G News 24 :सिडनी में PM मोदी को मिला सेरेमो‎‎नियल गार्ड ऑफ ऑनर

 भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध आपसी विश्वास और भरोसे पर आधारित हैं…

सिडनी में PM मोदी को मिला सेरेमो‎‎नियल गार्ड ऑफ ऑनर

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‎सिडनी में सेरेमो‎‎नियल गार्ड ऑफ ऑनर ‎दिया गया। यहां पीएम मोदी ने बुधवार को सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक में भारत के विदेश मंत्री (ईएएम) एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने भी भाग लिया। इस दौरान पीएम मोदी को बुधवार को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में एडमिरल्टी हाउस में सेरेमोनियल गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने सिडनी में एडमिरल्टी हाउस में आगंतुक पुस्तिका पर भी हस्ताक्षर किए। वहीं इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज के साथ बातचीत के बाद कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध आपसी विश्वास और भरोसे पर आधारित हैं। ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सेतु है। हमने भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने पर चर्चा की है। हमने नए क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की। 

पीएम मोदी ने कहा ‎कि हमने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया, इससे आर्थिक संबंध और गहरे होंगे। हमने खनन और महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्रों में सामरिक सहयोग पर सार्थक चर्चा की। उन्होनें कहा कि प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और मैंने ऑस्ट्रेलिया में मंदिरों पर हमलों के मुद्दे पर पहले भी चर्चा की थी और आज हमने फिर से इस पर बात की। यह हमें स्वीकार्य नहीं है कि कोई भी अपने कृत्यों या विचारधारा से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को ठेस पहुंचाए। भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध द्विपक्षीय पहलुओं के अलावा क्षेत्रीय स्थिरता, शांति तथा वैश्विक कल्याण से भी जुड़े हैं। मोदी ने ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अल्बनीज का शुक्रिया अदा किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‎कि प्रधानमंत्री अल्बनीज ने आज मुझे एक बार फिर आश्वासन दिया कि वह भविष्य में भी ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। 

ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ अपनी लगातार हो रही बैठकों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों की गहराई को दर्शाता है। उन्होंने कहा, पिछले एक वर्ष में यह हमारी छठवीं मुलाकात है। यह हमारे व्यापक संबंधों की गहराई और हमारे संबंधों की परिपक्वता को दर्शाता है। क्रिकेट की भाषा में कहें तो हमारे संबंध टी20 प्रारूप में हैं। मोदी ने बताया कि दोनों पक्षों ने खनन और महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग पर भी सार्थक चर्चा की। वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने हरित हाइड्रोजन के क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने का भी फैसला किया। वहीं अल्बनीज ने अपने बयान में कहा कि ऑस्ट्रेलिया बेंगलुरु में एक नया महावाणिज्य दूतावास खोलेगा। इससे पहले मंगलवार को पीएम मोदी ने अपनी सिडनी यात्रा के दौरान एक सामुदायिक कार्यक्रम में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए पारस्परिक विश्वास और पारस्परिकता पर प्रकाश डाला।

G News 24:नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगे 19 विपक्षी दल !

 राजनीतिक बयानबाजी जारी…

नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगे 19 विपक्षी दल !

नई दिल्ली। नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों ने नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भवन के उद्घाटन करने का निर्णय राष्ट्रपति के उच्च कार्यालय का अपमान करता है, और संविधान की भावना का भी उल्लंघन करता है। एक संयुक्त बयान में विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री द्वारा भवन का उद्घाटन करने का निर्णय को लोकतंत्र पर सीधा हमला करार दिया है आपको बता दें कि नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होगा। 

उधर विपक्षी नेताओं से अलग AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मांग की है कि नये संसद भवन का उद्धाटन विधानसभा अध्यक्ष द्वारा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो उनकी पार्टी उद्धाटन समारोह का विरोध करेगी और इसमें शामिल नहीं होगी। वैसे बीजेपी के समर्थक दलों ने इसे व्यर्थ का विवाद बताया है। शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि नये संसद भवन का उद्घाटन देशवासियों के लिए गर्व का विषय है, इसलिए उनकी पार्टी ने इस समारोह में शिरकत करने का फैसला किया है। हम विपक्ष द्वारा उठाई गई आपत्तियों सहमत नहीं हैं। विपक्ष के कहना है कि राष्ट्रपति न केवल भारत में राज्य का प्रमुख है, बल्कि संसद का एक अभिन्न अंग भी है। 

वह संसद को बुलाता है, सत्रावसान करता है और संबोधित करता है। संक्षेप में, संसद राष्ट्रपति के बिना कार्य नहीं कर सकती है। ऐसे में उनके बजाए प्रधानमंत्री द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन, एक अशोभनीय कार्य है और राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है। यह उस समावेशी भावना का अनादर है, जिसके तहत देश अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का जश्न मना रहा है। 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।दोनों सदनों के सांसदों को भौतिक और डिजिटल दोनों रूपों में निमंत्रण भेजा गया है। 

संभावना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस अवसर पर बधाई संदेश जारी करेंगे। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। इसे रिकॉर्ड समय में गुणवत्तापूर्ण निर्माण के साथ बनाया गया है। संसद के वर्तमान भवन में लोक सभा में 543 तथा राज्य सभा में 250 सदस्यों के बैठने का प्रावधान है जबकि नये संसद भवन में भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लोकसभा में 888 और राज्य सभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। दोनों सदनों का संयुक्त सत्र लोकसभा कक्ष में होगा।

G News 24: ख़राब मानसिक हालत के चलते माता-पिता ने अपनी ही बेटे का किया बेरहमी से कत्ल !

पहले पाल-पोसकर बड़ा किया और फिर…

ख़राब मानसिक हालत के चलते  माता-पिता ने अपनी ही  बेटे का किया बेरहमी से कत्ल !

छत्तीसगढ़। जब किसी घर में बच्चे की पहली किलकारी गूंजती है तो सबसे ज्यादा मां खुश होती है। बच्चा जब पहली बार चलना सीखता है तो पिता का सीना गर्व से फूल जाता है। बच्चे की हर खुशी, हर चाहत के लिए माता पिता अपनी पूरी जिंदगी लगा देते हैं, लेकिन जब ऐसी बात सुनने को मिले कि माता-पिता ही अपनी औलाद के हत्यारे बन गए हैं तो यकीन करना मुश्किल हो जाता है। ऐसी घटनाएं जिनकी कल्पना भी नहीं होती जब हकीकत में सामने आती हैं तो तो होश उड़ा देती हैं हैं। पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें माता-पिता ने अपने बच्चों को मौत दी है।

छत्तीसगढ़ में रायगढ़ के जार-पारा गंगरेल इलाके में 40 साल के गणेश पटेल धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। लड़के की मां फुलेश्नेवरी ने पुलिस को मामले की जानकारी दी। गणेश की मानसिक हालत ठीक नहीं थी। पुलिस ने जांच शुरू की तो हैरानी की खबर सामने आई। 65 साल की फुलेश्वरी ने ही अपने बेटे की हत्या कर दी। बेटा शादी-शुदा था। घर में अक्सर झगड़े होते थे। घर का खर्चा भी फुलेश्वरी को चलाना पड़ता था, ऊपर से बेटे की मानसिक हालत भी ठीक नहीं थी। उस दिन गणेश की पत्नी अपने मायके गई हुई थी। मौका पाकर फुलेश्वरी ने अपने बेटे की किचन में रखे हंसिया से हत्या कर दी। पुलिस ने फुलेश्वरी को गिरफ्तार कर लिया है।

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में ही एक और ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला सामने आया। 16 साल के एक लड़के की लाश सड़क किनारे मिली। पहले लगा कि शायद लड़के का एक्सीडेंट हुआ है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि असल में लड़के की हत्या की गई है। जांच शुरू हुई तो पता चला कि 16 साल के लड़के को उसके माता-पिता ने ही मार डाला। पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो माता-पिता ने अपना जुर्म कबूल किया। उन्होंने बताया कि लड़का कुछ दिन पहले अपने हॉस्टल से लौटकर आया था और घर पर सबसे से काफी झगड़ रहा था। गुस्से में डंडे से पीटकर एक रात माता-पिता ने उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद लाश को बोरे में रखकर सड़क किनारे फेंक आए ताकि पुलिस को लगे कि केस एक्सीडेंट का है।

इसी तरह पिछले साल आगरा में एक मामला सामने आया था जहां माता-पिता ने अपने 2 बेटों और एक बेटी के साथ मिलकर अपने सबसे बड़े बेटे की हत्या कर दी। नेपाल सिंह अपनी पत्नी रूबी के साथ अपने माता-पिता से अलग रहता था। पिता ने 6 लाख रुपये में एक जमीन बेची थी जिसमें नेपाल सिंह भी हिस्से की मांग कर रहा था जबकि माता पिता अपने दोनों छोटे बेटों में ही ये पैसा बांटना चाहते थे। नेपाल सिंह जिस दिन उनके घर आया माता-पिता ने अपने दूसरे बच्चों के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। इतना ही नहीं अगले दिन उसका अंतिम संस्कार भी करने लगे। इसी दौरान नेपाल की सिंह की पत्नी की शिकायत के बाद पुलिस मौके पर पहुंच गई और अधजली लाश को निकाला गया। जांच शुरू हुई तो पूरी हकीकत सामने आई।

G News 24:मुख्तार अंसारी की पत्नी को अवैध रूप से ज़मीन बेचने के मामले में वक्फ निरीक्षक सस्पेंड

 आखिर बेचने वाले ने किस अधिकार से उस जमीन को बेचा…

मुख्तार अंसारी की पत्नी को अवैध रूप से ज़मीन बेचने के मामले में वक्फ निरीक्षक सस्पेंड

लखनऊ। यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने लखनऊ  की एक वक्फ संपत्ति को माफिया मुख्तार अंसारी की पत्नी  को अवैध रूप से बेचने के मामले में एक वक्फ निरीक्षक को सस्पेंड कर दिया गया। बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने बताया कि लखनऊ के सआदतगंज थाना क्षेत्र स्थित वक्फ दरोगा मीर वाजिद अली की एक जमीन 25 अप्रैल 2013 को माफिया-नेता मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी को अवैध रूप से बेची गई थी। उन्होंने बताया कि इस मामले में कार्रवाई करते हुए वक्फ निरीक्षक मुंतज़िर महदी को सस्पेंड कर दिया गया है। 

उन्होंने बताया कि इस मामले में मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी और संबंधित जमीन के बेचने वाले नजमुल हसन तथा संबंधित अन्य लोगों को नोटिस भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि इस नोटिस में उनसे पूछा जाएगा कि आखिर बेचने वाले ने किस अधिकार से उस जमीन को बेचा और खरीदार ने बिना जांचे-परखे उसे कैसे खरीद लिया। जैदी ने बताया कि दोनों पक्षों को अपनी बात रखने के लिए 15 दिन का वक्त दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उसके बाद वक्फ अधिनियम की धारा 52 के तहत कार्यवाही करके जिला प्रशासन से गुजारिश की जाएगी कि वह उस जमीन पर वक्फ बोर्ड को कब्जा दिलाए।

गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी विभिन्न आपराधिक मामलों में जेल में बंद है। वहीं उसकी पत्नी अफशां अंसारी फरार है। जैदी ने बताया कि वक्फ दरोगा मीर वाजिद अली में वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामले में मुतवल्ली अब्बास अमीर को पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वक्फ दरोगा मीर वाजिद अली की ही थाना हसनगंज स्थित अनूप गोयल और नंदकिशोर वर्मा नामक व्यक्तियों की एक निजी संपत्ति को जालसाजी से वक्फ अभिलेखों में दर्ज कर लिया गया था। उन्होंने बताया कि मामला सामने आने पर उन्हें बोर्ड के रिकॉर्ड से हटा दिया गया है।

G News 24:अमृतकाल में लोकतंत्र के मूल्यों पर वैचारिक आपातकाल !

 जिस संसद के मंदिर में सजदा कर सांसद जनता की सेवा की सौगंध लेते हैं…

अमृतकाल में लोकतंत्र के मूल्यों पर वैचारिक आपातकाल !

लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक अवसर नई संसद का लोकार्पण लोकतंत्र के मूल्यों पर वैचारिक आपातकाल के अवसर के रूप में बदलता दिखाई पड़ रहा है. जिस संसद के मंदिर में सजदा कर सांसद जनता की सेवा की सौगंध लेते हैं उसी मंदिर को राष्ट्र को समर्पित करने के कार्यक्रम का विरोध विपक्षी एकता के प्रहसन के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है. पहले तो नए संसद भवन के निर्माण के प्रोजेक्ट का ही पुरजोर विरोध किया गया. सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद ही नई संसद बन पाई है. कभी नए संसद परिसर में लगाये गए शेरों की छवि पर विवाद किया गया तो कभी इस पर खर्च हो रही राशि को लेकर विपक्ष ने विरोध की पराकाष्ठा पार की. रिकॉर्ड समय में अब जब नया संसद भवन बन गया है और सावरकर जयंती पर 28 मई को इसका उद्घाटन हो रहा है तो उद्घाटन किसके हाथों हो इसको लेकर राजनीतिक विवाद और उद्घाटन समारोह के बायकॉट का शंखनाद वैचारिक अदावत और अतिवाद की सारी सीमाएं तोड़ता दिखाई पड़ रहा है. विपक्ष का सारा विरोध इस बात पर है कि नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं करना चाहिए बल्कि इसका उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना ही संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप होगा. 

नए संसद भवन के विचार से ही विपक्षी विरोध की शुरुआत हुई थी जो उद्घाटन तक कायम है. विपक्षियों को राष्ट्रपति के मान-सम्मान से तो कोई लेना देना नहीं हो सकता क्योंकि अगर ऐसा होता तो बीजेपी की महिला और आदिवासी राष्ट्रपति प्रत्याशी का सभी विपक्षी दलों द्वारा समर्थन किया जाता. राष्ट्रपति के निर्वाचन में वर्तमान राष्ट्रपति के लिए जिस तरीके की बातें कही गई वह सब सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं. विपक्ष का विरोध शायद इस बात पर है कि आजादी के अमृतकाल में बन रही नई संसद का शिलान्यास और उद्घाटन का इतिहास नरेंद्र मोदी के नाम दर्ज हो जाएगा. मोदी विरोध जहां विपक्ष की राजनीति का आधार बन गया हो वहां इतिहास में मोदी के नाम की पट्टिका विपक्ष के सीने पर पत्थर जैसी लग रही है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट जिसके अंतर्गत नई संसद का निर्माण हो रहा है वह नरेंद्र मोदी की ही परिकल्पना कही जाएगी. राजपथ का नाम बदलकर ‘कर्तव्यपथ’ करने का इतिहास भी प्रधानमंत्री ने ही रचा है. इंडिया गेट पर पहली बार सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण भी आजाद भारत में इतने लंबे समय बाद नरेंद्र मोदी के हाथों ही संभव हो सका है. गुलामी की मानसिकता और गुलामी के प्रतीकों को बदलने की योजना के अंतर्गत ही नया संसद भवन बनकर तैयार हुआ है. 

नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में ऐसे जितने भी गुलामी के प्रतीकों को बदला जा रहा है वह उन ताकतों को पसंद नहीं आ रहा है जो अब तक देश में शासन संचालन का नियंत्रण कर रहे थे. गुलामी के प्रतीक कुछ लोगों की आस्था के प्रतीक बन गए हैं. उन प्रतीकों को जो भी खंडित कर रहा है वह पुराने राजनीतिक कर्णधारों के वारिसों को पसंद कैसे आ सकता है ? राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के संवैधानिक अधिकार और कर्तव्य को लेकर उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने के राजनीतिक बयानों का संवैधानिक रूप से उतना महत्व नहीं है लेकिन इसके राजनीतिक संदेश निश्चित रूप से हैं. लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल की ओर से नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के आमंत्रण पत्र वितरित किए गए हैं. संसद भवन का प्रशासनिक नियंत्रण लोकसभा सचिवालय के पास ही होता है. इस दृष्टि से लोकसभा स्पीकर उद्घाटन समारोह के मेजबान कहे जाएंगे. किसी भी मेजबान को इस बात का अधिकार होता है कि वह कार्यक्रम का मुख्य अतिथि किसे आमंत्रित करे. इस बारे में किसी भी नियम कानून या संविधान के अंदर कार्यक्रम के आयोजन के लिए मुख्य अतिथि का कोई प्रोटोकॉल अभी तक तो निर्धारित नहीं है. नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों का कहना है कि उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए. 

राहुल गांधी भी इसी तरह की बात कह रहे हैं. राहुल गांधी ने कहा है कि संसद भवन ईटों से नहीं संवैधानिक मूल्यों से बनता है. उन्होंने अहंकार की बात भी अपने ट्वीट में की है. आजादी के बाद नया संसद भवन भले ही पहली बार बन रहा हो लेकिन राज्यों में विधान सभाओं के नए भवन का निर्माण कई जगह हुआ है. इन राज्यों में विधानसभा भवनों का लोकार्पण किसी सुनिश्चित प्रोटोकाल के तहत नहीं किया गया है. कहीं-कहीं राष्ट्रपति तो कहीं राज्यपाल तो कुछ राज्यों में नई विधानसभा भवनों का लोकार्पण मुख्यमंत्रियों द्वारा भी किया गया है. विधानसभा भवन के नामकरण को लेकर भी हर राज्य में अलग-अलग ढंग से काम किया गया है. किसी भी राज्य में किसी भी विधान भवन या संसद भवन का नामकरण किसी भी राष्ट्रपति के नाम करके राष्ट्रपतियों को सम्मान देने की परंपरा अब तक क्यों नहीं डाली गई इस बारे में भी कांग्रेसियों को बताना चाहिए. मध्यप्रदेश में नए विधानसभा भवन का उद्घाटन तीन अगस्त 1996 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ शंकरदयाल शर्मा ने किया था. विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी थे. इस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह थे. 

मध्यप्रदेश के नए विधान भवन के उद्घाटन समारोह में इस भवन के नामकरण को लेकर भारी विवाद हुआ था. सदन में बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष विक्रम वर्मा ने नए विधान भवन का नामकरण इंदिरा गांधी के नाम से करने के प्रयासों का पुरजोर विरोध किया था. उन्होंने तो लगाई गई उद्घाटन पट्टिका को ही उखाड़ने की कोशिश की थी. कांग्रेस की सरकार और स्पीकर ने विधानसभा भवन का नाम इंदिरा गांधी के नाम पर रखने की जिद की थी. उस समय संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक मूल्यों का शायद कांग्रेस को स्मरण नहीं था. मध्यप्रदेश के विधानसभा भवन का नाम आज भी इंदिरा गांधी विधान भवन चल रहा है. मध्यप्रदेश में 2003 के बाद से ही कमोबेश बीजेपी की सरकार काम कर रही है. किसी भी विधानसभा भवन का नाम किसी राजनीतिक दल के नेता के नाम से रखे जाना लोकतांत्रिक मूल्यों की अच्छी परंपरा तो नहीं कही जा सकती. जो कांग्रेस पार्टी बीजेपी को लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों का पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रही है उसे शायद यह नहीं भूलना चाहिए कि एमपी की बीजेपी सरकार ने अभी तक विधानसभा भवन का नाम नहीं बदला है. 

अभी भी यह भवन इंदिरा विधान भवन के रूप में स्थापित है. इससे तो ऐसा लगता है कि बीजेपी लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति ज्यादा समर्पित है. कांग्रेस की परम्परा को देखते हुए तो वर्तमान सरकार अगर नए संसद भवन का नामकरण भी कर दे तो इसे परम्परा का पालन ही कहा जाएगा. नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को नरेंद्र मोदी के हाथों होगा. कम से कम इतनी तो खुशी की बात है कि कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल अपने विरोध में इस बात क़ा अब ज़िक्र नहीं कर रहे हैं कि वीर सावरकर की जयंती पर नए संसद भवन का उद्घाटन क्यों किया जा रहा है?  राहुल गांधी तो अभी तक हर मोर्चे पर यही बयान देते थे कि वे माफी नहीं मांगेंगे वे सावरकर नहीं है, गांधी कभी माफी नहीं मांगते. जब से कांग्रेस और राहुल गांधी को यह समझ आ गया कि सावरकर के खिलाफ उनका बयान विपक्षी एकता को तार-तार कर देगा तब से उन्होंने इस पर चुप्पी साध ली है. सावरकर की जयंती पर नए संसद भवन का राष्ट्र को समर्पण भारत में नई वैचारिक धारा की पुनर्स्थापना है. विपक्षी विरोध के पीछे शायद यही सोच काम कर रही है कि इतने लंबे समय तक देश का शासन चलाने के बाद भी नया संसद भवन बनाने की परिकल्पना तक नहीं की जा सकी. 

नरेंद्र मोदी ने न केवल नए संसद भवन की परिकल्पना की बल्कि एक रिकॉर्ड समय में उसका निर्माण भी पूरा कराया. देश में बड़े-बड़े निर्माण के ऐसे इतिहास कम ही देखने को मिलते हैं, जब एक ही जननेता द्वारा शिलान्यास भी किया जाए उसी जननेता द्वारा उसका लोकार्पण भी किया जाए. लोकतंत्र विचार से विचार को मात देने और संवाद से सरकार संचालन की व्यवस्था है. नए भवन के उद्घाटन समारोह के विरोध की राजनीति विरोध का अतिवाद मानी जाएगी. आज भले ही प्रधानमंत्री के रूप में कोई भी उसका उद्घाटन कर रहा हो लेकिन संसद भवन सदियों के लिए इस देश की धरोहर है. राजनीति कोई भी हो लेकिन देश की धरोहर के विरोध की राजनीति कतई स्वीकार नहीं की जा सकती. सरकार की ओर से विपक्षी दलों से आग्रह किया जाना चाहिए कि इस ऐतिहासिक अवसर पर लोकतंत्र के स्वस्थ और सशक्त स्वरूप का दिग्दर्शन दुनिया को कराने के लिए सब एक साथ आएं. सरकार को अपने प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहिए. 

संसद भवन के उद्घाटन अवसर पर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि सार्वजनिक की जा रही है. जब आजादी के समय सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्वीकार किए गए राजदंड सिंगोल को संसद में लोकसभा स्पीकर के चेयर के साथ प्रदर्शित किया जाएगा. राजदंड को निष्पक्ष न्याय का प्रतीक माना जाता है. अभी तक इसे संग्रहालय में रखा गया था. यह पहली बार होगा कि इसे संसद भवन में अध्यक्ष के साथ स्थापित किया जा रहा है. गुलामी से मुक्त भारत के स्वदेशी प्रतीकों में इस प्रतीक का ऐतिहासिक महत्व है. देश की संसद सियासत का अखाड़ा बनती जा रही है. संसद संवाद और विचार विमर्श से ज्यादा बंद रहने का रिकॉर्ड बनाती रही है. नया संसद भवन संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए नए आदर्श स्थापित करे ऐसी लोककामना है.

G News 24 :प्रदेश के शासकीय और निजी महाविद्यालयों में आज से होंगे प्रवेश प्रारंभ

 ऑनलाइन होगी प्रवेश प्रक्रिया…

प्रदेश के शासकीय और निजी महाविद्यालयों में आज से होंगे प्रवेश प्रारंभ

भोपाल । प्रदेश में उच्च शिक्षा से संबंधित 1304 से अधिक सभी शासकीय और निजी महाविद्यालयों में वर्ष 2023-24 शैक्षणिक सत्र के लिये गुरूवार 25 मई से प्रवेश प्रारंभ होंगे। यह प्रवेश प्रक्रिया epravesh.mponline.gov.in से पूर्णत: ऑनलाइन होगी। इसमें एक मुख्य चरण और तीन सीएलसी राउंड होंगे। विद्यार्थियों को अपने दस्तावेज के सत्यापन के लिये महाविद्यालय जाने की आवश्यकता नहीं है। इस वर्ष स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिये भी ई-सत्यापन प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है। इस वर्ष प्रवेश प्रक्रिया को अधिक सरल और विद्यार्थी हितैषी बनाया गया है। विद्यार्थी, त्रुटि होने पर ऑनलाइन शुल्क जमा करने के पहले महाविद्यालय के हेल्प सेंटर में सुधार कर पुन: विकल्प का चयन कर सत्यापन की प्रक्रिया कर सकेंगे। प्रवेश प्रक्रिया के दौरान निरस्तीकरण पर प्रवेश शुल्क राशि खाते में वापस ट्रांसफर की जाएगी। 

इस वर्ष से स्नातकोत्तर की 2 लाख 13 हजार सीटों पर प्रवेश के लिये ऑनलाइन ई-सत्यापन प्रक्रिया प्रारंभ होगी। नामांकन के आधार पर प्रदेश के शासकीय विश्वविद्यालयों से संबंधित विद्यार्थियों का डाटा सीधे पोर्टल पर प्राप्त होगा। प्रदेश के बाहर या अन्य शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थी, जिनका डाटा एमपी ऑनलाइन पर उपलब्ध नहीं है, सिर्फ वे ही अपने दस्तावेज अपलोड करेंगे। विद्यार्थी, पंजीयन करते समय माध्यमिक स्तर पर प्रदान की गई स्कॉलरशिप की आईडी भी दर्ज करेंगे। एक विद्यार्थी अधिकतम 15 महाविद्यालयों के लिए च्वॉइस फिलिंग कर सकेंगे। छात्राओं को पंजीयन शुल्क से छूट रहेगी। स्नातक प्रथम चरण की प्रक्रिया के लिये पंजीयन 25 मई से 12 जून तक होंगे। यूजी की सीट आवंटन एवं कटऑफ 19 जून से 30 जुलाई तक होगा। 

शुल्क भुगतान एवं अपग्रेडेशन का विकल्प 19 से 23 जून और 3 से 7 जुलाई तक रहेगा। अपग्रेडेड कॉलेज 25 जून से 10 जुलाई तक आवंटित किया जाएगा। अपग्रेडेशन से रिक्त स्थानों पर ऑनलाइन शुल्क का भुगतान 25 से 29 जून और 10 से 13 जुलाई तक किया जाएगा। स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की प्रथम सीएलसी के ऑनलाइन पंजीयन 26 मई से 13 जून तक और 20 से 28 जून तक होंगे। ऑनलाइन दस्तावेजों का सत्यापन 27 मई 16 जून तक और 21 जून से 1 जुलाई तक किया जाएगा। इसके अतिरिक्त सीट आवंटन एवं कटऑफ 20 जून से 4 जुलाई तक जारी रहेगा। प्रवेश शुल्क का भुगतान एवं अपग्रेडेश का विकल्प 20 से 24 जून तक और 4 से 8 जुलाई तक रहेगा। अपग्रेडेड कॉलेज 26 जून से 11 जुलाई तक आवंटित किया जाएगा। फीस 26 से 30 जून तक और 11 से 14 जुलाई तक भरी जाएगी।

G News 24: मध्य प्रदेश में स्थापित होंगे कौशल विश्वविद्यालय

कालेजों में जुलाई से परिवहन व्यवस्था होगी लागू…

मध्य प्रदेश में स्थापित होंगे कौशल विश्वविद्यालय

भोपाल। मध्य  प्रदेश में कौशल विश्वविद्यालय स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए कांसेप्ट नोट तैयार किया जा चुका है। अन्य राज्यों में स्थापित 12 कौशल विश्वविद्यालयों और संस्थानों का अध्ययन कर उनमें संचालित किए जा रहे पाठ्यक्रमों के आधार पर प्रस्ताव तैयार किया गया है। उक्त जानकारी देते हुए उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केसी गुप्ता ने मंगलवार को विभागीय मंत्री डा मोहन यादव को मंत्रालय में समीक्षा बैठक में विभाग के कार्यों से अवगत कराया। समीक्षा के दौरान मंत्री यादव ने निर्देश दिए है कि छात्राओं को आवागमन में परेशानी न हो, इसलिए सभी कालेज और विश्वविद्यालय परिवहन व्यवस्था जुलाई से अनिवार्य रूप से लागू करें। 

मंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में इन्क्यूवेशन सेंटर स्थापित किया गया है। इन विश्वविद्यालयों द्वारा 27 पेटेंट प्रगतिशील हैं। छात्रों द्वारा किए जा रहे इनोवेशन का प्रचार-प्रसार अनिवार्य रूप से किया जाए। वीडियो बना कर सोशल मीडिया से प्रचारित करें।