। 

जिसके चलते उसने अपने साथियों के साथ मिलकर काले हिरण और मोर के शिकार की योजना बनाई थी। शिकार की योजना में उसका भाई शहजाद भी शामिल था।  शहजाद एक अच्छा निशानेबाज था, इसलिए शिकार की योजना में नौशाद ने उसे भी शामिल किया था। पशुओं का मांस काटने में माहिर बबलू के साथ ही दो अन्य आरोपी गुल्ला और विक्की भी इस पूरी योजना में शामिल थे। सभी शिकारियों ने जंगल से शुक्रवार को पांच काले हिरण और एक मोर का शिकार किया था। पुलिस ने आरोपियों को कब्जे से पांच काले हिरण के सींग और एक मोर का शव बरामद किया है। 400 लोगों को दावत देने कि हिसाब से आरोपियों ने पांच हिरणों का शिकार किया था। एक हिरण से करीब 20 किलो मांस निकलता है।

MP में तबादलों का दौर जारी, चार जिलों के IPS बदले

MP में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी !

MP में तबादलों का दौर जारी, चार जिलों के IPS बदले

भोपाल। मप्र में तबादलों का दौर जारी है, आज शनिवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के तबादले आदेश जारी किये हैं। इस आदेश आईएएस अधिकारियों को नवीन पदस्थापना सौंपी गई है। वहीं  खरगोन एसपी सिद्धार्थ चौधरी के बाद कलेक्टर अनुग्रह पी को भी हटा दिया है। रतलाम कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को खरगोन का कलेक्टर बनाया। 

  • चार जिलों के IPS  बदले गए। 
  • पांच IPS अधिकारियों के तबादले। 
  • सीएम के निर्देश के बाद सिवनी एसपी कुमार प्रतीक को हटाने आदेश जारी। 
  • झाबुआ एसपी आशुतोष को सतना एसपी बनाया गया। 
  • साम्प्रदायिक हिंसा में झुलसे खरगोन एसपी सिद्धार्थ चौधरी को हटाया गया। 
  • सतना एसपी धर्मवीर सिंह को खरगोन एसपी बनाया गया। 
  • अरविंद तिवारी को झाबुआ एसपी बनाया गया। 
  • अनुग्रहा पी को विशेष आयुक्त नई दिल्ली भेजा गया है। 

इसके अलावा खरगोन जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चौरसिया हटाये गए हैं। वहीं मनीष खत्री पुलिस अधीक्षक STF इन्दौर को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जिला खरगोन बनाया गया है। खरगोन जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चौरसिया  को PHQ भेजा गया है। इसके अलावा तरुण भटनागर को निवाड़ी कलेक्टर बनाया गया है, जबकि निवाड़ी कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी को रतलाम कलेक्टर बनाया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुना की घटना के बाद अपने निवास पर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियो की बैठक बुलाई थी। जिसमें ग्वालियर आईजी और सिवनी एसपी को हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद देर शाम तक आईएएस और आईपीएस के ट्रांसफर आर्डर किए गए।