वर्दी नहीं मिली तो मर जाएंगे, पर घर नहीं जाएंगे

नागपुर से दिल्ली के लिए पैदल ही चल पड़े परीक्षा में चयनित युवा...

वर्दी नहीं मिली तो मर जाएंगे, पर घर नहीं जाएंगे

ग्वालियर। साहस और उत्साह के साथ सैनिक की वर्दी धारण करने का संकल्प लिया, अर्धसैनिक बल में भर्ती होने की परीक्षा पास की, कैरियर बनाने की उम्मीद जगी, लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं मिला। 55 हजार में से 5210 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं मिला। आंदोलन किया,पर किसी ने सुना नहीं। विवश होकर अपनी आवाज दिल्ली तक पहुंचाने पैदल ही दिल्ली के लिए मार्च लेकर निकल चुके हैं, हिम्मत नहीं हारी है। यही कहना है इन अभ्यर्थियों का कि वर्दी नहीं मिली तो मर जाएंगे, पर घर नहीं जाएंगे। वर्दी दो या फिर हमारी अर्थी लो। विशाल लांडगे कहते हैं 35 दिन हो गए पैदल चलते-चलते 700 किलोमीटर का सफर तय कर लिया है आगे भी पैदल यात्रा जारी रहेगी जो नागपुर से दिल्ली के लिए निकली है। ग्वालियर में युवराज खरे ने इस पैदल मार्च की अगवानी की। एसएससी यानी स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने 21 मई 2018 को अर्धसैनिक बल में भर्ती प्रक्रिया शुरू की।

विज्ञापन में भर्ती संख्या 54 हजार थी, जो बाद में 60210 कर दी गई। सीआरपीएफ, बीएसएफ, एनआईए और असम राइफल्स के लिए जवानों की भर्ती करनी थी। 11 फरवरी से 25 मार्च 2019 तक लिखित परीक्षा हुई, 21 जून 2019 को परिणाम जारी हुए, 13 अगस्त से 25 सितंबर 2019 तक शारीरिक दक्षता, 9 जनवरी से 13 फरवरी 2020 तक मेडिकल जांच की गई। अंतिम चयन सूची 21 जनवरी 2021 को जारी की गई। इस सूची के अनुसार 55 हजार अभ्यर्थियों को ही नियुक्तियां दी गई। 5210 को नियुक्ति पत्र नहीं मिला। जिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं मिला उन युवाओं ने इसके लिए कर्मचारी चयन आयोग को जिम्मेदार ठहराया। नियुक्ति पत्र से वंचित युवाओं ने पहले दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करके अपनी पीड़ा व्यक्त की। जब किसी ने नहीं सुनी, तो वे सत्याग्रह के मार्ग पर चल पड़े।अर्द्धसैनिक बल में नियुक्ति देने की मांग को लेकर महाराष्ट्र के नागपुर से पैदल मार्च करते हुए लगभग 100 युवक युवतियों का जत्था दिल्ली जा रहा है। 

जगह-जगह समाजसेवी संगठन मदद कर रहे हैं। पैदल चलने की वजह से कुछ युवाओं ने घबराहट होने की शिकायत की। डी हाईड्रेसन के चलते युवक-युवतियां बीमार हो रहे हैं। कई बार बीमारों को भर्ती भी करना पड़ा। देश भर से चयनित युवा पैदल यात्रा में शामिल हो रहे हैं। किसी की सांस फूल रही है तो किसी के पांव में छाले हो गए हैं। भूख-प्यास, कलेजा सुखाए जा रही है, लेकिन आर-पार की लड़ाई लड़ने की ठान ली है। जो चयनित हुए हैं उनकी ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। पैदल मार्च में शामिल युवक-युवतियां महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों से हैं। नियुक्ति पत्र नहीं मिलने से खफा हैं। मार्च में शामिल रश्मि कहती हैं- इस सरकार का कुछ भी समझ में नहीं आता है एक तरफ सेना में भर्ती का ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन जो भर्ती के लिए चुने गए हैं, उनकी तरफ देखा भी नहीं जा रहा है। फिलहाल यह पैदल मार्च मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर तक पहुंच चुका है। जहाँ देश की बात फाउंडेशन के राज्य समन्वयक युवराज खरे ने ग्वालियर में इस दल का स्वागत किया व सभी के रुकने व स्वल्पाहार की व्यवस्था कराई। देश की बात फाउंडेशन के स्टेट को-कोऑर्डिनेटर संतोष सरावगी ने दतिया में पैदल मार्च का स्वागत और अगुवाई की किया और पूरे दल की जौरासी तक लेकर आए। स्टेट को-कोऑर्डिनेटर सोमेश भेटेले, सुमित शर्मा द्वारा मुरैना में स्वागत किया जायेगा और धौलपुर तक दल की अगुवाई करेंगे। 

मंत्री ने दिया मदद का आश्वासन विशाल लांडगे ने बताया आंदोलन के अलावा अभ्यर्थियों ने नेता मंत्रियों से भी मुलाकात का सिलसिला जारी रखा। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आश्वासन दिया कि वे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बात करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तो अनशन स्थल पर पंहुचने के लिए समय का अभाव बताया। नागपुर के पालक मंत्री नितिन राउत ने कहा कि यह मामला केन्द्रीय गृह विभाग से जुड़ा हुआ है इसलिए अधिक मदद नहीं कर पायेंगे। केन्द्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आश्वस्त किया कि वे गृहमंत्री शाह से चर्चा करवायेंगे। इस आश्वासन के साथ आमरण अनशन तोड़ा और 1 जून से सभी आंदोलनकारी दिल्ली के लिए पैदल निकल पड़े हैं।जिसके पास भी मदद के लिए गए, उन लोगों ने तरह तरह की बातें कर मदद करने से किनारा कर लिया। 

14 फरवरी 2022 को नागपुर के संविधान चौक पर आंदोलन की शुरुआत हुई। इन आंदोलनकारियों का कोई नेतृत्वकर्ता संगठन नहीं था। सोशल मीडिया के माध्यम से आपस में संपर्क साधा, तो आंदोलन में 40 अभ्यर्थी शामिल हुए। श्रंखलाबद्ध हड़ताल की शुरुआत हुई। नागपुर के संविधान चौक पर डॉक्टर बाबासाहेब अम्बेडकर की प्रतिमा के पास कई मोर्चे पहुंचे। वहां प्रदर्शन कर शासन-प्रशासन का ध्यान खींचा। जब कई दिन नारों और आंदोलन से काम नहीं बना, तो 4 मार्च से नागपुर में अभ्यर्थियों ने आमरण हड़ताल शुरू किया। जल्द ही आंदोलन में 235 अभ्यर्थी शामिल हो गए। उनमें 40 युवक और 195 युवतियां थीं। इनमें भी 40 ओडिशा से, 25 बिहार से, 12 झारखण्ड से, 55 पश्चिम बंगाल से, 18 असम से, 12 गुजरात से, 6 छत्तीसगढ़ से, 22 उत्तरप्रदेश से, 7 दिल्ली से, 4 उत्तराखंड से, 4 पंजाब से व 30 अभ्यर्थी महाराष्ट्र से शामिल हुए हैं।

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