G News 24 : बेशर्म नेता, कानून एवं उसकी एजेंसियों और संविधान का उड़ा रहे हैं मजाक !

 नेता  पद और पावर  के लिए कुछ भी करने से नहीं चूक रहे हैं...

बेशर्म नेता, कानून एवं उसकी एजेंसियों और संविधान का उड़ा रहे हैं मजाक !

ग्वालियर। हमारे देश में एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है कि चोर चोर मौसेरे भाई यहां चोर चोर शब्द कुछ भ्रष्ट दूर और मक्कार नेताओं के लिए जो अपने आप को समाज से भी कहते हैं जब यह अपने आप को समाजसेवी कहते हैं तो ऐसा लगता है कि समाज सेवी शब्द की व्याख्या ही नेताओं की वजह से बदल गई है। मुझे यह कहते हुए कटाई गुरेज नहीं है की पार्टी कोई भी हो इस हमाम में लगभग ये सभी नंगे हैं। सत्ता पाने के लिए यह कितना नीचे गिर सकते हैं देश का कानून का संविधान का अपमान करने में इन्हें कोई झिझक नहीं है।

वैसे तो सभी पार्टियां अपनी-अपनी विचारधारा और सिद्धांतों का ढिंढोरा पीटती हैं और जनता को भ्रमित करते हुए या यूं कहें कि उसे मूर्ख बनाकर जब सत्ता में बैठ जाती हैं तो फिर यह अपनी मनमर्जी पर उत्तर आतीं है। यह धूर्त मक्कार नेता पहले तो भ्रष्टाचार करते हैं और जब भ्रष्टाचार की कलई खुलने लगते हैं तो फिर एक दूसरे पर बेमतलब के इल्जाम और आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए गाल बजाने के अलावा कुछ नहीं करते हैं। देश में इन दिनों ऐसे ही तमाशे चल रहे है।

ये मक्कार नेता जब जनता के सामने होते हैं तो अपने आप को बड़ा ही पाक-साफ, ईमानदार बताने का प्रयास करते हैं और जनता भी इनकी मक्कारी में फंसकर इन्हें सट्टा की चाबी सौंप देती है, लेकिन जब इनकी पोल खुलती है उनकी बेईमानी की पोल खुलती है तो जनता अपने आप को ठगा सा महसूस करने के अलावा और कुछ नहीं कर पाती है। उधर ये मक्कार नेता उन आरोपों को सिरे से नकारने का प्रयास करते हैं और कानून से खिलवाड़ करने,जांच एजेंटीयों पर सवाल उठाने बिल्कुल भी नहीं चूकते हैं। यह देखकर तो ऐसा लगता है कि का मानो इन्हें यह सब करने का खुला लाइसेंस मिला हुआ है।

अभी वर्तमान में एक ताजा मामला बड़ा ही सुर्खियों में बना हुआ है वह है, अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं का। यह वही अरविंद केजरीवाल हैं जिन्होंने कभी अन्ना आंदोलन के दौरान देश को भ्रष्टाचार मुक्त होने का सपना दिखाया था। और यही सपना दिखाकर इन्होंने अपनी एक राजनीतिक पार्टी खड़ी की। जनता ने ये समझ कर दिल्ली की सत्ता इन्हें सौंप दी यह लोग दिल्ली को भ्रष्टाचार मुक्त करके एक आदर्श राज्य बनाएंगे। किसे पता था कि यह देश की सबसे भ्रष्टतम सरकारों में से एक होने वाली है। यह हम इस यूं ही नहीं कह रहे हैं ये हम सब के सामने है कि यह देश के इतिहास में शायद पहले पार्टी है जिसके सत्ता में रहने के बावजूद सबसे ज्यादा मंत्री और विधायक आज जेल में है। 

इतना ही नहीं एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी जेल जाने वाले हैं। इससे बचने के लिए ये भागे-भागे फिर रहे हैं। यही कारण है कि ये किसी भी तरह से ईडी और क्राइम ब्रांच के सामने जाने से बच रहे हैं। वैसे तो अरविंद केजरीवाल दावा करते हैं कि उनसे ही ज्यादा ईमानदार देश में कोई नहीं है। देश की जनता उनसे जानना चाह रही है कि अगर वे इतने ही ईमानदार हैं तो सच का सामना करने से क्यों भाग रहे हैं ? क्यों देश की जिम्मेदार एजेंटीयों का मजाक बना रखा है ?  5-5 सम्मन जारी होने के बाद भी आप क्यों नहीं प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के सामने पेश हो रहे हैं ? क्यों नहीं उनके सवालों के जवाब दे रहे हैं ? क्राइम ब्रांच भी आपके द्वारा लगाए गए जनता पार्टी के ऊपर इल्जामों की जांच करने के लिए आपसे पूछताछ करने आती है तो आप उसके सामने भी नहीं आते हैं ।

अधिकारियों को सम्मन/नोटिस देने के लिए आपके दरवाजे पर 5-5 घंटे खड़ा रहना पड़ता है इसके बावजूद भी आपके द्वारा सम्मन /नोटिस नहीं लिया जाता है अधिकारी बेइज्जत होकर वापस लौट जाते हैं । ये सब करके आखिर आप क्या सिद्ध करना चाहते हैं ? क्या आप एक नया ट्रेंड चालू नहीं करने जा रहे हैं कि कानून के लूप पोल का फायदा उठाकर राजनीतिक लोग कैसे जांच एजेंसियों को या जिम्मेदार एजेंसियों को परेशान कर सकते हैं ? वैकेंसियों का यह संविधान का किस प्रकार से मजाक उड़ाना क्या देश हित में है ? क्योंकि एक चुनाव हुआ नेता जनता का प्रतिनिधि होता है और जब उनका ये प्रतिनिधि ही देश की जांच एजेंसियों और संविधान का सम्मान नहीं करेगा तो फिर जानता कैसे इन एजेंसियों और देश के संविधान का सम्मान कैसे करेगी ? 

सवाल इन एजेंसियों पर भी उठते हैं की क्या अगर केजरीवाल या हेमंत सोरेन जैसे व्यक्ति चुने हुए प्रतिनिधि ना होते और एक आमजन होते तब भी एजेंसियां उन्हें इतने मौके देती ? उन्हें यह मौका बिल्कुल नहीं मिलता क्योंकि एक आम आदमी का यदि एक सम्मन चूक जाता है तो उसे तत्काल बलपूर्वक हिरासत में ले लिया जाता है। 

कानून की नजर में अगर सभी समान हैं तो फिर आम और खास के लिए न्यायिक प्रक्रिया में यह अंतर क्यों ? आमजन को तो आप बिल्कुल मोहलत नहीं देंगे और अगर खास है तो एजेंसियों का मजाक बनने देंगे। क्यों नहीं सुप्रीम कोर्ट इस पर स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई पूरी करने के आदेश देता है ? आम आदमी के लिए कोर्ट की कार्रवाई ठीक समय 5:00 बजे बंद हो जाती है लेकिन अगर खास है तो कोर्ट रात के 12:00 बजे 2:00 बजे 3:00 बजे भी खुल जाती है यह भेदभाव क्यों ? विश्व संगति का बदलाव भी जरूरी है नियम कायदे सभी के लिए समान होने चाहिए। 

अगर इतने पर भी सुप्रीम कोर्ट मौन है तो फिर इससे तो यही सिद्ध होता है कि आप खास हैं इसलिए आपको देश के संविधान का उसके लिए काम करने वाली एजेंसियों का खुला लाइसेंस मिल जाता है-रामवीर यादव

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