G.NEWS 24 : ED ने जब्त की राज कुंद्रा की 97.79 करोड़ की संपत्ति

पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत...

ED ने जब्त की राज कुंद्रा की 97.79 करोड़ की संपत्ति

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार बड़ी कार्रवाई करते हुए बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा की 97.79 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली। बिटकॉइन पोंजी स्कीम केस में यह कार्रवाई कीप्रवर्तन निदेशालय ने आधिकारिक रूप से इसकी जानकारी दी। 

सूत्रों के अनुसार, जब्त की गई प्रॉपर्टी में शिल्पा शेट्टी का जुहू वाला फ्लैट भी शामिल है। यह पूरा मामला सिंगापुर स्थित फर्म वेरिएबल टेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए गए कथित ₹6,600 करोड़ के बिटकॉइन पोंजी घोटाले से संबंधित मनी-लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है, जिसकी जांच ईडी द्वारा की जा रही है।

पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत रिपु सूदन कुंद्रा उर्फ ​​राज कुंद्रा से जुड़ी 97.79 करोड़ की अचल और चल संपत्तियों को कुर्क किया गया है। जुहू स्थित आवासीय फ्लैट शिल्पा शेट्टी के नाम पर है। वहीं, पुणे स्थित आवासीय बंगला और इक्विटी शेयर राज कुंद्रा के नाम पर है।

G.NEWS 24 : नाराज होकर बीच रास्ते में ही रोड शो छोड़कर निकले CM !

रास्ते में खराब हुआ प्रचार रथ...

नाराज होकर बीच रास्ते में ही रोड शो छोड़कर निकले CM !

मध्य प्रदेश के भिंड में बीजेपी प्रत्याशी संध्या राय का नामांकन दाखिल करवाने पहुंचे मुख्यमंत्री मोहन यादव का रोड शो फ्लॉप हो गया. यहां रोड शो के दौरान बीच रास्ते में ही चुनावी रथ खराब हो गया. रथ को आगे बढ़ाने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने धक्का भी दिया, लेकिन आगे नहीं बढ़ सका.  इस बात से नाराज होकर सीएम बीच रास्ते में ही रोड शो छोड़कर रथ से नीचे उतर आए और कार में सवार होकर हेलीपैड के लिए रवाना हो गए. 

यह देखकर सभी के हाथ पैर फूल गए. रथ के साथ चल रहे सुरक्षाकर्मियों ने सीएम के रथ को धक्का देकर आगे बढ़ाने की कोशिश भी की, लेकिन रथ आगे नहीं बढ़ सका. रुक-रुक कर दो बार सीएम का रथ बंद हो गया, इस वजह से सीएम भी नाराज हो गए और वे रथ से नीचे उतरकर कार में सवार हो गए. सीएम रोड शो को बीच रास्ते में ही छोड़कर हेलीपैड के लिए रवाना हो गए. हालांकि तय कार्यक्रम के तहत सीएम मोहन यादव को लहार चौराहे से रोड शो करते हुए शहर के बीचो-बीच परेड चौराहे तक पहुंचना था और यहां रथ में से ही खड़े होकर पब्लिक को संबोधित करने था, लेकिन रथ के खराब होने की वजह से ऐसा नहीं हो सका. 

इस बारे में जब बीजेपी की लोकसभा प्रत्याशी संध्या राय से बातचीत की गई, तो उन्होंने पहले तो इस पूरी घटनाक्रम से खुद को अनभिज्ञ बताया, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि इसके वीडियो भी हमारे पास उपलब्ध है, तो उन्होंने इस बात को कबूल किया कि मशीनरी है इसलिए खराबी आ जाती है, टेक्निकल प्रॉब्लम हो जाती है. हम आपको बता दें कि सीएम का रोड शो फ्लॉप होने से पहले भी भिंड में ही बीजेपी का संयुक्त मोर्चा का कार्यक्रम भी फ्लॉप हो चुका है. पिछले दिनों भिंड में बीजेपी का संयुक्त मोर्चा का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें कार्यकर्ता ही नहीं पहुंचे. इस वजह से इस कार्यक्रम में खुद संध्या राय ने भी दूरी बना ली थी.

G.NEWS 24 : ग्वालियर की लोकायुक्त टीम ने प्रधान आरक्षक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा !

की थी 40 हजार रुपए की रिश्वत की मांग...

ग्वालियर की लोकायुक्त टीम ने प्रधान आरक्षक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा !

दतिया। ग्वालियर की लोकायुक्त टीम ने दतिया के दुरसड़ा थाने में पदस्थ एक प्रधान आरक्षक को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गुरुवार को रंगे हाथों पकड़ लिया है। प्रधान आरक्षक पूरन पटवा नाम के व्यक्ति पर एक मामले में धारा ना बढ़ाने के एवज में रिश्वत मांग रहा था। 

आपको बता दें कि पूरन पटवा पर जमीन के संबंध में धोखाधड़ी का मामला दर्ज है इस मामले में प्रधान आरक्षक हरेंद्र पलिया ने 40 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की थी।

ह रिश्वत प्रधान आरक्षक इस मामले में धारा नहीं बढ़ाने के लिए मांग रहा था। ग्वालियर लोकायुक्त की टीम ने प्रधान आरक्षक को रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया है। प्रधान आरक्षक ने 40 हजार रुपए रिश्वत मांगी थी। पहली किस्त लेते हुए वह पकड़ा गया।

G News 24 : लड्डू गोपाल संग शिवानी ने मीरा बाई की तरह रचाया विवाह !

 ग्वालियर में हुआ अनोखा विवाह जिसमे लड्डू गोपाल बने दूल्हा...

लड्डू गोपाल संग शिवानी ने मीरा बाई की तरह रचाया विवाह !

ग्वालियर।  बुधवार 17 अप्रैल को शिवानी ने कृष्ण भक्त मीरा की तरह भगवान लड्डू गोपाल को अपना सारा जीवन सौंप दिया है। इसका ग्वाह ग्वालियर मथुरा के सैकड़ों श्रद्धालु बने। ग्वालियर में यह अनोखी शादी हुई है। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने ग्वालियर की 23 वर्षीय शिवानी परिहार की मांग भरी, 7 फेरे लेकर विवाह रचाया और शिवानी ने अपना पूरा जीवन उनके चरणों में सौंप दिया है। शिवानी से शादी के लिये भगवान लड्डू गोपाल मथुरा-वृंदावन से बारात लेकर ग्वालियर आये थे।

शादी भी वृंदावन से आये पंडित ने पूरे रीति रिवाज से कराई है। यह विवाह शहर की कैंसर पहाडि़यों पर स्थित हनुमान मंदिर परिसर में हुआ है। यह अनोखी शादी की खबर लगते ही आसपास के लोग भी इस शादी को देखने के लिये पहुंचे। इतना ही नहीं लोगों ने भगवान लड्डू गोपाल और शिवानी की शादी में शामिल होकर पैर पुजाई भी की।

बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण की दीवानी थी शिवानी

शिवानी को बचपन से ही भगवान लड्डू गोपाल के प्रति भक्ति भाव था और युवा होने के बाद उसने तय कर लिया कि वह भगवान कृष्ण से ही विवाह करेंगी। शिवानी के पिता राम प्रताप परिहार ग्वालियर में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते है। वहीं मां मीरा परिहार गृहणी है। इनकी 2 बेटियां हैं, बड़ी बेटी की शादी हो चुकी हैं और शिवानी ने लड्डू गोपाल से विवाह कर उनको पूरे ग्वालियर सहित दूर-दूर तक चर्चित कर दिया है।

शिवानी की अनोखी शादी में जुटे शहरवासी

शिवानी की शादी की पूरे ग्वालियर में धूम रही। बड़ी तादाद में महिलाएं शिवानी की शादी में शामिल होने पहुंची। महिलाओं ने शिवानी की पैर पूजाई कर उसे उपहार दिए। शिवानी की शादी का पूरा इंतजाम छायांकन जनचेतना एवं जन कल्याण संस्था ने किया। संस्था ने पूरा विवाह नि:शुल्क कराया और शिवानी-लड्डू गोपाल की शादी का सर्टिफिकेट भी दिया। सामाजिक संस्था का कहना है कि ऐसा अद्भुत विवाह उन्होंने जीवन में पहली बार कराया है। भगवान लड्डू गोपाल का विवाह करना उनके लिए सौभाग्य की बात है।

G News 24 : प्राइवेट एवं सरकारी स्कूलों के संचालन नियमों में विभाग की दोहरी नीति !

 स्कूल शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश शासन की ...

प्राइवेट एवं सरकारी स्कूलों के संचालन नियमों में विभाग की दोहरी नीति !


ग्वालियर। स्कूल शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत रहती हैं लेकिन उसका ये प्रयास भेदभाव पूर्ण दिखाई देता है। सरकार पहले से चल रहे सरकारी स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध करवाने के बजाय नए नए प्रयोग करती रहती है। कभी उत्कृष्ट ,कभी  मॉडल स्कूल खोले गए थे जिनकी स्थिति भी आज किसी से छिपी नहीं है।  शासन उन विद्यालयों की स्थिति सुधारने की बजाय नए सर्व सुविधा युक्त विद्यालय खोलने पर ज्यादा ध्यान दे रही है। वही सी एम राइस विद्यालयों में जो शिक्षक अध्यापन कार्य कर रहे हैं वह शिक्षक अन्य शासकीय विद्यालय में पहले से ही अध्यापन कार्य कर रहे थे उन्हें शिक्षकों में से परीक्षा उत्तीर्ण कराकर उन्हें शिक्षकों की नियुक्ति सी एम राइस विद्यालयों में की गई है। और अब सी एम राइस विद्यालय का पूरे मध्य प्रदेश में निर्माण कर रही है। ये अच्छी बात है। 

लेकिन सरकार जो स्कूल  पहले से चल रहे हैं उन पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि प्रदेश में तमाम स्कूल ऐसे हैं जिनमे न तो पर्याप्त स्टाफ है और ना ही फर्नीचर ! कहीं अगर स्टाफ और फर्नीचर भी है तो बिल्डिंग नहीं है पीने का पानी तक भी ब-मुश्किल उपलक्ध हो पाता है। इसके उलट प्राइवेट स्कूलों के संचालन और अनुमति दिए जाने के दौरान जितनी फ़ॉर्मेल्टीज पूरी करवाई जाती है उसकी एक चौथाई भी अगर सरकारी स्कूल खोलते समय पूरी करवा दी जाएं तो बहुत है। फिर सीएम/पीएम राइस स्कूल खोलने की जरूरत शायद ही पड़ेगी। 

प्रदेश में कई शासकीय विद्यालय दो कमरों में संचालित हो रहे हैं बुनियादी सुविधाओ के नाम पर पीने का पानी तो छोड़ो हाथ धोने के लिए पानी की व्यवस्था तो कहीं पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था नहीं है। प्रयोगशाला,पुस्तकालय,खेलकूद का सामान रखने की न इनके पास जगह है और ना ही इस प्रकार की कोई व्यवस्था देखने को मिल रही है।  इनमें अध्यापन कार्य के लिए भी पर्याप्त शिक्षक नहीं है यहां तक की  पदस्थ प्राचार्य तक नहीं है प्रभारी प्राचार्य से विद्यालय संचालित हो रहे हैं। शासन को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए। दो कमरे के विद्यालय व बुनियादी सुविधा व शिक्षकों की कमी वाले कुछ विद्यालय हमारी नजरों में आए जो कि आपके सामने हैं आगे भी इस तरह की खबरें शासन की वह आम जनता की आंखें खोलने के लिए आपके सामने आती रहेगी किस तरह जनता के पैसों की बर्बादी हो रही है।



G.NEWS 24 : अयोध्या में रामनवमी के मौके पर हुआ रामलला का सूर्य तिलक

अद्भुत क्षण के साक्षी बने करोड़ों रामभक्त...

अयोध्या में रामनवमी के मौके पर हुआ रामलला का सूर्य तिलक

500 वर्षों तक चले संघर्ष के बाद निर्मित भव्य महल में मना रामलला का पहला जन्मोत्सव अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय रहा। रत्न जड़ित पीतांबरी यानी पीला वस्त्र व सोने का मुकुट धारण कर रामलला ने भक्तों को दर्शन दिए। अध्यात्म व विज्ञान का अद्भुत संगम भी उस समय नजर आया, जब सूर्य की किरणों ने पांच मिनट तक सूर्यवंश के सूर्य का ''सूर्य तिलक'' किया। इस अद्भुत क्षण को हर कोई अपनी आंखों में बसाने को लालायित नजर आया। वहीं, कार्यक्रम का प्रसारण न्यूज चैनलों के माध्यम से किया गया, जिससे घर बैठे करोड़ों लोग इस अद्भुत क्षण के साक्षी बने। इस दौरान 5 मिनट तक रामलला के ललाट पर सूर्य की किरण दिखाई दी.

भजन-कीर्तन, स्तुति-वंदना के बीच सबकी निगाहें घड़ी की सुइयों पर थीं। जैसे-जैसे घड़ी की सुइयां 12 की ओर बढ़ रही थीं, आतुरता भी बढ़ती रही। बालक राम सहित उत्सव मूर्ति की मनमोहक छवि के दर्शनकर भक्त मंत्रमुग्ध होते रहे। ...नवमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकुलपछ अभिजित हरिप्रीता। मध्य दिवस अति सीत न धामा, पावन काल लोक विश्रामा। स्तुति तक पहुंचते-पहुंचते पूरे 12 बज चुके थे। मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने मंदिर के कपाट खोले तो घंटा घड़ियाल बजने के साथ ही भक्तों ने भए प्रकट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकारी... का भजन गायन शुरू कर दिया। जैसे ही जन्मोत्सव का कर्मकांड हुआ पूरा परिसर जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा।

 भक्त उत्साह की सीमाओं का उल्लंघन करने से भी नहीं चूके। मंदिर परिसर में मौजूद हर शख्स भावविभोर दिखा। संत एमबीदास व अन्य कलाकारों ने बधाइयां गाईं तो भक्त झूमने-नाचने लगे। पुजारी प्रेमचंद्र त्रिपाठी ने बताया कि सुबह 3:30 बजे ही मंदिर के कपाट खोल दिए गए थे। रामलला का श्रृंगार, राग-भोग, आरती व दर्शन साथ-साथ चलता रहा। सुबह से ही मंदिर में अनुष्ठानों का दौर शुरू हो गया था। चारों वेदों का पाठ, वाल्मीकि रामायण का पाठ सहित अन्य अनुष्ठान हुए। रामलला के सूर्य तिलक के समय श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉ़ अनिल मिश्र, ट्रस्टी महंत दिनेंद्र दास, सीबीआरआई रुड़की के निदेशक प्रो़ प्रदीप कुमार सहित अन्य विज्ञानी व साधु-संत मौजूद रहे।

इस तरह हुआ रामलला का पूजन-श्रृंगार -

  • सुबह 3:00 बजे- मधुपर्क, पंचामृत, दिव्य औषधियों से रामलला को स्नान कराया गया।
  • सुबह 3:30 बजे- श्रृंगार व मंगलाआरती के साथ मंदिर खोला गया।
  • सुबह 11:08 बजे- जन्मोत्सव को लेकर पूजन की प्रक्रिया शुरू हुई।
  • 11:40 से 11:55- श्रीरामलला को 56 भोग अर्पित किया गया।
  • 12:00 बजे- जन्म की आरती शुरू हुई, गर्भगृह का पर्दा खोला गया।
  • 12:00 बजे- सूर्य की किरणों ने रामलला का सूर्य तिलक किया।
  • 12:08 बजे- जन्म की स्तुति का गायन शुरू हुआ।
  • 12:16 बजे- वेदमंत्रों से रामलला की पुन: स्तुति की गई।
  • 12:30 बजे- दर्शनार्थियों को निकास मार्ग पर जन्म का प्रसाद बांटा गया

पांच चरणों में हुआ रामलला का सूर्य तिलक -

  • मंदिर के ऊपरी हिस्से पर लगे दर्पण पर सूर्य की किरणें गिरीं। यहां से परावर्तित होकर पीतल के पाइप में पहुंचीं।
  • पाइप में एक और दर्पण लगाया गया था। इससे किरणें टकराकर 90 डिग्री कोण में बदल गईं।
  • लंबवत पीतल के पाइप में लगे तीन लेंसों से किरणें आगे बढ़ीं।
  • किरणें तीन लेंस से गुजरने के बाद गर्भगृह में लगे दर्पण से टकराईं।
  • यहां से 90 डिग्री का कोण बनाकर 75 मिलीमीटर टीके के रूप में रामलला के ललाट पर पहुंचीं।

G.NEWS 24 : चुनाव के दो दिन पहले नक्सलियों पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक !

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में...

चुनाव के दो दिन पहले नक्सलियों पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक !

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में लोकसभा चुनाव के दो दिन पहले हुए सबसे बड़े सर्जिकल स्ट्राइक की. जिस तरह आतंकियों के घर में घुसकर सेना और सुरक्षाबल के जवान आतंकियों का सफाया कर चुके हैं. वैसे ही नक्सलियों के गढ़ में घुसकर एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. कांकेर में हुए इस एनकाउंटर की खास बात ये थी कि इसे कश्मीर के ऑपरेशन ऑलआउट के तर्ज पर अंजाम दिया गया. जिसमें सेना और सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़े मददगार साबित हुए लोकल लड़ाके. कश्मीर की थ्योरी से छत्तीसगढ़ के आतंकी यानी नक्सली मारे गए. मंगलवार को लाल आतंक के गढ़ छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली. अलग राज्य बनने के करीब 24 साल बाद छत्तीसगढ़ में ये पहला मौका है, जब यहां एक साथ 29 नक्सलियों को मार गिराया गया है.

 सबसे खास बात ये है कि इस ऑपरेशन में सभी कट्टर नक्सली मारे गए हैं. जिसमें टॉप नक्सली कमांडर और 25 लाख का इनामी शंकर राव भी शामिल है. यही नहीं नक्सलियों के पास से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया है. यानी लोकसभा चुनाव की शुरूआत से ठीक पहले एक झटके में नक्सलियों के बड़े कुनबे का सफाया कर दिया गया. कांकेर में नक्सलियों के खिलाफ़ इस ऑपरेशन को कुछ उसी अंदाज़ में अंजाम दिया गया, जैसे जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खात्मा किया जा रहा है. दरअसल केंद्र सरकार के निर्देश पर सुरक्षा एजेंसियां लम्बे वक्त से नक्सलियों के खिलाफ़ ऑल आउट ऑपरेशन की रणनीति बना रही थी. कांकेर के ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए पिछले हफ्ते ही 10 राज्यों के DGP के साथ गृह सचिव और IB चीफ की बैठक हुई, जिसमें इस मिशन पर आखिरी मुहर लगी. 

बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ में कश्मीर की तरह टारगेट बेस्ड ऑपरेशन लॉन्च करने की बात हुई और फिर खुफिया इनपुट के आधार पर पूरी प्लानिंग की गई. जिसे BSF के साथ DRG ने मिलकर अंजाम दिया. जंगलों में आमने-सामने हुई मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की मांद में घुसकर उनको मार गिराया. नक्सल मोर्चे पर पहली बार ऐसा हुआ, जब आमने-सामने की लड़ाई में नक्सलियों पर फोर्स पूरी तरह से हावी रही और बिना किसी कैजुअल्टी के ऑपरेशन कम्प्लीट हुआ. नक्सलियों के खिलाफ़ इस ऑपरेशन को सक्सेसफुल बनाने में सुरक्षा एजेंसियों की कश्मीर वाली थ्योरी अपनाई. 

जिसके तहत जंगलों में रहने वाले स्थानीय लोग और नक्सल की राह छोड़ चुके पुराने लड़ाकों की मदद ली गई.. जो बेहद कारगर साबित हुई. करीब पांच दिन की प्लानिंग के दौरान सैटेलाइट तस्वीरों के अलावा ड्रोन का इस्तेमाल कर नक्सलियों के मूवमेंट को लगातार ट्रैक किया गया. साथ ही पूरे इलाके में तलाशी अभियान चलाया गया और फिर साढ़े पांच घंटे तक चली आमने-सामने की भिड़ंत में 29 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया. आपको बता दें कि कांकेर में नक्सलियों को ढेर करने में BSF और स्पेशल फोर्स के अलावा DRG यानी डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड की बेहद खास भूमिका रही. कहा जाता है कि नक्सलियों के बीच DRG का इतना खौफ है कि इनके डर से नक्सली अपनी मांद से बाहर तक नहीं निकलते. 

आखिर ये DRG होते क्या हैं.. अब ये समझिए. दरअसल छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर लगाम कसने के लिए DRG का गठन हुआ था. DRG में ज़्यादातर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके के आदिवासी हैं. DRG की टीम में स्थानीय लड़के और आत्मसमर्पित नक्सली होते हैं. इन्हें मुख्य धारा में जोड़ने और रोजगार के लिए DRG में रखा जाता है. लोकल होने के कारण इन्हें जंगलों के बारे में काफी जानकारी होती है. पूर्व नक्सली होने की वजह से इंटेलिजेंस नेटवर्क काफी मजबूत होता है. DRG के जवान बिना बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट के भी रह सकते हैं. ये 3 से 4 दिन लगातार जंगलों में नक्सलियों की तलाश कर सकते हैं. इनके पास केवल खाने पीने के सामान और हाथ में हथियार ही होते हैं. दरअसल नक्सल प्रभावित इलाके पहाड़ और घने जंगलों से घिरे हुए होते हैं. यहां की भगौलिक स्थिति को अर्धसैनिक बल और सीआरपीएफ के जवान अच्छी तरह समझ नहीं पाते. 

ऐसे में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में DRG के जवान बेहद खास रोल निभाते हैं. यही वजह है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में 16 साल पहले वजूद में आए DRG की संख्या और हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है. DRG का गठन सबसे पहले 2008 में छत्तीसगढ़ के कांकेर और नारायणपुर में हुआ. बीजापुर और बस्तर में DRG का गठन साल 2013 के दौरान किया गया. वहीं सुकमा और कोंडागांव में ये 2014 के दौरान अस्तित्व में आया. इसके बाद 2015 में दंतेवाड़ा, राजनांदगांव और कवर्धा जिले में DRG की शुरुआत की गई. कई बार सुरक्षा एजेंसियों को नक्सलियों और आतंकवादियों के गठजोड़ की खबरें मिलती रही हैं. यही वजह है कि केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियां कश्मीर के आतंकियों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को भी चुन-चुन कर खत्म कर रही है.